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    मेरी देश की धरती
    2014-08-25 08:59:55 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    वनिता:दोस्तो, आज का पहला खत भेजने वाले हैं, पश्चिम बंगाल से विधान चंद्र सान्याल । वे लिखते हैं कि मै सी आर आई हिन्दी सेवा का नियमित श्रोता और वेबपेज पाठक हूं। हमेशा का तरह हिंदी वेबसाइट पर जानकारी और लेख पढ़ता हूं। इसके माध्यम से चीन समेत वैश्विक राजनीति , अर्थव्यवस्था, विज्ञान, पर्यावरण , खेल और मनोरंजन सहित समसामयिक मुद्दॉ पर अपने ज्ञान को अपडेट करने के लिए मुझे मदद मिलती है। आपकी वेबसाइट इस दिशा में अच्छा काम कर रही है। इसके अलावा श्रेष्ठ पत्र प्रेषकों का चुनाव भी हिन्दी वेबसाइट के पाठकॉ के लिए मुख्य आकर्षण का केन्द्र है। आगे लिखते हैं कि मैं आपके यहां मॉनिटर के तौर पर काम करना चाहता हूं। आशा है कि मुझे इस योग्य समझा जाएगा।

    अनिलः आगे लिखते हैं कि भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश मेँ विशाल हरे भरे घास के मैदान का दौरा और मंगोल जाति के विशेष रीति रिवाजॉ का नया अनुभव महसूस करने का मौका देने के लिए धन्यवाद। पेइचिंग से सिर्फ तीन घंटे की दूरी पर स्थित प्राकृतिक घास का मैदान है । मुझे यह सुनकर अच्छा लगा कि नीला आसमान , सफेद बादल , विशाल घास के मैदान और घोड़ॉ के झुंड यहां के शानदार दृश्य हैं। पश्चिमी भाग मेँ ऊंट की जन्मभूमि नाम से प्रसिद्ध अराशान और अरडोस पठार असीमित गोबीस्तान व विशाल रेगिस्तान ने भी अपनी विशेष पहचान बना रखी है। चीन का भ्रमण कार्यक्रम के माध्यम से यहाँ की सुंदरता के बारे मेँ जो सुना है। उसे अपनी आंखॉ से देखना चाहता हूं। ।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि सच्चा दोस्त जीवन की अमूल्य निधि होता है। फ्रेंडशिप डे के मौके पर सी आर आई हिन्दी सेवा के सभी कर्मचारियों को बहुत बहुत बधाई। मित्रता या दोस्ती का दायरा इतना व्यापक है कि इसे शब्दॉ मेँ बांधा नही जा सकता । दोस्ती वह प्यारा सा रिश्ता है जिसे हम अपने विवेक से मनाते हैं। दोस्ती की बात पर याद आया कि अगस्त माह का प्रथम रविवार फ्रेण्डशिप डे के रूप मेँ मनाया जाता है । अमेरिकी कांग्रेस द्वारा 1935 मेँ अगस्त माह के पहले रविवार को दोस्तॉ के सम्मान मेँ राष्ट्रीय मित्रता दिवस के रूप मेँ मनाने का फैसला लिया गया था । इस अहम दिन की शुरुआत उद्देश्य प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उपजी कटुता को खत्म कर मैत्रीपूर्ण भाव कायम करना था । पर कालान्तर मेँ यह सर्वव्यापक होता चला गया । दोस्ती का दायरा समाज और राष्ट्रॉ के बीच ज्यादा से ज्यादा बढ़े । इसके मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र संघ ने बकायदा 1997 मेँ लोकप्रिय कार्टून कैरेक्टर विन्नी को पूरी दुनिया के लिए दोस्ती के राजदूत के रूप मेँ पेश किया । फ्रेण्डशिप डे के मौके पर सब मिलकर बोलिए। - "ये दोस्ती हम नहीँ तोडेंगे " ।

    अनिलः दोस्तो आज का दूसरा खत हमें भेजा है श्रोता डॉ.गुणशेखर ने। लिखते हैं कि चीन और जापान ने रेलवे के क्षेत्र में अद्भुत कीर्तिमान स्थापित किए हैं। भारत और चीन को इस क्षेत्र साथ आते देखकर मुझे बहुत ख़ुशी है.पहिए के अविष्कार के बाद दुनिया इतनी तेज़ी से भागी कि वह देवों से भी आगे निकल गई.आशा है भारतीय रेलवे भी इन देशों की तरह तेज़ गति वाली ट्रेनें चलाकर भारत को तरक्की की ओर ले जाएगी.केवल गति भी कभी-कभी दुर्गति कारण बन जाती है.इसलिए हम भारतीय रेलवे से हवाई यात्रा की तरह पुख्ता सुरक्षा प्रबंधन के साथ तीव्रगामी ट्रेनों के शीघ्र ही परिचालन की उम्मीद रखते हैं.

    वनिता:अगला खत भेजा है सऊदी अरब से मुहम्मद सादिक आज़मी ने। वे लिखते हैं कि दिनांक 9 अगस्त का साप्ताहिक कार्यक्रम आपकी पसंद सुना जिसे प्रस्तुत किया पंकज जी और अंजलि जी ने । सर्वप्रथम मैं पंकज जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। जो हर सप्ताह निज नई जानकारी और रोचक आविष्कारों से अवगत कराते हैं। इस बार का अंक भी लाजवाब रहा। शुरुआत मे ग्रहों पर जीवन तलाशते अमरीकी वैज्ञानिकों की चेष्टाओं पर व्यापक तौर पर प्रकाश डाला जाना रोचक लगा। वास्तव में अगर वहां आक्सीज़न बनाने मे सफलता मिलती है तो मानव जीवन सम्भव होगा। पर क्या सिर्फ आक्सीज़न की प्राप्ति ही जीवन बसाने के लिये पर्याप्त होगा। क्या जीवन की मूल सुविधाओं को भी वहां से पूरा किया जाना सम्भव है। यह वर्तमान का सबसे बड़ा सवाल है। लेकिन इसका जवाब भी आने वाले समय मे ही हमको मिलेगा। फ़िलहाल तो अंजलि का कथन ही सत्य लगता है कि यह एक फ़िल्मी कहानी लगती है। पर जैविक पत्ती से आक्सीज़न के निर्माण से संकेत मिलता है कि आने वाले समय मे नासा को एक बड़ी उपलब्धि मिलने वाली है। और यह कथन भी सत्य है कि हमको कभी नाउम्मीद नही होना चाहिये, सदैव प्रयासरत रहना चाहिये और हम दिल से वैज्ञानिकों की सफलता की कामना भी करते हैं। अच्छी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

    अनिलः आगे लिखते हैं कि आपके प्रोग्राम में विशेषकर आधुनिक युग का नमूना पेश करती दुबई के शेख़ की वह योजना जो पूरे दुबई के वातावरण को एयरकंडीशन की सहायता से परिवर्तित कर देगा। यानी सर्दी के मौसम मे गर्मी का एहसास और गर्मी के दिनों में मस्तीली ठंडक का लुत्फ । आपका कहना सही है कि खाड़ी के देश भविष्य में आर्थिक संकट को लेकर वर्तमान मे चिन्तित हैं और ऐसा होना भी चाहिये। कहते हैं अक़्लमन्दी उसी में है जो समय रहते अपने दुखों की इलाज करे और आज ही कल के बारे में सोचे । इसके बाद एक और अचम्भे में डालने वाली खबर सुनने को मिली कि इजराइल ने एक ऐसा चश्मा बनाया है जो खराब मौसम में भी दूर के दृश्यों को साफ और स्पष्ट दर्शाएगा सचमुच यह बहुत लाभकारी आविष्कार है। मानव हित में विशेषकर यातायात के क्षेत्र में वाकई यह उत्साहित करने वाली खबर है। अगर इसे सार्वजनिक किया जाता है तो बहुत हद तक सड़क दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा । आशा करते है इसे शीघ्र बाज़ार मे उपलब्ध करवा दिया जाएगा। तमाम जानकारी के लिए धन्यवाद।

    वनिता:अब समय हो गया है प्रोग्राम को आगे बढ़ाने का। नेक्स्ट खत हमें भेजा है, बिहार से हेमंत कुमार ने। वे लिखते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार दुनिया मेँ बाघोँ की संख्या मेँ लगातार गिरावट जारी है। बाघोँ की तीन प्रजातियां- बाली, कैस्पियन और जावा पूरी तरह विलुप्त हो चुकी है। जलवायु परिवर्तन के कारण इस शानदार वन्य जीव के रहने के ठिकाने पर संकट तो इसकी घटती संख्या के लिए जिम्मेवार है, पर इसका सारा दोष प्रकृति पर ही नहीँ थोपा जा सकता है। बाघोँ की कम होती संख्या का सबसे बड़ा कारण मनुष्य द्वारा उनका शिकार है। लंबे अरसे से बाघोँ की खाल, दांत आदि रखना धनी व ताकतवर लोगोँ के रुतबे का प्रतीक रहा है। इस जानवर का शिकार वीरता के प्रदर्शन का भी सूचक माना जाता है।

    अनिलः दोस्तो, इस के साथ साथ हेमंत कुमार ने एक सवाल भी पूछा है कि चीन मेँ अनाथ बच्चोँ के लिए सरकार क्या-क्या सुविधा उपलब्ध कराती है?

    वनिता:दोस्तो, चीन सरकार अनाथ बच्चों के सवाल पर बड़ा ध्यान देती है। इन बच्चों के लिए सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था है, जिसमें जीवन, आवास और शिक्षा की नीतियां शामिल हैं। इन बच्चों के बड़े होने के बाद समाज में काम करने के लिए सरकार संबंधित सहायता देती है और प्रशिक्षण भी प्रदान करती है।

    अनिलः दोस्तो, कर्नाटक से हमारे श्रोता डाँ. सुनील कुमार परीट एक वरिष्ठ हिन्दी अध्यापक हैं। उन्होंने हमें एक कविता भेजी, शीर्षक है मेरी देश की धरती।

    विषय इस प्रकार है कि,

    'मेरी देश की धरती'

    देखे सोना उगले

    पर देश का सोना

    ये सारे खाग निगले॥

    'मेरी देश की धरती'

    हरा भरा घास उपजे

    जानवरों की तरह

    ये सारे बेईमान चपटे॥

    'मेरी देश की धरती'

    धर्म संस्कृति की खान

    स्वार्थपरता में लिपटे नेता

    लेते हैं उसकी जान॥

    'मेरी देश की धरती'

    खिले फूल खुशबू के

    बकासूर सा नेता देखो

    पीता है खून चूस के॥

    'मेरी देश की धरती'

    जन्में थे महान विभूति

    अब टपक गये हैं कैसे नेता

    दीन बनी देश की स्थिति॥

    'मेरी देश की धरती'

    संसार में आदर्श संस्कृति

    जनता से दूर पसार है नेता

    भूत से भी भयंकर विकृति॥

    'मेरी देश की धरती'

    सुंदर हरियाली खेती

    नेता ही दलाल बनकर

    छीन रहे हैं गरीब की रोटी॥

    वनिता:दोस्तो अगला खत आया है केसिंगा ओड़िशा से, इसे भेजने वाला हैं, सुरेश अग्रवाल। लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के छान्तु प्रीफेक्चर स्थित इरि घाटी में हो रहे निरन्तर विकास से वहां के ग़रीब किसान और चरवाहों के जीवन में आयी खुशहाली की कहानी सुनी, जो कि इस बात की द्योतक है कि चीन सरकार इस क्षेत्र पर कितना ध्यान देती है। काउन्टी के 62 वर्षीय बुजुर्ग लो तो तथा अधिकारी लिउ फुंग की ज़ुबानी विगत दस वर्षों में हुये वहां के क्रमिक विकास, जिसमें सौर ऊर्जा से गाँवों को रोशन करने वाली स्वर्णसूर्य परियोजना भी शामिल है, पर दी गई जानकारी काफी उत्साहवर्धक लगी। वैसे भी यह क्षेत्र राजा केसर की गाथाओं का गाने वाला माना जाता है। कार्यक्रम के अगले भाग में हर वर्ष मार्च-अप्रैल में खिलने वाले आड़ू-फूलों के अलावा समुद्रतल से रिकॉर्ड ऊँचाई पर होने वाली मांगखांग नमक की खेती का प्रसंग भी बेहद सूचनाप्रद लगा। नमक उत्पादन कार्य में लगीं नाशि जातीय महिलायें और कोई एक हज़ार साल पुराना मांगखांग नमक उत्पादन केन्द्र प्राचीन चायघोड़ा मार्ग पर स्थित है, जानकारी भी हमारे ज्ञान को दुरुस्त कर गयी। धन्यवाद।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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