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    टी टाइम 140729 (योग शिखर सम्मेलन)
    2014-07-30 09:04:26 cri

    योग — आत्मा की यात्रा

    प्राचीन भारत ने विश्व को योग दिया है। इसका मतलब है एकता, मिलान और सामंजस्य। वह भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। योग का अभ्यास करने से लोग अपनी निहित शक्ति का विकास करते हैं और अपनी आत्मा को ब्रह्म के साथ जोड़ सकते हैं।

    दक्षिण-पश्चिम चीन के युन्नान का ताली शहर दक्षिणी प्राचीन रेशम मार्ग और प्राचीन चाय व घोड़ा मार्ग का एक प्रमुख हिस्सा है, जो चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण द्वार भी है।

    गत् 7 से 12 जुलाई तक दूसरा चीन-भारत योग शिखर सम्मेलन युन्नान के ताली शहर में आयोजित हुआ। योग के कई समुदायों, जैसे आयंगर, अष्टांग, हठयोग और शिवानंद आदि के महान गुरु और प्रतिनिधियों ने हजारों चीनी-विदेशी योग प्रेमियों को कक्षा दी। योग शिखर सम्मेलन के महासचिव छेन सी ने कहा कि चीन-भारत योग शिखर सम्मेलन चीन में योग का विकास बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा

    "प्रथम योग शिखर सम्मेलन के आयोजन के जरिए योग प्रेमियों ने योग का सही अर्थ समझाया। अब प्राथमिकता योग के विकास पर ध्यान देना है। ताली प्राचीन चाय और घोड़ा मार्ग का आवश्यक हिस्सा ही नहीं चीन-भारत सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अहम शहर भी है। दूसरा चीन-भारत योग शिखर सम्मेलन का ताली में आयोजन इस लिंक को फिर एक बार सक्रियता देता है।"

    चीन और भारत पड़ोसी देश हैं, जिनके बीच मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान का लम्बा इतिहास है। संस्कृति में दोनों देशों के बीच आवाजाही से विश्व संस्कृति का विकास हुआ है। दूसरे योग शिखर सम्मेलन के दौरान भारत से आए दसेक योग गुरु ने योग का सही अर्थ योग प्रेमियों तक पहुंचाया। विवेकानंद योग अनुसंधान संस्था (SVYASA) के उपाध्यक्ष एच. आर. नागेंद्र उनमें से एक हैं। उनकी कक्षा ने हजारों योग प्रेमियों को आकर्षित किया। नागेंद्र को आशा है कि योग प्रेमी व्यापक तौर पर योग समझेंगे और व्यवस्थित ढंग से योग का अभ्यास करेंगे, ताकि सही मायने में योग की दुनिया में प्रवेश हो सके। उनका कहना हैः

    "सिर्फ शारीरिक व्यायाम है, ऐसा ही सोचते हैं लोग योग के बारे में, परंतु योग सिर्फ शारीरिक नहीं है, शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक सब है। सब समय में मन के ऊपर नियंत्रण पाना यही हमारा लक्ष्य है। चीन में योग के विकास की काफी संभावना है। उसे सही दिशा देना है। अब सब लोग अच्छी तरह करते हैं और योग को अच्छे ढंग से, सही दिशा में लोगों को सिखाते हैं। यह बहुत जरुरत है।"

    दूसरे चीन-भारत योग शिखर सम्मेलन का विषय है योग का विज्ञान, जिसके आयोजन का उद्देश्य योग प्रेमियों को विवेकशील, वस्तुगत और वैज्ञानिक रवैये से योग का अभ्यास करने का मार्ग-प्रदर्शन देना है। वांग पाओ फिंग न सिर्फ सफल महिला उद्यमी है, बल्कि एक योग प्रेमी भी है। योग पर उसकी अपनी भावना है।

    "पुरुषों की तुलना में महिलाएं और संवेदनशील और भावनात्मक होती हैं। योग लोगों को शक्ति देता है, जिससे आप अपने दिल को ढूंढ़ सकते हैं और अपनी भावना को नियंत्रण कर सकते हैं। योग के अभ्यास के चलते महिलाओं की सुन्दरता और आत्मविश्वास प्रतिबिंबित हो सकता है। योग सचमुच हमारी मदद कर सकता है।"

    और ज्यादा लोगों को योग के प्रति आकर्षित बताने के लिए वांग पाओ फिंग अब व्यापक महिला उद्यमियों को लेकर योग का अभ्यास करती है। उसे आशा है कि आधुनिक युग में महिला योग को अपनी जीवन शैली बनाएगी। ताकि हमेशा से शांति की स्थिति में रह सके। योग से जुड़ने के दस साल बाद वांग पाओ फिंग के लिए शारीरिक व्यायाम करना काफी नहीं है, अब वह मानसिक स्तर पर योग का अध्ययन करना चाहती है। योग से संबंधित मशहूर किताब पढ़ने से योग के बारे में उसकी जानकारी बड़ी हद तक बढ़ गई। वांग पाओ फिंग ने कहाः

    "लाइफ में लोगों को अवश्य ही व्यापक परेशानियों और मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। योग से संबंधित पुस्तक पढ़ने के बाद आपको महसूस होगा कि पुस्तक में जो बातें सामने आईं, वे धीरे-धीरे आपके दिल को छू लेती हैं। इसलिए शारीरिक व्यायाम करने के अलावा, मैं योग किताब भी पढ़ती हूं।"

    हाल के वर्षों में व्यापक योग किताबों के चीनी संस्करण प्रकाशित किए गए, जो योग प्रेमियों में बहुत लोकप्रिय हैं। चीन के युन्नान विश्वविद्यालय की अध्यापिका चू छाई होंग इस काम में लगी है। उनका कहना हैः

    "तीन साल पहले चीन में योग से संबंधित पुस्तकें ज्यादा नहीं थीं। अब अनुवाद का काम तेजी से बढ़ रहा है। अनुवाद के जरिए चीनी संस्करण की योग किताबें प्रकाशित हुए। योग प्रेमी किताब पढ़ने के बाद योग को और गहन रूप से समझ सकेंगे।"

    लगभग सभी योग की किताबें संस्कृत या अंग्रेजी में हैं, जिन्हें चीनी लोग नहीं समझ सकते। इसलिए पुस्तकों का अनुवाद चीन में बहुत अहम है। चीन के चच्यांग विश्वविद्यालय के धार्मिक अध्ययन केन्द्र के प्रमुख वांग ची छंग ने कहाः

    "वैश्वीकरण के चलते दुनिया में सूचना का आदन-प्रदान आसान हो रहा है। योग भी वैश्वीकरण में शामिल होना चाहिए। योग का लम्बा इतिहास है। योग किताबों को पढ़ने से हम सटीकता से योग समझ सकेंगे, जिससे शरीर और मन में समन्वय साकार होगा।"

    वांग ची छंग द्वारा अनुवादित और लिखित किताबें योग प्रेमियों में लोकप्रिय हैं। चीन की मशहूर योग शिक्षक वांग युआन ने कहा कि हालांकि अब योग के बारे में उसकी जानकारी काफी नहीं है, लेकिन वह इस रास्ते पर मजबूती से बढ़ा रही है। योग के सही अर्थ की खोज करने के लिए वांग युआन ने बीस से अधिक बार भारत का दौरा किया। उसने योग गुरु आयंगर के हवाले से कहा कि चीन में योग का विकास पश्चिम देशों से बेहतर होगा। वांग युआन का कहना हैः

    "चीन की सभ्यता और संस्कृति 5000 साल पुराना है, जो भारत की सभ्यता और संस्कृति से मिलती-जुलती है। इसलिए चीन में योग का विकास आसान और सरल होना चाहिए। योग शांति और प्रेम का विज्ञान है। मुझे विश्वास है कि चीन में योग की भविष्य योग गुरु आयंगर की भविष्यवाणी की तरह और शानदार होगी।"

    चीन-भारत मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान वर्ष के अहम कार्यक्रम के रूप में दूसरे योग शिखर सम्मेलन सुचारू रूप से समाप्त हुआ। चीन स्थित भारतीय राजदूत अशोक कुमार कंठ ने कहा कि भारत और चीन के बीच आवाजाही का मुख्य विषय है लोगों के बीच आदान-प्रदान। योग शिखर सम्मेलन की भारत-चीन मैत्री बढ़ाने में सक्रिय भूमिका है। अशोक कुमार कंठ ने कहाः

    "भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का इतिहास 2000 साल से भी पुराना है। इन आवाजाही में योग के चीन में प्रवेश होना अनिवार्य है। इस साल भारत-चीन मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान वर्ष है। भारत की झलक नामक कार्यक्रम चीन के कई शहरों में आयोजित हो रहा है। उम्मीद है कि इन कार्यक्रमों के जरिए हमारे दोनों देशों के बीच संबंध अवश्य मजबूत होंगे।"

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