उजबेकिस्तान जाति इस्लाम धर्म पर विश्वास करने वाली दस चीनी अल्पसंख्यक जातियों में से एक मानी जाती है , वह मुख्य रूप से दक्षिण सिन च्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बसी हुई है । जब हमारे संवाददाता समाचार बटोरने के लिये दक्षिण सिन च्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के काश्कर क्षेत्र स्थित शा चेह कांऊटी के निवासी अप्लाई मिकीती के घर पहुंचे , तो अप्लाई मिकीती की छोटी बेटी मेरई की शादी हो रही थी । स्थानीय रीति रिवाज के अनुसार शादी व्याह दुल्हन के घर पर किया जाता है , अतः अप्लाई मिकीती के सभी परिजन इस शादी व्याह में लगे हुए थे ।
हमारे संवाददाताओं ने देखा कि दुल्हन साफ सुथरा लम्बा सफेद स्कर्ट पहनी हुई है और सिर पर चमकदार सफेद पतला रेश्मी स्कार्फ भी ओढ़ी हुई है । वह अपनी दादी के पास बैठ कर संजीदगी के साथ दादी से उपदेश सुन रही थी । घर वालों के साथ बातचीत से पता चला है कि दुल्हन एक किंडरगार्टन की टीचर है , जबकि दुल्हा एक कंप्युटर डिजाईनर है , दो साल से पहले दोनों को एक दूसरे से परिचित हो कर मुहब्बत हो गया और आज दोनों प्रेम के बंधन में बंध हो गये हैं । दुल्हन का पूरा परिवार त्यौहार जैसी खुशियां में डूबा हुआ है । कमरे में हंसी मजाक उड़ाने और गीत गाने की आवाजें एक के बाद एक सुनने को मिल रही थीं , तो कमरे के बाहर लगे शादी मंडप में पुरूष मालिक व मेहमान बिछाये गये कालीन पर बैठकर प्रसन्नता से गपशप मारते और गाना गाते हुए दिखाई दे रहे थे ।
जब कि दुल्हा सिर पर उजबेकिस्तान जाति की विशेष फूलदार छोटी टोपी और कसीदा काढ़ा जातीय पोशाक पहने हुआ है । सुख और खुशी से उस के चहरे पर मुस्कान नजर आयी । उस ने हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में कहा
अब हमारा जीवन बहुत अच्छा हो गया है , मैं दुल्हन की मुंहमागी वस्तुएं देने का बिल्कुल काबिला हो गया , उदाहरण के लिये मैं ने सोने की अंगुठी और कुंडल जैसा आभूषण अपनी पत्नी को खरीदकर दे दिया है । इतना ही नहीं , मैं ने बारात के रूप में सात कारें भी किराये पर ले ली हैं । क्योंकि हमारी उजबेक जाति में सात शकुन का अंक है । इस शादी व्याह में लगभग बीस हजार य्वान का खर्चा है , पर यह हमारे गांव में सब से ज्यादा नहीं कहा जा सकता ।
शादी व्याह
स्थानीय रीति रिवाज के अनुसार दुल्हन के घर पर आयोजित शादी व्याह समाप्त होने के बाद बारात दुल्हन को ससुराल तक ले जाता है । दुल्हन के ससुराल पहुंचने के बाद ससुराल के परिजन तैयारशुदा दहज दुल्हन के घर वालों को दर्शाते हैं । कहा जाता है कि इस शादी में दुल्हे ने टी वी सेट , वी सी डी मशीन , मोटर स्कूटर जैसी रोजमर्रे में आने वाली सभी बढिया वस्तुएं तैयार कर रखी हैं । दुल्हे ने कमरे में प्रदर्शित विविधतापूर्ण दहजों की ओर इशारा करते हुए हमें बताया है कि वह अपनी ठोस आर्थिक शक्ति दिखाना चाहते हैं , ताकि दुल्हन के घर वाले अपनी बेटी के विवाहित जीवन पर निश्चिंत हो सके । दुल्हा ने आगे कहा कि बेशक , मैं जिंदगी भर में अपनी दल्हन से प्रेम करता रहूंगा ।
थोड़ी देर के बाद दुल्हा कमरे के अंदर जाकर दुल्हन के बगल में बैठ गया । इसी वक्त दुल्हन की मां ने गोद में एक खूब सूरत गुड़िया जैसा मुन्ना लिये दुल्हन को पकड़ाने के लिये दे दिया । यह देख कर हमारे संवाददाता ने किसी महिला मेहमान से प्रश्न किया , तो उस ने इस का अर्थ बताते हुए कहा कि शादी के बाद दुल्हन ज्यादा से ज्यादा संतानों का जन्म दे सके और सुखमय जीवन बीता सके । इस रस्म की समाप्ति के तुरंत बाद घर में इकट्ठी सभी महिलाएं इस नव दंपति को शुभकामनाएं देने के लिये गीत गाने लगीं ।
हमारे संवाददाता पास में बैठी दुल्हन की दादी जी के पास बैठकर बातचीत करने लगे । जब हमारे संवाददाता ने उन से यह प्रश्न किया कि उन्हें अपनी पाती की शादी में क्या अनुभव हुआ , तो उन्हों ने अपनी शादी का सिंहावलोकन करते हुए कहा कि उस समय हमारे पास वी सी डी क्या , टेपरिकार्टर भी नहीं था । मेरा पति केवल एक टांगा उधार लेकर तुंगबरा बजाते हुए मुझे ससुराल के घर ले आया । दादी ने आगे चलकर कहा कि उन्हें अभी तक साफ साफ याद है कि जब वे शादी प्रमाण पत्र लेने रजिस्ट्रेशन ओफिस गये , तो रजिस्ट्रेशन ओफिस में कार्यरत कर्मचारी ने दादी को गिफ्ट के रूप में एक रेश्मी रूमाल भेंट किया और उन्हों ने उसे दादा के प्रेम का प्रतीक मानकर अपने पास बरकरार रखा ।
यह बातचीत करते करते पास में खड़े दादा ने भी सामने आकर हमारे संवाददाता को बताते हुए कहा कि हालांकि उस समय जीवन काफी दुभर था , पर वे दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते हैं और उन का पारिवारिक जीवन अत्यंत सुखमय रहा है । उन के चेहरों पर नजर मुस्कान को देख कर हमारे संवाददाता ने मन ही मन यह सोचा कि बात सही है , तत्काल में हालांकि गरीबी से दहेज और बारात तक भी कोई नसीब नहीं था , पर फिर भी वह छोटा सा रेश्मी रूमाल उन के सचे मुहब्बत का परिचायक तो है ही । दादा दादी के बेटे यानी दुल्हन के पिता अब्लाईमिगिटी की शादी काफी भव्यदार थी । अब्दु अलाह मजिद ने अपनी शादी की चर्चा में कहा
मेरी शादी 1985 में हुई । हमारी जाति के रीति रिवाज के अनुसार शादी तय करते समय मैं ने दुल्हन वाले को रजाई व तकिया जैसी वस्तुएं दहेज के रूप में दे दी , साथ ही मैं ने सब से अच्छे कपड़े से अपनी पत्नि के लिये नया त्रेस भी बनवाया । उन्हों ने बड़े मजे से बताया कि अब बारात में कारों का फैशन है , पर उस समय ट्रक का था । मैं किराये पर एक ट्रक लेकर अपनी दुल्हन को घर ले आया , साथ ही मैं ने सभी संबंधियों व दोस्तों को दावत भी दे दी । हालांकि तब से लेकर अब तक बीसेक साल बीत गये हैं , पर वह तत्कालीन गरमागरम माहौल आज भी ताजा होकर आ गया है ।
यवाओं को हर्षोल्लाहपूर्ण वातावरण से ज्यादा लगाव है । इस शादी में बहुत से युवक युवतियां आये हैं । वे बड़ी प्रसन्नता से हंसा मजाक उड़ाते व गपशप मारते हुए नजर आते हैं । दुल्हे का छोटा भाई अईदिन इस साल 22 वर्ष का है और शादी करने का काबिल है । वह अपने शादी व्याह की कल्पना करते हुए हमारे संवाददाता को बताया कि वह अपने शादी व्याह में नया विषय जोड़ देगा ।
मैं चाहता हूं कि मैं 2008 में शादी करूं और अपनी दुल्हन को लेकर पेइचिंग में आलम्पिक खेल समारोह देखने जाऊं ।
मत पूछिये , रेश्मी रूमाल से सोने की अंगुठी और टांगे से कार से यह बिल्कुल साबित कर दिखाया गया है कि उजबेकी जाति की तीन पीढ़ियों के शादी व्याह में भारी परिवर्तन ही नहीं , इस जाति के दैनिक जीवन में भी जमीन आस्मान का बदलाव आ ही गया है ।