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    टी टाइम 140812 (अनिल और ललिता)
    2014-08-12 16:00:35 cri

    अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ...आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।......

    अनिलः दोस्तो वैसे एक सप्ताह में सात दिन होते हैं, लेकिन हमें आपके लिए प्रोग्राम पेश करने का बड़ा इंतजार रहता है। तो क्या कर रहे हैं आप लोग, रेडियो सेट ऑन किया कि नहीं, अगर नहीं तो जल्दी कीजिए। क्योंकि टी-टाइम प्रोग्राम हो चुका है शुरू।

    अनिलः दोस्तो आज के प्रोग्राम में हम इंडिया के फेमस कार्टूनिस्ट प्राण को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। पिछले दिनों उनका 76 साल की उम्र में निधन हो गया। प्राण को एक तरह से चाचा चौधरी और साबू के प्रसिद्ध किरदारों के रूप में भी जाना जाता है। जो कि बच्चों के दिलो-दिमाग पर छा गए। मुझे अब भी याद है, मैंने भी बचपन में चाचा-चौधरी और साबू के किरदार वाली कॉमिक्स पढ़ी थी। कार्टून की दुनिया से जुड़े लोग मानते हैं कि प्राण ने पश्चिम के प्रभुत्व को तोड़ने का काम किया था।

    अगर प्राण के बारे में बात करें तो उनका पूरा नाम, प्राण कुमार शर्मा था। वे 15 अगस्त, 1938 को लाहौर में पैदा हुए थे। प्राण को भारत कॉमिक जगत के इतिहास में सबसे सफल कार्टूनिस्टों में से एक माना जाता है।

    उन्होंने 1960 से कार्टून बनाना शुरू किया था, उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र मिलाप से कार्टून बनाने की शुरुआत की।

    ललिताः उनके द्वारा बनाया गया सबसे लोकप्रिय कार्टून चाचा चौधरी का किरदार उन्होंने सबसे पहले हिंदी बाल पत्रिका लोटपोट के लिए बनाया था। जो बाद में स्वतंत्र कॉमिक्स के तौर पर बहुत प्रसिद्ध हुआ।

    इसके साथ ही प्राण ने डायमंड कॉमिक्स के लिए कई अन्य किरदार तैयार किए। इनमें रमन, बिल्लू और श्रीमतीजी जैसे कॉमिक कैरेक्टर शामिल थे।

    उनके परिजन बताते हैं कि प्राण अपने अंतिम दिनों तक कार्टून बना रहे थे।

    कैंसर से पीड़ित प्राण को 17 जुलाई को अस्पताल में भर्ती कराया गया। बताते हैं कि वे अस्पताल जाने के दिन तक कार्टून बना रहे थे। प्राण की कार्टून और अपने काम के प्रति लगाव को इस बात से ही समझा जा सकता है कि वे चाचा चौधरी और साबू जैसे कई किरदारों की सीरीज पहले ही तैयार कर चुके थे। उन्हें यह बात ध्यान में रहती थी कि उनकी मौत के बाद भी पाठकों को उनकी कोई कमी न खले।

    अनिलः भारत के तमाम राष्ट्रीय अखबारों में कार्टूनिस्ट के तौर पर काम कर सुधीर तैलंग कहते हैं कि प्राण ने कॉमिक कार्टूनिंग की दुनिया में अपने हिंदुस्तानी कैरेक्टरों के साथ अलग पहचान कायम की थी। तैलंग के मुताबिक भारत में बेहतरीन राजनीतिक कार्टूनिस्ट तो कई हुए हैं, लेकिन कॉमिक की दुनिया में प्राण जितनी कामयाबी किसी को नहीं मिली।

    वैसे सुधीर तैलंग खुद भी राजनीतिक कार्टून बनाते रहे हैं और उनके तमाम कार्टून भी प्रसिद्ध हुए हैं। मुझे (अनिल) प्राण से मिलने का मौका तो नहीं मिला, लेकिन सुधीर तैलंग के साथ मैंने एक बड़ा साक्षात्कार किया था। दिल्ली के मयूर विहार स्थित उनके घर जाकर मैंने देखा कि तैलंग किस तरह कार्टून बनाने में मशगूल रहते थे।

    आज के टी-टाइम प्रोग्राम में हम प्राण के माध्यम से कार्टून की दुनिया से फिर एक बार रूबरू होने में कामयाब हुए हैं।

    दोस्तो, जरा सोचिए, कोई टीचर स्कूल में कितने अबसैंट या गैरहाजिर रह सकता है..........महीना भर या एक साल.......नहीं......एक साल नहीं दस साल नहीं .....पूरे 23 साल। जी हां ऐसा वाकया भारत में हुआ था। वो भी मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में। जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। जी हां यहां कि एक अध्यापिका पिछले 23 सालों से अपने स्कूल से ग़ायब हैं।

    46 वर्षीय संगीता कश्यप इंदौर के अहिल्या आश्रम विद्यालय क्रमांक-1 में जीव विज्ञान पढ़ाती थीं, लेकिन पिछले 23 सालों में वे कभी स्कूल में नहीं दिखी।

    ललिताः विद्यालय की प्रिसिंपल सुषमा वैश्य ने बताया, "संगीता कश्यप 1990 में देवास महारानी राधाबाई कन्या विद्यालय में बतौर शिक्षिका नियुक्त हुई थीं। वहां वह 1991 से 1994 तक छुट्टी पर चली गईं। वापस आने पर उन्हें इंदौर के इस स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया।"

    सुषमा वैश्य ने आगे बताया, "संगीता ने 11वीं और 12वीं कक्षा की जीव विज्ञान की अध्यापिका के रूप में स्कूल में नियुक्ति ली लेकिन आते ही वो मैटरनिटी लीव पर चली गईं और फिर लौटकर नहीं आईं।" उन्हें काम पर बुलाने के लिए कई पत्र भेजे गए जो वापस लौट आए। वैसे नियमों के मुताबिक कोई भी अध्यापक पांच साल से अधिक अपनी ड्यूटी से ग़ैर-हाज़िर नहीं रह सकता है।

    अनिलः इंदौर के शिक्षा अधिकारी संजय गोयल कहते हैं, "साल 2006-07 में भी इनको हटाने के लिए भोपाल स्थित मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग को लिखा गया था, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। हम इसके लिए फिर लिख रहे हैं। प्रिंसिपल कहती हैं कि स्कूल में जीव विज्ञान के और भी अध्यापक थे, इसलिए बच्चों को दिक्क़त नहीं हुई।

    दोस्तो, वाकई में एक रिकार्ड और आश्चर्य भरी घटना है। एक टीचर 23 साल से स्कूल नहीं गई। लेकिन उसकी जगह अब भी खाली है, यह एक तरह से हमारे देश में शिक्षा विभाग की उदासीनता को भी दर्शाता है। अगर वह टीचर स्कूल नहीं आती तो उन्हें हटा क्यों नहीं दिया जाता। उसके स्थान पर किसी को तो नौकरी मिलेगी।

    ललिताः दोस्तो, अब बात करते हैं कुछ तकनीक यानी टैक्नोलॉजी की। आजकल तमाम लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। बावजूद इसके बड़ी आबादी की पहुंच इंटरनेट तक नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया की 85 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी मोबाइल कवरेज क्षेत्र में रहती है, लेकिन केवल 30 प्रतिशत आबादी ही इंटरनेट का इस्तेमाल करती है।

    हालांकि ऐसे लोगों के पास मोबाइल फोन जरूर है। अगर बिना इंटरनेट के ही फेसबुक या टिवटर चलने लग जाय तो कैसा रहेगा। वैसा अब ऐसा होने जा रहा है। ऐसा करने वाली कंपनी होगी फ़ेसबुक।

    अनिलः फ़ेसबुक ने उन मोबाइल धारकों के लिए एक ऐसा ऐप लांच किया है, जिनके पास मोबाइल तो है, पर इंटरनेट नहीं है। सोशल वेबसाइट कंपनी ने पिछले दिनों जाम्बिया में इंटरनेट डॉट आर्ग नामक एप लॉन्च किया। यह ऐप एयरटेल उपभोक्ताओं को फ़ेसबुक और इसकी मैसेंजर समेत 13 अन्य इंटरनेट सेवाएं निःशुल्क मुहैया कराएगा।

    इनमें विकिपीडिया, गूगल सर्च, मौसम, नौकरी और स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं होंगी। हालांकि ईमेल सुविधा नहीं होगी और गूगल सर्च के नतीजों से आगे जाने पर शुल्क लगेगा। इंटरनेट डॉट आर्ग के प्रोडक्ट मैनेजमेंट डायरेक्टर गे रोज़ेन ने कहा कि यह ऐप एंड्रायड के अलावा साधारण फ़ीचर मोबाइल फ़ोन पर भी काम करेगा। वैसे इस सेवा को अन्य देशों में भी लागू किया जाएगा।

    ललिताः फ़ेसबुक के सीईओ मार्क ज़ुकरबर्ग कहते हैं कि यह ऐप, दुनिया में हर व्यक्ति तक सस्ती इंटरनेट सेवाएं मुहैया करने की हमारी कोशिशों का हिस्सा है। इस लक्ष्य को पाने के लिए हम पिछले साल से दुनिया भर के मोबाइल ऑपरेटरों के साथ काम करते रहे हैं।

    ...दोस्तो, इस बारे में आप क्या सोचते हैं, हमें भी लिखिएगा।

    अनिलः अब हेल्थ टिप्स की बात करते हैं।

    विटामिन डी की कमी के बारे में तो आप जानते ही होंगे। चलिए आज हम इस पर थोड़ा विस्तार से जानकारी देते हैं। हाल में छपी एक साइंस मैगजीन में कहा गया है कि विटामिन डी की कमी से उम्रदराज़ लोगों में पागलपन का ख़तरा बढ़ जाता है।

    वैसे विटामिन डी मछली, दालों और त्वचा के सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से मिलता है। ब्रिटेन के शोधकर्ता 65 साल से अधिक की उम्र के 1,650 से अधिक लोगों पर किए अध्ययन के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं।

    ललिताः हालांकि इस नतीजे पर पहुंचने वाला यह पहला शोध नहीं है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन काफी विस्तृत था। यूनिवर्सिटी ऑफ़ एकेस्टर मेडिकल स्कूल के डेविड लेवेलिन के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय टीम ने लगभग छह साल तक उम्रदराज़ लोगों पर शोध किया। शोध से पहले इन सभी व्यक्तियों में पागलपन, दिल की बीमारियां और दिल का दौरा जैसी बीमारियां नहीं थीं। अध्ययन के अंत में पाया गया कि 1,169 लोगों में विटामिन डी का स्तर अच्छा था और उनमें 10 में से एक व्यक्ति में पागलपन का ख़तरा होने की संभावना थी। जिन 70 व्यक्तियों में विटामिन डी का स्तर बहुत कम था, उनमें से पांच में से एक में पागलपन का ख़तरा होने की संभावना जताई गई।

    अनिलः हेल्थ टिप्स के बाद अब बारी है, लिस्नर्स के कमेंट शामिल करने की। पहला ई-मेल हमें भेजा है, भागलपुर बिहार से डॉ. हेमंत कुमार ने। लिखते हैं, नी हाव! पिछले अंक में बताया गया कि अगर एक दिन में पांच मिनट भी दौड़ा जाय तो मौत के खतरे को 30 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। साथ ही मोटापा, ह्रदय रोग से भी निजात मिल सकती है। मात्र पांच मिनट की दौड़ पच्चीस मिनट के व्यायाम के बराबर होती है। हम सभी को बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन सुबह के समय 10-15 मिनट जरुर दौड़ना चाहिए। अतः दी गई जानकारी बहुत ही उपयोगी लगी। प्रदूषण तथा जाम जैसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए ब्रिटेन द्वारा चालक रहित कार को सड़कों पर उतारने की योजना तथा ट्रैफिक सिस्टम के नियमों में संशोधन संबंधी जानकारी भी किसी आश्चर्य से कम नहीं थी। इसके अलावा नौकरी के इंटरव्यू में सफलता प्राप्त करने के लिए दिए गए उपयोगी टिप्स पसंद आए। रंग, धर्म और संस्कृति से उपर उठकर केन्या के एक गरीब लड़का तथा भारतीय मूल के अमीर कारोबारी की पुत्री की प्रेम कहानी को उच्च भावना का प्रतीक कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। बेहतर प्रस्तुति के लिए धन्यवाद!

    ललिताः दूसरा खत आया है, सऊदी अरब से मो.सादिक आजमी का। लिखते हैं कि 5 अगस्त का टी-टाइम सुना, जो कि औसत दर्जे का रहा, उसमें जोक्स की भरमार रही, जो कि पहले ही शामिल हो चुके थे। हम पूरे सप्ताह बड़ी उत्सुकता से इस कार्यक्रम की प्रतीक्षा करते हैं और जब पूर्व प्रसारित सामग्री पेश की जाती है तो मन उदास हो जाता है। हां इस बीच ब्रिटेन में मानव रहित कार का अगले वर्ष के जनवरी माह में टेस्ट करने की खबर रोमांचित करने वाली रही। साथ ही इस क्षेत्र में ब्रिटिश सरकार की योजनाओं पर प्रकाश डाला जाना ज्ञानवर्धक रहा। ट्रैफ़िक नियमों में बदलाव से लेकर नए संसाधन मुहैया करवाने और नई योजनाओं के बारे में बड़ी बारीकी से बताया गया। भविष्य के आधुनिक और स्मार्ट दौर में हर क्षेत्र में सरलता को काफी महत्व दिया जा रहा है। पर क्या हम पूरी तरह इन आधुनिक युग का निर्माण कर पाएंगे यह प्रश्न मन में तब तक कौंधता रहेगा जब तक सफलता नहीं मिल जाती।

    अनिलः वहीं केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल लिखते हैं कि साप्ताहिक "टी टाइम" में दी गई तमाम स्तम्भों के तहत जानकारी काफी रोचक और ज्ञानवर्धक लगी। केन्या के सोशल मीडिया में छायी एक भारतीय लड़की सारिका तथा केन्यायी युवक खमाला की प्रेम कहानी वैसे तो दो प्यार करने वालों की कहानी है और वैश्वीकरण के दौर में इससे कोई आश्चर्य भी नहीं होता। परन्तु ऐसी बेमेल शादियों से तक़लीफ़ तब होती है, जब जवानी का जोश उतरने के बाद रिश्ता टूट जाता है। वैसे ऐसे रिश्ते के लिये बड़े दिमाग और खुली सोच वाले ही आगे आते हैं, इसमें भी दोराय नहीं। ब्रिटेन में चालक रहित कार चलाने की योजना विज्ञान के बढ़ते कदमों की द्योतक है और हमें इसका स्वागत करना चाहिये। नौकरी के लिये इन्टरव्यू जाते समय की अहम टिप्स की जानकारी भी सूचनाप्रद लगीं। सबसे महत्वपूर्ण जानकारी यह लगी कि दौड़ना सेहत के लिये कितना लाभदायक है। पांच मिनट की दौड़ और तीस प्रतिशत मौत की सम्भावना कम होना, सचमुच यह तो किसी करिश्मे से कम नहीं है। आज के जोक्स और हंसगुल्ले भी काफी निराले थे। एक शानदार प्रस्तुति लिये हार्दिक धन्यवाद।

    ललिताः इसके साथ ही शामिल करते हैं नेक्स्ट मेल। जिसे भेजा है, पश्चिम बंगाल से देवाशीष गोप ने। लिखते हैं कि हमेशा की तरह इस बार के टी-टाइम प्रोग्राम में भी तमाम जानकारियां हासिल हुई। हमें बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है, आपके प्रोग्राम का। क्योंकि इसमें हेल्थ, करियर आदि तमाम चीजों के बारे में विस्तार से बताया जाता है। अच्छी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

    अगला ई-मेल हमें भेजा है, जमशेदपुर झारखंड से एस.बी.शर्मा ने। कहते हैं कि 5 अगस्त के प्रोग्राम में ढेर सारी जानकारी मिली। केन्या के सोशल मीडिया में छायी एक भारतीय लड़की युवती केन्याई युवक की प्रेम कहानी के बारे में जानकर यही कहा जा सकता है कि, रिश्ते तो ऊपर से बन के आते है अतः इन्हें मिलने से कोई भी रोक नहीं पाएगा। वहीं ब्रिटेन में चालक रहित कार चलाने की योजना भी उत्साह बढ़ाने वाली लगी। हालांकि दुनिया के कई देशों में इस तरह की कार चलाने का परीक्षण हो चुका है।

    अनिलः वहीं पैदल चलना या दौड़ना सेहत के लिये बहुत ही लाभप्रद होता है। कहा जाता है कि जो कोई व्यक्ति प्रतिदिन दस हजार डग पैदल चलता है, वह स्वस्थ रहता है और तमाम बीमारियां उससे दूर रहती हैं। वहीं स्टेपथलोन नामक एक मूवमेंट तीन सितम्बर से शुरू होने वाला है, जो साल भर चलेगा। वाकई में एक अच्छा प्रयास है।

    श्रोताओं की प्रतक्रियाओं के बाद वक्त हो गया है, हंसने और हंसाने का। जी हां, अगर लाइफ में हंसगुल्ले शामिल नहीं हुए तो बात ही क्या। और टी-टाइम प्रोग्राम तो बिना चुटुकुलों और हंसगुल्लों के अधूरा लगता है। चलिए तो पेश हैं....हंसगुल्ले......

    पहला हंसगुल्ला....

    एक बार अमेरिका, चाइना और भारतीय पुलिस में बात हुई की देखते है हममें सबसे तेज कौन है ?

    तय हुआ की जंगल में एक खरगोश छोड़ा जाएगा, जो सबसे पहले ढूंढ के लाएगा वही सबसे तेज होगा।... अमेरिका पुलिस खरगोश को 2 दिनों में ढूंढ लाया। फिर चाइना की पुलिस ने खरगोश को ढूंढने में एक हफ्ता लगा दिया ... अब भारतीय पुलिस की बारी आई खरगोश जंगल में छोड़ा गया और भारतीय पुलिस 2 महीने तक वापस नहीं आई। लोग उनको ढूंढने पहुंचे तो देखा भारतीय पुलिस बन्दर को उल्टा लटकाकर बुरी तरह पीट रही थी और बोल रही थी कबूलकर ले तू ही खरगोश है!

    दूसरा हंसगुल्ला.....अंदर ही हो!

    नर्सरी क्लास में छोटे बच्चों से पूछा गया 'भगवान कहां हैं?'

    एक बच्चे ने जोर-जोर से हाथ हिलाया 'मुझे पता है!!'

    टीचर ने कहां 'अच्छा बताओं'

    बच्चे ने बताया 'हमारे बाथरूम में'

    एक पल के लिए टीचर चुप! फि़र संभलते हुए बोली 'तुम्हें कैसे पता?'

    बच्चा बोला 'रोज सुबह जब पापा उठते हैं, बाथरूम का दरवाजा पिटते हुए कहते हैं- हे भगवान! तुम अब तक अंदर ही हो!

    इतने बाल क्यों ??

    बेटा (मम्मी से)- पापा तो बिल्कुल गंजे हैं।

    मम्मी (बेटे से)- नहीं बेटा, ऐसा नहीं कहते। जानते हो, जिसके सिर पर बाल नहीं होते, वह बहुत ही होशियार इंसान होते हैं।

    बेटा-अच्छा, अब मैं समझा कि आपके सिर पर इतने बाल क्यों है।.....

    हंसने और हंसाने के बाद अब सवाल-जवाब की बारी है। दोस्तो हमने पिछले सप्ताह दो सवाल पूछे थे, पहला सवाल था- जल्द ही किस देश में ड्राइवर के बिना चलने वाली कार सड़कों पर चलने लगेगी।

    सही जवाब है- ब्रिटेन

    दूसरा सवाल था- दौड़ने से हमें क्या लाभ मिल सकता है। सही जवाब है कि दौड़ने से मौत का खतरा कम हो जाता है।

    इन दोनों सवालों का सही जवाब हमें लिखकर भेजा है,

    झारखंड से एस.बी.शर्मा, सऊदी अरब से सादिक आजमी, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल, भागलपुर बिहार से हेमंत कुमार और पश्चिम बंगाल से देवाशीष गोप और रविशंकर बसु आदि ने।

    आप सभी को बधाई---- तालियों की आवाज.....आगे भी हमारे सवाल सुनते रहिए।.

    अनिलः अब आज के सवालों की बारी है,

    पहला सवाल है----पिछले दिनों किस प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट का निधन हुआ।

    दूसरा सवाल है----किस कंपनी ने एक ऐसा एप लांच किया है, जो बिना इंटरनेट के चलेगा।

    अगर आपको इन का जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।.....हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.

    अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें।

    अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही ...अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बाखैर, चाइच्यान.....

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