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    आप की पसंद 141220
    2014-12-31 13:22:25 cri

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं और ढेर सारी बातें करते हैं साथ में हम आपको देते हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    दिनेश – सभी श्रोताओं को दिनेश का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं इन रोचक जानकारियों के साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपकी ही पसंद के फिल्मी गीत जिनके लिये आप हमें पत्र लिखकर फरमाईश भी करते हैं। तो शुरु करते हैं आज का कार्यक्रम। लेकिन उससे पहले सुनवाते हैं आप सभी को एक मधुर गीत। जिसे हमने लिया है फिल्म—बंबई का बाबू फिल्म का गाना जिसे गाया है मुकेश ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है सचिनदेव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. चल री सजनी अब क्या सोचे .....

    पंकज – मित्रों आपने हमारे प्राचीन ऋषियों के बारे में तो सुना ही होगा, इन ऋषियों के नाम पर गोत्र भी बने जो आजतक चले आ रहे हैं। आज भी आप किसी भी जाति के हों लेकिन आपका एक गोत्र भी होगा जो ये दिखाता है कि कभी आपके पूर्वज इन ऋषियों के शिष्य रहे होंगे। तो आइए जानें हमारे ऋषियों के बारे में

    अंगिरा: ऋग्वेद के प्रसिद्ध ऋषि अंगिरा ब्रह्मा के पुत्र थे। उनके पुत्र बृहस्पति देवताओं के गुरु थे। ऋग्वेद के अनुसार, ऋषि अंगिरा ने सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न की थी।

    विश्वामित्र : गायत्री मंत्र का ज्ञान देने वाले विश्वामित्र वेदमंत्रों के सर्वप्रथम द्रष्टा माने जाते हैं। आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत इनके पुत्र थे। विश्वामित्र की परंपरा पर चलने वाले ऋषियों ने उनके नाम को धारण किया। यह परंपरा अन्य ऋषियों के साथ भी चलती रही।

    वशिष्ठ: ऋग्वेद के मंत्रद्रष्टा और गायत्री मंत्र के महान साधक वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक थे। उनकी पत्नी अरुंधती वैदिक कर्र्मो में उनकी सहभागी थीं।

    कश्यप : मारीच ऋषि के पुत्र और आर्य नरेश दक्ष की 13 कन्याओं के पुत्र थे। स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार, इनसे देव, असुर और नागों की उत्पत्ति हुई।

    यमदग्नि : भृगुपुत्र यमदग्नि ने गोवंश की रक्षा पर ऋग्वेद के 16 मंत्रों की रचना की है। केदारखंड के अनुसार, वे आयुर्वेद और चिकित्साशास्त्र के भी विद्वान थे।

    अत्रि : सप्तर्षियों में एक ऋषि अत्रि ऋग्वेद के पांचवें मंडल के अधिकांश सूत्रों के ऋषि थे। वे चंद्रवंश के प्रवर्तक थे। महर्षि अत्रि आयुर्वेद के आचार्य भी थे।

    अपाला : अत्रि एवं अनुसुइया के द्वारा अपाला एवं पुनर्वसु का जन्म हुआ। अपाला द्वारा ऋग्वेद के सूक्त की रचना की गई। पुनर्वसु भी आयुर्वेद के प्रसिद्ध आचार्य हुए।

    नर और नारायण : ऋग्वेद के मंत्र द्रष्टा ये ऋषि धर्म और मातामूर्ति देवी के पुत्र थे। नर और नारायण दोनों भागवत धर्म तथा नारायण धर्म के मूल प्रवर्तक थे।

    पराशर : ऋषि वशिष्ठ के पुत्र पराशर कहलाए, जो पिता के साथ हिमालय में वेदमंत्रों के द्रष्टा बने। ये महर्षि व्यास के पिता थे।

    भारद्वाज : बृहस्पति के पुत्र भारद्वाज ने 'यंत्र सर्वस्व' नामक ग्रंथ की रचना की थी, जिसमें विमानों के निर्माण, प्रयोग एवं संचालन के संबंध में विस्तारपूर्वक वर्णन है। ये आयुर्वेद के ऋषि थे तथा धन्वंतरि इनके शिष्य थे।

    दिनेश – आप आगे बढ़ें इससे पहले मैं अपने श्रोताओं का पत्र उठाता हूं और उनकी पसंद का गीत उन्हें सुनवाता हूं.... ये पत्र हमें लिखा है एम एफ आज़म ने जो आत्माओ श्रोता संघ के अध्यक्ष हैं और इन्होंने हमें पत्र लिआ है गड़हिया, शिवहर बिहार से साथ में इनके ढेर सारे मित्रों ने भी हमें पत्र लिखा है और फरमाईश की है एक फिल्मी गाने की, ये गीत है दिल अपना और प्रीत पराई फिल्म का जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं शैलैन्द्र और संगीत दिया है शंकर जयकिशन ने गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. मेरा दिल अब तेरा ओ साजना ....

    पंकज – मित्रों अब हम आपको बताने जा रहे हैं एक और रोचक जानकारी जिसका संबंध आस्था से जुड़ा हुआ है और ये जानकारी हमारे पास आई है बिलासपुर से कहते हैं कि लड़का-लड़की की शादी कराने में बिचौलिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह भूमिका कोई रिश्तेदार या फिर सगा संबंधी ही निभाता है, लेकिन गुरुओं की धरती कपालमोचन में लड़का-लड़की का रिश्ता कोई और नहीं बल्कि खुद भगवान श्रीकृष्ण करवाते हैं। मेले में आने वाले श्रद्धालु कृष्ण जी से मन्नत मांगने आते हैं। चमत्कार देखिए कि एक साल के भीतर ही शादी के लिए मांगी गई मुराद पूरी भी हो जाती है। कपालमोचन की धरती पर सिर्फ रिश्ते ही नहीं बनते बल्कि सूनी गोद भी भरती है।

    कपालमोचन स्थित सूरजकुंड सरोवर पर स्थित कदम्ब का पेड़ और भगवान श्रीकृष्ण जी के मंदिर में श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है। सूरजकुंड सरोवर के किनारे एक कदंब का पेड़ है। संतों की मानें तो प्राचीन काल में भगवान श्रीकृष्ण इसी पेड़ पर बैठ कर बांसुरी बजाते थे और सरोवर में नहाने आई गोपियों को चोरी छिपे देखते थे। इसलिए यह कदम्ब का पेड़ इतना प्रसिद्ध है। मान्यता है कि कदम्ब के पेड़ पर धागा बांधने से हर मुराद पूरी होती है। यही वजह है कि जिस लड़के या लड़की की शादी नहीं होती उनके परिजन यहां आकर मन्नत मांगते हैं। कहा जाता है कि एक साल के भीतर ही मन्नत पूरी भी हो जाती है। मन्नत पूरी होने पर लोग कदम्ब पेड़ के साथ बांधे गए सूत की गांठ खोल देते हैं। रविवार को लुधियाना से आई सिमरन ने बताया कि उसके बहन के पुत्र की शादी नहीं हो रही थी। वे पिछले साल सूरजकुंड पर शादी की मन्नत मांग कर गए थे। अभी तीन माह ही हुए हैं कि उसकी शादी पक्की हुई। आज परिवार के लोगों ने मंदिर में आकर पूजा पाठ किया।

    श्रद्धालु गोद भराई की भी करते हैं कामना

    दिनेश – वाकई आस्था से जुड़ी ये जानकारी बहुत रोचक है विदेशी लोग भारत को इसीलिये उत्सुकता भरी दृष्टि से देखते हैं क्योंकि यहां पर जीवन से भरपूर सभी रंग एकसाथ देखने को मिल जाते हैं, एक तरफ़ वैज्ञानिक और तकनीकी तरक्की दिखाई देती है तो दूसरी तरफ़ रंगारंग धार्मिक और सांस्कृतिक आस्थाओं का मेला दिखाई देता है हर ऋतु, हर प्रांत, हर जाति, जनजाति के अपने रीति रिवाज़ और परंपराएं हैं जो हर तरह की ऋतु से जुडी हुई हैं। अब मैं उठाता हूं अपने अगले श्रोता का पत्र ये पत्र हमारे पास आया है हमारे पुराने श्रोता पंडित मेवालाल परदेशी जी का जो अखिल भारतीय रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष भी हैं और इनके ढेर सारे परिजनों के नाम भी इस पत्र में लिखे हैं, इन्होंने ये पत्र हमें लिखा है महात्वाना, महोबा, उत्तर प्रदेश से, आप सभी ने सुनना चाहा है परख फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं शैलेन्द्र और संगीत दिया है शलिल चौधरी ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. मिला है किसी का झुमका ....

    पंकज - सूरजकुंड मंदिर के महंत पूर्णानंद की माने तो इस सूरजकुंड पर ही पांडवों के जन्म से पूर्व कुंती ने सूर्य देव से पुत्र कर्ण की प्राप्ति के लिए यहां कठोर तप किया था। इसी तप से उन्हें कर्ण की प्राप्ति हुई थी। तभी से मेले में आने वाले श्रद्घालु यहां आकर पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं। माना जाता है कि कदंब के पेड़ पर लगने वाले फल को अगर विवाहिता की गोद में डाला जाए तो उसकी गोद भर जाती है। पेड़ के चारों ओर धागा बांधा जाता है। जब पुत्र की प्राप्ति हो जाती है तो लोग इस धागे को खोलने के लिए यहां जरूर आते हैं। यही वजह है कि सूरजकुंड सरोवर के पास सिर्फ सूत और प्रसाद बेचने वालों की ही दुकानें लगती है। हर साल सैकड़ों क्विंटल सूत कदंब पेड़ पर बांधा जाता है।

    पंकज - मधुबनी का परसाधाम मंदिर, यहां से निकली थी सूर्य प्रतिमा

    मधुबनी जिला में परसाधाम मंदिर को प्रमुख स्थलों की सूची में शामिल कर राज्य सरकार का पर्यटन विभाग बीते दो वर्षो से यहां मरतड महोत्सव का आयोजन कर रहा है।

    दिनेश – यहां पर मैं अपने श्रोताओं को एक मधुर गीत सुनवाता चलूं जिससे उनका मन भी आगे की जानकारी सुनने के लिये तैयार हो जाएगा और हम भी इस गीत का आनंद उठा सकेंगे। ये पत्र हमारे पास आया है ज़िला मुरादाबाद, ग्राम महेशपुर खेम उत्तर प्रदेश से जिसे हमें लिखा है तौफ़ीक अहमद सिद्दीकी, अतीक अहमद सिद्दीकी, मोहम्मद दानिश सिद्दीकी और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म उसने कहा था का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं शैलेन्द्र संगीत दिया है शलिल चौधरी ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. मचलती आरज़ू खड़ी बांहें पसारे आ

    पंकज - लोग बताते हैं कि 11 फरवरी, 1983 को शिवरात्रि के दिन महादलित सोती मलिक अपनी झोपड़ी के नजदीक मिट्टी खोद रहा था। नीचे से सूर्य प्रतिमा निकली। सात अश्व के रथ पर सवार भगवान भास्कर की विशाल प्रतिमा अद्वितीय है। चार फीट के काले शिलाखंड पर बसाल्ट पत्थर से निर्मित सूर्यदेव के माथे पर टोपीनुमा मुकुट, पैर में कुषाणकालीन जूते, दोनों हाथों में 'सनाल कमल', शरीर पर यज्ञोपवीत तो कमर में तलवार है।

    प्रतिमा के एक तरफ सपत्‍‌नी वरुणदेव तो दूसरी तरफ कुबेर हैं। रथ की सतह पर भी एक रथ है, जिस पर आदिदेव गणोश की मूर्ति है। काला सर्प पकड़े हुए हंस और घोड़ा पर सवार हाथी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।

    पंकज - ईर्ष्या एक भयानक मनोरोग है

    ईर्ष्या मानव चरित्र के पराभव का एक प्रमुख कारण है। यह ऐसा मनोविकार है, जिससे मनुष्य का मौलिक व्यक्तित्व बुरी तरह आहत हो जाता है। ईर्ष्या एक भयानक मनोरोग है, जो अकारण मनुष्य को दंडित करता रहता है।

    दिनेश – ईर्ष्या तो एक ऐसा रोग है जो रोगी के पूरे व्यक्तित्व को जलाकर खाक कर देती है, इसके बाद जब ये उस रोगी की आदत बन जाता है तो फिर वो अपने आस पड़ोस के लोगों के लिये ही सिरदर्द बन जाता है, इससे जितनी जल्दी हो सके निजात पा लेना चाहिये, और इससे छुटकारे के लिये आप ध्यान लगा सकते हैं, आध्यात्म की ओर जा सकते हैं, धर्म का सहारा भी ले सकते हैं जिससे इस रोग से छुटकारा पाया जा सके, अब मैं अगला गीत सुनवाने जा रहा हूं जिसके लिये हमें पत्र लिखा है व्यापारी कॉलोनी, नेपानगर से सुदर्शन शाह, रुद्रेश शाह, सुरभि शाह, अर्जुनदासजी शाह, राजेन्द्र जी शाह, सुभद्राबेन शाह, मंगला बेन शाह, मृत्युंजय संतोष, विजय मनोहर, रमेश, शांताराम लीलाधर, सिद्धार्थ और सचिन ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म काला बाज़ार का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं शैलेन्द्र और संगीत दिया है सचिन देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. खोया खोया चांद ....

    पंकज - इसके कारण मनुष्य का सारा व्यक्तित्व विकृत हो जाता है, उसकी अपनी क्रियात्मक शक्ति नष्ट हो जाती है, जिससे उसके अपने व्यक्तित्व को कुछ लेना-देना नहीं रहता। ईर्ष्या हमेशा दूसरों के कारण होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने से ईर्ष्या नहीं करता। ईर्ष्या के लिए दूसरे शख्स का होना आवश्यक है। अकेला व्यक्ति कभी भी ईर्ष्या का शिकार नहीं बनता। जब दूसरा उसके सामने आ जाता है तब उसकी जलन बढ़ जाती है। आदमी अकेले सालों तक रह सकता है, लेकिन कभी भी वह ईर्ष्या का पात्र नहीं बनता, लेकिन ज्यों ही दूसरा उसके बगल में बैठ जाता है, तो ईर्ष्या शुरू हो जाती है।

    दरअसल, कोई भी व्यक्ति दूसरे को सहन नहीं कर सकता। वह चाहे राजनीति का क्षेत्र हो, धर्म का क्षेत्र हो, समाज या परिवार का हो, कहीं भी हम दूसरे को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। सारी गड़बड़ तब शुरू हो जाती है जब कोई दूसरा बगल में खड़ा हो जाता है। केवल दूसरे के होने से हम ईर्ष्या के दंश को झेलने लगते हैं।

    साधक कभी भी ईर्ष्या नहीं करता, क्योंकि वह साधना के क्षेत्र में अकेला होता है। झगड़ा तो तब बढ़ता है जब एक ही काम दो व्यक्ति करना चाहते हैं। दुनिया के जितने भी काम हैं, वे सारे काम एक-दूसरे के लिए किए जाते हैं। कोई धन के लिए, कोई पद के लिए, कोई अपने अस्तित्व के लिए दिन-रात प्रयत्न कर रहा है, लेकिन जब कभी वह देखता है कि इस काम में कोई दूसरा आकर अर्थ या पद का दावेदार बनना चाहता है तो उसके मन में ईर्ष्या होने लगती है। कभी-कभी तो हम ऐसे लोगों से ईर्ष्या करने लगते हैं, जिन्हें हम पहचानते भी नहीं। कई बार तो हम अपने बगल के मकान और उसके मालिक से ईर्ष्या करने लगते हैं, दूसरों की शान-ओ-शौकत से ईर्ष्या करने लगते हैं और सबसे बुरी बात तो यह है कि हम दूसरे की उन्नति देखकर ईर्ष्या करने लगते हैं। ईर्ष्या करने वाला व्यक्ति अध्यवसायी नहीं होता। परिश्रम नहीं करके हमेशा आग में जलता रहता है। दूसरे की प्रगति देखकर जलने वाला जीवन में यशस्वी नहीं हो सकता।

    दिनेश – और इस समय मेरे हाथ में हमारे पुराने चिर परिचित श्रोता का पत्र आया है ये श्रोता हैं बाबू रेडियो श्रोता संघ आबगिला, गया बिहार से मोहम्मद जावेद खान, ज़रीना खानम, मोहम्मद जमील खान, रज़िया खानम, शाहिना परवीन, खाकशान जाबीन, बाबू टिंकू, जे के खान, बाबू, लड्डू, तौफीक उमर खान, इनके साथ ही के पी रोड गया से मोहम्मद जमाल खान मिस्त्री, शाबिना खातून, तूफ़ानी साहेब, मोकिमान खातून, मोहम्मद सैफुल खान और ज़रीना खातून ने आप सभी ने सुनना चाहा है जंगली फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने और संगीत दिया है शंकर जयकिशन ने गीत के बोल है ----

    सांग नंबर 6. जा जा जा मेरे बचपन ....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    दिनेश – नमस्कार।

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