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अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ..चाय की आवाज .........आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।...........................................
अनिलः दोस्तो वैसे एक सप्ताह में सात दिन होते हैं, लेकिन हमें आपके लिए प्रोग्राम पेश करने का बड़ा इंतजार रहता है। तो क्या कर रहे हैं आप लोग, रेडियो सेट ऑन किया कि नहीं, अगर नहीं तो जल्दी कीजिए। क्योंकि टी-टाइम प्रोग्राम हो चुका है शुरू।
हम यह बताना चाहते हैं कि पिछले सप्ताह के टी-टाइम प्रोग्राम में विशेष तौर पर योग पर चर्चा और बातचीत सुनवाई गई। आज से फिर हम अपने पुराने स्वरूप में लौट आए हैं।
तो चलिए अब आपके साथ ढेर सारी जानकारी शेयर करने का सिलसिला शुरू करते हैं।
अनिलः दोस्तो, केन्या में इन दिनों सोशल मीडिया पर एक लव स्टोरी सभी की जुबान पर है। हो भी क्यों न भला, लड़का एक केन्या के गरीब परिवार और लड़की भारतीय मूल के बड़े कारोबारी की बेटी जो। न रंग मिलता है और न सामाजिक हैसियत। वैसे प्यार न कोई जात-पात देखता है और न कोई रंग। और न धन दौलत। यह वाकई में केन्या में सच साबित हो रहा है।
जी हां, लड़की भारतीय मूल की है और लड़का केन्या की बुकुसु जनजाति का है। इंटरनेट, ट्विटर पर यह प्रेम कहानी छाई हुई है।
इंटरनेट पर एक महिला लिखती है, "गाँव की एक सिंड्रेला की कहानी. संस्कृति, रंग, धर्म से ऊपर उठकर एक प्रेम कहानी। ये तो कमाल है."
एक व्यक्ति ने ट्वीट किया, "यह किसी फ़िल्म की तरह लग रहा है। मैं यक़ीन नहीं कर सकता कि मेरी आँखें क्या देख रही हैं।"
दरअसल, यह लव स्टोरी पश्चिमी कीनिया के वेबुये गाँव की 24 साल की सारिका पटेल और 25 साल के टिमोथी खमाला की है।
सारिका एक अमीर कारोबारी की बेटी हैं तो खमाला एक ग़रीब परिवार से है जो मिट्टी से बने घर में रहता है। उनकी पहली मुलाकात लगभग चार साल पहले हुई थी जब टिमोथी सारिका के पिता की गाड़ी धो रहा था।
वैसे अब सारिका टिमोथी के साथ रहने आ गई है और वे शादी की योजना बना रहे हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि उनके परिवार वाले इस बात से बहुत नाराज हैं। हो भी क्यों न भला, इन दोनों से कुछ हटकर जो किया है।
न्यूज़ एंकर लिंडा ओगुटु कहती हैं, "इस तरह की कहानियां केन्या के लोगों को बेहद पसंद हैं। वे राजनीति से थक गए हैं। यह लीक से हटकर है। भारतीय लोग काले लोगों से शादी नहीं करते और काले लोग भारतीयों से विवाह नहीं करते।" गौरतलब है कि कीनिया की चार करोड़ बीस लाख लोगों की कुल आबादी में एशियाई या भारतीय मूल के लोगों की संख्या एक लाख के क़रीब बताई जाती है।
भारतीय मूल की केन्याई लेखिका रसना वाराह कहती हैं, "दो अलग अलग समुदाय के लोगों के बीच के रिश्ते को लेकर आखिर इतनी बेचैनी क्यों?"
रसना ने खुद भी एक काले केन्याई से शादी की है। वे कहती हैं, "हमें रंग और नस्ल से ऊपर उठना होगा। या तो आप केन्याई हैं या फिर नहीं हैं।" वाकई में रसना की बात में दम भी नजर आता है।
तो दोस्तो, आप क्या सोचते हैं, इस तरह दो विभिन्न बैकग्राउंड के लोगों के बीच प्यार के बारे में। हमें जरूर लिखिएगा।
अब प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए कुछ और जानकारी देते हैं। वैसे तकनीक और विज्ञान के विकास के साथ-साथ हमें हर रोज नए-नए आविष्कार देखने और सुनने को मिलते हैं। हालांकि बिना ड्राइवर के चलने वाली कार की बात कोई नहीं है। लेकिन अब इस बारे में निर्मात रुचि दिखाने लगे हैं। इसी कड़ी में ब्रिटेन का नाम जुड़ा है।
हाल में ब्रिटिश सरकार ने ऐलान किया कि अगले वर्ष जनवरी से तीन शहरों में चालक रहित कार का टेस्ट किया जाएगा। इसके लिए वर्तमान ट्रैफिक रूल्स में कुछ बदलाव लाया जाएगा ताकि इस तरह की कार के लिए रास्ता तैयार हो सके।
ब्रिटिश वाणिज्य मंत्री विंस कैपर ने इंग्लैंड में एक कार कंपनी का दौरा करते समय घोषणा की कि सरकार चालक रहित कार के तेज विकास के लिए कदम उठाएगी। इन कदमों से सरकार पायलट शहर निवेदन योजना शुरू करेगी। इससे अधिकतम तीन शहर परीक्षा के लिए चुने जाएंगे। अगले वर्ष जनवरी से 18 महीने से 36 महीने तक चालक रहित कार की परीक्षा ली जाएगी। चुने गए शहरों को 1 करोड पाउंड का भत्ता भी मिलेगा।
इसके अलावा ब्रिटिश सरकार वर्तमान ट्रैफिक नियमों की समीक्षा भी करेगी। अगर जरूरत पड़ी, तो संबंधित नियमों में संशोधन होगा ताकि चालक रहित कार के लिए सड़कों पर सही स्थित तैयार हो।
ब्रिटिश परिवहन मंत्री ने इस मुद्दे की चर्चा करते हुए बताया कि चालक रहित कार से ब्रिटिश ट्रैफिक सिस्टम में बड़ा बदलाव आने की संभावना है। उदाहरण के लिए कार चलाने की सुरक्षा मजबूत करना, ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करना और प्रदूषण घटाना। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन पर्याप्त स्थिति तैयार करने का पूरा प्रयास करेगा। ताकि चालक रहित कार जल्द ही लोगों के जीवन का हिस्सा बन सके।
बताया जाता है कि ब्रिटेन की कई अनुसंधान संस्थाओं और ऑटो उद्यमों ने चालक रहित कार का टेस्ट शुरू किया है। लेकिन ट्रैफिक नियमों की बाध्यता से चालक रहित कार अभी सार्वजनिक मार्ग पर नहीं चलाई जा सकती।
बिना ड्राइवर की कार के बाद चर्चा करते हैं नौकरी और इंटरव्यू के बारे में।
अक्सर ऐसा होता है कि हमारा इंटरव्यू बहुत अच्छा जाता है फिर भी नौकरी नहीं मिल पाती। कई बार इंटरव्यू शुरू होते ही खत्म हो जाता है तो कई बार हमें समझ ही नहीं आता कि हम क्यों नहीं चुने गए।
अगर आप भी किसी नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रहे हैं तो इंटरव्यू के दौरान ये इशारे आपको बता सकते हैं कि यहां बात बनने वाली है या नहीं। इससे आप सही समय पर मौके को संभाल सकते हैं जिससे बिगड़ती बात बन सके।
इसके लिए कुछ बातों पर ध्यान देने के बाद आपको समझ में आएगा कि क्या वजह रही अपने सिलेक्ट न होने।
आपका इंटरव्यू कम शुरू हुआ और कब खत्म हुआ, आपको पता ही नहीं चला? या फिर इंटरव्यू लेने वाले ने आपका जवाब पूरी तरह से सुना भी नहीं और आगे बढ़ गया? ये इशारा हो सकता है कि आपका पहला प्रभाव उसपर खास नहीं पड़ सका।
टायम पर पहुंचना
गलती आपकी ही है अगर आप समय से अपने इंटरव्यू में नहीं पहुंच पाते हैं। जो इंसान इंटरव्यू के दिन ही लेट हो जाए उससे जिम्मेदारी की उम्मीद रखना किसी के लिए भी मुश्किल होगा। ऐसे में अगर आपकी कॉल न आए तो इस गलती को दोबारा न दोहराएं।
सैलरी पर चर्चा
किसी भी नौकरी के लिए इंटरव्यू का आखिरी पायदान सैलरी पर चर्चा होता है। अगर आपके साथ ऐसा नहीं हुआ तो हो सकता है कि यह नौकरी आपके लिए न हो। हालांकि थोड़ा इंतजार हकीकत बता ही देगा।
इधर-उधर के सवाल
इंटरव्यू के दौरान आपके प्रोफाइल या नौकरी से जुड़े सवालों के बजाय बहुत ही अलग सवाल पूछना, जवाब पर ध्यान न देना या बिना सही तरह से सुने ही दूसरा सवाल शुरू कर देना, ये सब इशारा है कि इंटरव्यू लेने वाला आपके रुचि ही नहीं ले रहा है।
अगर आपको इन टिप्स से कुछ फायदा मिला या जानकारी हासिल हुई तो हमें लिखिए। धन्यवाद।
अब हेल्थ टिप्स पर नजर डालते हैं।
दोस्तो आजकल अक्सर लोग व्यस्त जीवन की शिकायत करते हुए कहते हैं कि उनके पास एक्सरसाइट के लिये टायम नहीं है। वहीं अमेरिका में एक नये अध्ययन से पता चला है कि अगर आप एक दिन में सिर्फ पांच मिनट तक दौड़ते हैं, फिर चाहे गति तेज हो या धीमी, आप मृत्यु के खतरे को 30 प्रतिशत कम कर सकते हैं।
आइओवा राज्य विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 28 जुलाई को अमेरिकी हृदय रोग संघ पत्रिका में एक रिपोर्ट जारी कर कहा कि उन्होंने 18 वर्ष से अधिक आयु वाले 55 हजार वयस्कों का 15 वर्ष तक अध्ययन किया, जिनमें से 24 प्रतिशत लोग अवकाश में नियमित रूप से दौड़ते हैं। लंबे समय तक चले इस अध्ययन के दौरान 3400 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई, जिनमें से 1200 से अधिक लोगों की मृत्यु हृदय संबंधित रोग से हुई।
इस अध्ययन में यह बात सामने आई कि नियमित रूप से दौड़ने वाले लोगों की मौत का खतरा दौड़ने की आदत नहीं होने वाले लोगों की तुलना में 30 प्रतिशत कम रहता है और हृदय संबंधित रोग से मरने वाले खतरे 45 प्रतिशत कम होते हैं। आम तौर पर लगातार दौड़ने वालों की आयु नहीं दौड़ने वालों से तीन साल ज्यादा है।
यह भी पता चला कि अगर आप रोज़ाना सिर्फ पांच मिनट तक दौड़ते हैं और हर हफ्ते में आप 9.6 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से सप्ताह में सिर्फ एक या दो बार दौड़ते हैं, तो मौत के खतरे भी कम होंगे।
हैरानी की बात है कि मौत के खतरे कम करने की दृष्टि से एक हफ्ते में एक घंटे से कम समय में दौडने का लाभ एक हफ्ते में तीन घंटे दौड़ने के बराबर है।
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि स्वास्थ्य के प्रति दौड़ना तंबाकू नहीं खाने और ज्यादा वजन से बचने की तरह ही महत्वपूर्ण है। चाहे आप कितनी भी दूर दौड़ें, कितनी तेज़ गति में दौड़ें या कितनी बार दौड़ें ,आप को कमोबेश लाभ ही मिलता है।
अध्ययन के मुताबिक रोज पांच या दस मिनट दौड़ने से 15 मिनट से 25 मिनट की मध्यम गति वाले व्यायाम का लाभ मिलेगा।
मुझे लगता है इस बारे में जानकर हमारे तमाम श्रोता भी रनिंग या दौड़ने की आदत डाल लेंगे। भले ही कुछ देर के लिए ही क्यों न दौडें।
....अब बारी है लिस्नर्स के कमेंट की।
शुरुआत कुछ जोक्स के साथ करते हैं जो हमें अमेठी से अनिल कुमार द्विवेद्वी ने भेजे हैं।
1.'बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला'-
.
आप यकीन मानिए
यदि हकीकत में ऐसा ही होता
तो अब तक हमारा देश
'वेस्ट इंडीज' बन गया होता...
.......................
2. ऊंट के मुंह में जीरा...
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ऊंट को अगर किसी ने जीरा खाते हुए
देखा हो ना तो मुझे फोटो लाकर देना
साला बरसों से सुनता आ रहा हूं बेचारे ने
जीरा तो क्या कभी जीरे की छोंक लगी दाल
भी नहीं चखी होगी।
....
3. दिमाग का दही कर दिया...
अगर वाकई में दिमाग
का दही होता तो दही वाले दुकान बंद करके
सड़कों पर भीख मांग रहे होते। क्योंकि जब
भी घर वाली को दही की जरुरत होती पति के दिमाग का दही करके मुफ्त मेँ दही पा जातीँ।.....
हंसने की आवाज.....वाकई में क्या खूब चुटुकुले हैं।
जोक्स के बाद लीजिए, पत्र पढ़ते हैं, जो भेजा है केसिंगा, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं कि पिछले "टी टाइम" प्रोग्राम में मनोरंजक कार्यक्रम के स्थान पर चीन-भारत योग समिति पर विशेष रिपोर्ट सुनवाई गई । योग पर चर्चा किया जाना अच्छी बात है, परन्तु यह कार्यक्रम के स्वभाव से मेल खाती प्रतीत नहीं हुई। बहरहाल, कार्यक्रम में विवेकानन्द योग संस्थान के श्री एच.आर.नागेन्द्र से ली गई भेंटवार्ता सुन चीन और शेषविश्व में चल रही योग गतिविधियों और योग-विकास पर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई। नागेन्द्रजी का यह कहना बिलकुल सही जान पड़ा कि योग महज़ शारीरिक व्यायाम नहीं, मानसिक और आध्यामिक विकास का मार्ग भी है। यह जान कर भी ख़ुशी हुई कि चीन में योग तेज़ी से फ़ैल रहा है और योग पर काफी चीनी संस्करण प्रकाशित होने के अलावा योग पुस्तकों का चीनी अनुवाद भी प्रगति पर है। इसके अलावा चीनी विद्वान वांग यान योगशिक्षा के लिये योगगुरु आयंगर से मिलने कोई तीस बार भारत गये। मुझे 1963 से योगसाधना में जुटे नागेन्द्रजी का यह कहना काफी अर्थपूर्ण लगा कि योग के ज़रिये चीन-भारत से डायबिटीज का नामोनिशान मिटाना है। मैं कामना करता हूँ कि उन्हें अपने इस उद्देश्य में सफलता मिले। धन्यवाद सुरेश जी।
अगला मेल हमें आया है, पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल का। लिखते हैं कि पिछले प्रोग्राम में चीन भारत योग शिखर सम्मेलन के बारे मेँ एक रिपोर्ट और विवेकानंद सोसाइटी के नागानंद जी के साथ बातचीत सुनी। अच्छी लगी। धन्यवाद।
साथ ही पश्चिम बंगाल से ही रविशंकर बसु और देवाशीष गोप ने भी प्रोग्राम के बारे में टिप्पणी भेजी है। आप सभी का शुक्रिया।
इसी के साथ एक और जोक है, मेंढक पर।
एक मेंढक पंडित के पास गया, और अपना भविष्य पूछने लगा।
पंडित बोलता है, तुझे एक लड़की मिलेगी, और तेरा दिल ले जाएगी।
मेढक खुशी के मारे पूछता है..वो मिलेगी कहां, पंडित जवाब देता है बॉयोलॉजी की लैब में।
वहीं भागलपुर, बिहार से हेमंत कुमार लिखते हैं। कि मैं 'टी-टाइम' कार्यक्रम प्रत्येक मंगलवार को निश्चित रुप से सुनता हूं। प्रत्येक कड़ी मेँ सूचनाप्रद तथा उपयोगी जानकारी देने का पूरा प्रयास किया जाता है। 22 जुलाई को शाम की सभा मेँ प्रस्तुत 'टी टाइम' मेँ फीफा वर्ल्ड कप 2014 के विजेता जर्मन टीम के सफलता का राज तथा 2018 मेँ रुस मेँ आयोजित होने वाले फीफा वर्ल्ड के बारे मेँ दी गई जानकारी रोचक लगी। साथ ही ये बात जानकर खुशी हुई कि जनवरी से जून तक मेँ चीन मेँ फिल्मोँ का बॉक्स ऑफिस व्यापार 13 अरब 74 करोड़ 30 लाख युआन तक जा पहुंचा। चीन मेँ बढ़ते इंटरनेट के उपयोग तथा ऑनलाइन किताबेँ पढ़ने के चलन पर जानकारी भी पसंद आयी। 'हेल्थ टिप्स' मेँ दर्द से निजात पाने के घरेलू नुस्खे बहुत ही उपयोगी लगे। साथ ही चुटकुलों की प्रस्तुति ने कार्यक्रम को और भी मजेदार बना दिया। बेहतर प्रस्तुति के लिए सीआरआई हिँदी परिवार को हार्दिक धन्यवाद!
श्रोताओं के कमेंट्स के बाद बारी है, जोक्स या हंसगुल्लों की।
वैसे आज के प्रोग्राम में पहले भी लिस्नर्स द्वारा भेजे गए जोक हम शामिल कर चुके हैं। लगता है कि आज श्रोता हंसी के फव्वारों में भीग गए होंगे।
तो लीजिए, पेश हैं हंसगुल्ले।
पहला हंसगुल्ला.....
डॉक्टर के क्लिनिक के बाहर मरीजों की भीड़ लगी थी। एक आदमी बार-बार आगे जाने की कोशिश करता और लोग उसे पकड़ कर पीछे खींच लेते। 5-6 बार पीछे खींचे जाने के बाद वो आदमी चिल्लाया।
'लगे रहो लाईन में..
मैं भी आज क्लिनिक नहीं खोलूंगा।
.....हंसने की आवाज......
दूसरा जोक है.....
टाइटैनिक के साथ कंजूस पप्पू भी डूब रहा था।
टाइटैनिक के साथ कंजूस पप्पू भी डूब रहा था और डूबते हुए हंस भी रहा था।
उसका दोस्त उससे बोला-ओए, ऐसी सिचुशन में तू हंस क्यों रहा है?
कंजूस पप्पू बोला-शुक्र है यार, मैंने रिटर्न टिकट नहीं खरीदा था!
....हंसने की आवाज.....
तीसरा और अंतिम हंसगुल्ला है।
एक बच्चा अपने पापा से बोलता है
बच्चा- जब आप रोते हो कोई नहीं देखता
जब आप दुखी होते हो कोई नहीं देखता
जब आप खुश होते हो कोई नहीं देखता।
पापा- तो क्या हुआ?
बच्चा-लेकिन.एक दिन आप डेट पर चले जाओ.
पूरा खानदान देख लेता है!!
हंसने की आवाज।
हंसने और हंसाने के बाद अब सवाल-जवाब की बारी है। दोस्तो हमने 22 जुलाई के अंक में दो सवाल पूछे थे, पहला सवाल था - अगला फुटबाल विश्व कप, कब और किस देश में खेला जाएगा।
सही जवाब है, अगला विश्व कप रूस में वर्ष 2018 में खेला जाएगा।
दूसरा सवाल था- जनवरी से जून तक चीन में फिल्मों का बॉक्स ऑफिस कारोबार कितना रहा
सही जवाब है, इस दौरान चीनी फिल्मों की बॉक्स ऑफिस पर कमाई 13 अरब 74 करोड़ 30 लाख युआन रही।
इन दोनों सवालों का सही जवाब हमें लिखकर भेजा है,
पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल, देबाशीष गोप, रवि शंकर बसु, झारखंड से एस.बी.शर्मा, सऊदी अरब से सादिक आजमी, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल और भागलपुर बिहार से हेमंत कुमार आदि ने।
आप सभी को बधाई---- तालियों की आवाज.....आगे भी हमारे सवाल सुनते रहिए। .....
....म्यूजिक.....छोटा सा..
अनिलःअब आज के सवालों की बारी है, पहला सवाल है, जल्द ही किस देश में ड्राइवर के बिना चलने वाली कार सड़कों पर चलने लगेगी।
दूसरा सवाल है। दौड़ने से हमें क्या लाभ मिल सकता है।
अगर आपको इनका जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।.....हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.
...... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें। ........म्यूजिक........
अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही ...अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर,चाइ च्यान.....