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    आप की पसंद 140823
    2014-08-26 10:51:49 cri

    नमस्कार श्रोता मित्रों मैं पंकज श्रीवास्तव आपकी पसंद कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं। हर सप्ताह की तरह हम आज भी आपको देंगे कुछ रोचक,ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारियां और साथ में सुनवाएँगे आपकी पसंद के कुछ फिल्मी गाने।

    दिनेश:श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपको ढेर सारी दिलचस्प जानकारियां देते हैं साथ ही आपको सुनवाते हैं आपकी पसंद के फिल्मी गीत। आज हम जिस फिल्म का गाना आपको सुनवाने जा रहे हैं उसे हमने लिया है फिल्म .... कल आज और कल से जिसे गाया है किशोर कुमार ने संगीत दिया है शंकर जयकिशन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. भंवरे की गुंजन है मेरा दिल ...

    पकंज: दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में एक है द्वारिका: दुनिया भर के इतिहासकार मानते रहे हैं कि ईसापूर्व भारत में कभी कोई बड़ा शहर नहीं था। परन्तु द्वारिका की खोज ने दुनिया के इतिहासकारों को फिर से सोचने के लिए विवश किया। कार्बन डेटिंग 14 सिस्टम के अनुसार खुदाई में मिली द्वारिका की कहानी 9,000 वर्ष पुरानी है। इस शहर को 9-10,000 वर्षो पहले बसाया गया था। जो लगभग 2000 ईसापूर्व पानी में डूब गई थी।

    समुद्र में धरती से 36 मीटर की गहराई पर स्थित है शहर: ऎतिहासिक द्वारिका समुद्र में 36 मीटर की गहराई पर स्थित है। यहां पर पानी की तेज धारा बहती है जिसके चलते रिसचर्स को अध्ययन में काफी समस्याओं का सामना क रना पड़ा। यहां पर बड़े, विशालकाय और भव्य भवनों की संरचनाएं मिली है जिससे इस प्राचीन शहर की भव्यता का सहज ही अंदाजा होता है।

    लंबे समय तक छिपी रही द्वारिका: 1980 के दशक तक भारतीयों को भी पता नहीं था जिस द्वारिका में जाकर वह भगवान श्रीनाथजी के दर्शन करते हैं वह वास्तविक द्वारिका नहीं है बल्कि अलग है। 1980 के दशक में भारत सरकार ने जीएसआई के नेतृत्व में समुद्र में एक रिसर्च सर्वे करने का निर्णय लिया इस रिसर्च के दौरान ही खंभात की खाड़ी में ली गई रडार स्कैन इमेजेज से पानी में डूबी हुई द्वारिका की पहली झलक दुनिया को दिखाई दी।

    दिनेश: वैसे मुझे लगता है कि इस समय भी धरती के गर्भ में बहुत से ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं जिनके बारे में अभी किसी को मालूम नहीं है, मैक्सिको की माचू पिच्चू सभ्यता के बारे में भी लोगों को ऐसे ही पता चला था, अमेज़न के जंगलों में रहने वाले आदिवासियों के बारे में भी लोगों को अचानक ही पता चला था, फिर उन आदिवासी कबीलों पर शोधकार्य शुरु हुए, जिसके बाद दुनिया को इस रहस्य के बारे में पता चला, वैज्ञानिक नित नए आविष्कार कर रहे हैं जिसका इस्तेमाल हम कई बार अपने अतीत को जानने के लिये भी करते हैं। ठीक इसी तरह द्वारिका नगरी के बारे में भी लोगों को ऐसे ही जानकारी मिली थी, वैसे 1837 से पहले लोगों को मौर्य वंश के सम्राट अशोक भी किंवदंतियों की कथाओं के नायक लगते थे, लेकिन जब जेम्स प्रिंसेप ने ब्राह्मी लिपी को पढ़ने में सफलता पाई तब दुनिया को पता चला कि सम्राट अशोक किंवदंती या काल्पनिक पात्र नहीं बल्कि एक महान ऐतिहासिक सम्राट थे, हो सकता है कि ऐसे ही द्वारिका नगरी पर जो शोध हो रहे हैं इससे एक दिन हमें ये भी पता चले कि भगवान कृष्ण एक ऐतिहासिक पुरुष थे, क्योंकि प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में कहा गया है कि भगवान कृष्ण ने ही द्वारिका नगरी को बसाया था। खैर आगे बढ़ने से पहले हम उठाते हैं अपने श्रोताओं के पत्र और सुनवाते हैं उन्हें उनकी पसंद के गाने, ये पत्र हमारे पास आया है गढ़इया, शिवहर बिहार से, इसे लिखा है आत्माओ लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष एम एफ़ आज़म ने और इनके साथ ही इनके ढेर सारे मित्रों ने हमसे गाना सुनवाने की फरमाईश की है, आप सभी ने सुनना चाहा है हाथ की सफ़ाई फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर ने संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. वादा कर ले साजना ......

    पंकज: वैसे एक बात तो कहना पड़ेगा कि हमारे श्रोताओं की जो फिल्मी गानों की पसंद है वो है बहुत अच्छी, ये गाना मुझे भी बहुत पसंद है, इसके साथ साथ कई और गाने भी मुझे बहुत पसंद हैं, जिसकी फरमाईश अक्सर हमारे श्रोता हमसे सुनवाने के लिये करते हैं, खैर अब हम वापस रुख़ करते हैं अपनी चर्चा का, मित्रों 5 मील लंबे और 2 मील चौड़े क्षेत्रफल में बसी हुई थी द्वारिका: एक मानचित्र की तरह प्रतीत होने वाली इन इमेजेज़ में एक 5 मील लंबे तथा 2 मील चौड़े क्षेत्रफल में व्यस्थित तरीके से मानव निर्मित संरचनाएं दिखाई दी जिस पर भारत सरकार ने प्रोफेशनलस की टीम बना कर अध्ययन करने का निर्णय लिया। इस टीम ने पानी की गहराई में जाकर डूबे हुए शहर की फोटोग्राफ्स ली और विस्तृत अध्ययन किया। इसके बाद ही द्वारिका को उसका गौरव मिल सका और भारतीयों समेत दुनिया भर के इतिहासकारों ने मानव इतिहास की एक अनूठी और भव्य खोज माना।

    और मित्रों अब हम आपको बताते हैं कि हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में द्वारिका नगरी का कितना महत्व है, महाभारत में कहा गया है कि द्वारिका नगरी को भगवान कृष्ण ने बसाया था।

    द्वारिका की भूमि पर कृष्ण ने किया था युद्ध: महाभारत के अनुसार द्वारिका की भूमि कृष्ण और राजा शाल्व के बीच हुए युद्ध का भी गवाह बनी थी। इस युद्ध में राजा शाल्व ने कृष्ण पर उड़ते हुए विमान में बैठकर हमला किया था। उसके चलाए अस्त्र से घातक ऊर्जा निकली जिसने आसपास का सभी कुछ नष्ट कर दिया। इसके जवाब में कृष्ण ने अपने शस्त्र चलाए जो दिखने में साधारण तीर थे परन्तु उनसे सूर्य जैसी प्रचंड ऊर्जा निकल रही थी। इन शस्त्रों के प्रयोग से राजा शाल्व हार गया और उसे मैदान से भागना पड़ा।

    कालयवन और जरासंध से मथुरावासियों को बचाने के लिए बसाई थी द्वारिका: मथुरा पर लंबे समय तक यादवों के प्रबल शत्रु जरासंध तथा कालयवन के हमले होते रहे। 17 बार इन हमलों का जवाब देने के बाद कृष्ण ने समुद्र से कुछ जमीन मांगी। समुद्र ने वासुदेव को प्रभास पाटन (वर्तमान के सोमनाथ शहर) से 20 मील दूर समुद्र में थी। हरिवंशपुराण में द्वारिका को वारि दुर्ग (पानी का किला) कहा गया है। इससे स्पष्ट होता है कि द्वारिका वास्तव में समुद्र में स्थित एक द्वीप थी जहां से निकटस्थ जगहों पर पहुंचने के लिए नावों का सहारा लिया जाता था।

    दिनेश: ये जानकारी वैसे भी बहुत बढ़िया है जो हमें हमारे अतीत को जानने के बारे में मदद करती है, लेकिन मुझे लगता है कि अगर हम ऐसे ही और शोध करें तो हम और भी कई रहस्यों पर से पर्दा उठा सकते हैं, उदाहरण के लिये रामायण युग के बारे में श्रीलंका में पुरातत्व विदों ने उस समय के कुछ सामान को खोज निकाला था जब लंकेश्वर रावण ने सीता माता का अपहरण किया था और सीता माता ने रावण के विमान में से धरती पर अपने गहने और कुछ खाने पीने का सामान गिराया था जिसे ढूंढते ढूंढते भगवान राम श्रीलंका तक पहुंचे थे, पुरातत्वविदों ने उस पर्वत को भी दिखाया था जहां पर रावण ने अपना विमान उतारा था, ठीक ऐसे ही कुछ पुरातत्व विदों द्वारा ये भी माना जाता है कि कानपुर के पास बिठूर वो जगह है जहां पर माता सीता धरती में समा गई थीं, और कानपुर के पास ही एक धार्मिक जगह है जहांपर सीता रसोईं भी बताई जाती है, इसी तरह से मध्यप्रदेश का चित्रकूट, पंचवटी के जंगल ये सभी वो जगह हैं जिनका जिक्र रामायण में मिलता है, हो सकता है जो बातें आज सिर्फ धर्म शास्त्रों का हिस्सा हैं, अगर इन विषयों पर शोध किया जाए तो हमें इनकी ऐतिहासिकता के बारे में भी पता चले, जिसके साथ ही कई और हिन्दू देवी देवता धर्म ग्रंथों से निकलकर ऐतिहासिक व्यक्ति भी बन जाएं, खैर अब मैं उठाने जा रहा हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है मंदार श्रोता संघ बांका बिहार के कुमोद नारायण, बाबू, गीतांजलि, सनातन, अभय प्रताप गोलू, कृष भूटानी और इनके बहुत सारे मित्रों ने, आप सभी ने सुनना चाहा है हीरालाल पन्नालाल फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुलदेव बर्मन ने, गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. ओ पड़ोसन की लड़की ....

    पंकज: देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्मा ने बनाया था नक्शा: कृष्ण के आदेश देने पर देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्मा ने द्वारिका की बसावट का नक्शा बनाया। उन्होंने सोने, चांदी, पत्थर तथा अन्य धातुओं से भवनों का निर्माण किया। निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद कृष्ण ने योगमाया का आश्रय लेकर सभी मथुरावासियों को रात में सोते हुए द्वारिका पहुंचा दिया और सभी को उनकी योग्यता के हिसाब से रहने के स्थान प्रदान किए।

    द्वारिकाधीश नहीं थे द्वारिका के राजा: भगवान कृष्ण को द्वारिकाधीश कहा जाता है हालांकि वह इसके वास्तविक राजा नहीं थे। बल्कि उनके बड़े भाई बलराम ही वास्तविक प्रशासक थे। परन्तु जनता में कृष्ण इतने लोकप्रिय थे कि उन्हीं को द्वारिकाधीश कहा जाने लगा।

    कृष्ण के देवलोक प्रयाण करते ही समुद्र में समा गई थी द्वारिका: महाभारत के युद्ध के पश्चात गांधारी ने कृष्ण को श्राप दिया कि जैसे कौरव वंश का नाश हुआ वैसे ही यदुवंश भी नष्ट हो जाएगा। कृष्ण ने इस श्राप को गांधारी का आदेश मान कर सहज ही स्वीकार कर लिया। अपने अंतिम समय में लीला पूरी करने के बाद कृष्ण एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे तभी उनके पैर में एक तीर लगा और उन्होंने सशरीर देवलोक को प्रयाण किया। जिसके तुरंत बाद द्वारिका वापिस समुद्र में समा गई। पुराणों के अनुसार द्वारिका धरती का हिस्सा नहीं थी बल्कि कृष्ण द्वारा समुद्र से कुछ समय के लिए उधार मांगी गई भूमि थी जिसे कृष्ण के जाते ही समुद्र ने वापिस अपने में समा लिया।

    दिनेश:खैर अभी मैं आपको यहां पर रोकना चाहूंगा क्योंकि इस समय मेरे हाथ में हमारे एक चिर परिचित पुराने श्रोता का पत्र है, ये हैं शिवाजी चौक, कटनी मध्यप्रदेश से अनिल ताम्रकार, अमर ताम्रकार, संतोष शर्मा, रज्जन रजक, राजू ताम्रकार, दिलीप वर्मा, रविकांत नामदेव, पवन यादव, सत्तू सोनी, अरुण कनौजिया, संजय सोनी, लालू, सोना, मोना, हनी, यश, सौम्या और इनके मम्मी पापा, आप सभी ने सुनना चाहा है पुकार फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार, आशा भोंसले और राहुल देव बर्मन ने गीतकार हैं गुलशन बावरा और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. बच के रहना रे बाबा ....

    पंकज: सुनामी से तबाह हो गई थी द्वारिका: द्वारिका की रिसर्च से जुड़े वैज्ञानिकों का मानना है कि द्वारिका संभवया सुनामी की ऊंची लहरों के प्रभाव में आकर ही समुद्र में समा गई। ऎसा समुद्र का जलस्तर बढ़ने के कारण भी हो सकता है परन्तु वास्तविकता में क्या हुआ था, इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता।

    पंकज: मित्रों इस जानकारी के बाद हम आपको देने जा रहे हैं एक और महत्वपूर्ण जानकारी जो हमारे पास आई है मध्यप्रदेश से, जहां पर हीरे की कीमत में मिट्टी को बेचा गया, आप सुनकर हैरान हो गए होंगे लेकिन ये खबर एकदम सही है, और हीरे की टक्कर में मिट्टी, बिकी 12 लाख रूपए में

    मध्यप्रदेश में एक ऎसा भी जिला है जहां मिट्टी तक को नीलाम कर दिया जाता है। हीरे की नीलामी तो यहां पाक्षिक होती है, लेकि न मिट्टी के दाम भी यहां अच्छे खासे लगाए जाते हैं। प्रदेश के पन्ना जिले में मिट्टी को नीलाम किया गया, जिसे खरीदा भी गया तो12 लाख रूपए में।

    हीरे की कीमत जौहरी ही जान सकता है, ऎसे में हीरों के शहर में मिट्टी बिकना कोई बड़ी बात नहीं है। फिर भी जो भी मिट्टी की नीलामी के बारे में सुनता है, चौंक जाता है।

    पन्ना जिले में एक सिरस्वाह डेम का निर्माण किया जा रहा है। इस स्थान पर पहले हीरे की खदान हुआ करती थीं। डेम के लिए जब खुदाई की गई तो उससे निकलने वाली मिट्टी को पन्ना में स्थित अतिरिक्त हीरा विभाग ने सुरक्षित रखवा लिया।

    ग्रेवर डस्ट (चाल) के नाम से जानी जाने वाली इस मिट्टी के लिए नीलामी में बाकायदा व्यापारी वर्ग के लोग शामिल हुए। मिट्टी को हीरा विभाग ने 12 लाख रूपए में बेच दिया।

    जानकारों के अनुसार जिस स्थान पर हीरे की खदानें होती हैं वहां की मिट्टी को भी सुरक्षित रखा जाता है। इनमें से भी हीरे की डस्ट निकलने की संभावना होती है।

    दिनेश: इस खबर को सुनने के बाद तो ऐसा लग रहा है कि, वाकई मिट्टी में कितने प्रकार के खनिज और बेशकीमती पत्थर छुपे हुए हैं, जिनकी कीमत लाखों और करोड़ों में होती है, खैर ये जानकारी बहुत दिलचस्प है और अब मैं आप सभी को अपने श्रोताओं की पसंद का गाना सुनवाने जा रहा हूं, हमारे पास ये पत्र आया है विश्व रेडियो लिस्नर्स क्लब चौक रोड कोआथ रोहतास बिहार से, ये पत्र हमें लिखा है सुनील केशरी और इनके सभी मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है ज़माने को दिखाना है फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्म्द रफ़ी और आशा भोंसले ने, गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी, संगीत दिया है राहुलदेव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. पूछो ना यार क्या हुआ ....

    पंकज: मित्रों अगली खबर हमारे पास आई है मध्य अमेरिकी देश वेनेज़ुएला से, जहां पर एक शख्स ने नोटों से भरी 80 प्लास्टिक की थैलियों को निगल लिया, कराकस। पैसे के लिए इंसान सबकुछ कर सकता है, लेकिन इस के शख्स के जैसा नहीं। क्योंकि कोई भी इंसान पैसा के लिए हर काम कर सकता है, लेकिन अपनी जान का सौदा नहीं कर सकता। इतना ही नहीं बल्कि पैसे के लिए इस शख्स द्वारा किया गया काम जितना खतरनाक है उतना ही आश्चर्यजनक भी है।

    मिरर के मुताबिक जमैका के मॉनटिगो बे एयरपोर्ट पर एक ऎसे शख्स को गिरफ्तार किया गया है जिसके पेट में नोटों से भरी 80 प्लास्टिक की थैलियां पाई गई। जी हां, यह सच है और मॉनटिगो बे के सैंगस्टर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है इस शख्स की जांच करने वाले अधिकारी भी इसकी करतूत को जानकर एकबार तो चकरा गए।

    आगे की जांच में सामने आया कि 41 वर्षीय ऎडी ऎल्बीरीयो ओरेटगा नाम का यह शख्स जमैका के दूसरे सबसे बड़े शहर मॉनटिगो बे से त्रिनिदाद जा रहा था। उसी समय पुलिस ने इसकी जांच की और गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद सामने आया है कि ऎडी के पेट से जो 80 थैलियां मिली हैं उसमें 103500 डॉलर्स रखे हुए थे। भारतीय मुद्रा में यह रकम लगभग 63 लाख रूपए होती है। इसके बाद जिसने भी इस घटना के बारे में सुना वो दंग रह गया।

    दरअसल यह ऎडी एक कैदी था जो पिछले 8 महीनों से पुलिस के कैद में था और हाल ही में जेल से रिहा हुआ था। लेकिन, जेल से निकलते इसने ये काम कर डाला जिससें उसे फिर से तीन महीनों की जेल हो गई है।

    दिनेश: और अब हम सुनवाने जा रहे हैं कार्यक्रम का अगला गाना जिसके लिये हमें पत्र लिखा है धर्मेन्द्र सिंह और इनके सभी परिजनों ने, इन्होंने हमें पत्र लिखा है मल्तोर, जिला सागर, मध्यप्रदेश से आप सभी ने सुनना चाहा है मस्त फिल्म से जिसे गाया है सोनू निगम और सुनिधि चौहान ने संगीत दिया है संदीप चौटा ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 6. रुकी रुकी सी ज़िंदगी ....

    पंकज: तो मित्रों इस गाने के साथ ही हमें आपकी पसंद कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दें, अगले सप्ताह हम आज के दिन और आज ही के समय पर फिर आपके सामने आएंगे कुछ रोचक, ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के साथ और आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के कुछ मधुर फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    दिनेश : नमस्कार।

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