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    गेसार कथा वाचक तानचङ चिह्वा की कहानी
    2014-09-29 08:58:06 cri

    च्युची कांउटी के संस्कृति भवन

    क्वोलो तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर में घास का मैदान

    वर्ष 2011 में तानचन चीह्वा ने च्युची कांउटी के संस्कृति भवन में दाखिला लिया, जहां वे विशेष तौर पर राजा गेसार से जुड़े महाकाव्य लिखने का काम करते हैं। तानचन चीह्वा ने कहा:

    "वास्तव में कहा जाए, मैं एक आलसी व्यक्ति हूँ। पशुपालन क्षेत्र में हर दिन बहुत मेहनत से पशुओं का पालन करता था और मुझे थकान लगती थी। कांउटी शहर में आने के बाद मैं संस्कृति भवन में ध्यान से महाकाव्य लिख सकता हूँ और कोई भी थकान महसूस नहीं होती। मुझे बहुत अच्छा लगता है। क्वोलो तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर राजा गेसार का जन्मस्थान है, देश में हमारे यहां गेसार संस्कृति को विरासत में लेते हुए विकास करने पर ध्यान दिया जाता है। इससे बहुत से लोगों को लाभ मिला है, मैं उनमें से ही एक हूँ। मेरा विचार है कि गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासत व्यक्तिगत संपत्ति है, अगर इस विरासत का विकास और संरक्षण नहीं किया गया, तो व्यक्ति के देहांत के चलते संबंधित संस्कृति भी लुप्त होगी। गेसार संस्कृति से जुड़े उत्तराधिकारी के रूप में मुझे आशा है कि देश में इस संदर्भ में सांस्कृतिक विकास और संरक्षण और अच्छी तरह किया जाएगा। मैं स्वयं जीवन भर 118 महाकाव्य-किताबें लिखने का प्रयास करूंगा।"

    हमारे संवाददाता के साथ हुए साक्षात्कार समाप्त करने के बाद तानचन चीह्वा ने शरीर पर पहनते हुए तिब्बती जातिय पोशाक उतारा और पोशाक के भीतर जीन्स नज़र आई। उन्होंने कहा कि इन्टरव्यू के बाद वे मोटर साइकल चलाकर 80 किलोमीटर दूर स्थित पशुपालन क्षेत्र में अपने घर में वापस लौटेंगे। कांउटी शहर और पशुपालन क्षेत्र में आना-जाना तानचन चीह्वा के लिए राजा गेसार के काल और वर्तमान युग में आने-जाने के बराबर रहा है।


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