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    टी टाइम 140826 (अनिल और ललिता)
    2014-08-26 11:13:11 cri

    अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ... आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार। ....

    अनिलः दोस्तो वैसे एक सप्ताह में सात दिन होते हैं, लेकिन हमें आपके लिए प्रोग्राम पेश करने का बड़ा इंतजार रहता है। तो क्या कर रहे हैं आप लोग, रेडियो सेट ऑन किया कि नहीं, अगर नहीं तो जल्दी कीजिए। क्योंकि टी-टाइम प्रोग्राम हो चुका है शुरू।

    अनिलः योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने वाले बीकेएस अयंगार का पिछले दिनों निधन हो गया, वे 96 साल के थे। बीकेएस अयंगार के नाम से मशहूर योग गुरु बेल्लूर कृष्णमाचार सुंदरराजा अयंगार ने पुणे के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।

    उनका जन्म कर्नाटक के कोलार ज़िले के बेल्लूर गांव में हुआ था। उन्होंने अयंगार योग की स्थापना कर इसे दुनियाभर में लोकप्रिय बनाया। अब से पचास-साठ पहले योग को भारत की सीमा से बाहर ले जाकर ख्याति दिलाने वाले लोगों में सबसे बड़ा नाम बेल्लूर कृष्णमाचार सुंदरराजा अयंगार का है।

    योग सिखाने का उनका ख़ास तरीक़ा उनके नाम से ही जाना जाने लगा, अयंगार योग का अभ्यास करने वाले लाखों लोग दुनिया भर में फैले हैं।

    योग पर दर्जन भर से अधिक किताबें लिखने वाले अंयगार की ख्याति कुछ इस तरह फैली कि ऑक्सफर्ड डिक्शनरी में अयंगार संज्ञा का अर्थ 'अष्टांग योग की एक शाखा' की तरह दिया गया है।

    तीन सप्ताह पहले उन्हें सांस लेने में तकलीफ़ हो रही है और इसके बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनके गुर्दा भी ठीक से काम नहीं कर रहे थे।

    ललिताः एक स्कूल टीचर के बेटे बीकेएस को बचपन में टीबी ने दबोच लिया था जिससे उबरने के बाद उनके पिता ने उन्हें योग सीखने के लिए पुणे भेज दिया, इसके बाद से योग से उनका रिश्ता कभी नहीं टूटा।

    पुणे को लोग भले ही रजनीश के आश्रम की वजह से जानते हों लेकिन इसी शहर में उनका आश्रम है, 1975 में अपनी दिवंगत पत्नी की स्मृति में 'रमामणी अयंगार संस्था' शुरू की जहां देश-विदेश से लोग आते हैं।

    उनका इलाज करने वाली डॉक्टर कहते हैं कि वे अस्पताल में भर्ती होने के लिए तैयार नहीं थे, शायद उन्हें विश्वास था कि 96 साल पुराना उनका शरीर योगाभ्यास की वजह से इतना चुस्त है कि अपने-आप ठीक हो जाएगा।

    बताया जाता है कि बेल्जियम की रानी को भी उन्होंने 80 वर्ष की आयु में शीर्षासन करवाया था।

    अनिलः अयंगार के निधन की ख़बर आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियां बीकेएस अयंगार को महान गुरू और शिक्षाविद् के रूप में याद रखेंगी जो पूरी दुनिया के बहुत सारे लोगों को योग से परिचित कराने में सफल रहे।

    इतना ही नहीं टाइम मैगज़ीन ने 2004 में दुनिया के सबसे प्रभावशाली 100 लोगों की सूची में उनका नाम शामिल किया था और इसी वर्ष उन्हें पद्मविभूषण सम्मान भी दिया गया।

    अंयगार ने जिन लोगों को योग सिखाया, उनमें जिद्दू कृष्णमूर्ति, जयप्रकाश नारायण, येहुदी मेनुहिन जैसे नाम शामिल हैं।

    ललिताः कुछ लोग कभी-कभार अपने दोस्तों या परिजनों से बिछुड़ जाते हैं। तेईस साल की गुड़िया के साथ भी कुछ यही हुआ। उनकी कहानी फिल्म सरीखी लगती है। वर्ष 1996 में महज छह साल की उम्र में एक ट्रेन में यात्रा के दौरान वह घर-वालों से बिछड़ गई। लेकिन 15 अगस्त को जिस दिन पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, उसी दिन उसका अपने माता-पिता से मिलन हो गया। यानी उसे अपने परिजनों से मिलने में पूरे 17 साल लगे।

    अनिलः गुड़िया के पिता का नाम छोटे लाल यादव है, वे पटना के फुलवारीशरीफ इलाके के सबजपुरा मोहल्ले में रहते हैं।

    गुड़िया असम के गुवाहाटी में रहने वाले दंपति नीलाक्षी शर्मा और राजू सिंह की कोशिशों से अपने घर वापस पहुंच सकी। नीलाक्षी असम राज्य बाल संरक्षण समिति के लिए काम करती हैं और उनके पति राजू व्यवसायी हैं।

    गुड़िया के बिछड़ने के बारे में छोटे लाल यादव बताते हैं, "वह अपने मामा अजित के साथ ट्रेन से गुवाहाटी जा रही थी। अजित बरौनी स्टेशन पर उतरे तो उन्हें प्लेटफॉर्म पर ही नींद आ गई और गुड़िया ट्रेन के साथ गुवाहाटी पहुंच गई।"

    इसके बाद लगभग 15 साल का लंबा समय गुड़िया ने गुवाहाटी और नवगांव के सरकारी शिशु गृहों में बिताया। फिर वह 2012 में नीलाक्षी और राजू के परिवार का हिस्सा बनी। बताते हैं कि गुड़िया नीलाक्षी के घर रहने के दौरान अक्सर उदास रहती थी, इस पर नीलाक्षी और अन्य लोगों ने उसके परिवार को ढूंढने का फैसला किया।

    भले ही आज गुड़िया अपने परिजनों से मिल गई हो, लेकिन उसे अपनों से मिलाने का काम आसान नहीं था।

    गुड़िया को अपने अतीत के बारे में कुछ ही बातें याद थीं। गुड़िया बताती थी कि उनके पिता का नाम सतन राय है, जो एक बिस्कुट फैक्टरी में काम करते हैं। उसके घर के पास से रेल गुजरती है और घर के सामने एक कुम्हार का घर है।

    ललिताः इतनी सी जानकारी के सहारे ही दंपति ने गुड़िया का परिवार ढूंढना शुरू किया। उन्होंने पहले गूगल सर्च के सहारे बिहार की बिस्कुट फैक्टरियों की सूची निकाली और उसके साथ पिछले महीने के अंतिम सप्ताह में पटना आ गए।

    पटना में उन्होंने राज्य चुनाव आयोग कार्यालय जाकर सतन राय नाम के ऐसे लोगों को ढूंढना शुरू किया जो इन बिस्कुट फ़ैक्टरियों के पास रहते थे।

    अनिलः फिर नाम और पतों के साथ उन्होंने मोकामा और हाजीपुर जाकर नए-पुराने बिस्कुट फैक्टरियों वाले इलाके में जाकर गुड़िया के परिवार को ढूंढने की कोशिश की। लेकिन उन्हें वहां निराशा हाथ लगी। लेकिन दंपति ने हिम्मत नहीं हारी।

    वापस गुवाहाटी पहुंचकर दंपति ने गूगल के सहारे नालंदा बिस्कुट फैक्टरी के निदेशक सुनील अग्रवाल का नंबर खोजा और उन्हें फोन किया। कुछ देर के बाद उन्होंने वापस फोन कर बताया कि सतन राय नहीं लेकिन सत्येंद्र राय नाम का उनका एक कर्मचारी है।

    साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि सत्येंद्र का मकान मालिक छोटेलाल यादव भी उनकी ही फैक्टरी में काम करता है और छोटेलाल यादव की बेटी भी 1996 में गुम हो गई थी।

    ललिताः इसके बाद दंपति ने ई-मेल के जरिए छोटेलाल और उनकी पत्नी पंजीरिया देवी की तस्वीर मंगाई। और फिर चेहरा, घटना क्रम और छोटेलाल यादव के घर के आस-पड़ोस की तस्दीक करने के बाद उन्हें यह यकीन हो गया कि गुड़िया छोटेलाल की ही गुम हुई बेटी है।

    इस सबके बाद अगस्त के शुरुआत में छोटेलाल अपनी पत्नी और बेटे के साथ गुवाहाटी जाकर गुड़िया से मिल भी आए।

    अनिलः गंगा जिसे हमने जीवदायनी मां भी कहते हैं, नदियां भारत में पवित्र और मां के समान मानी जाती हैं, लेकिन पिछले कुछ दशकों से नदियां प्रदूषण और गंदगी का पर्याय बन चुकी हैं। यह लोगों के जीवन में पवित्रतता लाने के बजाय बीमारियां लेकर आती है। हालांकि अब तक आई सभी सरकारें गंगा और यमुना आदि नदियों को साफ करने के नाम पर अरबों रुपए बहा चुकी हैं। लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। लेकिन जब से मई में भाजपा की नई सरकार बनी है, तब से फिर से गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए योजना बनाने के लिए दावे किए जा रहे हैं। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जल संसाधन मंत्री उमा भारती गंगा प्रोजेक्ट पर विशेष रुचि दिखा रहे हैं। देखना है कि इस बार के दावे कितने हकीकत में बदल पाते हैं।

    इसी कड़ी में गंगा की स्वच्छता को लेकर मोदी सरकार ने समय सीमा भी तय कर ली है। केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने दावा किया कि अगले तीन साल में गंगा की कम से कम एक अविरल धारा सुनिश्चित कर ली जाएगी। जल के महत्व को देखते हुए सरकार 2015-16 को जल संरक्षण वर्ष के रूप में भी मनाएगी।

    निर्मल गंगा मोदी सरकार के अति महत्वपूर्ण एजेंडे में शामिल है। यही कारण है कि सरकार गठन के पहले दो महीने में ही नमामि गंगा योजना की घोषणा भी हो गई और शुरुआती बजट भी आवंटित कर दिया गया।

    ललिताः उमा भारती ने कहा कि वर्ष 2015-16 जल संरक्षण पर केंद्रित होगा। विकास के लिए जल अहम है। लिहाजा इसे भी जन अभियान की तरह मनाया जाएगा। उन्होंने नदियों के जोड़ने को भी जरूरी बताया। जल की आपूर्ति के लिए भी यह जरूरी है।

    अनिलः दोस्तो, उम्मीद करते हैं कि इस बार के प्रयास सिर्फ कागजों तक ही सीमित नहीं रहेंगे। करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट के बाद आखिरकार कुछ तो नदियों को साफ किया ही जाएगा।

    अगर चीन या यूरोप की बात करें तो, वहां भी तमाम नदियां गंदगी और प्रदूषण की पर्याय बन चुकी थी, लेकिन सरकार और लोगों के गंभीर प्रयासों से इनमें साफ पानी बह रहा है। इसके साथ ही ये पर्यटकों और परिवहन का माध्यम भी बनी हैं।

    अनिलः अब हेल्थ टिप्स की बात करते हैं।

    अगर आपका वजन पर नियंत्रण नहीं है तो जान लें कि बढ़ता मोटापा 10 अलग-अलग तरह के कैंसर का खतरा पैदा कर सकता है।

    ब्रिटिश शोधकर्ताओं की मानें तो मोटापे के 10 अलग-अलग तरह के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। उनके अनुसार, ''बॉडी मास इंडेक्स में पांच किलो का इजाफा गर्भाशय के कैंसर का रिस्क 62 प्रतिशत बढ़ता है, किडनी (25 प्रतिशत), गॉल ब्लैडर (31 प्रतिशत), सर्विक्स (10 प्रतिशत), थायरॉडि (9 प्रतिशत) और ल्यूकेमिया का रिस्क 9 प्रतिशत बढ़ाता है।''

    इतना ही नहीं, अधिक बीएमआई के कारण लिवर के कैंसर का रिस्क 19 प्रतिशत बढ़ता है, पेट का कैंसर (10 प्रतिशत), ओवरी का कैंसर (9 प्रतिशत) और ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क 5 प्रतिशत बढ़ सकता है। यह शोध द लांसेट जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

    वहीं हेल्थ से जुड़ी एक और खबर

    साइंस पत्रिका नैनोस्केल के मुताबिक़ ब्रेन कैंसर के इलाज में सोने के अति सूक्ष्म टुकड़े कारगर साबित हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने बहुत छोटे सोने के गोले बनाए और कीमोथैरेपी की आम दवा सिस्प्लैटिन से उनका लेप किया। वैज्ञानिकों ने इन सूक्ष्म गोलों का दिमाग़ की सर्जरी के दौरान निकाले गए ब्रेन ट्यूमर के सैंपलों पर प्रयोग किया।

    इसके बाद कैंसर सेल्स की रेडियोथैरेपी की गई। रेडियोथैरेपी ने सोने के केंद्र में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स को उत्तेजित कर दिया।

    परीक्षण दो सालों में इन उत्तेजित न्यूट्रॉन्स ने कैंसर के आनुवांशिक पदार्थ को खराब करने की प्रक्रिया शुरू कर दी।

    इस प्रक्रिया से कीमोथैरेपी की प्रक्रिया भी शुरू हो गई जिससे सिस्प्लैटिन कमज़ोर ट्यूमर पर असर कर सकती थी। बीस दिन बाद पता चला कि इस सैंपल से कैंसर कोशिकाएं ख़त्म हो गई थीं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि 2016 में इंसानों पर इसके परीक्षण शुरू हो पाएंगे और दूसरे तरह के ट्यूमरों पर इसके शुरुआती प्रयोग करने जा रहे हैं।

    ललिताः अब बारी है, लिस्नर्स के कमेंट की। आज के प्रोग्राम में पहला कमेंट लिखकर भेजा है, सऊदी अरब से मो. सादिक आजमी ने। लिखते हैं कि 19 अगस्त के टी-टाइम का अंक लाजवाब लगा। अनिल जी और वेईतुंग जी द्वारा इसमें शामिल की गई रिपोर्टें और विषय एक से बढ़कर एक थे। पहली रिपोर्ट से ज्ञात हुआ कि पुराने मोबाइल सेट में सोना भी हो सकता है। पर इसका लाभ सिर्फ व्यवसाय या सर्विसमैन को ही मिल सकता है। क्योंकि इतनी मात्रा मे फोन को एकत्रित करना आम आदमी के बस के बाहर की बात है यानी कम से कम 35 फोन पर रोचकता हेतु जानकारी का चुनाव अच्छा लगा।

    अनिलः सैर सपाटे पर निकलना ख़ूबसूरत जगहों पर घूमने का प्रचलन प्राचीनकाल से मानव का सबसे लोकप्रिय शौक रहा है। आज के आधुनिक युग मे भी लोग एक दूसरे देश का भ्रमण करते हैं और यही कारण है कि पर्यटन के क्षेत्र को मुख्य व्यापार के तौर पर देखा जाता है। बहुत से देश इसके लिये अलग से बजट तय करते हैं। पिछले साल फ्रांस में सबसे अधिक पर्यटकों का पहुंचना इस बात का प्रमाण है कि सुंदरता की दृष्टि से वह नम्बर वन है।

    ललिताः वहीं संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक विकास के आंकड़ों के मुताबिक़ 20 प्रतिशत युवाओं का मानसिक रूप से बीमार होना वाकई एक बड़ी समस्या है और यह शायद बेरोजगारी और नौकरी न मिलने का मुख्य कारण हो सकता है। किसी भी देश का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं के इस रूप से उबारने हेतु शीघ्र किसी ऐसे विकल्प को लाना होगा। जिससे इन युवाओं को बचाया जा सके बान की मून के विचार पर एकमत होकर समूचे देश काम करेंगे यही आशा है। वहीं आवश्यकता से अधिक नमक के सेवन से होने वाले ख़तरे के प्रति जागरूक करवाया जाना काफी उपयोगी लगा।

    अनिलः नेक्स्ट मेल हमें भेजा है, जमशेदपुर, झारखंड से एस.बी.शर्मा ने। लिखते हैं कि पिछली बार के प्रोग्राम में वेइतुंग जी और अनिल जी ने कमाल की जानकारी श्रोताओं को दी। मैं तो यही कहूंगा कि अब श्रोताओ को भी अपना मोबाइल ख़राब होने के बाद सहेज कर रखना चाहिए। क्योंकि मोबाईल में सोना है और हमारे काम आ सकता है पर मोबाइल के सर्किट बोर्ड से सोना निकलना इतना आसान नहीं है। अभी तक मोबाइल के सर्किट से सोना निकलने की खास विधि ईजाद नहीं हो पाई है न ही प्रोसेसिंग का तरीका मालूम है। अतः मोबाइल के सर्किट में सोना होने की जानकारी हमारे काम नहीं आ सकती है।

    वहीं साल 2013 में विश्व में फ्रांस में सबसे ज्यादा पर्यटक पहुंचे। साथ ही आगे आपने बताया कि आज २०% युवा मानसिक विकृति से ग्रसित हो रहे हैं। बारह अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाना अच्छी बाता है। जबकि खाने में ज्यादा नमक के इस्तेमाल से कार्डियो वैस्कुलर प्राब्लम हो सकती है।

    ललिताः अगला ई-मेल हमें आया है, पश्चिम बंगाल से, इसे भेजने वाले हैं, देबाशीष गोप, लिखते हैं कि मैं हमेशा टी-टाइम प्रोग्राम सुनता हूं, हर बार के अंक में कुछ न कुछ नयी जानकारी हासिल होती है, बात चाहे स्वास्थ्य की हो या सामान्य ज्ञान की, आपके प्रोग्राम से लगाव बढ़ता जा रहा है। वहीं कार्यक्रम में पेश किए जाने वाले जोक्स भी कमाल के होते हैं। अच्छी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

    अगला मेल भी पश्चिम बंगाल से ही आया है, उन्होंने भी टी-टाइम प्रोग्राम पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि कार्यक्रम में निखार आता जा रहा है। आप बड़ी मेहनत से प्रोग्राम पेश करते हैं, इसके लिए आपका शुक्रिया।

    जबकि केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने हमेशा की तरह प्रोग्राम के बारे में सटीक और गंभीर टिप्पणी की है। सुरेश जी का हम शुक्रिया अदा करना चाहते हैं कि वे इतने मनोयोग से प्रोग्राम सुनकर उसके बारे में कमेंट करते हैं।

    अनिलः अब कुछ हंसगुल्लों की बारी है।

    मरीज़ और डॉक्टर का रिश्ता..

    इमरजेंसी (एक्सीडेंट या हार्ट अटैक) के वक्त

    डॉक्टर साहब, आप भगवान हों इन्हें बचा लो..

    अगले दिन मरीज के बच जाने पर और आपात स्थिति निकल जाने पर..

    डाक्टर साहेब, आप तो भग्वान जैसे हो..

    मरीज के आई सी यू से वार्ड में शिफ्ट होने पर..सब भगवान की माया है

    और अंत में छुट्टी होते वक्त..डॉक्टर तो लुटेरा है..।

    दूसरा हंसगुल्ला इस तरह है....

    सबसे ज्यादा नशा किस चीज में है

    अध्यापक-बताओ! सबसे ज्यादा नशा किस चीज में होता है?

    एक बच्चा-किताबों में..।

    अध्यापक-वो कैसे? मैं समझा नहीं।

    बच्चा-किताब खोलते ही नींद जो आ जाती है..।

    अब लीजिए पेश है, आज के प्रोग्राम का अंतिम जोक.....

    संता (पहलवान से)-तुम एक बार में कितने आदमियों को उठा सकते हो?

    पहलवान- 4 को।

    संता-बस..! तुमसे अच्छा तो मेरा मुर्गा है, जो सुबह पूरे मोहल्ले को उठा देता है!

    अनिलः हंसने और हंसाने के बाद अब सवाल-जवाब की बारी है। दोस्तो हमने पिछले सप्ताह दो सवाल पूछे थे, पहला सवाल था--- साल 2013 में किस देश में सबसे अधिक पर्यटक पहुंचे, उनकी संख्या कितनी थी।

    सही जवाब है--- कुल 8 करोड़ 47 लाख विदेशी पर्यटकों ने फ्रांस की यात्रा की।

    दूसरा सवाल था--- अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस कब मनाया जाता है।

    सही जवाब है--- 12 अगस्त

    इन दोनों सवालों का सही जवाब हमें लिखकर भेजा है, झारखंड से एस.बी.शर्मा, सऊदी अरब से सादिक आजमी, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल, भागलपुर बिहार से हेमंत कुमार और पश्चिम बंगाल से देवाशीष गोप और रविशंकर बसु आदि ने।

    आप सभी को बधाई---- आगे भी हमारे सवाल सुनते रहिए। .....

    अनिलः अब आज के सवालों की बारी है।

    पहला सवाल है- भारत सरकार वर्ष 2015-16 को किस वर्ष के रूप में मनाएगी।

    दूसरा सवाल है- ब्रेन कैंसर में किस धातु का इस्तेमाल कारगर साबित हो सकता है।

    अगर आपको इनका जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।.....हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn......अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें।

    अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही ... अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर,चाइ च्यान.....

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