Web  hindi.cri.cn
    आप की पसंद 1410118
    2014-10-17 17:14:27 cri

    नमस्कार श्रोता मित्रों मैं पंकज श्रीवास्तव आपकी पसंद कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं। हर सप्ताह की तरह हम आज भी आपको देंगे कुछ रोचक,ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारियां और साथ में सुनवाएँगे आपकी पसंद के कुछ फिल्मी गाने।

    दिनेश:श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपको ढेर सारी दिलचस्प जानकारियां देते हैं साथ ही आपको सुनवाते हैं आपकी पसंद के फिल्मी गीत। आज हम जिस फिल्म का गाना आपको सुनवाने जा रहे हैं उसे हमने लिया है फिल्म .... वॉरंट से जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. रुक जाना ओ जाना .....

    पंकज:मित्रों आज हम आपको बताने जा रहे हैं रिचार्जेबल सौर बैटरी के आविष्कार के बारे में, ये जानकारी हमारे पास आई है अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर से, जहां पर शोधकर्ताओं ने प्रकाश ग्रहण करने वाले सौर पैनल और ऊर्जा को संजोने वाली एक सस्ती बैटरी को एकीकृत कर एक संकर (हाइब्रिड) उपकरण बनाकर दुनिया की पहली सौर बैटरी बनाने में सफलता हासिल की है। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह उपकरण अक्षय ऊर्जा की लागत को 25 फीसदी तक कम करने में मदद करेगा।

    इसमें लगा जालीदार सौर पैनल हवा को बैटरी में प्रवेश कराता है और सौर पैनल औऱ बैटरी इलेक्ट्रोड के बीच इलेक्ट्रानों के स्थानांतरण के लिए विशेष प्रक्रिया करता है। उपकरण के अंदर, विभिन्न रासायनिक प्रतिक्रियाओं से प्राप्त प्रकाश और ऊर्जा से बैटरी चार्ज होती है।

    अमरीका की ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में रसायन विज्ञान और जैव रसायन विज्ञान के प्रोफेसर यियिंग वु ने बताया, सौर पैनल का प्रयोग प्रकाश ग्रहण करने और एक सस्ती बैटरी को ऊर्जा ग्रहण करने के लिए प्रयोग किया गया।

    उन्होंने आगे बताया, उसके बाद हमनह्ये दोनों को एक उपकरण में एकीकृत कर दिया। लागत कम करने के लिए आप किसी भी समय यह कर सकते हैं।

    दिनेश: मुझे लगता है ये सिर्फ एक छोटी सी शुरुआत है और आने वाले समय में बिजली के लिये हम सरकार पर निर्भर नहीं रहेंगे। जब भी हम नया घर बनाएंगे तो उसके साथ ही हम बिजली के सौर पैलन को खरीद लिया करेंगे जिसे मकान की छत पर लगाने से हमें पर्याप्त मात्रा में सौर ऊर्जा मुफ्त में मिल सकेगी, और इसका पर्यावरण पर कोई साईड इफेक्ट भी नहीं पड़ेगा। वैसे भी समय की मांग भी यही है कि अब हम स्वच्छ पर्यावरण का ध्यान रखें, आज वायु प्रदूषण जिन वस्तुओं से सबसे अधिक होता है उनमें कोयले और तेल से चलने वाले बिजली के टरबाईन शामिल हैं। इन टरबाईनों को बंद कर वैकल्पिक ऊर्जा के साधन ढूंढना अब हर देश की सरकार का लक्ष्य है। जिससे हम आने वाली पीढ़ियों के लिये एक साफ सुधरी धरती छोड़ सकें। अब मैं उठा रहा हूं कार्यक्रम का पहला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है कलेर बिहार से सदफ़ रेडियो श्रोता संघ से मोहम्मद आसिफ़ ख़ान, बेगम निकहत परवीन, सदफ़ आरज़ू, साहिल अरमान, अज़फ़र हामिद, तहमीन मशकूर और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है राजू बन गया जेंटिलमैन फिल्म का गाना जिसे गाया है कुमार शानू और अलका यागनिक ने गीतकार हैं महेन्द्र दहलवी, संगीत दिया है जतिन ललित ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. तू मेरे साथ साथ आसमां से आगे चल ....

    पंकज: इस आविष्कार ने बिजली के नुकासान को खत्म करके सौर ऊर्जा कार्यक्षमता में लंबे समय से आ रही समस्या का भी समाधान किया है। सामान्य तौर पर ऊर्जा कार्यक्षमता तब पूरी होती है जब इलेक्ट्रॉन, सौर सेल और बाह्य बैटरी के बीच यात्रा करते हैं। आमतौर पर सौर सेल से बनने वाले इलेक्ट्रॉनों में से मात्र 80 फीसदी इलेक्ट्रॉन बैटरी में आते हैं।

    शोधकर्ताओं ने बताया, इस नए डिजाइन के साथ बिजली, बैटरी के अंदर ही इलेक्ट्रॉन में बदल जाती है, जिससे लगभग 100 फीसदी इलेक्ट्रॉन सुरक्षित रहते हैं। यह शोध "नेचर कम्युनिकेशन" जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

    पंकज - तो मित्रों इतनी रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी देने के बाद अब हम रुख करते हैं एक दूसरी जानकारी का जो हमारे पास आई है राजस्थान से। चित्तौड़गढ़ किले में स्थित कालिका माता मंदिर में अखंड ज्योत 400 साल से जल रही है। पुजारी अरविंद भट्ट बताते हैं कि तत्कालीन महाराणा बप्पा रावल ने आठवीं शताब्दी में मंदिर बनाया था। 16वीं शताब्दी में महाराणा लक्ष्मण सिंह के काल से अखंड ज्योत जल रही है। कालिका माता का यह मंदिर आठवीं सदी में बने सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। इसका निर्माण माहाराणा बप्पा ने सूर्य मंदिर के रूप में किया था। हालांकि माना यह भी जाता है कि 14वीं शताब्दी में महाराणा हमीर सिंह ने मंदिर में कलिका माता की मू्र्ति को स्थापित किया था। उसी समय से यह कालिका माता के मंदिर के नाम से फेमस हो गया।

    कालिका देवी को चित्तौड़गढ़ का रक्षक माना जाता है। यह देवी वीरता और शक्ति का प्रतीक हैं। इस मंदिर के प्राचीन होने के बावजूद इसमें शानदार नक्काशीदार चित्र और मूर्तियों से सजे स्थापत्य कला के सुंदर नमूने देखे जा सकते हैं। यहां हर साल नवरात्र में होने वाले वार्षिक उत्सव में भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है।

    पता नहीं चलता कब चढ़ जाते हैं 605 सीढ़ियां

    दिनेश – ये वाकई बहुत दिलचस्प जानकारी है, लेकिन आगे बढ़ने से पहले हम अपने श्रोताओं का पत्र भी पढ़ लें और उनके फरमाईशी गीत भी सुनवा दें। ये अगला पत्र हमारे पास आया है बहादुरगंज, गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश से जिसे लिखा है आजाद अली अनवर, रिज़वाना परवीन और अब्दुल्लाह आज़ाद ने साथ ही अस्तुपुरा, मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश से हमें पत्र लिखा है मज़हर अली अंसारी, रज़िया बेगम अंसारी, सादिक, साजिद, सारिम और शारिक ने आप सभी ने सुनना चाहा है हंसते खेलते फिल्म का गाना जिसे गाया है सुरेश वाडेकर और साधना सरगम ने संगीत दिया है जतिन ललित ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. दीवाना दिल कहे ....

    पंकज - पहाड़ी पर बने मंदिर तक जाने के लिए 605 सीढ़ियां हैं। यह चढ़ाई करीब एक किलोमीटर है, लेकिन भक्तजन श्रद्धा भाव में सहजता से चढ़ जाते हैं। इधर माछला मगरा पर करणी माता मंदिर भी ऐसा ही है, जहां तक पहुंचने के लिए 375 सीढ़ियां हैं। ये मंदिर आरोग्य भी दे रहे हैं।

    यहां जम्मू स्थित मंदिर से लाए थे ज्योत

    शहर से 12 किलोमीटर दूर उबेश्वर महादेव मंदिर स्थल पर ही वैष्णोदेवी का मंदिर बना हुआ है। यह उदयपुर का एक मात्र गुफानुमा मंदिर है। इसकी स्थापना 2004 में करते हुए जम्मू स्थित वैष्णोदेवी मंदिर से ज्योत लाई गई थी, जो अखंड प्रज्जवलित है। डॉ. जगदीश ने बताया कि मुनि रामदास के सानिध्य में मंदिर की प्रतिष्ठा हुई थी। यहां गुफा को बढ़ाते हुए 150 फीट लंबी की गई।

    ------------------------------------------------

    पंकज – मित्रों इस जानकारी के बाद अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि इंसान क्यों होते है निराश ? इस बात का राज़ खोला जा चुका है, और ये जानकारी हमारे पास आई है अमेरिका से। अक्सर कई लोग निराश नजर हो जाते हैं जिसका कारण शायद वो खुद भी नहीं जानते, लेकिन अब इसके कारणों का पता चल चुका है। शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क में उस नियंत्रण तंत्र की पहचान की है, जो संवेदी और भावनात्मक सूचनाओं का वहन करता है, जिसके परिणामस्वरूप मानव में "निराशा" उत्पन्न होती है।

    कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर रॉबर्टो मेलिनोव ने कहा है कि "आधे भरे गिलास के आधा खाली वाले विचार का आधार मस्तिष्क में रासायनिक क्रियाएं हैं।"

    उन्होंने कहा, ""शोध के दौरान हमने जो पाया है, वह मस्तिष्क की नकारात्मकता दर्शाने वाली संवेदनशीलता है।""

    दिनेश – ये जानकारी तो काफी रोचक लग रही है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी तो मस्तिष्क के सिर्फ राज़ खुलने शुरु हुए हैं। अभी तो बहुत कुछ हमारे सामने आना बाकी है, मस्तिष्क एक ऐसा मानव अंग है जिसपर बहुत से शोध हुए हैं लेकिन इसकी परत खुलने में बहुत समय लग रहा है। आने वाले समय में मस्तिष्क के द्वारा मन की कई बातें लोगों के सामने आएंगी। खैर, आप आगे बढ़ें इससे पहले मैं अपने एक और श्रोता का पत्र उठाता हूं, ये पत्र हमारे पास आया है अखिल भारतीय रेडियो श्रोता संघ के पंडित मेवालाल परदेशी जी और इनके ढेर सारे परिजनों ने हमसे गीत की फरमाईश की है, ये पत्र हमारे पास आया है महात्वाना, माहोबा उत्तर प्रदेश से आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म सत्ते पे सत्ता का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार, भूपेन्दर सिंह, सपन चक्रवर्ती और राहुल देव बर्मन ने गीतकार हैं गुलशन बावरा और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने, गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. जिंदगी मिलके बिताएंगे ....

    पंकज - अवसाद ग्रस्त लोग अन्य लोगों की तुलना में नकारात्मक अनुभवों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। निष्कर्ष का उद्देश्य केवल अवसाद की वजह का पता करना नहीं, बल्कि उसका इलाज ढूंढना भी है।

    अध्ययन के मुख्य लेखक स्टीवन शाबेल ने कहा, ""हमारे अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि मस्तिष्क मार्ग में किसी विचार के प्रति निषेध और उत्तेजना दोनों साथ-साथ रहती है।""

    उन्होंने कहा, ""हमारा अध्ययन निषेध (निराशा) वाले सिग्नल पर केंद्रित था।"" तो मित्रों ये तो थी जानकारी मस्तिष्क से संबंधित अब हम रुख करते हैं अगली जानकारी का, ये जानकारी हमारे पास आई है जापान से .....

    जहां पर खाने में परोसा जाता है जिंदा मेंढ़क, सांप से बनी शराब

    अगर आप किसी रेस्त्रां में जाएं और खाने के लिए जिंदा मेंढ़क परोस दिया जाए तो कैसा लगे। जी हां, सही सोचा आपने ऎसे खाने को खाने की बात तो दूर उसें देखने भर से ही उबकाई आने लग जाए। लेकिन जापान के टोक्यो शहर में एक ऎसा रेस्त्रां है जहां खाने में ऎसी ही चीजें परोसी जाती है।

    इस रेस्त्रां में जिंदा मेंढ़क ही नहीं बल्कि सूअर के अंडकोष, सांप की शराब और कछुए का सूप जैसी चीजें खाने-पीने के लिए मिलती है। इसमें दिलचस्प बात ये भी है इस रेस्त्रां में इन चीजों को खाने वालों की भीड़ पड़ी रहती है।

    दिनेश – यानी कि यहां पर लोग जिंदा कीड़े मकोड़े और सांप खाते हैं, ये तो बहुत अलग सी जानकारी है, लेकिन मैंने भी सुना है कि इस तरह के रेस्त्रां सिर्फ जापान में ही नहीं दुनिया भर के कुछ देशों में है, क्योंकि वहां पर लोग ऐसा खाना खाना चाहते हैं इसलिये उन लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये ऐसे रेस्त्रां खोले जाते हैं, लेकिन मैं अभी तक ये नहीं समझ पाया कि पेटा वाले अभी तक इस रेस्त्रां के बाहर प्रदर्शन करने क्यों नहीं पहुंचे, पेटा संगठन जानवरों और पक्षियों पर होने वाले अत्याचार का विरोध करता है, खैर मुझे लगता है कि इस जानकारी के प्रसारित होने के बाद हो सकता है कि पेटा संगठन के कार्यकर्ता ऐसी जगहों पर भी प्रदर्शन करने लगें, अब हम आपको सुनवाने जा रहे हैं कार्यक्रम का अगला गाना जिसके लिये हमसे फरमाईश की है व्यापारी कॉलोनी, नेपानगर से सुदर्शन शाह, रुद्रेश शाह, सुरभि शाह, अर्जुनदासजी शाह, राजेन्द्रजी शाह, सुभद्रा बेन शाह, मंगला बेन शाह, मृत्युंजय संतोष, विजय मनोहर, रमेश शांताराम लीलाधर सिद्धार्थ और सचिन ने आप सभी ने सुनना चाहा है शोर फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ---

    सांग नंबर 5. शहनाई बजे ना बजे ....

    पंकज - यह अनोखा रेस्त्रां टोक्यो के शुंजुकु जिले में मेमोरी लेन में है और विचित्र डिश के लिए जाना जाता है। यहां सैलानियों का आना-जाना लगा ही रहता है। इस अनोखे रेस्त्रा में मिलने वाली डिश का हाल ही में एक वीडियो सोशल नेटवर्किग साइट पर डाला गया है जो जबरदस्त वायरल हो चुका है। इस वीडियो को अब तक 1 मिलियन से ज्यादा लोग देख चुके हैं।

    इस वीडियो में दिखाया गया है कि किस तरह से रेस्त्रां का शेफ मेंढ़क को बेहोश करता है, उसे साफ करता है और फिर सैशिमी डिश में इसे रखकर नींबू और सलाद के साथ परोसता है। हालांकि मेंढ़क की जान शेफ के चाकू से निकल तो जाती है, लेकिन उसकी नसें काफी देर तक खुलती और सिकुड़ती रहती हैं। इसे देखने पर लगता है कि मेंढ़क पूरी तरह से जिंदा है और प्लेट से कूदकर बाहर निकल जाएगा।

    इतना ही नहीं बल्कि इस वीडियो में कछुए का सूप दिया जाता है, जिसमें कछुआ तैरता नजर आएगा के साथ-साथ सुअर के अंडकोष, सांप की शराब जैसे कई अजीबोगरीब चीजें खाने में परोसी जाती है।

    दिनेश – अब वक्त हो चला है कार्यक्रम के अंतिम गीत का जिसके लिये फरमाईश की है ग्राम महेशपुर खेम जिला मुरादाबाद उत्तर प्रदेश से तौफ़ीक अहमद सिद्दीकी, अतीक अहमद सिद्दीकी, मोहम्मद दानिश सिद्दीकी और इनके ढेर सारे साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है रात और दिन फिल्म का गाना जिसे गाया है मुकेश ने गीतकार हैं हसरत जयपुरी, संगीत दिया है शंकर जयकिशन ने और गीत के बोल है ----

    सांग नंबर 6. रात और दिन दिया जले .....

    पंकज: तो मित्रों इस गाने के साथ ही हमें आपकी पसंद कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दें, अगले सप्ताह हम आज के दिन और आज ही के समय पर फिर आपके सामने आएंगे कुछ रोचक, ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के साथ और आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के कुछ मधुर फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    दिनेश : नमस्कार।

    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040