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     आप की पसंद 140809
    2014-08-12 13:38:45 cri

    पंकज:नमस्कार श्रोता मित्रों मैं पंकज श्रीवास्तव आपकी पसंद कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं। हर सप्ताह की तरह हम आज भी आपको देंगे कुछ रोचक,ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारियां और साथ में सुनवाएँगे आपकी पसंद के कुछ फिल्मी गाने।

    अंजलि:श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपको ढेर सारी दिलचस्प जानकारियां देते हैं साथ ही आपको सुनवाते हैं आपकी पसंद के फिल्मी गीत। आज हम जिस फिल्म का गाना आपको सुनवाने जा रहे हैं उसे हमने लिया है फिल्म .... हावड़ा ब्रिज से इसे गाया है गीता दत्त ने, गीतकार हैं कमर जलालाबादी, संगीतार हैं ओ पी नैयर और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. मेरा नाम चिन चिन चू ....

    पंकज:मंगल पर ऑक्सीजन बनाएगा नासा का रोवर

    मंगल की धरती पर साल 2021 में उतरने वाला नासा का रोवर वहां ऑक्सीजन बनाने की कोशिश करेगा.

    यह रोवर सात वैज्ञानिक परीक्षण करेगा जिनका उद्देश्य भविष्य में मंगल पर मानव को भेजने के लिए रास्ता तैयार करना, जीवन की मौजूदगी के सबूत ढूंढना और वापस लाने के लिए चट्टान के नमूने इकट्ठे करना होगा.

    मंगल पर भारी मात्रा में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलने वाला उपकरण भी इन्हीं परीक्षणों में से एक है.

    ये ऑक्सीजन वहां मानव जीवन या वापस आने वाले अभियान में मददगार हो सकती है.

    इस रोवर के ज़रिए 40 किलो वज़नी उपकरण मंगल पर भेजे जाएंगे, जिनमें दो कैमरे और मौसम परीक्षण संबंधी उपकरण शामिल हैं.

    वाशिंगटन डीसी में मार्स 2020 मिशन की घोषणा करते हुए नासा के प्रशासकीय अधिकारी जॉन ग्रंस्फ़ेल्ड ने कहा, "यह हमारे लिए एक रोमांचक दिन है।"

    अंजली: ये तो बढ़िया है अगर वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन बनाने में सफलता पा ली तो फिर आने वाले कुछ दशकों में मंगल पर मानव बस्ती बनाने का पुराना सपना पूरा हो सकेगा, वैसे भी मेरे विचार में अब हम इंसानों को अंतरिक्ष में कुछ नया करना चाहिए, धरती से कुछ वैज्ञानिक, जीव, पौधे इन सभी को मंगल ग्रह पर भेजकर ये पता लगाना चाहिए कि अगर वहां पर ऑक्सीजन बनाने के बाद जीवन संभव हो सके तो फिर पृथ्वी जैसा एक और ग्रह होगा जहां पर मानव बस सकेगा, मुझे तो ये सब कुछ एकदम फिल्मी कहानी जैसा लग रहा है, कभी कभी हम हॉलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्मों में मंगल ग्रह पर बसी मानव बस्तियां देखते हैं, जो कि बहुत विशाल होती हैं और कही बार दूसरे ब्रह्मांड से आने वाले खतरों को रोकने के लिये मंगल ग्रह से अंतरिक्ष यान भेजे जाते हैं। ये एक शुरुआत है जिसके सफल होने की हम सभी को आशा करना चाहिए। अब मैं उठाने जा रही हूं कार्यक्रम का फरमाईशी पत्र जिसे हमें लिख भेजा है मेहर रेडियो श्रोता संघ सगोरिया, जिला मंदसौर, मध्यप्रदेश से श्याम मेहर, निकिता मेहर, आयुष मेहर, संगीता, ललिता, दुर्गाबाई और पूरे मेहर परिवार ने, आप सभी ने सुनना चाहा है तीसरी मंज़िल फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी, संगीतकार हैं राहुल देव बर्मन और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. तुमने मुझे देखा होकर मेहरबान .....

    पंकज : मित्रों इस गीत को सुनने से पहले हम बात कर रहे थे मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन बनाने की, तो इस कड़ी में एक टन के इस रोवर को मंगल ग्रह पर भेजने में करीब 1.9 अरब डॉलर का ख़र्च आएगा। इसे अगस्त 2012 में मंगल पर पहुंचे क्यूरियॉसिटी रोवर की तर्ज़ पर ही बनाया जा रहा है.

    हालांकि इस पर क्यूरियॉसिटी के मुक़ाबले कम उपकरण भेजे जाएंगे. जो जगह बचेगी उसका इस्तेमाल मंगल की चट्टानों के नमूने इकट्ठा करने के लिए किया जाएगा.

    नासा को उम्मीद है कि भविष्य में मंगल से वापस आने वाली उड़ानों पर इन्हें साथ लाया जा सकेगा.

    नासा के मौजूदा अंतरिक्ष यान भी ऑक्सीजन का निर्माण कर सकते हैं लेकिन नए 'मॉक्सी अपकरण' इस क्षमता का मंगल ग्रह के वातावरण में पहली बार परीक्षण करेगा.

    पंकज: तो मित्रों इस जानकारी के बाद अब हम अगली जानकारी आपको देते हैं ये भी मंगल ग्रह के बारे में ही है, मंगल की धरती पर साल 2021 में उतरने वाला नासा का रोवर वहां ऑक्सिजन बनाने की कोशिश करेगा। यह रोवर 7 वैज्ञानिक परीक्षण करेगा, जिनका उद्देश्य भविष्य में मंगल पर मानव को भेजने के लिए रास्ता तैयार करना, जीवन की मौजूदगी के सबूत ढूंढना और वापस लाने के लिए चट्टान के नमूने इकट्ठे करना होगा। मंगल पर भारी मात्रा में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड को ऑक्सिजन में बदलने वाला उपकरण भी इन्हीं परीक्षणों में से एक है।

    अंजली: चलिये ये तो बहुत अच्छी जानकारी है, लेकिन आपकी बातों को मैं यहां पर कुछ देर के लिये रोकना चाहती हूं क्योंकि मेरे हाथ में हमारे एक श्रोता का पत्र है जिन्होंने हमसे एक गीत की फरमाईश की है, ये पत्र हमारे पास आया है कहारवाड़ी, राजपुर, मध्यप्रदेश से इसे हमें लिख भेजा है धीसू दिलवारे, लक्ष्मी दिलवारे, माधुरी दिलवारे, कुनाल दिलवारे, सोनाली दिलवारे और इनके सभी परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है सौदागर फिल्म का गाना जिसे गाया है मन्ना डे ने गीतकार हैं रविन्द्र जैन और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. दूर है किनारा ....

    पंकज : ये ऑक्सिजन वहां मानव जीवन या वापस आने वाले अभियान में मददगार हो सकती है। इस रोवर के ज़रिए 40 किलो वज़नी उपकरण मंगल पर भेजे जाएंगे, जिनमें दो कैमरे और मौसम परीक्षण संबंधी उपकरण शामिल हैं। मार्स 2020 मिशन की घोषणा करते हुए नासा के प्रशासकीय अधिकारियों ने कहा कि हमारे लिए एक रोमांचक दिन है। एक टन के इस रोवर पर करीब 1.9 अरब डॉलर का खर्च आएगा। इसे अगस्त 2012 में मंगल पर पहुंचे क्यूरियॉसिटी रोवर की तर्ज़ पर ही बनाया जा रहा है।

    हालांकि, इस पर क्यूरियॉसिटी के मुकाबले कम उपकरण भेजे जाएंगे, जो जगह बचेगी उसका इस्तेमाल मंगल की चट्टानों के नमूने इकट्ठा करने के लिए किया जाएगा। नासा को उम्मीद है कि भविष्य में मंगल से वापस आने वाली उड़ानों पर इन्हें साथ लाया जा सकेगा। नासा के मौजूदा अंतरिक्ष यान भी ऑक्सिजन का निर्माण कर सकते हैं लेकिन नए 'मॉक्सी अपकरण' इस क्षमता का मंगल ग्रह के वातावरण में पहली बार परीक्षण करेगा।

    पंकज: अब हम आपको जो अगली जानकारी देने जा रहे हैं वो भी अंतरिक्ष और ऑक्सीजन से जुड़ी हुई है, आप तो जानते ही होंगे कि अंतरिक्ष में ऑक्सीजन की कमी के कारण अंतरिक्ष यात्रियों को ऑक्सीजन मास्क पहनना पड़ता है, और पीठ पर इसके सिलिंडर बांधने पड़ते हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसका भी एक तोड़ निकाल लिया है और अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को ऑक्सिजन की आपूर्ति जल्द ही मानव निर्मित पत्तियों से की जाएगी। दुनिया की पहली कृत्रिम जैविक पत्ती का विकास हो चुका है, जो पानी और कार्बन डाईऑक्साइड का अवशोषण कर ऑक्सिजन पैदा करने में सक्षम है।

    अंजलि: इन पत्तियों को अगर अंतरिक्ष यान में उगाया जा सके तो अंतरिक्ष में जो बेस स्टेशन भविष्य में बनाया जाएगा वहां पर बार बार धरती से ऑक्सीजन ले जाने का झंझट खत्म हो जाएगा, इन जैविक पत्तियों की मदद से अंतरिक्ष बेस स्टेशन में ही ऑक्सीजन बनाई जा सकेगी जिससे वहां पर हम बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों और दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों को आसानी से भेज सकेंगे। जब सांस लेने की समस्या का समाधान होगा तो हमारे वैज्ञानिक आसानी से ढेर सारे और शोधकार्य कर सकेंगे, जो मानव कल्याण के लिये होगा और ब्रह्मांड की नई परतें मानव के लिये खुल सकेंगी, हमें दूसरे सौरमंडल और ग्रहों पर जीवन का पता लगाने में भी भरपूर मदद मिलेगी। अब मैं उठाने जा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है बुलंद दरवाजा कलियर शरीफ, से इस्लाम साहिल, असलम साहिल, इकराम राजा, नसीमा साहिल और इनके सभी परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है अनुरोध फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. मेरे दिल ने तड़प के जब नाम तेरा पुकारा ..

    पंकज: इस पत्ती का विकास करने वाले ब्रिटेन के रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट के जूलियन मेलकियोरी ने कहा कि इस खोज से लंबी दूरी की अंतरिक्ष यात्रा में सहूलियत होगी। साथ ही अंतरिक्ष में इंसान के बसने में भी यह मदद कर सकता है, क्योंकि शून्य गुरुत्वाकर्षण में पौधे नहीं उगाए जा सकते। खबरों के अनुसार, लंबी दूरी की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान जिंदा रहने के लिए विभिन्न विधियों से ऑक्सिजन पैदा करने के लिए नासा लगातार शोध कर रहा है।

    मेलकियोरी की रेशम पत्ती परियोजना का विकास रॉयल कॉलेज ऑफ ऑर्ट्स इनोवेशन डिजाइन इंजिनियरिंग कोर्स और टफ्ट्स यूनिवर्सिटी ऑफ सिल्क लैब से हुआ है। परियोजना के तहत क्लोरोप्लास्ट को रेशम के प्रोटीन में रखा जाता है। पदार्थ को सीधे रेशम के तंतुओं से अलग किया गया है, जिसमें अणुओं के स्थिरीकरण का गजब का गुण है।

    अंजलि: आपकी बातों से ऐसा लगता है कि आने वाले समय में हम सिर्फ एक उड़ान भरकर ही अंतरिक्ष में जा सकेंगे और बिना किसी ऑक्सीजन की समस्या के आसानी से सांस भी ले सकेंगे। अगर ऐसा हुआ तो ये आम अंतरिक्ष यात्री के लिये बहुत अच्छी बात होगी। लेकिन मैं आपको यहां पर थोड़ी देर के लिये रोकना चाहूंगी क्योंकि मेरे पास हमारे एक श्रोता का पत्र आया है जिसे लिखा है कुरसेला तिनधरिया से ललन कुमार सिंह, श्रीमती प्रभा देवी, कुमार केतु, मनीष कुमार मोनू, गौतम कुमार, स्नेहलता कुमारी, मीरा कुमारी, कुमारी मधु और एल के सिंह ने आप सभी ने सुनना चाहा है, झुक गया आसमान फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने संगीत दिया है शंकर जयकिशन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. उनसे मिली नज़र कि मेरे होश उड़ गए ....

    पंकज: वैज्ञानिकों को कैंसर से लड़ने में कारगर आर्टिफिशल मॉलिक्यूल बनाने में बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। ये ऐंटि कैंसर मॉलिक्यूल वैसे ही काम करते हैं, जैसे कि शरीर में कुदरती तौर पर मौजूद पेप्टाइड कैंसर और इन्फेक्शन को रोकने में अपनी भूमिका निभाते हैं। लैब टेस्ट में कोलन कैंसर की कोशिकाओं को रोकने में ये आर्टिफिशल मॉलिक्यूल अपनी क्षमता दिखा चुके हैं।

    ऐसा नहीं है कि पहले ऐसे आर्टिफिशल मॉलिक्यूल डिवेलप नहीं किए गए, लेकिन पहले इन्हें डिवेलप करना बहुत कठिन था और बड़ी मात्रा में इनका उत्पादन बहुत खर्चीला होता था। अब ब्रिटेन की वॉरविक यूनिवर्सिटी के प्रफेसर पीटर स्कॉट और ब्रैडफर्ड के इंस्टिट्यूट फॉर कैंसर थेरेपेटिक्स के प्रफेसर रोजर फिलिप्स की टीम ने ऐसा तरीका खोजा, जिसके जरिए इन पेप्टाइड्स को न सिर्फ मिनट भर में, बल्कि बिना महंगी मशीनों के इस्तेमाल के बड़ी तादाद में पैदा किया जा सकता है। पहले के परंपरागत पेप्टाइड्स में एक समस्या यह भी होती थी कि दवा के तौर पर इनके असर दिखाने से पहले ही शरीर में मौजूद जैव-रासायनिक रक्षा तंत्र इन्हें नाकाम कर देता था। मगर, सेल्फ असेंबल तकनीक से पैदा नए पेप्टाइड्स काफी स्टेबल हैं और जल्द न्यूट्रल होने जैसी पहले की कमियों को इसमें दूर किया गया है।

    अंजलि: और अब हम उठाने जा रहे हैं अपने पुराने चिर परिचित श्रोता पंडित मेवालाल परदेशी जी का पत्र, पंडित मेवालाल जी अखिल भारतीय रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष हैं इन्होंने हमें पत्र लिखा है महात्वाना, माहोबा उत्तर प्रदेश से आपके साथ आपके ढेर सारे परिजनों ने भी हमसे गीत सुनवाने की फरमाईश की है जॉनी मेरा नाम फिल्म के इसे गाया है किशोर कुमार और आशा भोंसले ने गीतकार हैं इंदेवर और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 6. ओ मेरे राजा ....

    पंकज: तो मित्रों इस गाने के साथ ही हमें आपकी पसंद कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दें, अगले सप्ताह हम आज के दिन और आज ही के समय पर फिर आपके सामने आएंगे कुछ रोचक, ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के साथ और आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के कुछ मधुर फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजलि: नमस्कार।

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