Web  hindi.cri.cn
    आप की पसंद 140920
    2014-09-23 16:12:26 cri

    नमस्कार श्रोता मित्रों मैं पंकज श्रीवास्तव आपकी पसंद कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं। हर सप्ताह की तरह हम आज भी आपको देंगे कुछ रोचक,ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारियां और साथ में सुनवाएँगे आपकी पसंद के कुछ फिल्मी गाने।

    अंजली:श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपको ढेर सारी दिलचस्प जानकारियां देते हैं साथ ही आपको सुनवाते हैं आपकी पसंद के फिल्मी गीत। आज हम जिस फिल्म का गाना आपको सुनवाने जा रहे हैं उसे हमने लिया है फिल्म डर्टी पिक्चर से जिसे गाया है बप्पी लाहिरी और श्रेया घोषाल ने, गीतकार हैं रजत अरोड़ा संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. ऊ ला ला ....

    पंकज : मित्रों आपमें से बहुत सारे लोग स्टीव जॉब्स के बारे में जानते होंगे, कुछ ऐसे लोग भी होंगे जिन्हें स्टीव जॉब्स के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी, स्टीव जॉब्स एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी, उन्होंने गरीबी, भूख और संघर्ष को पारकर अपने जीवन में नया मकाम बनाया और दुनिया को दिया बेहतरीन कम्प्यूटर, एप्पल, पिक्सार, और नेक्स्ट कंपनी को बनाने वाले स्टीव जॉब्स की कहानी दिलचस्प और प्रेरणादायक है, स्टीव ने अपने एक साक्षात्कार में कहा कि जीवन में हर तरह के दिन देखने पड़ते हैं, लेकिन आप जिस काम में लगे हुए हैं, उसे पूरा करिये, अपने अंदर की आवाज़ को सुनिये और वही करिये जो आपका मन करने को कहता है, उनके अनुसार हर दिन को ऐसे जीना चाहिये जैसे कि वो दिन आपकी जिंदगी का अंतिम दिन हो, और इसके बाद वो करिये जो आपने आजतक नहीं किया, मित्रों आज हम आपको स्टीव जॉब्स की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसका उद्देश्य उन लोगों को प्रेरणा देना है जो स्थितियों के आगे विवश होकर अपने सपने को बीच में ही छोड़ देते हैं,

    एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स 12 जून 2005 को स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोग्राम में शामिल हुए। यहां उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए अपने सफलता की तीन कहानियां सुनाई।

    अंजली: वैसे मुझे भी ऐसे महान लोगों की कहानियों में खासी दिलचस्पी है क्योंकि ये लोग करोड़ों आम लोगों के लिये प्रेरणा का स्रोत बनते हैं, कई बार इनके जीवन में आने वाली रुकावटें और उनसे पार पाने का इनका तरीका लोगों में एक नई ऊर्जा भर देता है, और लोग सोचते हैं कि अगर ये शख्स इतनी मुश्किल से बाहर निकल सकता है और फिर इतना बड़ा काम कर सकता है जिससे लाखों करोड़ों लोगों का जीवन बेहतर बना तो हम भी कुछ ऐसा कर सकते हैं, और मित्रों ऐसा सोचकर वो आम लोग भी छोटे स्तर पर ही सही लेकिन कुछ ऐसा कर जाते हैं जिससे लोगों को सुविधा होती है और वो अपने आस पास के लोगों के लिये नायक बन जाते हैं, हमें भी कुछ ऐसा हर समय सोचते रहना चाहिए जिससे हम लोगों की बेहतरी के लिये कुछ कर सकें, ऐसे ही छोटे बड़े काम कर हम आम लोगों के लिये सहूलियते पैदा कर सकते हैं, अगर हम सभी लोग हर समय कुछ सकारात्मक सोच के साथ काम करते रहें तो एक दिन समाज में फैली कई तरह की दुश्वारियों को दूर कर सकते हैं, स्टीव जॉब्स के जीवन की कहानी संघर्षपूर्ण तो है लेकिन वो हमें ये बताती है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी विषम या दुष्कर क्यों न हों हमें हमेशा अपनी सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए। इसी के साथ मैं कार्यक्रम का पहला पत्र उठा रहा हूं जो हमारे पास आया है ग्राम अशरफ़गंज, ज़िला सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश से जिसे हमें लिख भेजा है दिनेश कुमार साहू और इनके तमाम मित्रों ने, आप सभी ने सुनना चाहा है हाथी मेरे साथी फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं आनंद बख्शी, संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 2. धक धक कैसे चलती है गाड़ी ....

    पंकज: आइए जानें उनके सफलता की तीन कहानियां...

    पहली कहानी

    स्टीव जॉब्स ने अपनी पहली कहानी इस तरह सुनाई। उन्होंने बताया, मुझे कॉलेज से निकाल दिया गया था, लेकिन ऐसा क्यों हुआ, इसे बताने से पहले मैं अपने जन्म की कहानी सुनाता हूं। मेरी मां कॉलेज छात्रा थीं जो उस समय अविवाहित थीं। उन्होंने सोचा कि वह मुझे किसी ऐसे दंपत्ति को गोद देगी, जो ग्रैजुएट हो। मेरे जन्म से पहले यह तय हो गया था कि मुझे एक वकील और उसकी पत्नी गोद लेंगे, लेकिन उन्हें बेटा नहीं बेटी चाहिए थी। जब मेरा जन्म हुआ तो मुझे गोद लेने वाले पैरेंट्स को बताया गया कि बेटा हुआ है, क्या वह मुझे गोद लेना चाहते हैं, वे तैयार हो गए। मेरी मां को जब पता चला कि जो पैरेंट्स मुझे गोद ले रहे हैं, वे ग्रैजुएट नहीं है, तो उन्होंने मुझे देने से मना कर दिया। कुछ महीनों बाद मेरी मां उस समय नरम पड़ी, जब मुझे गोद लेने वाले पैरेंट्स ने यह वादा किया कि वह मुझे कॉलेज भेजेंगे। 17 साल की उम्र में मुझे कॉलेज में दाखिला मिला।

    पढ़ाई के दौरान मुझे लगा कि मेरे माता-पिता की सारी कमाई मेरी पढ़ाई में ही खर्च हो रही है। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं अपने जीवन में क्या करूंगा। आखिरकार मैंने कॉलेज से ड्रॉप लेने का फैसला किया और सोचा कि कोई काम करूंगा। उस समय यह निर्णय शायद सही नहीं था, लेकिन आज जब मैं पीछे देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मेरा निर्णय सही था। उस समय मेरे पास रहने के लिए कोई कमरा नहीं था, इसलिए मैं अपने दोस्त के कमरे में जमीन पर ही सो जाता था। मैं कोक की बॉटल्स बेचता था, ताकि जो पैसा मिले उससे में खाना खा सकूं। खाना के लिए सात मील चलकर कृष्ण मंदिर जाता था। रीड कॉलेज कैलीग्राफी के लिए दुनिया में मशहूर था। पूरे कैम्पस में हाथ से बने हुए बहुत ही खूबसूरत पोस्टर्स लगे थे। मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी कैलीग्राफी की पढ़ाई करूं। मैंने शेरीफ और सैन शेरीफ टाइपफेस (serif and san serif typefaces) सीखे (शेरिफ टाइपफेस में शब्दों के नीचे लाइन डाली जाती है)। मैंने इसी टाइपफेस से अलग-अलग शब्दों को जोड़कर टाइपोग्राफी तैयार की, जिसमें डॉट्स होते है। दस साल बाद मैंने पहला Macintosh computer डिजाइन किया। खूबसूरत टाइपोग्राफी के साथ यह मेरा पहला कम्प्यूटर डिजाइन था। यदि मैं कॉलेज से नहीं निकाला जाता और मैंने कैलीग्राफी नहीं सीखी होती तो मैं यह नहीं बना पाता। खुद पर विश्वास करना बहुत बड़ी बात होती है।

    अंजली: वाकई स्टीव जॉब्स के जीवन की पहली कहानी एक आम आदमी की कहानी नहीं है, इससे पता चलता है कि स्टीव में संघर्ष करने के गुण बचपन से ही भरे हुए थे, लेकिन इस कहानी से एक बात तो साफ हो जाती है कि स्टीव को भले ही कॉलेज से निकाला गया हो लेकिन वो अपने लक्ष्य की तरफ़ लगातार बढ़ते जा रहे थे। भले ही उन्होंने अपने जीवन के इस पड़ाव में घोर निर्धनता देखी, यहां तक की खाना खाने के लिये सात मील पैदल चलकर श्री कृष्ण मंदिर जाते थे। हम में से ऐसे कई लोग हैं जिन्हें पेट भर खाना मिलता है और जीवन की कई सुविधाएं भी मिलती रहती हैं लेकिन फिर भी हमारे पास ऐसी कोई दृष्टि ऐसा कोई लक्ष्य नहीं होता और अंत में हमें लगता है कि पूरा जीवन व्यर्थ निकल गया। स्टीव जॉब्स ने हमें अपने संघर्षपूर्ण जीवन से ये तो बताया कि जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करना बहुत आवश्यक होता है अगर लक्ष्य नहीं है तो जीवन व्यर्थ है, एक लक्ष्य से आप समाज की दिशा बदल सकते हैं। अब मैं उठा रहा हूं अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है नवीन रेडियो श्रोता संघ, गुरैया दाना, छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश से उदयभान ठाकरे, दीपक ठाकरे, नवीन ठाकरे, चंद्रभागा ठाकरे और नवीन श्रोता संघ के दूसरे सदस्यों ने, आप सभी ने सुनना चाहा है सीता और गीता फिल्म से जिसे गाया है किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. कोई लड़की मुझे कल रात सपने में मिली ...

    पंकज : इस मधुर गीत के बाद मित्रों अब हम आपको सुनाते हैं स्टीव जॉब्स के जीवन की दूसरी कहानी

    अपनी दूसरी कहानी में स्टीव जॉब्स ने कहा कि मैं इस मामले में बहुत लकी रहा कि मैंने जीवन में जो करना चाहा, मैंने किया। Woz और मैंने मिलकर गैरेज में एप्पल की शुरुआत की। इस समय मेरी उम्र 20 साल थी। हमने खूब मेहनत की और 10 सालों में एप्पल ने ऊंचाईयां छू ली। एक गैरेज में दो लोगों से शुरू हुई कंपनी 2 बिलियन लोगों तक पहुंच गई और इसमें 4000 कर्मचारी काम करने लगे। हमने अपना सबसे बेहतरीन क्रिएशन Macintosh को रिलीज किया। जैसे-जैसे कंपनी आगे बढ़ी, हमने एक प्रतिभाशाली व्यक्ति को कंपनी संभालने के लिए चुना। पहले साल तो कंपनी ने बहुत अच्छा काम किया, लेकिन भविष्य को लेकर हमारा जो विजन था, वो फेल हो गया।

    अंजली: वैसे ये चर्चा बहुत दिलचस्प हो चली है लेकिन मैं सोचता हूं कि इसी बीच में एक और गाना हो जाए तो कैसा रहे, वैसे इस गाने की फरमाईश की है हमारे पुराने श्रोता जो हमें अक्सर पत्र लिखा करतेहैं इनका नाम है मुकुंद कुमार तिवारी जो महात्मा गांधी श्रोता संघ के अध्यक्ष हैं इन्होंने हमें पत्र लिखा है पिपरही, जिला शिवहर, बिहार से इनके साथ इनके ढेर सारे मित्रों ने भी हमें पत्र लिखा है आप सभी ने सुनना चाहा है इनकार फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और आशा भोंसले ने संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. छोड़ो ये निगाहों का इशारा ....

    पंकज: मित्रों हम स्टीव जॉब्स की जीवनी को और आगे बढ़ाते हैं, स्टीव ने कहा कि मैं जब 30 साल का था, तो मुझे कंपनी से निकाल दिया गया। मुझे लगा कि मेरी ही कंपनी से मुझे कैसे निकाला जा सकता है। इसके बाद पांच सालों में मैंने एक कंपनी बनाई NeXT नाम से और इसके बाद एक और कंपनी पिक्सार नाम से खड़ी की। पिक्सार ने दुनिया की पहली कम्प्यूटर एनिमेटेड फीचर फिल्म Toy Story बनाई। आज यही स्टूडियो दुनिया का बेहतरीन एनिमेशन स्टूडियो माना जाता है। इसके बाद एप्पल ने NeXT को खरीद लिया और मैं वापस एप्पल पहुंच गया। हमने ऐसी टेक्नोलॉजी बनाई, जिसने एप्पल को नया जीवन दिया। मुझे लगता है कि यदि मुझे एप्पल से नहीं निकाला होता तो मैं यह सब नहीं कर पाता। कभी-कभी जीवन में ऐसे पल भी आते हैं, लेकिन हमें इससे घबराना नहीं चाहिए। आप जिस काम को करना चाहते हैं और वो ही कर रहे हैं, तो आप कभी हार नहीं सकते। आप अपनी मंजिल पर नजर रखे और आगे बढ़ते रहे। जीवन में कोई न कोई उद्देश्य होना बहुत जरूरी है, इसके बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता।

    तीसरी कहानी

    अंजली: शायद इसी लिये अमेरिका विश्व में सबसे अग्रणी देश बना हुआ है क्योंकि वहां पर टेक्नोलॉजी पर नित नए अनुसंधान होते रहते हैं, और वहां पर इन्ही तकनीक पर आधारित नए आविष्कार भी होते हैं, फिर चाहे वो विज्ञान के क्षेत्र की बात हो, परमाणु अनुसंधान, औषधि, अंतरिक्ष, कृषि या फिर संचार की बात हो, अगर हम भी ऐसे ही अनुसंधान करने लगें तो हो सकता है कि हम भी आने वाले वर्षों में वैसी ही तरक्की कर लें, वैसे अमेरिका में भारत के कई वैज्ञानिक भी इस तरह के अनुसंधान करने में जुटे हुए हैं। अगर इन भारतीय वैज्ञानिकों को देश में ही वो सारी सुविधाएं और माहौल दिया जाए तो हो सकता है कि वो वैसा ही कारनामा भारत में भी कर दिखाएं, लेकिन इसके लिये अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। खैर इस समय मेरे हाथ में जो पत्र है वो हमारे पास आया है आदर्श श्रीवास रेडियो श्रोता संघ से जिसे लिखा है पारस राम श्रीवास ने जो इस श्रोता संघ के अध्यक्ष भी हैं, इनके साथ इनके ढेर सारे मित्रों ने भी अपना नाम हमें लिख भेजा है जो समय की कमी के कारण हम आपको सुना नहीं पाएंगे, आप सभी ने हमें पत्र लिखा है ग्राम लहंगाबाथा, पोस्ट बेलगहना, जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से आप सभी ने सुनना चाहा है ब्रह्मचारी फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं शैलेन्द्र संगीत दिया है शंकर जयकिशन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. मैं गाऊं तुम सो जाओ ....

    पंकज : स्टीव ने अपनी जीवनी के बारे में आगे बताया कि जब मैं 17 साल का था, तो मैंने एक कोटेशन पढ़ा था, जो कुछ ऐसे था, आप हर दिन यह सोचकर जियो कि आज आखिरी दिन है, तो एक दिन ऐसा जरूर आएगा, जब आखिर दिन भी आएगा। इस लाइन ने मुझे बहुत प्रभावित किया। 33 सालों से मैं रोज सुबह आइना में अपना चेहरा देखता हूं और यही सोचता हूं यदि आज मेरा आखिरी दिन है, तो मुझे वो करना चाहिए जो मैं चाहता हूं। कई दिनों तक मुझे अपने सवाल का जवाब नहीं मिला। मैं जल्दी मर जाऊंगा, यह सोच मुझे जीवन में और ज्यादा काम करने की प्रेरणा देती है। कुछ साल पहले ही मुझे कैंसर का पता चला। डॉक्टर ने मुझे बताया कि मैं तीन से छह महीने तक ही जीवित रह पाऊंगा। मुझे कहा कि मैं अपने परिवारवालों को अपनी बीमारी और अपने काम के बारे में बता दूं। मैंने अपना इलाज करवाया, सर्जरी हुई। अब मैं बिल्कुल ठीक हूं। मैंने बहुत ही नजदीक से मौत को देखा। कोई भी मरना नहीं चाहता, लेकिन मौत एक सच्चाई है, जिसका सामना सभी को करना है। हम सभी के पास बहुत कम समय है, इसलिए किसी की बात सुनने की बजाए, अपने अंदर की आवाज को सुनो और जो आवाज आती है, उसे मानो और आगे बढ़ो।

    अंजली: हमारे पास अगला पत्र आया है शाहीन रेडियो श्रोता संघ मऊनाथ भंजन उत्तरप्रदेश से जिसे लिखा है इरशान अहमद अंसारी, राशिदा खातून, शकीला खातून, मुसर्रत जहां, निज़ाम अंसारी, शादाब आलम और भी ढेर सारे लोगों ने हमें पत्र लिखा है लेकिन समय की कमी से हम उनके नाम नहीं ले सकते आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म ज़ंजीर से है जिसे गाया है आशा भोंसले ने गीतकार हैं गुलशन बावरा संगीत दिया है कल्याणजी आनंदजी ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 6. चक्कू छुरियां तेज़ करा लो ....

    पंकज: तो मित्रों इस गाने के साथ ही हमें आपकी पसंद कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दें, अगले सप्ताह हम आज के दिन और आज ही के समय पर फिर आपके सामने आएंगे कुछ रोचक, ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के साथ और आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के कुछ मधुर फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली : नमस्कार।

    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040