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    आप की पसंद 141011
    2014-10-15 08:48:34 cri

    नमस्कार श्रोता मित्रों मैं पंकज श्रीवास्तव आपकी पसंद कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं। हर सप्ताह की तरह हम आज भी आपको देंगे कुछ रोचक,ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारियां और साथ में सुनवाएँगे आपकी पसंद के कुछ फिल्मी गाने।

    दिनेश:श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपको ढेर सारी दिलचस्प जानकारियां देते हैं साथ ही आपको सुनवाते हैं आपकी पसंद के फिल्मी गीत। आज हम जिस फिल्म का गाना आपको सुनवाने जा रहे हैं उसे हमने लिया है फिल्म बहारों के सपने से, इसे गाया है मन्ना डे और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है राहुलदेव बर्मन ने गीत के बोल हैं ---

    सांग नंबर 1. आजा पिया तोहे प्यार दूं.....

    पंकज: मित्रों आज हम आपको बताएंगे सकारात्मक सोच के तरीके यानी पॉजीटिव सोच के लिए आप क्या करें। तो मित्रों योग में भी ऐसी क्रियाएं आती हैं जिनसे आप सकारात्मक सोच के साथ अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं, योग में कपालभाति आसन है जिसे करने से आप अपने जीवन में सकारात्मक सोच को बढ़ावा दे सकते हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं कि कपालभाति कैसे करना चाहिए।

    कपालभाती एकांत में और आराम की स्थिति में किया जाने वाला योग है । इसे किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं।

    लाभ

    डायबिटीज, जोड़ों का दर्द, आर्थराइटिस, सांस और पेट संबंधी रोग, कब्ज, मोटापा और तनाव जैसी बीमारियों को दूर करने के साथ ही सकारात्मक सोच विकसित होती है। दिल के रोगियों को धीमी गति से इस योग को करना चाहिए।

    कब करें

    यह योग खाली पेट सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद 10-15 मिनट के लिए कर सकते हैं। इसे खाने के तुरंत बाद न करके 3 से 4 घंटे बाद शांत वातावरण और खुली हवा में आसन पर बैठकर करें। इस योग को जल्दबाजी में न करके क्रमानुसार ही करना चाहिए।

    कैसे करें

    पालथी मारकर आसन पर बैठें। कमर सीधी रखें। हाथ घुटनों पर और हथेली ऊपर की ओर रखें। तर्जनी अंगुली को अंगूठे से मिलाएं। 3-4 मिनट तक नाक से सांस झटके से छोड़ें। पेट अंदर जाएगा। थकने पर आंखे बंद करें और नाक पर ध्यान केंद्रित कर दोहराएं।

    दिनेश:ये आसन वाकई बड़े काम की चीज़ लगता है, मैंने ऐसा सुना है कि योग में ऐसे कई तरह के आसन हैं जिनसे आप अपने अंदर के अवसाद यानी डिप्रेशन को दूर भगा सकते हैं, शरीर के साथ साथ मन और मस्तिष्क को भी स्वस्थ रख सकते हैं। आप आगे बढ़ें इससे पहले मैं अपने श्रोताओं के पत्र पढ़कर उनकी पसंद के गाने सुनवाना चाहता हूं। पहला पत्र हमारे पास आया है मेहर रेडियो श्रोता संघ सगोरिया, जिला मंदसौर मध्यप्रदेश से श्याम मेहर, निकिता मेहर, आयुष, संगीता, ललिता, दुर्गाबाई और पूरा मेहर परिवार, आप सभी ने सुनना चाहा है प्यार किया तो डरना क्या फिल्म का गाना जिसे गाया है उदित नारायण ने गीतकार हैं समीर, संगीत दिया है जतिन ललित ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. दीवाना मैं चला ....

    पंकज:मित्रों इस फड़कते हुए गाने के बाद अब हम आपको एक नई जानकारी देने जा रहे हैं जिसका संबंध आपकी सफलता और असलफलता से है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि सफल व्यक्ति का पतन कब शुरु होता है और असफलता से बचने के लिये आपको क्या करना चाहिए।

    आप हर सुबह उठते हैं तो खेलों में, राजनीति में, अध्यात्म में, उद्योगों में और तकरीबन हर क्षेत्र में, किसी व्यक्ति के चरम पर पहुंचने और पतन की कहानी पढ़ते हैं। खेल के प्रति दीवानगी ही उसे चरम पर ले जाती है। लोग उसे पसंद करते हैं। लेकिन बाद में वह खेल के बजाय खेल में अपनी स्थिति का आनंद लेने लगता है। वह जनता की सेवा करने के लिए राजनीति में आता है और चरम पर पहुंच जाता है। लोग उसे पसंद करने लगते हैं। लेकिन अब उसे राजनीति में अपनी स्थिति का आनंद आने लगता है और वह इस बात पर ध्यान देना कम कर देता है कि जनता की सेवा के लिए और क्या किया जा सकता है। जब आप यह भूल जाते हो कि आप किसकी वजह से आगे बढ़े हो, तो आपके पास सिर्फ एक रास्ता बचता है। वह रास्ता है पतन का। जब आप ऊपर चढऩा बंद कर देते हो, आपके नीचे आने की शुरुआत हो जाती है।

    उनका ध्यान पहले बंटता नहीं था। सिर्फ ईश्वर पर लगता था। उन्हें अध्यात्मिक जुड़ाव में आनंद आता था। यह अध्यात्मिक जुड़ाव ही उन्हें अध्यात्मिक तरक्की देता था। इसके बाय-प्रोडक्ट के तौर पर उन्हें अध्यात्मिक ताकत मिली। उनसे लोगों को फायदा होने लगा। उन्हें लोगों की तारीफ और भक्ति पसंद आने लगी। कट-आउट्स, पोस्टर्स, मीडिया अटेंशन, सेलिब्रिटी भक्त और सब लोग जैसे उनके ही पीछे थे। उन्हें इसमें ही आनंद आने लगा। धीरे-धीरे उनका ईश्वर और अध्यात्मिक जुड़ाव के साथ समय घटता गया। वे अपना ज्यादातर समय अपने भक्तों के बीच बिताने लगे। वे ध्यान पर बातें ज्यादा करने लगे और ध्यान कम करने लगे। उन्हें अध्यात्म से ज्यादा अच्छी अध्यात्म में अपनी पोजिशन पसंद आने लगी। जब ईश्वर आपकी ताकत बनता है तो आप आगे बढ़ते हैं। लेकिन जब मनुष्य आपकी कमजोरी बनने लगते हैं तब आप पीछे की ओर जाते हैं।

    जो तरक्की नहीं करता, वह आगे नहीं बढ़ सकता। जो आगे नहीं बढ़ता, वह मर जाता है।

    खेल का आनंद लें, उसमें अपनी पोजिशन का नहीं। वह खेल ही आपको जिंदगी प्रदान करेगा। खेल में आपकी पोजिशन की लत आपको खत्म कर देगी। विज्ञान का आनंद लें, उसमें अपनी पोजिशन का नहीं। विज्ञान आपको खोजने में मदद करेगा। विज्ञान में अपनी पोजिशन के प्रति आपका लगाव आपको कुछ खोजने नहीं देगा। अध्यात्म का आनंद लें, उसमें अपनी पोजिशन का नहीं। अध्यात्म आपको धरती पर स्वर्ग दिखा देगा। अध्यात्म में अपनी पोजिशन के प्रति आपकी ललक आपको नरक तक पहुंचा देगी।

    दिनेश: यानी जब भी हम अपने लक्ष्य से भटकते हैं और हम अहंकार से भर जाते हैं तो हमारे पतन की शुरुआत हो जाती है। इसलिये मैं तो ये समझता हूं कि आप चाहे कितनी भी ऊंचाईयों पर क्यों ना पहुंच जाएं लेकिन आपको हमेशा अपने पैर ज़मीन पर ही रखना चाहिए, और मस्तिष्क को सच्चाई के धरातल से जोड़कर काम करना चाहिए क्योंकि जब भी आप हवा में उड़ान भरेंगे तो आपका जमीन से जुड़ाव खत्म हो जाएगा और फिर यहीं से पतन की शुरुआत होती है। जिसे हमें हर हाल में दूर रखना चाहिए, क्योंकि हम लंबी दौड़ के घोड़े हैं। इसी के साथ मैं उठा रहा हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है धर्मेन्द्र सिंह और इनके ढेर सारे परिजनों ने आपने हमें पत्र लिखा है हाऊस नंबर 116, मल्थोने, ज़िला सागर, मध्यप्रदेश से, आप सभी ने सुनना चाहा है जब प्यार किसी से होता है फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर और कुमार शानू ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है जतिन ललित ने गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. मदहोश दिल की धड़कन चुप सी नज़र आई ....

    पंकज: मित्रों हम बात कर रहे थे किसी भी काम को करते हुए आप सिर्फ उस काम का आनंद लें, अगर आप उसमें अपने लक्ष्य को तय करेंगे तो स्थिति विपरीत होगी, अर्थात आप कोई भी काम करते हुए कहां पर पहुंचेंगे ये सोचना छोड़ दें और पूरी मेहनत और लगन से अपने काम को करें, फिर सफलता तो आपको ही मलेगी। अगर आप यात्रा कर रहे हैं तो आप सिर्फ यात्रा पर ध्यान केंद्रित करें। पिकनिक से ज्यादा मजेदार पिकनिक स्थल पर जाने की यात्रा होनी चाहिए। अपने कर्मों का फल उस पर छोड़ें और अपने आपको उत्कृष्टता की प्रक्रिया में लगाएं। जो भी सफलता आपको रास्ते में मिलें, उसे जवाबदेही के साथ स्वीकारें, उस पोजिशन के आनंद के तौर पर नहीं। अपने आपको उस वजह से जाने, तालियों की गड़गड़ाहट से नहीं।

    जिंदगी को 'प्रेजेंट कंटीन्यूअस टेंस' में ही अच्छे से समझाया जा सकता है- प्रेम कर रहा हूं, सीख रहा हूं, सुधार कर रहा हूं, बढ़ रहा हूं, पहुंच रहा हूं, चाह रहा हूं, समझ रहा हूं, बन रहा हूं... तकरीबन सभी पहलुओं में, पेशेवर और व्यक्तिगत, दुनिया से कम और खुद से ज्यादा उम्मीद करो। साथ ही यह सुनिश्चित करो कि आप अपने लिए जो मानक तय करें, वह दुनिया की ओर से आपके लिए तय मानकों से ऊंचे हो। आप जहां तक देख सकते हो, वहां तक जाते हो। और जब आप वहां पहुंच जाते हो, आपको और आगे का दिखाई देने लगता है। जब यह जद्दोजहद खत्म हो जाती है, तब पतन शुरू होता है।

    दिनेश: इसका मतलब तो ये हुआ कि हम आगे बढ़ने के लिये हमेशा कुछ ना कुछ सीखने की ललक अपने मन में बनाकर रखें. हमेशा सीखने की लालसा ही हमें आगे बढ़ने में मदद करती है। हमें कभी ऐसा नहीं कहना चाहिए कि अब मैं सबकुछ जान चुका हूं और मैंने बहुत कुछ सीख ळिया है और आगे सीखने के लिये कुछ भी नहीं बचा, जब भी हम अपने आप से संतुष्ट हो जाते हैं तो वहीं से हमारा पतन शुरु हो जाता है। मेरे हाथ में अगला पत्र है जिसे हमें भेजा है बाबू रेडियो श्रोता संघ आबगिला गया, बिहार से मोहम्मद जावेद खान, ज़रीना ख़ानम, मोहम्मद जामिल खान, रज़िया खानम, शाहिना परवीन, खाकशान जाबीन, बाबू टिंकू, जे के खान, बाबू, लड्डू, तौफीक उमर खान और के पी रोड गया से हमें पत्र भेजा है मोहम्मद जमाल खान मिस्त्री, शाबिना खातून, तूफानी साहेब, मोकिमान खातून, मोहम्मद सैफुल खान, ज़रीना खातून ने आप सभी ने सुनना चाहा है तेरे नाम फिल्म का गाना जिसे गाया है उदित नारायण और अलका याग्निक ने गीतकार हैं समीर और संगीत दिया है हिमेश रेशमिया ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. तुमसे मिलना ....

    पंकज: बुद्ध ने बार-बार कहा है, 'चरैवेति चरैवेति,' जिसका मलब है 'चलते रहो, चलते रहो और कभी न थमो; आंतरिक सफर पर चलते रह, अपनी जिंदगी को कभी खत्म न होने वाली यात्रा बनाओ।'

    जब तक दिल नहीं थमता, तब तक मत रुको। यदि शरीर अब भी सांस ले रही है, तो सिर्फ आपके अंदर से यही आवाज आनी चाहिए... चरैवेति चरैवेति।

    महात्रया रा-

    महात्रया रा आध्‍यात्‍मिक गुरु हैं। वे देश-विदेश में अपने आध्‍यात्‍मिक व्‍याख्‍यानों के माध्‍यम से लोगों को सेल्‍फ रियलाइजेशन के लिए मार्गदर्शित करते हैं। उनके प्रभावी संदेश व्‍यक्‍ति की नकारात्‍मक ऊर्जा को सकारात्‍मक ऊर्जा में परिवर्तित करके जीवन की दिशा बदल देते हैं। उनके व्‍याख्‍यान सुनकर कई प्रसिद्ध हस्‍तियां, व्यापारी, खिलाड़ी और विद्यार्थी अपनी आंतरिक ऊर्जा की मदद से नई ऊंचाइयां प्राप्‍त कर चुके हैं। महात्रया रा जीवन जीने का एक नया रास्‍ता बताते हैं – 'इंफीनीथीज्‍म', जिसके माध्‍यम से मनुष्‍य को अपनी असीम क्षमता का अहसास हो सकता है।

    दिनेश: मैं यहां पर अपने श्रोताओं को उनकी पसंद का एक और गाना सुनवा दूं उसके बाद आप फिर से अपनी चर्चा जारी रख सकते हैं, क्योंकि गाने के साथ ज्ञान की बातें सुनने में बहुत आनंद आता है। अगला पत्र हमारे पास आया है धनौरी तेलीवाला, हरिद्वार, उत्तराखंड से जिसे लिखा है निसार सलमानी, समीना नाज़, सुहैल बाबू और इनके ढेर सारे मित्रों ने, आप सभी ने सुनना चाहा है लव फिल्म का गाना जिसे एस पी बालासुब्रामणियम और के एस चित्रा ने संगीतकार हैं आनंद मिलिंद और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. साथिया ये तूने क्या किया .....

    इंफीनीमैगजीन-

    इंफीनीमैगजीन प्रेरक कहानियों, उद्धरणों, विकासोन्मुख पोस्टरों और महान व्यक्तियों के विचारों से बनी है। दुनिया पर अमिट छाप छोड़ने वाले अलग-अलग पृष्ठभूमि के महान लोगों और बिना कुछ बोले विपरीत हालात में महान ऊंचाइयां छूने वाले लोगों पर नियमित कॉलम्स हैं। यह मैगजीन पाठकों को विपरीत हालात से जूझने के लिए प्रेरित करती है। इंफीनीमैगजीन के माध्‍यम से महात्रया रा लोगों को अपनी पूरी क्षमता और वो ऊंचाइयां हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जहां तक वे अधिकारपूर्वक पहुंच सकते हैं।

    दिनेश: कार्यक्रम का अगला पत्र हमारे पास आया है परमवीर हाउस, आदर्श नगर, बठिंडा, पंजाब से अशोक ग्रोवर, परवीन ग्रोवर, नीती ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर, विक्रमजीत ग्रोवर और पूरे ग्रोवर परिवार ने हमें पत्र लिखा है आप सभी ने सुनना चाहा है बागी फिल्म का गाना जिसे गाया है अभिजीत और कविता कृष्णामूर्ती ने गीतकार हैं समीर, संगीत दिया है आनंद मिलिंद ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 6. हर कसम से बड़ी है ... कसम प्यार की

    पंकज: तो मित्रों इस गाने के साथ ही हमें आपकी पसंद कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दें, अगले सप्ताह हम आज के दिन और आज ही के समय पर फिर आपके सामने आएंगे कुछ रोचक, ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के साथ और आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के कुछ मधुर फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    दिनेश : नमस्कार।

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