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    आप की पसंद 141115
    2014-11-15 15:41:25 cri

    आपकी पसंद 15-11-2014

    नमस्कार श्रोता मित्रों मैं पंकज श्रीवास्तव आपकी पसंद कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं। हर सप्ताह की तरह हम आज भी आपको देंगे कुछ रोचक,ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारियां और साथ में सुनवाएँगे आपकी पसंद के कुछ फिल्मी गाने।

    अंजली:श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपको ढेर सारी दिलचस्प जानकारियां देते हैं साथ ही आपको सुनवाते हैं आपकी पसंद के फिल्मी गीत। आज हम जिस फिल्म का गाना आपको सुनवाने जा रहे हैं उसे हमने लिया है फिल्म .... लगे रहो मुन्ना भाई से इसे गाया है विनोद राठौड़ ने गीतकार हैं स्वानंद किरकिरे और संगीत दिया है शांतुनू मोइत्रा ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. लगे रहो मुन्ना भाई ...

    पंकज – मित्रों क्या आपको मालूम है कि नवंबर के महीने ने हमारी फिल्म इंडस्ट्री को कई नामचीन कलाकार दिये हैं, यानी कई नामचीन कलाकारों का जन्म नवंबर में हुआ है, तो आज हम आपको ऐसे ही कुछ कलाकारों का परिचय कराने जा रहे हैं जिनका जन्मदिन नवंबर के महीने में आता है और हम इसकी शुरुआत करते हैं युवा अभिनेत्री पायल रोहतगी से,

    पायल रोहतगी

    अपने ग्लैमरस अंदाज के लिए पहचानी जाने वाली बॉलीवुड एक्ट्रेस पायल रोहतगी का जन्म 9 नवंबर 1984 को हैदराबाद में हुआ। पेशे से इंजीनियर पायल ने अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग से की। उन्हें 2001 में सुपर मॉडल मिस टूरिज्म वर्ल्ड के टाइटल से नवाजा गया। उन्होंने कई प्रोडक्ट के लिए मॉडलिंग की है। पायल ने 2006 में फिल्म '36 चाइना टाउन' से बॉलीवुड में एंट्री की। इसके बाद उन्होंने 'अगली और पगली', 'दिल कब्बडी', 'प्लान', 'ये क्या हो रहा है', 'रक्त', 'लैला', 'तौबा-तौबा', 'हे बेबी', 'ढोल' सहित अन्य फिल्मों में अभियन किया। उन्होंने कुछ टीवी सीरियलों में काम किया और वे कुछ रियलिटी शो का हिस्सा भी रही हैं।

    पंकज - आशुतोष राणा

    बॉलीवुड स्टार आशुतोष राणा का जन्म 10 नवंबर, 1964 को मध्य प्रदेश के गाडरवाड़ा में हुआ। बचपन में वे रामलीला नौटंकी में रावण की भूमिका निभाते थे। अभिनय की ओर झुकाव होने के कारण उन्होंने एनएसडी, नई दिल्ली में दाखिला लिया। 'जय दादा' के नाम पहचाने जाने वाले आशुतोष ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1995 में टीवी सीरियल 'स्वाभिमान' से की, लेकिन उन्हें पहचान 1998 में आई फिल्म 'दुश्मन' से मिली। इस फिल्म में उन्होंने 'साइको किलर' की भूमिका निभाई थी। आशुतोष ने फिल्म 'संघर्ष' में भी बेहतरीन अभिनय किया था। 'संघर्ष' और 'दुश्मन' फिल्मों के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया। उन्होंने 'जख्म', 'जानवर', 'लाडो', 'तरकीब', 'बादल', 'कसूर', 'अब के बरस', 'गुनाह', 'राज', 'दिल परदेसी हो गया', 'शबनम मौसी', 'कलयुग', 'हासिल' सहित अन्य फिल्मों में अभिनय किया। आशुतोष ने अभिनेत्री रेणुका शहाणे से शादी की है। उनके दो बेटे सूर्यमन और सत्येन्द्र राणा हैं।

    अंजली – वैसे अगर हम आशुतोष राणा की बात करें तो इनका अभिनय मुझे भी संघर्ष, ज़ख़्म, हासिल समेत कई फिल्मों में बहुत अच्छा लगा और सबसे बड़ी बात मुझे आशुतोष राणा में ये लगती है कि वो आम बोलचाल के समय भी शुद्ध हिन्दी भाषा का प्रयोग करते हैं वर्ना आमतौर पर तो हम फिल्मी कलाकारों को अंग्रेज़ी में ही बातें करते सुनते हैं, जब आप हिन्दी सिनेमा से रोज़ी रोटी के साथ नाम और शोहरत भी कमाते हैं तो हिन्दी बोलने से इतना परहेज़ क्यों, खैर इस समय मेरे हाथ में हमारे श्रोता का पत्र है जो हमारे पास आया है आदर्श श्रीवास रेडियो श्रोता संघ ग्राम लहंगाबाथा, पोस्ट बेलगहना, ज़िला बिलासपुर छत्तीसगढ़ से जिसे हमें लिख भेजा है पारस राम श्रीवास और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है परीणिता फिल्म का गाना जिसे गाया है सोनू निगम और श्रेया घोषाल ने और संगीत दिया है शांतुनू मोईत्रा ने गीत के बोल हैं ---

    सांग नंबर 2. पीयू बोले ....

    पंकज - जॉनी वॉकर

    हिंदी फिल्म जगत में जॉनी वाकर एक ऐसे अभिनेता रहे हैं, जिन्होंने अपनी कॉमेडी से लोगों को खूब हंसाया। फिल्म जगत के हास्य अभिनेता जॉनी वाकर का जन्म 11 नवंबर, 1920 को इंदौर में हुआ था। उनका वास्तविक नाम बदरुद्दीन जमालुदीन था। 1942 में उनका पूरा परिवार मुंबई आ गया था। मुंबई में जॉनी बस कंडक्टर की नौकरी करने लगे। अभिनेता बलराज साहनी की नजर बस में सफर करते समय जॉनी वाकर पर पड़ी। बलराज साहनी ने जॉनी को गुरुदत्त के साथ अपनी किस्मत आजमाने का सुझाव दिया। सेट पर गुरुदत्त से मिलने पहुंचे बदरुद्दीन से एक शराबी की एक्टिंग करने के लिए कहा गया। इसे देख गुरुदत्त इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तुरंत उन्हें फिल्म 'बाजी' (1951) के लिए साइन कर लिया। इसके बाद वाकर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने 'मेरे महबूब', 'अलबेली', 'मिस्टर एंड मिसेस 55', 'राजधानी', 'सीआईडी', 'प्यासा', 'नया दौर', 'मधुमती', 'कागज के फूल', 'बहू बेगम', 'सूरज', 'शहनाई' सहित कई फिल्मों में अभिनय किया। उनका निधन 29 जुलाई, 2003 को मुंबई में हुआ था।

    माला सिन्हा

    गुजरे जमाने की मशहूर अभिनेत्री माला सिन्हा का जन्म 11 नवंबर, 1936 को हुआ। वे नेपाली-भारतीय हैं और उन्होने हिंदी के अलावा बंगला और नेपाली फिल्मों में भी काम किया है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार बंगाली फिल्म में अभिनय कर की।

    अंजली – श्रोता मित्रों हमारे पास ये पत्र आया है नारनौल हरियाणा से उमेश कुमार शर्मा, प्रेमलता शर्मा, सुजाता, हिमांशु, नवनीत और इनके ढेर सारे परिजनों का आप सभी ने सुनना चाहा है छैला बाबू फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. यार दिलदार तुझे कैसा चाहिये ....

    पंकज - अभिनेत्री के तौर पर उनकी पहली फिल्म 'रोशनारा' थी। इसके बाद उन्होंने 'फैशन', 'डिटेक्टिव', 'दुनिया ना माने' जैसी फिल्मों में अभिनय किया। इन फिल्मों में माला सिन्हा का अभिनय देखकर एक्टर, डायरेक्टर गुरुदत्त ने उन्हें 1957 में फिल्म 'प्यासा' में अभिनय करने का मौका दिया। इस फिल्म से उन्हें पहचान मिली। उन्होंने 'गुमराह', 'अनपढ़', 'अपने हुए पराए', 'फूल बने अंगारे', 'कर्मयोगी', 'धूल का फूल', 'आसरा', 'नाइट इन लंदन', 'दो कलियां', 'आंखें', 'दिल तेरा दीवाना', 'हरियाली और रास्ता', 'हिमालय की गोद में' सहित कई फिल्मों में अभिनय किया।

    अमजद खान

    गब्बर सिंह के नाम से मशहूर अमजद खान का जन्म 12 नवंबर, 1940 को हैदराबाद में हुआ था। अभिनय कला उन्हें विरासत में मिली थी। उनके पिता जयंत फिल्मों में खलनायक रह चुके थे। अमजद खान ने बतौर कलाकार अपने अभिनय जीवन की शुरुआत वर्ष 1957 में फिल्म 'अब दिल्ली दूर नहीं' से की। इस फिल्म में उन्होंने बाल कलाकार की भूमिका निभाई। फिल्मों में उन्हें प्रसिद्धि 'शोले' में उनके द्वारा निभाए गए गब्बर सिंह के रोल से मिली। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में खलनायक, कॉमेडियन सहित अलग-अलग किरदार निभाए। उन्होंने 'चरस', 'परवरिश', 'आखिरी गोली', 'राम कसम', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'याराना', 'हम से बढ़कर कौन', 'वक्त की दीवार', 'कुर्बानी', 'लावारिस', 'दादा' सहित कई फिल्मों में काम किया। उनका निधन 27 जुलाई, 1992 को हुआ।

    अंजली – पुराने हास्य कलाकारों में जॉनी वॉकर का बहुत नाम था और सुना है कि एक ऐसा भी समय था जब प्रोड्यूसर्स जॉनी वॉकर पर फिल्म में एक गाना ज़रूर फिल्माते थे क्योंकि ऐसा करने से बॉक्स ऑफस पर फिल्म की सफलता की गारंटी रहती थी, इसके साथ ही जॉनी वॉकर की एक और बात कमाल की थी वो अपनी कॉमेडी में कभी भी फूहड़पन नहीं लाते थे, साफ सुथरी कॉमेडी करते थे, वो इस बात का खासा ख्याल रखते थे कि कोई भी व्यक्ति फिल्म देखने अपने परिवार के साथ सिनेमा हॉल में जाता है और उनकी कॉमेडी का मज़ा परिवार के सभी लोगों को एकसाथ लेना चाहिए, जॉनी वॉकर ने एकबार कहा था कि अपने पूरे फिल्मी कैरियर में उन्होंने करीब 300 फिल्मों में काम किया था लेकिन सेंसर बोर्ड ने उनकी एक भी लाईन पर कभी कैंची नहीं चलाई। ऐसे थे हास्य कलाकार जॉनी वॉकर। इसी के साथ मैं अपने अगले श्रोता का पत्र उठा रहा हूं जिसे हमें भेजा है पावन रेडियो श्रोता संघ डिलियां रोड कोआथ बिहार से प्रमोद कुमार केशरी, मनोज कुमार केशरी, विनय कुमार केशरी, प्रशांत कुमार केशरी और इनके ढेर सारे परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है अपना देश फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने संगीत दिया है आर डी बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. रोना कभी नहीं रोना.....

    पंकज - लंदन

    यूरोपियन स्पेस एजेंसी(ESA) ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए दूर अंतरिक्ष में स्थित एक धूमकेतु पर लैंडर स्पेसक्राफ्ट उतारने में कामयाबी हासिल की है। फाइली नाम का यह लैंडर 67P नाम के धूमकेतु पर बुधवार को उतरा। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी धूमकेतु की सतह पर स्पेसक्राफ्ट को सुरक्षित उतारा गया है।

    धूमकेतु पर उतरने के बाद भारतीय समयानुसार बुधवार रात करीब 10:30 बजे फाइली के ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया, 'मैं धूमकेतु पर हूं लेकिन मेरे हारपून फायर नहीं कर रहे हैं। मेरी टीम इसकी वजहें तलाश रही है।'यूरोपियन स्पेस एजेंसी ( ईएसए) ने 2 मार्च, 2014 को रोजेटा मिशन लॉन्च किया था। रोजेटा 10 साल से भी ज्यादा वक्त में 50 करोड़ किलोमीटर लंबा फासला तय करके 67P धूमकेतु के पास पहुंचा। इसके बाद रोजेटा के साथ जुड़े फाइली नाम के लैंडर स्पेसक्राफ्ट को अलग किया गया। मदर शिप से अलग होने के बाद फाइली ने करीब 7 घंटे की यात्रा की और धूमकेतु की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग की।

    साल 2004 में लॉन्च होने के बाद रोजेटा ने अलग-अलग कक्षाओं में धरती के तीन, मंगल ग्रह का एक और फिर सूरज के इर्द-गिर्द भी पांच चक्कर लगाए। इसके बाद 31 महीने के लिए इसे ऊर्जा बचाने के लिए एनर्जी सेविंग मोड में डाल दिया गया था।

    अंजली– ये सफलता यूरोप की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की है, इस सफल लैंडिंग से अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को नई खोज करने में बहुत मदद मिलेगी खासकर उल्का पिंडों की बनावट, वो किस तरह के धातु से बने होते हैं, उनके तापमान, उनकी गति और उन उल्का पिंडों पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बारे में वो पूरी पड़ताल करेंगे। ये विज्ञान की दुनिया में एक नया कदम है।अब मैं रुख करता हूं हमारे अगले श्रोता का ये पत्र हमारे पास आया है शनिवार पेठ बीड शहर महाराष्ट्र से पोपट कुलथे, हनुमंत कुलथे, समर्थ कुलथे, पी बी कुलथे और समस्त कुलथे परिवार का साथ में नारेगांव औरंगाबाद से हमें पत्र लिखा है दीपक आडाणे, श्याम आडाणे और इनके परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है लावारिस फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं प्रकाश मेहरा संगीत दिया है कल्याणजी आनंदजी ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. अपनी तो जैसे तैसे ...

    पंकज - फाइली ने अपनी मदर शिप रोजेटा की आखिरी तस्वीर ली। इस तस्वीर को फाइली लैंडर(@Philae2014) के नाम से बने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है। तस्वीर के साथ ट्वीट में लिखा है, 'हाइ @ESA_Rosseta, क्या तुमने मेरा पहला पोस्टकार्ड देखा?'

    यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने बताया कि उसे करीब 100 किलो वजनी फाइली के तगड़े सिग्नल मिल रहे हैं। शुरुआती जानकारी के मुताबिक इस धूमकेतु की सतह बर्फीली है।मिशन रोजेटा का मुख्य मकसद सौर मंडल की संरचना को समझना है। इसके लिए इस धूमकेतु पर उतारा गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि धूमकेतु के अध्ययन से सौर मंडल के निर्माण की गुत्थी सुलझ सकती है, क्योंकि अस्तित्व में आने से लेकर अब तक इनमें खास बदलाव नहीं हुआ है।जिस धूमकेतु पर फाइली उतरा है वह 4 किमी चौड़ा है। फाइली का साइज एक वॉशिंग मशीन जितना है। धरती से काफी दूरी होने के वजह से वैज्ञानिक रोजेटा को जो कमांड दे रहे थे वह उस तक 28 मिनट में पहुंच पा रही थी। यही नहीं, रोजेटा से अलग होने के दो घंटे बाद जाकर वैज्ञानिक फाइली से संपर्क साध सके।

    अंजली– मेरे हाथ में अगला पत्र हमारे पुराने श्रोता शाहीन रेडियो श्रोता संघ का है जो हमारे पास आया है मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश से इसे लिखा है इरशाद अहमद अंसारी जो कि इस संघ के अध्यक्ष भी हैं साथ में राशेदा खातून, शकीला खातून, मुसर्रत जहां, निज़ाम अंसारी, शादाब आलम, आफताब आलम, नियाज़ अहमद माहताब अहमद और इनके ढेर सारे मित्रजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है समाधि फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 6. बंगले के पीछे ....

    पंकज: तो मित्रों इस गाने के साथ ही हमें आपकी पसंद कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दें, अगले सप्ताह हम आज के दिन और आज ही के समय पर फिर आपके सामने आएंगे कुछ रोचक, ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के साथ और आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के कुछ मधुर फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली: नमस्कार।

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