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    संडे की मस्ती 2015-02-01
    2015-02-11 16:15:17 cri

     


    हैलो दोस्तों...नमस्कार...नीहाओ...। आपको और आपके पूरे परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    स्वागत है आपका हमारे इस चटपटे और laughter से भरे कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में। मैं हूं आपका दोस्त और होस्ट अखिल पाराशर।

    हर बार की तरह आज के इस कार्यक्रम में होंगे दुनिया के कुछ अजब-गजब किस्से और करेंगे बातें हैरतंगेज़ कारनामों की....इसी के साथ ही हम लेकर आये हैं मनोरंजन और मस्ती की सुपर डबल डोज, जिसमें होंगे चटपटे चुटकुले, ढेर सारी मस्ती, कहानी और खूब सारा फन और चलता रहेगा सिलसिला बॉलीवुड गानों का भी।

    दोस्तों, आज कार्यक्रम को होस्ट करने में मेरा साथ दे रही है वनिता जी...।

    वनिता- आप सभी को वनिता का प्यार भरा नमस्कार

    अखिल- दोस्तों, हमें खेद है कि आज भी आपके प्यारे लेटर्स और कमेंट्स को हम अपने कार्यक्रम में शामिल नहीं कर पा रहे हैं। अगले कार्यक्रम में आपके लेटर्स और कमेंट्स जरूर शामिल करेंगे, आप हमें लेटर जरूर भेजते रहें। चलिए, अब हम आरंभ करते हैं हमारी मस्ती की पाठशाला

    अखिल- दोस्तो, आप को वह कहानी तो याद होगी जिसमें प्यासा कौआ कितनी समझदारी के साथ घड़े में कंकर डालकर पानी का लेवल ऊंचा उठा देता है और पानी निकाल लेता है। वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया कि कौवे में सात साल के बच्चे जितनी समझदारी होती है।

    वैज्ञानिकों ने शाखाओं से खाना निकालने के लिए लकड़ी की पतली छड़ों का उपयोग करने जैसी गतिविधियों को उनकी समझदारी में शुमार किया है। कौओं की समझदारी को चुनौती देने के लिए वैज्ञानिकों ने छह नए जंगली कैलेडोनियाई कौओं पर प्रयोग किया। उनका कार्य उस कहानी पर आधारित था जिसमें कौवे ने घड़े के पानी का स्तर ऊपर लाने के लिए उसमें कंकड़-पत्थर डाले थे।

    इस कार्य में कौओं को पानी में भारी चीजें डालकर उसमें तैरता हुआ खाद्य पदार्थ पाना था। उन्हें एक कम स्तर के पानी भरे बर्तन, पानी से पूरे भरे बर्तन और एक रेत भरे बर्तन में से किसी एक का चुनाव करना था।

    यूनीवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड, न्यूजीलैंड की सारा जेलबर्ट ने बताया, इस पक्षी की Volume Displacement के प्रभाव की समझ, मनुष्य के पांच से सात साल तक के बच्चे की समझ से मेल खाती है। 'प्लोस वन' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि ये परिणाम आश्चर्यजनक हैं क्योंकि इन्होंने कौओं की समझ की सीमा और ताकत दोनों पर प्रकाश डाला है।

    वनिता- अरे वाह, अखिल जी। मैं आज तो पहली बार सुन रही हूं कि एक कौआ में 5 से 7 साल के बच्चे जैसा दिमाग होता है। बड़ी हैरत हुई यह जानकर।

    अखिल- वनिता जी, आपको एक और हैरान कर देने वाला किस्सा बताता हूं। दरअसल किस्सा यह है कि इंग्‍लैंड की रहने वाली 41 साल की सारा को अपनी बच्‍ची का पहला नाम तो पता था, लेकिन सरनेम यानी कि कुलनाम की कोई जानकारी नहीं थी। वह यह नहीं जानती थीं कि उनकी बेटी को किसने गोद लिया है। ऐसे में बच्‍ची को ढूंढना उनके लिए आसान नहीं था। पिछले साल सारा ने अपनी बेटी को फेसबुक पर ढूंढने के बारे में सोचा। उन्‍होंने फेसबुक के सर्च बार पर अपनी बेटी का नाम टाइप किया "केलेग मैरी"। फिर क्‍या था इस नाम के सैकड़ों प्रोफाइल उनकी नजरों के सामने आ गए। हालांकि इतने सारे प्रोफाइल्‍स में से अपनी बेटी को ढूंढना नामुमकिन काम था, लेकिन सारा ने हार नहीं मानी। उन्‍होंने केलेग मैरी नाम के सारे प्रोफाइल्‍स को देखना शुरू किया। तभी उनकी नजर एक ऐसे प्रोफाइल पर पड़ी जिसकी तस्‍वीर उनकी जवानी के दिनों से मिलती-जुलती थी। सारा को लगा कि हो सकता है कि केलेग मैरी वॉट्स उनकी वही बेटी हो जिसे उन्‍होंने 19 साल पहले गोद दे दिया था। उन्‍होंने उसे फ्रेंड रिक्‍वेस्‍ट भेजी और पांच मिनट के अंदर-अंदर फेसबुक पर एक-दूसरे को मैसेज कर दोनों ने बताया कि कि वे आपस में काफी मिलते-जुलते हैं।

    सारा ने केलेग मैरी को बताया कि जिस वक्‍त उनकी बेटी को गोद लिया गया था तब उसका नाम केलेग मैरी थॉमस था। इसके बाद केलेग मैरी ने मैसेज कर जवाब दिया, 'मां'. दोनों ने करीब पांच महीनों तक मैसेज के जरिए बातचीत की। अब सारा और केलेग की मुलाकात हुई और तब से वे एक-दूसरे के साथ ही हैं। दोनों ने 1995 के बाद पहली बार एक साथ मदर्स डे का जश्‍न मनाया। सारा बेहद खुश हैं और कहती हैं, 'मैं पिछले सात सालों से केलेग को ढूंढ रही हूं, लेकिन जिन्‍होंने उसे गोद लिया था मैं उन लोगों का सरनेम नहीं जानती थी। फिर मैंने फेसबुक पर सिर्फ केलेग मैरी लिखकर सर्च करना शुरू किया'। सारा के मुताबिक, 'जब मैंने केलेग की तस्‍वीर देखी तो वह मेरी परछाई जैसी थी। जब वह मेरे सामने आई तो मैंने उसे इतनी जोर से गले लगाया कि उसकी गर्दन टूटने ही वाली थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि आखिरकार मैंने उसे ढूंढ ही लिया'। वहीं केलेग का कहना है, 'यह बेहतरीन है। ऐसा लगा रहा है मानो हम कभी जुदा ही नहीं हुए हों। मैंने तीन महीने पहले मुझे जन्‍म देने वाली मां की खोजबीन शुरू की। मुझे हमेशा से पता था कि हम एक न एक दिन जरूर मिलेंगे, लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि यह सब इतना जल्‍दी हो जाएगा'।

    दरअसल, सारा को अपनी बेटी इसलिए गोद देनी पड़ी थी क्‍योंकि लड़की के पिता के साथ उनका रिश्‍ता ठीक नहीं था। ऐसे में समाज सेवकों को डर था कि घर के माहौल का नन्‍ही बच्‍ची पर खराब असर पड़ेगा इसलिए उन्‍होंने केलेग को किसी दूसरे को गोद दे दिया। अब इतने सालों के बाद अपनी मां से मिलने पर केलेग कहती हैं, 'मुझे अपनी मां मिल ही गई। हम दोनों एक दूसरे से बहुत ज्‍यादा मिलते-जुलते हैं'. वहीं सारा का कहना है, 'अपनी बेटी को वापस पाकर मैं सातवें आसमान पर हूं'. उधर, केलेग को गोद लेने वाले मां-बांप ने अपना बयान देने से इनकार कर दिया है।

    वनिता- वाह अखिल जी....। एक मां ने 19 साल पहले गोद दी बच्‍ची को फेसबुक पर ढूंढ निकाला...यह सुनकर तो मजा आ गया। वाकई.. आज के समय में हर चीज़ possible सा लगता है।

    अखिल- हा हां हां हा.. सही कहा वनिता जी आपने...। आज के hi-tech समय में कुछ भी पोसिबल है।

    अखिल- चलिए.. अब मैं आपको एक ऐसी बात बताने जा रहा हूं जिसे सुनकर आप जरूर नाक सिकोड़ लेंगे...और आपको जरूर अजीब लगेगी।

    दरअसल बात यह है कि चीन के zhejiang province के तोंगयांग शहर में पेशाब में उबले हुए अंडे खाए जाते हैं। ऐसे अंड़ो को चीनी भाषा में थोंग ज़ तान कहा जाता है। ब्रिटिश वेबसाइट 'डेली मेल' में छपी खबर के मुताबिक, इस साल भी तोंगयांग के शेफ पूरी दुनिया को उनकी डिश आजमाने का न्यौता दे रहे हैं। शेफ का दावा है कि इस बार ये अंडे बेहद अच्छी क्वालिटी के होंगे और उनमें एक 'खट्टा' स्वाद होगा। हैरानी की बात यह है कि चीन में इन अंडों की खास 'सांस्कृतिक अहमियत' है। हजारों सालों से वसंत के मौसम में बच्चों के पेशाब में उबले हुए अंडे खाने की परंपरा रही है। शेफ लू मिंग बताते हैं कि स्थानीय स्कूलों से पेशाब इकट्ठा किया जाता है। लड़के बाल्टियों में पेशाब करते हैं और वहां से हर दिन ताजा पेशाब ले लिया जाता है। शेफ का दावा है कि ये अंडे हेल्दी होते हैं। शेफ बताते हैं कि अंडों को दो बार पेशाब में उबाला जाता है। पहले छिलका हटाए बिना और फिर बाद में छिलका हटाकर। इसके बाद ही उन्हें खाने के लिए परोसा जाता है। मिंग कहते हैं, 'ये अंडे लाजवाब और हेल्दी होते हैं। उन्हें खाने से बुखार नहीं आता और अगर आप सुस्ती महसूस कर रहे हों तो इन्हें खाकर ताजगी आती है।' वह कहते हैं, 'हम इसे एक्सपोर्ट करने पर भी ध्यान दे रहे हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि चीन से बाहर के लोग भी हमारी डिश की तारीफ करें।' 2008 में स्थानीय शहर ने इन अंडों को 'सांस्कृतिक विरासत' घोषित कर दिया था। यहां तक कि यूनेस्को विश्व विरासत के दर्जे के लिए आवेदन करने की बात भी चर्चा में थी। हालांकि शेफ यह नहीं बता पाए कि इस साल अंडे कुछ अतिरिक्त खट्टे क्यों हैं। शेफ दावा करते हैं कि ये अंडे सेहत के लिए अच्छे हैं पर तोंगयांग में हर कोई इस थ्योरी पर यकीन नहीं करता। हालांकि न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, चीनी मेडिकल एक्सपर्ट इन अंडों के संबंध में लोगों को चेता चुके हैं। यहां के एक निवासी वांग जुग्शिंग कहते हैं, 'हमारे यहां यह मान्यता है कि पेशाब में उबले हुए अंडे सेहत के लिए अच्छे होते हैं और इनसे जुखाम वगैरह नहीं होता. पर मैं इसे नहीं मानता और न ही उन्हें खाता हूं.'

    अखिल- दोस्तो, थी न यह ख़बर कमाल की...। खैर.. इन अंडों की खास 'सांस्कृतिक अहमियत' है, और कहा जा रहा है कि ये अंड़े सेहत के लिए फायदेमंद है, तो हम यही कहेंगे Sunday हो या Monday, रोज़ खाए ये वाले अंड़े...। चलिए दोस्तों.. अभी हम आपको सुनवाते हैं एक मस्त-मस्त हिन्दी गाना... उसके बाद आपके ले चलेंगे हमारे मनोरंजन के दूसरे सेगमेंट की तरफ...

    अखिल- आपका एक बार फिर स्वागत है हमारे इस मजेदार कार्यक्रम संडे की मस्ती में... मैं हूं आपका दोस्त एन होस्ट अखिल।

    चलिए दोस्तों, मैं अब आपको बताने जा रहा हूं एक से बढ़कर एक 10 रोचक तथ्यों के बारे में....

    1. मुंबई के ब्रेबॅार्न स्टेडियम में 1988 में खेल One day अभ्यास मैच में सचिन तेंदुलकर ने पाकिस्तान के लिए फ़ीलि्डिंग की थी.

    2. गुगल से 10 अरब से अधिक पेज जुडे हुए है जो हर 19 महीने में दुगने हो जाते है.

    3. Internet में 80% प्रतीशत ट्रेफिक सर्च इंजनो की वजह से आता है.

    4. हम शाम के मुकाबले सुबह लगभग 1 cm लम्बे होते हैं.

    5. सपनो में हम सिर्फ वही चीजें देख सकते हैं जो हम पहले से देख चुके हैं.

    6. अफजल खान की एक बीवी ने उसे शिवाजी की शरण जाने को कहा तो अफजल खान इतना भड़क गया कि उसने अपनी पूरी 63 बीवीयो को मार कर एक कुवे में फेक दिया.

    7. गरम पानी ठन्डे पानी से पहले बर्फ में बदल जाता है.

    8. अगर पृथ्वी को सेब के आकार का बना दे तो पृथ्वी के ऊपर वायुमंडल केवल उसके छिलके के बराबर है.

    9. टाइटैनिक जहाज को बनाने को लिए उस समय 35 करोड़ 70 लाख रूपये लगे थे जब कि टाइटैनिक फिलम बनाने के लिए 1000 करोड़ के लगभग लागत आई.

    10. बिल गेट्स हर सेकेण्ड में करीब 12000 रुपये कमाते हैं यानि एक दिन में करीब 102 करोड़ रूपये.

    वनिता- दोस्तों, ये थी एक से बढ़कर एक 10 रोचक बातें और तथ्य.. उम्मीद है कि आपको जरूर पसंद आये होंगे। अब अखिल जी, एक प्रेरक कहानी सुनाने जा रहे हैं।

    अखिल- दोस्तों, एक बार आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सुबह के समय मंदिर से अपने घर वापस जा रहे थे। कुछ दूरी पर ही उन्हें 'बचाओ-बचाओ, मेरी जान बचाओ' की चीख सुनाई दी। एक अछूत स्त्री को सांप ने काट लिया था। कोई उस स्त्री की सहायता नहीं कर रहा था। आचार्य द्विवेदी जैसे ही वहां पहुंचे, लोग कहने लगे- 'आचार्य जी इसे हाथ मत लगाना। यह अछूत है।'

    द्विवेदी जी ने किसी की परवाह किए बिना स्त्री को अपनी गोद में बैठाया और कुछ और न पाकर अपना जनेऊ तोड़कर स्त्री के पैर में सांप द्वारा काटे गए स्थान से थोड़ा ऊपर कसकर बांध दिया। फिर चाकू से उस स्थान पर चीरा लगा, दूषित खून बाहर निकाल दिया। स्त्री की जान बच गई। इतनी देर में वहां गांव के कुछ और लोग इकट्ठा हो गए। गांव के लोग आपस में बातें करने लगे कि आज से धर्म की नाव तो समझो डूब गई। देखो तो इस महावीर को, ब्राह्मण होकर जनेऊ जैसी पवित्र वस्तु को इस स्त्री के पैर से छुआ दिया। अब कौन हम ब्राह्मणों का सम्मान करेगा।

    उनकी ऐसी बातें सुन द्विवेदी जी जोर से बोले- 'इस जनेऊ के कारण ही एक स्त्री की जान बची है। मैं खुश हूं कि आज मेरा ब्राह्मण होना किसी के काम आ सका। आज से पहले इस जनेऊ की कीमत ही क्या थी। आज इसने इसकी जान बचाकर अपनी असल उपयोगिता साबित कर दी है। अब मैं शायद ही कभी इस जनेऊ को उतारने का ख्याल करूंगा।' द्विवेदी जी की बातों का किसी के पास कोई जवाब नहीं था। सभी ने द्विवेदी जी से माफी मांगी और भविष्य में मानव धर्म की रक्षा की कसम खाई।

    दोस्तों, असल में सच्चा धर्म तो वो होता है जो किसी की जान बचाए, मानव की सेवा करे। वाकई मानव सेवा ही सबसे बड़ा और सच्चा धर्म है।

    अखिल- दोस्तों, अभी हम आपको एक ओडियो सुनवा रहे हैं, जिसमें डॉ स्नेह देसाई कुछ मोटिवेशनल बाते बता रहे है। आइए... सुनते हैं यह ओडियो

    अखिल- दोस्तों, यह थी काफी अहम बातें, जो हमारी जीवन में बहुत उपयोगी साबित हो सकती हैं। चलिए मैं आपको एक कविता सुनाना चाहूंगा...।

    छोटी सी ज़िंदगी है,

    हर बात में खुश रहो

    जो चेहरा पास ना हो,

    उसकी आवाज़ में खुश रहो,

    कोई रूठा हो तुमसे,

    उसके इस अंदाज़ में खुश रहो,

    जो लौट के नहीं आने वाले,

    उन लम्हों की याद में खुश रहो,

    कल किसने देखा है ,

    अपने आज में खुश रहो,

    खुशियों का इंतज़ार किसलिए,

    दूसरों की मुस्कान में खुश हो,

    क्यूँ तड़पते हो हर पल किसी के

    साथ को,

    कभी तो अपने आप में खुश रहो,

    छोटी सी तो ज़िंदगी है,

    हर हाल में खुश रहो...

    वनिता- वाह.. बहुत खुब अखिल जी..। आपकी कविता वाकई बहुत अच्छी थी। दोस्तो, यह बिल्कुल सही है कि छोटी सी ज़िंदगी है, हमें हर हाल में खुश रहना चाहिए। चलिए.. इसी बात पर हम आपको सुनवाते है एक बढिया गाना।

    वनिता- चलिए दोस्तों... अब बढ़ते हमारे हंसगुल्लों की तरफ यानि मजेदार और चटपटे चुटकुले, जहां मिलेंगी हंसी की डबल डोज।

    अखिल- 1. एक बार स्टूडेन्ट स्कुल आने में लेट हो गया। उसकी टीचर ने स्टूडेन्ट से पूछाः तुम स्कूल में लेट क्यों पहुंचे।

    स्टूडेन्ट बोलाः टीचर, सड़क पर एक आदमी का नोट गुम हो गया था।

    टीचर ने पूछाः तो तुम क्या, नोट ढूढ़ने में उसकी मदद कर रहे थे।

    तब स्टूडेन्ट बोलाः नहीं टीचर, मैं तो उस आदमी के चले जाने का वेट कर रहा था, क्योंकि नोट मेरे पैर के नीचे था।

    2. एक बार पति अपनी सास से बात करता है और कहता हैः आपकी बेटी में हजारों कमियां है।

    सास बोलती हैः हां बेटा, इसी वजह से तो उसे अच्छा लड़का नहीं मिला....।

    वनिता- हां हां हां... उसकी सास का कहना है कि वह Husband अच्छा लड़का नहीं है।

    3. एक और सुनों...

    पति अपनी पत्नी से बोलता है- अरे.. तेरे बाप की जले पर नमक छिड़कने की आदत नहीं गई...?

    पत्नि ने पूछा- क्यों.. क्या हुआ....?मेरे पापा पर क्यूं भड़क रहे हो...?

    पति बोलता है- आज फिर से पूछ रहा था कि "मेरी बेटी से शादी करके खुश तो हो ना...?"

    4. एक आदमी पोस्ट ऑफिस जाता है और कहता हैः सर, मेरी पत्नी खो गई है...।

    पोस्टमैन बोला- अरे भाई... यह पोस्ट ऑफिस है, पुलिस स्टेशन जा...।

    आदमी बोला- ओह.. माफ़ कीजिए... साला.. खुशी के मारे कहां जाउं...समझ में नहीं आ रहा...।।।

    वनिता- हां हां हां... उस आदमी को अपनी पत्नी के खो जाने पर इतनी खुशी हो रही है....????

    5. एक और सुनों-

    पति को मार्किट जाते हुए पत्नि ने पैसे देकर कहाः सुनो जी... बाजार से कुछ ऐसी चीज़ लाना, जिससे मैं आपको सुन्दर दिखू....।

    वनिता जी... आपको मालूम है वो पति मार्किट से क्या लेकर आया...।

    वनिता- नहीं.. मालूम नहीं..।

    अखिल- वो पति खुद के लिए विस्की की 2 बोतल ले आया......।

    अखिल- तो दोस्तों, आजका कार्यक्रम बस यही तक। अब हमारा जाने का वक्त हो चला है... अगले हफ्ते हम फिर लौटेंगे, इसी समय, इसी दिन अपनी मस्ती की पाठशाला लेकर। हम हमेशा यही कामना करते हैं कि आप सभी हर दिन हंसते रहें, मुस्कराते रहें, और ढेर सारी खुशियां बांटते रहें। क्योंकि आप तो जानते ही हैं कि Laughing and Happiness are the best medicine यानि हंसना और खुशिया सबसे बढ़िया दवा है। तो आप Always be happy.... हमेशा खुश रहो.....और सुनते रहो हर रविवार, सण्डे की मस्ती। आप हमें लेटर लिखकर या ई-मेल के जरिए अपनी प्रतिक्रिया, चुटकुले, हंसी-मजाक, मजेदार शायरी, अजीबोगरीब किस्से या बातें भेज सकते हैं। हमारा पता है hindi@cri.com.cn। हम अपने कार्यक्रम में आपके लैटर्स और ईमेल्स को जरूर शामिल करेंगे। अभी के लिए मुझे और वनिता जी को दीजिए इजाजत। गुड बॉय, नमस्ते।

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