Web  hindi.cri.cn
    टी टाइम 140722 (अनिल और वेइतुंग)
    2014-07-23 09:56:51 cri

    अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ..चाय की आवाज .........आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।...........................................

    अनिलः दोस्तो वैसे एक सप्ताह में सात दिन होते हैं, लेकिन हमें आपके लिए प्रोग्राम पेश करने का बड़ा इंतजार रहता है। तो क्या कर रहे हैं आप लोग, रेडियो सेट ऑन किया कि नहीं, अगर नहीं तो जल्दी कीजिए। क्योंकि टी-टाइम प्रोग्राम हो चुका है शुरू।

    दोस्तो, आज के प्रोग्राम में पोदार एंटरप्राइज के प्रबंध निदेशक राजीव पोदार के साथ बातचीत सुनवाई जाएगी।

    अनिलः दोस्तो, फुटबाल विश्व कप समाप्त हो चुका है और जर्मनी ने अर्जेंटीना को फाइनल में 1-0 से हराकर चौथी बार विश्व कप का खिताब जीता है। इसके साथ ही जर्मनी पहली यूरोपीय टीम बनी है, जिसने दक्षिण अमेरिका में विश्व कप जीता है। लगभग एक महीने तक 32 टीमों के बीच हुए संघर्ष के बाद जर्मनी ने खिताब पर कब्जा किया। यह विश्व कप कई मायनों में याद किया जाएगा। अब अगला विश्व कप 2018 में रूस में खेला जाएगा।

    अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संघ यानी फीफा के अध्यक्ष ब्लाटर ने ब्राजील विश्वकप फुटबॉल की प्रशंसा करते हुए इसे विशिष्ट बताया है। उन्होंने कहा कि मैचों की तीव्रता और गुणवत्ता से यह विश्वकप बहुत अलग है। अगर दस अंकों में से इस विश्वकप को अंक देना है तो मैं इसे 9.25 अंक देता हूं। ब्लाटर ने हर टीम की जुझारू भावना की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ब्राजील विश्वकप अब तक का सबसे अच्छा विश्वकप है। हर मैच काफी कड़ा और रोमांचक रहा। यह सचमुच सपने जैसा प्रदर्शन है।

    मेसी को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने जाने पर ब्लाटर ने थोडी हैरानी व्यक्त की है। लेकिन उन्होंने कहा कि ग्रुप मैचों में मेसी के सभी गोल निर्णायक थे।

    जर्मनी के विश्व कप जीतने के पीछे या उसकी सफलता क्या रहस्य है। अगर जर्मन कोच जोचिम लोव की मानें तो इसकी प्रमुख वजह पिछले दस साल में देश के युवा फुटबाल खिलाडियों की प्रतिभा को निखारना और उनके खेल के स्तर में व्यापक सुधार है। विश्व कप जीतने के बाद प्रेस वार्ता में लोव ने बताया कि वर्ष 2004 में हुए यूरो कप मेंजर्मनी ग्रुप दौर में बाहर हुआ ।इसके बाद हमने कई निर्णायक कदम उठाये ।हमने फुटबाल एजुकेशन पर अधिक जोर देने का फैसला किया, क्योंकि तकनीक में महारत हासिल करने वाले अधिक खिलाडियों की जरूरत होती है। सिर्फ जर्मन स्वभाव से ही काम नहीं चलता ,क्योंकि दूसरी टीमों की अपनी-अपनी शैली होती है। हमें मैदान में बेहतर होना होगा ।लोव ने बंदेस लीग के क्लबों को धन्यवाद दिया ।बंदेस लीग के विभिन्न फुटबाल क्लबों ने युवा खिलाडियों के प्रशिक्षण पर बल दिया ।ब्राजील में विश्व कप की जीत युवा खिलाडियों को श्रेष्ठ ट्रेनिंग देने का परिणाम है। जर्मन कोच कहते हैं कि क्लब में अच्छे प्रदर्शन से जर्मन युवा खिलाडियों का आत्म विश्वास मजबूत है ।

    जर्मनी में वर्तमान में बहुत अच्छे युवा खिलाडी उपलब्ध हैं । विश्व कप टूर्नामेंट में जर्मन टीम ने दिखाया है कि वे सबसे मजबूत थे। टूर्नामेंट में सिर्फ एक विजेता है । हम इसे जीतने के योग्य है । हमने जो सात मैच खेले, उसमें हम मजबूत स्थिति में थे। यह पिछले दस साल की मेहनत और तैयारी का रिजल्ट है। हमने बेतरीन टीम भावना तैयार की है ।हमारे खिलाडियों को श्रेष्ठ तकनीकी क्षमता है ।हमें इस पर काफी गर्व है कि जर्मन टीम अमेरिकी महाद्वीप में आयोजित विश्व कप में खिताब जीतने वाली पहली यूरोपीय टीम बनी है।

    वैसे जर्मन टीम की सफलता का और एक महत्वपूर्ण रहस्य है कि वे बिग डेटा यानी आंकडों के वैज्ञानिक विश्लेषण का सहारा लेते हैं । कहा जाता है कि बिग डेटा विश्व कप के मैदान पर जर्मनी का 12वां खिलाडी था।

    इस विश्व कप से पहले ब्राजीली फुटबाल संघ ने सैप कंपनी के साथ सहयोग कर तकनीकी आंकडों के विश्लेषण की योजना बनायी। ताकि जल्दी से खिलाडियों और विभिन्न टीमों की तकनीकी आंकडे एकत्र कर इनका विश्लेषण किया जाए ।वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर टीम के कोचों ने समुचित रणनीति बनायी ।जर्मन टीम के मैनेजर ने मीडिया को बताया कि आज हर टीम मैच जीतने का सृजनात्मक उपाय ढूंढ रही है । जर्मन फुटबाल संघ ने राष्ट्रीय टीम को सबसे अच्छी तकनीकी समर्थन देने का वायदा किया था ।सैप कंपनी की सोलूशन योजना हमारी मांग से मेल खाती है ।उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि फ्रांस के साथ खेलने से पहले हम ने आंकडों के विश्लेषकण से पता लगाया कि फ्रांसीसी टीम मिडल फील्ड पर बड़ा ध्यान देता है और उस के दोनों बाजुओं में खाली स्थान ज्यादा है ।सो हम ने फ्रांसीसी टीम के दो बाजुओं पर जोरदार हमला करने का फैसला किया ।

    दो साल से पहले जर्मन टीम ने कोलोंग के एक खेल विश्वविद्यालय के साथ सहयोग शुरू किया ।इस विश्वविद्यालय के 50 छात्रों से गठित एक अध्ययन दल ने दक्षिण अमेरिकी टीमों और उन के खिलाडियों से जुडी बडी संख्या वाले आंकडों का विश्लेषण किया ।उन का अध्ययन लगभग प्रतिद्वंद्वी टीमों के हर पहलु पर कवर करता था ,जैसे ब्राजीली टीम के विश्लेषण में दबाव में ब्राजीली खिलाडियों का फार्म ,दौडने की लाइन ,फाउल के बाद खिलाडियों की प्रतिक्रिया व इत्यादि ।जर्मनी टीम के सहायक कोच ने कहा कि अध्ययन दल ने संभी संबंधित ब्योरों का विश्लेषण किया ।इन विश्लेषण का सहारा लेकर हम गहराई से प्रतिद्वंद्वी को समझ सके और सही योजना बनाने में बडी मदद मिली ।अवश्य इस तकनीकी व्यवस्था से हमारे खिलाडी अपने को भी अच्छी तरह जान सकते और समयानुसार समायोजित कर सकते ।

    फुटबाल पर चर्चा के बाद फिल्मों की बात करते हैं।

    आंकडों के मुताबिक इस जनवरी से जून तक चीनी फिल्मों का बॉक्स ऑफिस 13 अरब 74 करोड़ 30 लाख युआन दर्ज हुआ है। जिसमें स्वदेश निर्मित फिल्मों की आय 6 अरब 63 करोड़ 40 लाख युआन है। जबकि आयातित विदेशी फिल्मों की बॉक्स आय 7 अरब 10 करोड़ 90 लाख युआन है। इससे पता चलता है कि आयातित विदेशी फिल्मों के जबरदस्त प्रदर्शन के कारण स्वदेशी फिल्मों से होने वाली आमदनी आधे से भी कम रहीं।

    स्वदेशी फिल्मों के बॉक्स आफिस रैंकिंग में पहले पांच स्थानों में ये फिल्म शामिल हैं, स्वर्ग भवन का उत्पात, पिता जी, कहां जाएंगे, मकाओ की कहानी, सहपाठी और पेईचिंग की प्रेम कहानी। बॉक्स आफिस रैंकिंग में पहले पांच आयातित विदेशी फिल्में ये हैं, ट्रांफॉर्मर्स-4, X-Men: Days of Future Past, कैप्टन अमेरिका, The Amazing Spider-Man और Godzilla। देश में क्वांग तुंग, च्यांग सू, च च्यांग, पेईचिंग और शांग हाई के बॉक्स ऑफिस।

    फिल्मों और बॉक्स ऑफिस के बारे में चर्चा के बाद इंटरनेट पर बात करते हैं।

    ..... चीन में इंटरनेट का प्रसार बढ़ता जा रहा है। शहर ही नहीं गांवों में भी इंटरनेट यूज करने वालों की बहुत बड़ी तादाद है। इसी बीच आॉनलाइन किताबें पढ़ने वालों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। हालांकि ऑनलाइन किताबें खरीदने के बजाय, अधिकांश मुफ्त में पढ़ना चाहते हैं। जानकारों की मानें तो तमाम लोगों को अभी कॉपीराइट नियमों के बारे में जानकारी नहीं है। पिछले दिनों चाइनीज एकेडमी ऑफ प्रेस एंज पब्लिकेशन द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2013 के अंत तक पचास फीसदी से अधिक पाठकों ने ऑनलाइन किताबें पढ़ने की कोशिश की। जबकि साल 2008 में इस तरह से पढ़ने वालों का अनुपात सिर्फ 24.5 प्रतिशत था। भले ही ऑनलाइन पढ़ने का चलन बढ़ा हो, लेकिन लोग पैसे देकर या ऑनलाइन खरीदकर किताबें पढ़ने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाते। वर्ष 2013 में महज 38.7 फीसदी लोगों ने ई-बुक्स डॉउनलोड करने के लिए पैसे अदा किए।

    बताया जाता है कि एक ई-बुक को डाउनलोड करने की कीमत साल 2012 में 3.27 युआन थी, लेकिन 2013 में घटकर 1.28 युआन रह गई। इसकी वजह पाठकों द्वारा तमाम किताबें मुफ्त में पढ़ना बताया जाता है।

    सर्वे में यह भी बात सामने आई कि 58.2 फीसदी रेगुलर मोबाइल फोन रीडर्स ने मुफ्त में मिलने वाली ई-बुक्स ही पढ़ी। यह सर्वे नेशनल रीडिंग एनालिसिस का हिस्सा था, जिसके तहत 40,600 लोगों से की गई बातचीत के आधार पर डेटा तैयार किया गया।

    जानकार कहते हैं कि ऑनलाइन किताबें पढ़ने में दिलचस्पी बढ़ने से इस बात का पता चलता है कि चीन में डिजिटल प्रकाशन व्यवसाय में उछाल आ रहा है। पर फ्री-ऑफ चार्ज पढ़ने में रुचि दिखाना, इस बात का प्रतीक है कि अब भी लोगों में कॉपीराइट के बारे में जागरुकता पैदा करने की जरूरत है।

    चायना रिटन वर्क्स कॉपीराइट सोसाइटी, के महासचिव चांग होंगबो के अनुसार चीन में लोग लंबे समय से मुफ्त में ऑनलाइन चीजों का इस्तेमाल करने के आदी रहे हैं। इंटरनेट पर अधिकांश कंटेंट कॉपीराइट होल्डर्स की जानकारी के बिना धड़ल्ले से मिलता है। ई-रीडिंग वेबसाइट और सर्विस प्रोवाइडर मुफ्त में पढ़ने की सामग्री जारी करते हैं, लेकिन इन पर विज्ञापन बहुत होते हैं। ऐसे में वेबसाइट चलाने वालों की कमाई हो जाती है और पाठकों को भी मुफ्त में सामग्री उपलब्ध हो जाती है। चायना ऑनलाइन कॉपीराइट वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2013 में ई-बुक, डिजिटल न्यूजपेपर और मैगजीन की खरीद लगभग 5.8 बिलियन युआन पहुंच गई। जो कि चीन के कुल डिजिटल उत्पादन का सिर्फ 3 फीसदी है। चायनीज एकेडमी ऑफ प्रेस एंड पब्लिकेशन से जुड़े, वेई यूशान कहते हैं कि इससे जाहिर होता है कि ई-रीडिंग मार्केट में व्यापक संभावना है, लेकिन इसके लिए कॉपीराइट उत्पादों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। साथ ही कम गुणवत्ता के पाइरेटेड कटेंड पर भी रोक लगानी ही।

    वैसे विश्लेषक ये भी मानते हैं कि आजकल के युवाओं में पुस्तकें पढ़ने में कम रुचि है। वे अगर किताबें पढ़ते भी हैं तो गहराई से अध्ययन नहीं करते। विशेषकर किताबें खरीदकर पढ़ने में दिलचस्पी कम हो रही है।

    दोस्तो, अगर प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रिया शामिल न हुई तो टी-टाइम प्रोग्राम अधूरा। क्योंकि आप ही तो हैं, हमारे प्रोग्राम की जान।

    तो लीजिए, इसी क्रम में पेश है सुरेश अग्रवाल का मेल। लिखते हैं कि साप्ताहिक "टी टाइम" के तहत गूगल,याहू,पेप्सी समेत विश्व की तमाम बड़ी कम्पनियों द्वारा उनके बदले नामों पर दी गई जानकारी अत्यन्त महत्वपूर्ण लगी। इन दिनों तमाम नित्य-नये मोबाइल एप्स के आने की जानकारी हासिल हो रही है, परन्तु आज के कार्यक्रम में इजरायल द्वारा एक ऐसे एप के ईज़ाद की जानकारी आश्चर्यजनक लगी कि जिसके ज़रिये उस पर मिसाइल आक्रमण किये जाने की चेतावनी उसे तुरन्त मिल जायेगी। चीन के एक अस्पताल में प्रेमी द्वारा अपनी पूर्व प्रेमिका पर नोटों की वर्षा कर अपने अपमान का बदला लेने का तरीका भी नायाब लगा। कील-मुंहासों से छुटकारा दिलाने वाले वाले आसनों पर दी गई जानकारी तो सभी के लिये उपादेय है। लगता है कि गत सात जुलाई से युन्नान के ताली में शुरू योग सम्मेलन का आप पर भी काफी प्रभाव पड़ा है। आज के कार्यक्रम में पेश जोक्स को औसत दर्ज़े का कहा जायेगा, क्योंकि ये काफी समय से प्रचलित हैं। धन्यवाद।

    दूसरा मेल आया है, जमशेदपुर, झारखंड से एस.बी.शर्मा का। लिखते हैं कि 15 जुलाई का टी टाइम प्रोग्राम काफी विशेष लगा। आज के इस प्रोग्राम

    में दुनिया भर के नामी कंपनियों के पुराने नामो को विस्तार से बताया। इससे पता चला कि तमाम ऐसी कंपनिया है जिन्होंने अपना नाम बदल

    डाला है। गूगल का पुराना नाम बैकरब 1996 तक था और 1997 में बैकरब का नाम बदला और गूगल हो गया। आपके द्वारा संकलित यह जानकारी काफी उपयोगी है। वहीं चीन के एक प्रेमी द्वारा अपने धन लोभी पूर्व प्रेमिका पर रूपये की वर्षा की जानकारी पहले भी सी आर आई से हासिल हुई थी। पर दुबारा सुनकर याद ताजा हो गई। वहीं इजराइल द्वारा रॉकेट हमले के विषय में जानकारी देने वाले मोबाईल एप की जानकारी काफी ताजा है, और इसे मोबाईल के क्षेत्र में

    एक इनोवेटिव कदम माना जाना चाहिए। विज्ञान का सही उपयोग मनुष्य के दैनिक

    जीवन में काफी उपयोगी हो गया है और इससे जिंदगी बहुत सरल और आसान हो गई है। अच्छे चुटकुलों से भरे टी टाइम के इस उपयोगी एपिसोड की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

    वहीं, भागलपुर बिहार से डा. हेमंत कुमार ने भी मेल भेजकर प्रोग्राम के बारे में लिखा है। वहीं पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल ने भी हमेशा की तरह टी-टाइम प्रोग्राम पर टिप्पणी की है।

    अब हेल्थ टिप्स की बारी है।

    दिन भर की भागदौड़ और तनाव की वजह से थकावट महसूस तो हर किसी को होती है। लेकिन कई लोगों को पूरे शरीर में दर्द की शिकायत भी रहती है। दर्द को कम करने के लिए कुछ लोग तो पेनकिलर भी ले लेते हैं।

    दर्दनाशक दवाइयां तुरंत आराम तो देती हैं, पर लंबे समय तक इसका इस्तेमाल सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है। अगर आप चाहती हैं बिना किसी दवा के ही दर्द को दूर भगाना, तो इन घरेलू उपायों को आजमाएं।....

    थकावट को दूर करने के लिए एक कप ग्रीन टी लें। नियमित इसे पीने से वजन कंट्रोल में तो रहता ही है, मसल्स पेन में भी काफी आराम मिलता है।

    गाजर का जूस और उतनी की मात्रा में नींबू का रस, दोनों को मिक्स करें। इस मिश्रण को रोजाना एक चम्मच लें। इससे बॉडी पेन में राहत मिलेगी।

    ताजगी के लिए अदरक की चाय कई बार पी चुकी होंगी, तो क्यों न इसे नेचुरल पेनकिलर के तौर पर भी इस्तेमाल करें। अदरक की चाय या तुलसी के काढ़े में इसे मिलाकर पिएं, हर तरह से यह आपको फायदा ही पहुंचाएगा।

    इससे पाचन शक्ति मजबूत रहती है और ऑर्थराइटिस में भी आराम मिलता है।

    दोस्तो अब बारी है हंसी के फव्वारों की यानी जोक्स की। जी हां, मुझे पता है आप जरूर हंसगुल्लों का इंतजार कर रहे होंगे।

    लीजिए पेश है, पहला हंसगुल्ला।

    टीचर-संता, बताओ जवानी और बुढ़ापे में क्या फर्क है?

    संता-टीचर जी, सीधी सी बात है.जवानी में मोबाइल में हसीनों के नंबर होते हैं.और बुढ़ापे में हकीमों के।

    ------हंसने की आवाज.....

    टीचर- क्या तुम बता सकते हो अपनी भाषा को मातृभाषा क्यों कहते हैं, पितृभाषा क्यों नहीं?

    संता-सर क्योंकि हमारे देश में पिता को मुश्किल से कभी बोलने का मौका मिलता है..

    ...........हंसने की आवाज......

    .जज-संता सिंह से पूछते हैं कि सच-सच बताओ ये एक्सिडेंट कैसे हुआ? आखिर हुआ क्या था?

    संता-जज साहब मुझे पता है मैं ड्राईविंग कर रहा था तो लोगों को लग रहा है मुझे सब पता है और मैं झूठ बोल रहा हूं, लेकिन मैं सच कह रहा हूं मैं ड्राइविंग के वक्त सो रहा थाऔर मुझे कुछ नहीं पता..

    ...........हंसने की आवाज......

    दोस्तो, अगर आपके पास भी कुछ जोक्स या शायरी तो हमें भेज सकते हैं..............

    अब सवाल-जवाब की बारी है। दोस्तो हमने पिछले सप्ताह दो सवाल पूछे थे, पहला सवाल था- गूगल कंपनी का नाम पहले क्या था।

    सही जवाब है, बैकरब

    दूसरा सवाल था- मिसाइल हमलों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए किस देश ने एप लांच किया है और उस एप का नाम क्या है।

    सही जवाब है- इजराइल और एप का नाम है यो।

    इन दोनों सवालों का सही जवाब हमें लिखकर भेजा है,

    पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल, देबाशीष गोप, रवि शंकर बसु, झारखंड से एस.बी.शर्मा, सऊदी अरब से सादिक आजमी, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल और भागलपुर बिहार से हेमंत कुमार आदि ने।

    आप सभी को बधाई---- तालियों की आवाज.....आगे भी हमारे सवाल सुनते रहिए। .....

    ....म्यूजिक.....छोटा सा..

    अनिलःअब आज के सवालों की बारी है, पहला सवाल है- अगला फुटबाल विश्व कप, कब और किस देश में खेला जाएगा।

    दूसरा सवाल है- जनवरी से जून तक चीन में फिल्मों का बॉक्स ऑफिस कारोबार कितना रहा।

    अगर आपको इनका जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।.....हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.

    ...... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें। ........म्यूजिक........

    अब आप सुनेंगे राजीव पोदार के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश।

    अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही ...अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर,चाइ च्यान.....

    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040