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    आप की पसंद 141227
    2014-12-31 13:24:39 cri

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं और ढेर सारी बातें करते हैं साथ में हम आपको देते हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    दिनेश – सभी श्रोताओं को दिनेश का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं इन रोचक जानकारियों के साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपकी ही पसंद के फिल्मी गीत जिनके लिये आप हमें पत्र लिखकर फरमाईश भी करते हैं। तो शुरु करते हैं आज का कार्यक्रम। लेकिन उससे पहले सुनवाते हैं आप सभी को एक मधुर गीत। जिसे हमने लिया है फिल्म कब्ज़ा से जिसे गाया है मोहम्मद अज़ीज़ ने और संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. या मेरे मालिक तू सबका भला कर ....

    पंकज –आजतक नहीं सुलझ सका है बौनों के इस गांव का रहस्य,

    दुनिया में कई ऐसे रहस्य हैं, जो आजतक सुलझाए नहीं जा सके हैं। ऐसा ही एक रहस्य चीन के शिचुआन प्रांत के दूर दराज़ इलाके में मौजूद गांव यांग्सी से जुड़ा है। आपको जानकर आश्चर्य होगा, लेकिन बता दें कि इस गांव में लगभग 50 प्रतिशत लोग बौने हैं। इतनी अधिक संख्या में लोगों के बौने होने के कारण यह गांव बौनों के गांव के नाम से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।

    हालांकि, इतनी बड़ी तादाद में लोगों के बौने होने के पीछे क्या रहस्य है इसका पता वैज्ञानिक पिछले 60 सालों में भी नहीं लगा पाए हैं। बता दें कि इस गांव में कुल 80 लोग रहते हैं, जिसमें से 36 लोग बौने हैं। ग्रामीणों मुताबिक उनकी खुशहाल और सुकून भरी जिंदगी कई दशकों पहले ही खत्म हो चुकी थी, जब प्रांत को एक खतरनाक बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था। जिसके बाद से कई स्थानीय लोग अजीबोगरीब हालात से जूझ रहे हैं, जिसमें ज्यादातर 5 से 7 साल के बच्चे हैं। इस उम्र के बाद इन बच्चों की लंबाई रुक जाती है।

    सवाल ये भी उठता है कि आखिर इस गांव में 1951 के बाद ऐसा क्या हुआ कि अचानक से सामान्य कद काठी के लोगों का गांव, बौनों के गांव में तब्दील हो गया? लेकिन यह सवाल अब भी अनसुलझा है, क्योंकि 60 सालों बाद वैज्ञानिक भी इसे सुलझा नहीं सके। हालांकि, उन्होंने इस गांव की पानी, मिट्टी, अनाज आदि का कई मर्तबा अध्ययन कर चुके है लेकिन वो इस स्थिति का कारण खोजने में नाकाम रहे है।

    पंकज – मित्रों अब हम आपको एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप भी दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे तुर्की के एक शख्स ने 4 शादियां की हैं और उसके 32 बच्चे हैं, हालांकि उसकी चाहत हाफ सेंचुरी मारने की है यानी 50 बच्चे पैदा करने की है

    दिनेश – ये खबर तो मुझे बहुत ही दिलचस्प लग रही है आप इस खबर को हमारे श्रोताओं तक पहुंचाएं उससे पहले मैं अपने श्रोताओं को उनकी पसंद का गाना सुनवाना चाहता हूं, इस गाने के लिये हमारे पास पत्र आया है कलेर बिहार से जिसे हमें लिख भेजा है सदफ़ रेडियो क्लब के सदस्यों ने मोहम्मद आसिफ़ ख़ान, बेगम निकहत परवीन, सदफ़ आरज़ू, साहिल अरमान, अजफर हामिद और तहमीना मशकूर ने, आप सभी ने सुनना चाहा है लहू के दो रंग फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं फारुख कैसर, संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. चाहिये थोड़ा प्यार .....

    पंकज - अंकारा। तुर्की के दक्षिणी प्रांत में रहने वाले एक शख्स की चाहत 50 बच्चे पैदा करने की है। मौजूदा समय में 54 साल के इस शख्स की चार बीवियां और 32 बच्चे हैं। हालित तकीन नाम के इस शख्स की इस मंशा को पूरा करने में कानूनी रोड़ा अटक गया था, क्योंकि तुर्की में ज्यादा शादियां गैर-कानूनी है।

    हुर्रियत डेली न्यूज के मुताबिक हालित ने तुर्की के कानून को ताक पर रखकर एक वैध शादी के बाद तीन शादियां गलत तरीके से कर डालीं, जिनकी वजह से बच्चों की संख्या 32 तक पहुंच पाई। हालित को अपने 50 बच्चे पैदा करने की तमन्ना में और इजाफा तब हुआ, जब हाल ही में उनकी पहली बीवी ने एक बच्चे को जन्म दिया।

    हालित ने इस बच्चे का नाम अहमत रखा है। इस नवजात को मिलाकर हालित के कुल 32 बच्चे हैं जिनमें 12 लड़के हैं। लेकिन अब हालित की तमन्ना है इस तादाद को 50 पहुंचाए। हालित की इतनी बड़ी फैमिली की बात की जाए तो उनका कहना है कि उनकी सभी बीवियां अलग-अलग घरों में रहती हैं, क्योंकि सबका एक घर में रहना संभव नहीं। लेकिन वो इस बात से आश्वस्त है कि उनके परिवार में सभी मिल-जुलकर रहते हैं।

    गैरकानूनी है ऐसा करना

    तुर्की में एक से ज्यादा शादियां गैर-कानूनी होने के बावजूद 2013 में वहां कि संसद की ओर से कराए सर्वे के मुताबिक वहां 3 लाख 72 हजार लोगों ने बहु-विवाह कर रखे हैं। इस कानून के बाजवूद तुर्की के राष्ट्रपति रेकेप तैय्यब एर्दोगान जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने तुर्की के नागरिकों से यह अपील की थी कि वो कम से कम तीन बच्चे पैदा करें ताकि देश सुदृढ़ बने।

    पंकज - रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट की सबसे व्यस्त जगह बिनीथ स्ट्रीट। यहां की मुख्य सड़क उन लोगों की दुनिया है, जो सबसे अलग हैं। इस अंडरग्राउंड सोसायटी के लोगों को कोई पूछता तक नहीं, लेकिन इन्हें बड़ा मजा आता है। ये सभी नशे के आदी हैं और कोई काम नहीं करते। इन्होंने अपने लिए वे सभी साधन जुटा रखे हैं, जो जीवित रहने के लिए जरूरी हैं।

    एक-एक करके बढ़े इस समुदाय के लोग आज परिवार की तरह रहते हैं। करीब दो दशक पहले साम्यवाद के ढहने के बाद सड़क के नीचे इनकी जिंदगी शुरू हुई। इनका लीडर ब्रूस ली है, जिसके शरीर पर हमेशा भारी-भरकम चेन, टैटू और चित्र बने रहते हैं। उसने तीन लोगों के साथ यहां रहना शुरू किया था, आज कई लोग हैं।

    दिनेश – बहुत डरावनी है इन नशेखोरों की दुनिया, लेकिन मुझे समझ में नहीं आता कि सरकार क्यों नहीं ऐसे लोगों की रिहाईश के लिये कुछ करती है जिससे ये लोग बुरी आदतों को छोड़कर वापस से राष्ट्र की मुख्य धारा में लौट आएं,

    इससे राष्ट्र निर्माण में भी युवाओं का अमूल्य योगदान मिलेगा और राष्ट्र की तरक्की भी होगी। अब मैं उठा रहा हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है बहादुरगंज, गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश से आज़ाद अली अनवर, रिज़वाना परवीन, अब्दुल्लाह आज़ाद ने इनके साथ ही अस्तुपुरा मऊनाथ भंजन से मज़हर अली अंसारी, रज़िया बेगम अंसारी, सादिक, साजिद, सारिम और शारिक ने आप सभी ने सुनना चाहा है वो लम्हे फिल्म का गाना जिसे गाया है जवाद अहमद ने, गीतकार हैं सईद कादरी संगीत दिया है जवाद अहमद और प्रीतम ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. बिन तेरे .....

    पंकज - बाहरी व्यक्ति को अंदर आने के लिए ब्रूस ली की इजाजत लेनी होती है। वह खुद को यहां का किंग कहता है। उसके बिना इस समुदाय का कोई सदस्य कुछ नहीं कर सकता। इस जगह पर घुसने के कई रास्ते हैं, जो दिखने में अजीबो-गरीब हैं।

    पंकज – मित्रों ऑस्ट्रेलिया में लोग मगरमच्छ, कंगारू और शुतुरमुर्ग का मीट खाते हैं, है ना ये जानकारी दिलचस्प

    चीनी लोग खाने-पीने के मामले में बहुत चर्चित हैं। वे स्वादिष्ट नहीं बल्कि सेहतमंद खाने में विश्वास करते है। शायद यही वजह है कि अच्छे स्वास्थ्य की खातिर पर वो दुर्लभ प्रजाति के जीवों को खाने में भी कोताही नहीं बरतते, लेकिन इस मामले में ऑस्ट्रेलियाई भी किसी से पीछे नहीं हैं।

    आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के लोग भी ऐसे कई जीव-जन्तुओं को अपने खाने में शामिल करते हैं, जिनमें खतरनाक मगरमच्छ से लेकर ऊंट, शुतुरमुर्ग आदि शामिल हैं।

    आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के लोग अपने राष्ट्रीय पशु कंगारू का मीट भी बड़े चाव से खाते हैं। ऐसे में आज हम आपको ऑस्ट्रेलिया के वियर्ड फूड के बारे में बताने जा रहे हैं।

    मगरमच्छ

    मगरमच्छ के पास भी जाने में लोगों को डर लगता है, क्योंकि यह बेहद की खतरनाक जीव है। पलभर में किसी को भी अपना शिकार बना सकता है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में लोग इसका मीट खूब पसंद करते हैं।

    कंगारूः हमारे देश में राष्ट्रीय पशु को मारने पर सजा का प्रावधान है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ऑस्ट्रेलियन अपने राष्ट्रीय पशु कंगारू के मीट को पसंद करते है और उसके मांस से बने ग्रील्ड कंगारू को खाते हैं।

    ऊंटः ऑस्ट्रेलिया में ऊंट का मांस भी लोग खूब पसंद करते हैं। इसके मीट से बनी कैमल करी यहां सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।

    मेमनाः ऑस्ट्रेलिया में भेड़ के बच्चे यानी मेमने का मीट भी खूब पसंद किया जाता है। इसके मांस से रोस्ट बनाया जाता है, जिसमें मेमने के पैर के मांस का इस्तेमाल होता है। अदरक और जैतून के तेल में तलकर इसे बनाया जाता है।

    दिनेश – खाने पीने के मामले में चीन भी ऐसा ही विविध देश है, यहां पर भी मांसाहार में हम लोग बहुत सारी चीज़ें खाते हैं, और ये हमें बहुत स्वादिष्ट लगती हैं, चीनी लोगों के खाने में चीनी मसालों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमारे अगले श्रोता हैं कापशी रोड अकोला महाराष्ट्र से संतोषराव बाकड़े, श्रीमती ज्योतिताई बाकड़े, कुमारी दिपाली बाकड़े, पवन कुमार बाकड़े और पूरा बाकड़े परिवार, आप सभी ने सुनना चाहा है काश फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और अनुपमा देशपांडे ने गीतकार हैं फारूख कैसर संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. ओ यारा ....

    पंकज - एमूः आस्ट्रेलिया के बड़े पक्षियों में शुमार एमू के मीट को भी यहां के लोग खूब पसंद करते हैं। बताया जाता है कि यह लगभग वसा रहित है, साथ में इसमें कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है।

    शुतुरमुर्गः ऑस्ट्रेलिया के लोग शुतुरमुर्ग का मीट भी बड़े चाव से खाते हैं। इसका मांस लाल होता है और बताया जाता है कि इसमें वसा भी कम होता है। यहां शुतुरमुर्ग के मांस का उपयोग बर्गर में किया जाता है।

    पंकज – ये जानकारी हमारे पास आई है ब्राज़ील के शहर साओ पाओलो से .... दुनिया में कई विषैले सांप हैं, जो पल भर में किसी की जान ले लेते हैं। ऐसे ही कई विषैले सांपों का बसेरा ब्राजील के साओ पाओलो के तट से 32 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र के बीचोबीच स्थित एक द्वीप इल्हा दे क्वेइमाडा ग्रैंड है। इस द्वीप को अब लोग स्नेक आइसलैंड के नाम से भी जानते हैं।

    ब्राजील सरकार ने लोगों को इस द्वीप पर जाने से पाबंदी लगा दी है, क्योंकि यहां पर 4,000 प्रकार के अलग-अलग सांप पाए जाते हैं, जो अपने जहर से किसी की भी जान लेने में माहिर हैं। इस द्वीप पर कई ऐसे बेहद खतरनाक और विषैले सांप भी हैं, जो हवा में उछलकर चिड़ियों का शिकार कर लेते हैं। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि सांप उड़ते नहीं है, लेकिन भारत और एशिया में पाया जाने वाल फ्लाइंग स्नैक एक ऐसा सांप है, जो उड़ता है।

    दिनेश – मित्रों आप इस जानकारी का मज़ा लीजिये लेकिन मैं आप सभी को

    कार्यक्रम का एक गीत सुनवाने जा रहा हूं जिसके लिये हमारे पास पत्र आया है अम्बेडकर रेडियो श्रोता संघ के प्रकाश चंद्र वर्मा और इनके ढेर सारे साथियों की तरफ़ से आप सभी ने हमें पत्र लिखा है ग्राम कोटकासिम, ज़िला अलवर राजस्थान से आपने सुनना चाहा है इल्ज़ाम फिल्म का गाना जिसे गाया है शब्बीर कुमार और आशा भोंसले ने संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. दुनिया की ऐसी की तैसी ....

    पंकज - ब्राजील के इस द्वीप पर पाए जाने वाले सांपों का विष दुनिया के अन्य सांपों की तुलना में पांच गुना ज्यादा जहरीला होता है, जो इंसानों के मांस को भी गला देता है।

    अतीत को छोड़ दें तो बैन के बाद इस द्वीप पर जानें की मूर्खता किसी भी व्यक्ति ने नहीं की है। इस द्वीप पर सबसे विषैला सांप सुनहरे रंग का दिखने वाला गोल्डेन लांसहेड वाइपर (सुनहरे सिर वाला सांप) है, जो इस द्वीप के अलावा पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलता है। इस द्वीप को प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद कुछ साइंटिस्ट सांपों पर रिसर्च करने के लिए सरकार से अनुमति लेकर वहां जाते हैं। वहीं, चोरी-छुपे कुछ शिकारी भी इस द्वीप पर जाकर अवैध रूप से सांपो को पकड़ते हैं और उन्हें बेच देते है। इसके एवज में उन्हें बाजार से लगभग 18 लाख रुपए मिलते हैं।

    पंकज - चट्टानों के नीचे बसा है पुर्तगाल का यह गांव, सैकड़ों साल से रहते हैं लोग

    क्या आपने किसी ऐसे गांव के बारे में सुना है जहां के लोग 200 टन वजनी चट्टान के नीचे रहते हैं? अगर नहीं सुना तो बता दें कि पुर्तगाल में मोनसेंटो नाम का ऐसा ही एक गांव है, जो 200 टन वजनी चट्टान के नीचे बसा है। सैकड़ों साल से चट्टान के नीचे बसे इस गांव के कई मकान 16वीं शताब्दी के आसपास के हैं।

    विशाल चट्टान के चारों ओर बनाया गया मध्ययुगीन पुर्तगाल के इस गांव में मकानों को ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया था। यह गांव समुद्र स्तर से 2486 फीट ऊपर है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि मोनसेंटो गांव के मकानों की छत का वजन एक क्रूज शिप के वजन के बराबर माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि यहां के मकान 200 टन चट्टान के बीच सैंडविच बने हुए हैं।

    गांव में चट्टानों को दीवार, छत और फर्श के रूप में उपयोग किया जाता है। 1938 में मोनसेंटो को 'पुर्तगाल में सबसे पुराने पुर्तगाली गांव' का नाम दिया था। यह स्पेनिश सीमा के पास पूर्वी पुर्तगाल में इडान्हा- ए- नोवा की नगर पालिका में स्थित है। यहां 800 लोग रहते हैं और ट्रांसपोर्ट के लिए यहां गधों का इस्तेमाल होता है।

    दिनेश – मित्रों हम आपसे एकबार फिर विनती करते हैं कि आप हमें अपना पूरा पता लिखकर भैजें, कार्यक्रम के इस पत्र के बारे में हमें नहीं पता कि ये भारत के कौन से हिस्से से आया है इसमें सिर्फ रामलीला मैदान सचेंडी लिखा है, आप अपने शहर और प्रांत का पूरा पता हमें लिखकर भेजें. ये पत्र हमें लिखा है बाबा शिवानंद त्रिपाठी, शशि त्रिपाठी, मन्नू, तन्नू, सोनू, आलोक, शिवांश और रामानंद्र त्रिपाठी ने आप सभी ने सुनना चाहा है शोला और शबनम फिल्म का गाना जिसे गाया है शब्बीर कुमार और कविता कृष्णामूर्ति ने गीतकार हैं अंजान और संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने, गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 6. तू पागल प्रेमी आवारा ....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    दिनेश – नमस्कार।

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