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    टी टाइम 140923 (अनिल और ललिता)
    2014-09-23 21:32:03 cri

    अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ....... आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार। .....

    दोस्तो वैसे एक सप्ताह में सात दिन होते हैं, लेकिन हमें आपके लिए प्रोग्राम पेश करने का बड़ा इंतजार रहता है। तो क्या कर रहे हैं आप लोग, रेडियो सेट ऑन किया कि नहीं, अगर नहीं तो जल्दी कीजिए। क्योंकि टी-टाइम प्रोग्राम हो चुका है शुरू।

    अनिलः जल्द ही भारत में एक टीवी सीरियल एवरेस्ट आ रहा है। फ़िल्मकार आशुतोष गोवारिकर कहते हैं कि मैं हमेशा से यही सोचता रहता था कि लोगों को पहाड़ों पर चढ़ाई क्या मिलता है? मेरी रिसर्च में मुझे पता चला कि उन्हें इससे ख़ुशी मिलती है और संतुष्टि भी मिलती है।

    आशुतोष इसके निर्माता हैं, निर्देशक हैं ग्लेन बरैटो और अंकुश मोहला, संगीत दिया है ए आर रहमान ने और शो को लिखा है फ़िल्म 'स्वदेस' की सहायक कला निर्देशक रही मिताली महाजन ने। पर इतनी अच्छी टीम के साथ आशुतोष टेलीविज़न सीरियल बनाने के बजाए एवरेस्ट पर एक अच्छी ख़ासी फ़िल्म बना सकते थे। उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया?

    इसके जवाब में आशुतोष कहते हैं देखिए मैं वैसे भी लंबी फ़िल्में बनाने के लिए जाना जाता हूं, तो अगर मैं एवरेस्ट पर फ़िल्म बनाता तो वो तक़रीबन 15 से 20 घंटे की होती। बात दरअसल ये है कि इस।

    ललिताः संगीतकार ए आर रहमान कहते हैं, "काफ़ी सालों से टेलीविज़न में काम करने की मेरी इच्छा थी। जब मुझे आशुतोष जी ने 'एवरेस्ट' की कहानी सुनाई तो मुझे ये काफी पसंद आई। इससे बेहतर और क्या होगा कि मैं टीवी पर आशुतोष जी के साथ काम करूं।

    'एवरेस्ट' के निर्देशक अंकुश मोहला ने कहा, "आशुतोष हमारे लिए प्रेरणास्रोत रहे और उन्होंने हमेशा हमें सही दिशा दिखाई। हम तो सिर्फ़ इतना जानते थे कि ये सबसे ऊंची चोटी है पर वहां जाने के लिए क्या जद्दोजहद करनी पड़ती है वो सब हमें आशुतोष ने बताया।"

    इस सीरियल के कितने एपिसोड्स होंगे और ये कब दिखाया जाएगा? इसका जवाब आशुतोष ने नहीं दिया पर बातों ही बातों में ए आर रहमान ने कह दिया 50 एपिसोड्स। फिर तुरंत ही 100 बताकर आशुतोष की तरफ़ देखकर मुस्कुरा दिए।

    अनिलः दोस्तो, अब आपको बताते हैं एक नन्हे क्रिकेटर की कहानी। पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने 16 साल की उम्र में अपना अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू किया था। लेकिन अपनी पहली डील वर्ल्डटेल के साथ साइन करने के लिए उन्हें छह साल का इंतज़ार करना पड़ा।

    लेकिन सचिन को अपना आदर्श मानने वाले पृथ्वी शॉ ने महज़ 14 साल की उम्र में 36 लाख रुपए का क़रार साइन कर लिया और अभी उनका अंतरराष्ट्रीय क्या घरेलू क्रिकेट करियर में ठीक से शुरू नहीं हुआ है।

    इतनी कम उम्र में इतना बड़ा क़रार करने वाले पृथ्वी पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। पृथ्वी ने पिछले साल मुंबई की स्कूल क्रिकेट प्रतियोगिता है रिस शील्ड में खेलते हुए एक ही पारी में रिकॉर्ड 546 रन बनाए थे। बैट, बॉल और स्टंप जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनी एसजी स्पोर्ट्स ने पृथ्वी के साथ छह साल के लिए ये क़रार किया है।

    ललिताः एसजी के मार्केटिंग डायरेक्टर पारस आनंद कहते हैं, पृथ्वी पिछले कुछ सालों से हमारी कंपनी के बैट और किट इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन जब उन्होंने 546 रन का विश्व रिकॉर्ड बनाया तब हमारा ध्यान उन पर गया। हमें लगा कि इस लड़के में तो ग़ज़ब की क्षमता है। इसलिए हमने उनके साथ ये डील करके उन्हें ग्रूम करने का फ़ैसला किया।"

    एक प्रतियोगिता में मुंबई की अंडर- 19 टीम के लिए खेलने गए पृथ्वी से हमारा संपर्क नहीं हो पाया लेकिन उनके कोच राजू पाठक से ज़रूर बात हुई।

    अनिलः राजू ने कहा, "वित्तीय मदद मिलने से पृथ्वी का मनोबल काफ़ी बढ़ेगा। वो ग़रीब परिवार से हैं और अब उन्हें इस बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं कि क्रिकेट खेलने का खर्च कहां से आएगा।"

    क्या इतनी कम उम्र में इतना पैसा मिलने से पृथ्वी के क्रिकेट के प्रति फ़ोकस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके जवाब में राजू ने कहा, "देखिए ये पूरा पैसा उन्हें एक साथ तो मिलेगा नहीं। छह साल का क़रार है। और ये लड़का बहुत मेहनती और समर्पण वाला है। उसका फ़ोकस बिलकुल भी नहीं डिगेगा, बल्कि पैसे से उसे और अच्छा करने की प्रेरणा मिलेगी।

    ललिताः राजू ने बताया कि पृथ्वी, सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर के साथ भी कई बार प्रैक्टिस कर चुके हैं और ख़ुद सचिन, पृथ्वी के खेल से बहुत प्रभावित हैं।

    अनिलः दोस्तो, आप पेप्सी तो अक्सर पीते होंगे, गर्मियों के दिनों में। चलिए हम आपको पेप्सीको की सीईओ इंदिरा नूयी के बारे में बताते हैं।

    भारत में जन्मीं पेप्सीको की सीईओ इंदिरा नूई की प्रतिभा का लोहा बना हुआ है। 'व्यापार में सबसे शक्तिशाली महिलाओं' की सूची में उन्हें तीसरा पायदान मिला है। वह भारतीय मूल की एकमात्र महिला हैं, जिन्हें फॉ‌र्च्यून की 2014 की सूची में स्थान हासिल हुआ। आइबीएम की चेयरमैन और सीईओ जिन्नी रोमेटी लगातार तीसरी बार सूची में पहले पायदान पर काबिज रहीं। जनरल मोटर्स की सीईओ मैरी बारा को दूसरा स्थान हासिल हुआ है।

    फॉ‌र्च्यून पत्रिका के अनुसार सूची में शामिल करीब आधी महिलाओं के हाथ में बड़ी कंपनियों की कमान है। ये सभी कारोबार के तरीकों को बदलने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। 58 वर्षीय नूई पिछले साल इस सूची में दूसरे पायदान पर थीं। उनके नेतृत्व में कंपनी शानदार प्रदर्शन कर रही है। 2011 से उन्होंने अनुसंधान और विकास पर खर्च को 25 फीसद तक बढ़ा दिया। कंपनी को इसका भरपूर फायदा मिला। सूची में एयरोस्पेस व डिफेंस कंपनी लॉकहीड मार्टिन की चेयरमैन व सीईओ मैरिलिन ह्यूसन चौथे और बायोसाइंस फर्म डुपॉन्ट की सीईओ एलेन कुलमैन पांचवें पायदान पर हैं।

    ललिताः अब कुछ हेल्थ सी जुड़ी बातें करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बोटॉक्स ट्रीटमेट से युवाओं का भावनात्मक विकास बाधित हो सकता है।

    जर्नल ऑफ़ ऐस्थेटिक नर्सिंग के मुताबिक़ ब्रिटेन में 25 साल के कम उम्र के लोगों में त्वचा की झुर्री कम करने के लिए बोटॉक्स इंजेक्शन का चलन बढ़ा है। इसकी शोधकर्ता हेलेन कोलर कहती हैं कि टीवी रियलिटी शो और सेलीब्रेटी कल्चर युवाओं को इस तरफ़ आकर्षित कर रहे हैं।

    कोलर कहती हैं, "बतौर इंसान कई तरह के भावनाओं को जाहिर करने की हमारी क्षमता चेहरे के हावभाव पर निर्भर करती है।" वह कहती हैं, "अगर आप चेहरे से उन सारे भावों को मिटा देते हैं तो इससे सामाजिक और भावनात्मक विकास रुक सकता है।"

    अनिलः वहीं विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि कुछ बोटॉक्स क्लीनिक वित्तीय लाभ को ही प्रथामिकता देते हैं। कोलिर के अनुसार अधिकतर टाक्सिन का प्रभाव अस्थाई होता है और शोध बताते हैं कि इंजेक्शन से त्वचा पूरी तरह बेहतर नहीं होती।

    कार्डिफ विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के शोधकर्ता डॉक्टर माइकल लेविस कहते हैं, हम अपने चेहरे से महसूस होने वाली भावनाओं को जाहिर करते हैं। वो कहते हैं, "हम मुस्कुराते हैं क्योंकि हम ख़ुश हैं, लेकिन मुस्कुराना भी हमें ख़ुशी देता है। ब्रिटिश असोशीएशन ऑफ़ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जन्स के अध्यक्ष राजीव ग्रोवर बोटॉक्स ट्रीटमेंट नैतिक रूप से ग़लत मानते हैं।

    ललिताः अब बारी है, लिस्नर्स के कमेंट्स की। सबसे पहला ई-मेल हमें भेजा है, सऊदी अरब से सादिक आजमी ने। लिखते हैं कि गत् 16 सितंबर की सभा में ताज़ा समाचारों के बाद साप्ताहिक कार्यक्रम टी टाईम का नया अंक सुना जो अपेक्षा से थोड़ा कम रोचक रहा। कारण स्पष्ट था समय की कमी। जो श्याओ थांग जी के विशेष कार्यक्रम के चलते हुआ। पर आशा करते हैं कि आनेवाले समय में सब पहले की तरह प्रसारित किया जाने लगेगा। आज की पहली रिपोर्ट से ज्ञात हुआ कि बच्चों पर आवश्यकता से अधिक दबाव भी घातक हो सकता है। कम से कम चीन की यह घटना तो यही दर्शाती है। जिसमें बच्चे पर माँ ने अधिक दबाव बनाया और वह बच्चा होमवर्क से बचने हेतु इस घटना को अंजाम दे बैठा। वाकई यह हम सबके लिये उपदेशात्मक है कि हम बच्चों को प्रेम और स्नेह की भावना से अपने आवश्यक कार्य के प्रति प्रेरित करें। कार्यक्रम के अगले चरण मे याद्दाश्त पर अध्ययन और शोध के नए परिणामों पर विस्तार से बताया जाना रोचक और ज्ञानवर्धक लगा और चर्चा में स्पष्ट रूप से इस बात का खुलासा हुआ कि खानपान पर विशेष ध्यान और व्यायाम के साथ धुम्रपान न करना हमारे मस्तिष्क को चुस्त दुरूस्त रखने में अत्यन्त लाभकारी है।

    अनिलः हेल्थ टिप्स में रात के भोजन के समय और इससे सम्बन्धित लाभकारी बातों का ज़िक्र हमारा मार्गदर्शक और जीवनयुक्त लगा। वाकई आपके सुझाव पर हम आज ही से अमल करना आरम्भ कर देंगे। हंसगुल्लं के क्रम में तीसरा जोक सबसे उम्दा लगा और सवाल जवाब में सभी सही जवाब देने वालों में एक को विजेता चुना जाना चाहिये और कम से कम प्रमाणपत्र और छोटे मोटे उपहार से नवाज़ा जाना चाहिये। इससे इस कार्यक्रम के प्रति लोगों का रूझान और बढ़ेगा। आशा है हमारे निवेदन पर विचार किया जाएगा।

    आजके प्रश्न का उत्तर देने में नाम की थोड़ी बहुत गलती को क्षमां करें क्यूंकि आज रिसेप्शन कुछ खराब था और कार्यक्रम पूर्ण रूप से स्पष्ट सुनाई नही दे रहा था।

    वहीं केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने भी खत भेजकर प्रोग्राम के बारे में लिखा है। जबकि पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु, देबाशीष गोप और विधान चंद्र सान्याल ने भी ई-मेल भेजकर टी-टाइम प्रोग्राम के बारे में टिप्पणी की है।

    जोक्स.....

    सेल्समैन- सर, काक्त्रोच के लिए पाउडर लोगे क्या?

    संता- हम काक्रोच को इतना लाड़ प्यार नहीं करते है, आज पाउडर देगे तो कल डीयो मांगेगा!!

    सेल्समैन बिहोश

    अब दूसरा हंसगुल्ला.....

    एयर होस्टरेस ने पंडित से पूछा- सर क्या लेगे?

    पंडित- पूरी सब्जी, खीर

    एयर होस्टरेस- सर आप किंग फिशर के प्लेन में बैठे है न कि विजय माल्या के श्राद्ध में।

    अब पेश है आज के प्रोग्राम का अंतिम हंसगुल्ला.....

    टीचर- तीन ऐसी जगह बताओ, जहां इंसान मरता नहीं।

    चिंटू- स्वर्ग, नरक और.. स्टार प्लस।

    हंसने और हंसाने के बाद अब सवाल-जवाब की बारी है। दोस्तो हमने पिछले सप्ताह दो सवाल पूछे थे, पहला सवाल था- सोते वक्त इंसान का दिमाग क्या करता है, इस शोध को कहां के वैज्ञानिकों ने किया है।

    सही जवाब है, अधिक सक्रियता से काम करता है और यह निष्कर्ष कैम्ब्रिज और पेरिस के वैज्ञानिकों का है।

    दूसरा सवाल था- दुर्लभ ब्लड ग्रुप का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है। सही जवाब है, याददाश्त को कमज़ोर करता है।

    इन दोनों सवालों का सही जवाब हमें लिखकर भेजा है, झारखंड से एस.बी.शर्मा, सऊदी अरब से सादिक आजमी, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल, भागलपुर बिहार से हेमंत कुमार और पश्चिम बंगाल से देवाशीष गोप और रविशंकर बसु, विधान चंद्र सान्याल आदि ने।

    आप सभी को बधाई.....आगे भी हमारे सवाल सुनते रहिए। .....

    अनिलः अब आज के सवालों की बारी है। पहला सवाल है, जल्द ही भारत में कौन सा टीवी सीरियल शुरू होने वाला है।

    दूसरा सवाल है, भारत में जन्मी एक महिला विश्व में कौन से नंबर की शक्तिशाली महिला हैं। उनका क्या नाम है।

    अगर आपको इनका जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।.....हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn...... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें।

    अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही ...अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर,चाइ च्यान.....

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