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    टी टीइम 140715 (अनिल और ललिता)
    2014-07-15 19:34:03 cri

    अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।.........

    अनिलः दोस्तो वैसे एक सप्ताह में सात दिन होते हैं, लेकिन हमें आपके लिए प्रोग्राम पेश करने का बड़ा इंतजार रहता है। तो क्या कर रहे हैं आप लोग, रेडियो सेट ऑन किया कि नहीं, अगर नहीं तो जल्दी कीजिए। क्योंकि टी-टाइम प्रोग्राम हो चुका है शुरू।

    अनिलः सेक्शपीयर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है, लेकिन हम कहेंगे कि नाम में भी बहुत कुछ रखा होता है। अब जरा सोचिए, अगर आज सबसे लोकप्रिय गूगल का नाम, अगर बैकरब होता तो कैसा रहता। जी हां, पहले गूगल का नाम बैकरब ही रखा गया था। कहते हैं कि कंपनियां भी बच्चों की तरह होती हैं, अगर उनका नाम गलत रख दिया तो फिर जीवन भर पछताना पड़ता है।

    कंपनियों को ब्रांड नामों का सुझाव देने वाली अमरीका के कैलिफ़ोर्निया की फ़र्म लेक्सिकॉन के संस्थापक डेविड प्लेसेक कहते हैं, "कुछ शब्द कल्पना बढ़ाते हैं और उम्मीद जगाते हैं. किसी ब्रांड की ताक़त को कम करके मत आंकिए।

    लेक्सिकॉन ने कई बड़ी कंपनियों को सलाह दी है. जैसे इंटेल के लिए पेंटियम, एपल के लिए पॉवरबुक और कोका कोला के लिए दसानी।

    ललिताः 1998 में कनाडा की एक छोटी सी कंपनी लेक्सिकॉन के पास पहुंची। वो ऐसा फ़ोन ला रही थी जो ईमेल भेज सकता था. समस्या थी मेगामेल और प्रोमेल में से एक नाम चुनने की। डेविड प्लेसेक की कंपनी ने इसपर काम करना शुरू किया। इसी दौरान किसी ने ताज़गी और आनंद के लिए स्ट्राबेरी का नाम सुझाया और इसके बाद किसी ने ब्लैकबेरी नाम सुझाया।

    रिसर्च इन मोशन के एक्ज़ीक्यूटिव्स को दूसरा नाम पसंद आया। फ़ोन का नाम ब्लैकबेरी रखा गया। ब्लैकबेरी के नाम से जाने वाली रिसर्च इन मोशन सवा तीन करोड़ से ज़्यादा फ़ोन बेच चुकी है।

    अनिलः कुछ कंपनियां और उनके पहले के नाम

    सोनी (टोक्यो टेलीकम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग)

    याहू (जेरीस गाइड टू द वर्ल्ड वाइड वेब)

    आईबीएम (कंप्यूटिंग टैब्यूलेटिंग रिकॉर्डिंग कॉर्पोरेशन)

    पेप्सी (ब्रैड्स ड्रिंक)

    फ़ेसबुक (द फ़ेसबुक)

    वैसे 32 साल पहले लेक्सिकॉन जब शुरू हुई थी तब सिर्फ़ पांच कर्मचारी थे. आज 700,000 से ज़्यादा लोग इस कंपनी के लिए काम करते हैं।

    कुछ ऐसे ही हालात में टेक्सस के लॉयड आर्मब्रस्ट को अपनी कंपनी का नाम बदलना पड़ा था. 2010 में कंपनी शुरू करते हुए उन्होंने नाम सीइंग इंटरेक्टिव रखा था. ये कंपनी अख़बारों को प्रिंट विज्ञापनों को ऑनलाइन में बदलने में मदद करती है.

    वो कहते हैं, "हमें यही वेब नेम मिला था. हमें लगा नाम मायने नहीं रखता, लेकिन ये बोलना मुश्किल था और लंबा था." आख़िर उन्हें नाम बदलकर ऑनलोकल करना पड़ा।

    आर्मब्रस्ट कहते हैं कि लगता है कि इसका असर हुआ है. वो बताते हैं, अब ग्राहकों को कहते सुनते हैं कि 'ऑनलोकल' ऑनलाइन उद्योग में सबसे आगे है।

    ललिताः वैसे आजकल तकनीक के विकास के साथ-साथ मोबाइल एप्स की भी डिमांड बढ़ती जा रही है। अब देखिए ना मिसाइल के बारे में सूचना पाने के लिए भी एप आ गए हैं। इसराइल में फ़लस्तीनी मिसाइल हमलों से आगाह करने के लिए अब 'यो' नाम के ऐप का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसराइल में पहले से ही चल रही मिसाइल नोटिफिकेशन सर्विस 'रेड अलर्ट' ने खुद को इस ऐप से जोड़ा है। रेड अलर्ट ऐसी सर्विस है जो इसराइल की वायु सेना और होमफ्रंट कमांड की मदद से फ़लस्तीन की ओर से इसराइल में दागी गई मिसाइल की जानकारी लोगों को देता है.

    अनिलः 'रेड अलर्ट' को दो इसराइलियों आरी स्प्रूंग और कोबी स्नायर ने तैयार किया है जबकि 'यो' ऐप को सान फ्रांसिस्को निवासी एक इसराइली ने बनाया है. हालांकि इस ऐप को लेकर विशेषज्ञ सशंकित हैं. कुछ लोगों का कहना है कि यह आधी अधूरी तैयारी के साथ शुरू किया गया है। आलोचकों का कहना है कि यह एक हथकंडा है और यह अमानवीयता को और बढ़ाने वाली है।

    इसराइल में इस सेवा के सलाहकार रहे द्वीर रिज़निक कहते हैं, 'यदि आप इसराइल में इस तरफ़ हैं और मीलों दूर कोई मिसाइल गिरती है तो आपके लिए इसका कोई इस्तेमाल नहीं होता है। बताते हैं कि 'यो' एक आसान ऐप है, जो यूज़र्स से पहले टैक्स्ट के रूप में रू-ब-रू होता है. फिर आवाज के जरिए नोटिफिकेशन देता है।

    अप्रैल में लांच होने के बाद अब तक इसे बीस लाख लोग डाउनलोड कर चुके हैं. दोस्तों के बीच ध्वनि संदेशों के आदान-प्रदान में इसका इस्तेमाल होता है.

    हालांकि, इसराइल की दूसरी तरफ़ ग़ज़ा में इस तरह का कोई ऐप नहीं है और मिसाइल हमलों के चेतावनी ट्विटर है श टैग से दी जाती है।

    इसराइल की टेक वेबसाइट 'गीक टाइम' के यानिव फेल्डमन कहते हैं कि 'यो' की योजना सबसे घटिया विचार है. इसका उपयोगिता सिर्फ उन लोगों में जागरूकता फैलाने में है जो इसराइल से बाहर हैं।

    ललिताः उधर चीन के पेइचिंग स्थित एक अस्पताल में एक हैरत अंगेज घटना घटी। वहां आए एक आदमी ने एक औरत पर अचानक रूपयों की बरसात शुरू कर दी। उन दोनों में साथ ही झगड़ा होने लगा। बाद में वहां खड़े एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि दोनों के बीच आखिर हुआ क्या था। उस आदमी ने बताया कि पूरे झगड़े के दौरान वो वहीं खड़ा था। उसके मुताबिक दोनों मर्द और औरत एक्स लवर्स थे। औरत ने अपने एक्स-ब्वॉयफ्रेंड को इस लिए छोड़ दिया था क्योंकि उसे उसके नए ब्वॉयफ्रेंड ने एक बीएमडब्लू गाड़ी गिफ्ट कर दी थी।

    औरत का कहना था कि वो अपने ब्वॉयफ्रेंड को इसलिए छोड़ रही है क्योंकि वो उसको एक अमीर जिंदगी नहीं दे सकता। इस घटना का असर उस आदमी पर इतना गहरा हुआ कि उसने अपनी एक्स को अच्छा सबक सिखाने की सोची।

    उसने शादी कर ली और बढ़ते दिनों के साथ खुद को अमीर बना लिया। इसके बाद वो एक दिन अस्पताल में आया जहां उस की एक्स गर्लफ्रेंड नर्स के तौर पर काम करती थी।

    वो उसे एमरजेंसी रूम के बाहर ले गया और उस के ऊपर 9631443 रूपयों की बरसात कर दी। अपनी इस हरकत से उसने उस औरत से बदला भी लिया और उसे उस की गलती का एहसास भी दिला दिया।

    अनिलः अब हेल्थ टिप्स की बात करते हैं...तमाम लोग मुंहासों की समस्या से जूझते रहते हैं। तो आज हम इस बारे में ही बात करते हैं।

    मुंहासों से छुटकारे के लिए अगर आप बिना सोचे-समझे कॉस्मेटिक्स पर पैसे बहाते हैं तो इसका असरदार और सुरक्षित उपाय योग में है।

    मुंहासों की वजह अगर त्वचा या हार्मोन संबंधी है तो ये आसन कारगर हैं लेकिन अनुवांशिक समस्याओं में नहीं।

    ऐसे कई आसन हैं जिनके नियमित अभ्यास से आप मुफ्त में मुंहासों से छुटकारा भी पा सकते हैं, इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।

    सुप्त वज्रासन

    इसके लिए पहले घुटने मोड़कर पंजों के बल बैठ जाएं।

    दोनों हाथों को जांघों पर रखें और रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।

    अब दोनों हाथों को कमर पर रखें।

    सिर पीछे जमीन की ओर ले जाएं।

    इसी अवस्था में लेट जाएं।

    कुछ सेकेंड इस अवस्था में रहने के बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं।

    पवन मुक्तासन

    जमीन पर चटाई अथवा दरी बिछाकर सीधा लेट जाएं।

    दाएं पैर को मोड़कर छाती से लगाएं।

    इसके बाद दोनों हाथों की उंगलियों को घुटने के नीचे आपस में मिलकार पकड़े।

    सांस छोड़ते हुए सिर को ऊपर उठाएं और नाक से घुटने का स्पर्श करें। एक से दो मिनट इसी अवस्था में रहें।

    तीन से चार बार इस क्रिया को दोहराएं।

    इसके बाद बाएं पैर से इसी प्रकार आसन का अभ्यास करें। दोनों पैरों से अलग अलग अभ्यास करने के बाद दोनों पैरों से एक साथ इस क्रिया को दोहराएं।

    ललिताः अब लिस्नर्स के कमेंट की बारी है, दोस्तो आपकी भागीदारी के बिना टी-टाइम प्रोग्राम अधूरा है। इसलिए हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहता है। लीजिए इसी क्रम में पेश है, पहला खत। जिसे भेजा है, सऊदी अरब से सादिक आजमी ने। लिखते हैं कि अनिल जी और वेईतुंग जी द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम टी टाईम का नया अंक सुना। जो हर लिहाज से मनोरंजन और ज्ञान से भरपूर था। चाहेसेहतसंबंधी बातें हो। हम सभी चीजों का जमकर आनंद उठाते हैं। इसके साथ ही वरिष्ठ पत्रकार से सम्मानित आलोक मेहता जी से लिया गया साक्षात्कार बहुत उम्दा लगा। हमें उनके विचार उन की ज़ुबानी जानने का अवसर मिला। वहीं रेशम मार्ग पर ध्यान केन्द्रित करवाते हुए आर्थिक दृष्टि से चीन तथा दूसरे सहयोगी देशों और चीन-भारत संबंधों में तेजी पर उनकी प्रतिक्रिया सटीक लगी। और सम्पादक ब्रॉडकास्टर्स का एक मत होकर एशिया महाद्वीप पर शान्ति बहाली और व्यवसाय के नए स्रोत और आपसी सहयोग बढ़ाने के विषय पर मीडिया द्वारा प्रचार प्रसार का संकल्प सराहनीय लगा। आज के आधुनिक दौर में मीडिया का रोल बहुत असरकारक माना जाने लगा है। और अब मीडिया ने भी भारत चीन म्यांमार पाकिस्तान बंगलादेश आदि के रिश्तों में बहाली के प्रति प्रचार-प्रसार का संकल्प लिया है। यह एक सार्थक कदम है।

    अनिलः पर शारापोवा के सचिन तेंदुलकर को पहचानने के इनकार ने यह बात साबित कर दी है कि भले ही वह विम्बल्डन विजेता बन गई हों। पर उनका आईक्यू अभी बहुत कमज़ोर है। विश्व की कुछ महान हस्तियों में शुमार सचिन को न पहचानना तो यही साबित करता है। जिस तरह उनका विरोध हो रहा है, उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि शेनवार्न की तरह उन्हें भी सचिन सपने में नजर आएंगे।

    वहीं गूगल द्वारा म्यूज़िक सर्विस सांग्या को ख़रीदा जाना विश्व में इनटरनेट यूज़र्स के लिये खुशी का मौका है क्योंकि एन्ड्राइड आज समूचे स्मार्ट फोन पर छा चुका है और अब गूगल की यह पहल उनके लिये और सुविधा मुहैया करा रही है, जो सराहनीय है। पर अफ़्रीका के कुछ क्षेत्रों में इबोला बीमारी के क़हर ने ४०० लोगों को मौत के आगोश में ले लिया। यह जानकर दिलकर कांप उठा। हम कामना करते हैं कि समय रहते इस पर काबू पा लिया जाएगा।

    जबकि सिंगापुर के शोधकर्ताओं के विचार पर्याप्त नीद न लेने वालों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव की बात सौ फ़ीसदी दुरुस्त लगी। साथ में आज तीनों जोक लाजवाब लगे। साथ ही सवालों के जवाब देने वालों को भी बधाई।

    ललिताः वहीं अगला पत्र केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने भेजा है, उन्होंने भी प्रोग्राम पर टिप्पणी करने के साथ-साथ सवालों के जवाब भेजे हैं।

    अब बारी है, नेक्स्ट लैटर की, जो हमें भेजा है जमशेदपुर झारखंड से एस.बी.शर्मा ने। कहते हैं कि टी-टाइम के पिछले अंक में क्रिकेट के भगवान सचिन के बारे में, रूसी टेनिस खिलाडी शारापोवा को जानकारी न होना दर्शाता है कि उनके सामान्य ज्ञान का स्तर उतना अच्छा नहीं है।

    शुरू हुई यह जानकार दुःख हुआ की सरपोवा टेनिस की अच्छी खिलाडी है पर उनके सामान्य ज्ञान का स्तर उतना अच्छा नहीं है। हालांकि कहना होगा कि वैसे भी क्रिकेट केवल राष्ट्रमंडल देशों में लोकप्रिय है बाकी के देश क्रिकेट से उतना लगाव नहीं रखते हैं पर दुनिया में क्रिकेट का प्रचार प्रसार तो बहुत है।

    अनिलः अतः शारापोवा से उम्मीद होनी चाहिए की वे सचिन जैसे क्रिकेटरों के विषय में जाने अन्यथा उन्हें मुश्किलों की सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। इसके साथ ही दक्षिण अफ्रीका के अजोबो गरीब रोग के विषय में आपने अच्छी जानकारी दी। जबकि पद्मश्री से सम्मानित आलोक मेहता जी से बातचीत बहुत अच्छी लगी। उन्होंने श्रोताओं से ठीक ही कहा कि आज दोनों देशों की जनता विकास चाहती है, युद्ध नहीं। साथ ही मनमुटाव या समस्याओं को किनारे करते हुए एक दूसरे से व्यापार करना चाहती है। उम्मीद करते हैं कि दोनों देशों के बीच सहयोग और आगे बढ़ेगा।

    अगला मेल हमें आया है, पश्चिम बंगाल से विधान चंद्र सान्याल का। लिखते हैं कि इस बार का टी-टाइम प्रोग्राम भी हमने बड़े उत्साह के साथ सुना। इसमें मारिया शारापोवा द्वारा यह कहना कि सचिन कौन हैं, यह चर्चा बहुत पसंद आई। शारापोवा का सचिन को न जानने की बात शोभा नहीं देती। सिर्फ अपने को पसंद खेल की जानकारी रखना ही पर्याप्त नहीं है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार के साथ चर्चा भी अच्छी लगी। अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई।

    ललिताः जबकि पश्चिम बंगाल से ही देवाशीष गोप लिखते हैं कि मैंने 8 जुलाई को प्रसारित टी-टाइम प्रोग्राम सुना। इसमें दी गई तमाम जानकारियां बहुत अच्छी लगी। आप लोगों को बधाई देना चाहता हूं कि आप लगातार शानदार प्रोग्राम पेश करते हैं। सच कहूं तो मुझे आपके प्रोग्राम का बड़ा इंतजार रहता है।

    अनिलः अब जोक्स की बारी है।

    पहला जोक है

    जज-आपको अपनी सफाई में क्या कहना है?

    महिला-अब मैं क्या बोलूं, मेरे यहां सफाई नौकरानी करती है तो इस बारे में तो वही ज्यादा अच्छी तरह बता सकती है..

    लीजिए अब पेश है, दूसरा हंसगुल्ला

    संता की नई चेक बुक खो गई, तो वह दूसरी चेक बुक लेने बैंक गया

    बैंक अधिकारी- सर, हमने आपसे कहा था न कि उसे संभल कर रखिएगा। अब कोई आपके नकली सिग्नेचर कर आपको ठग सकता है।

    संता- मैं बेवकूफ नहीं हूं! मैंने पहले ही अपने सारे चेक साइन कर दिएथे, ताकि कोई मेरे सिग्नेचर की नकल कर मुझे बेवकूफ न बना सके।

    अब बारी है, तीसरे और अंतिम जोक की।

    अध्यापक- पप्पू तुम बहुत ज्यादा बोलते हो।

    पप्पू- येह मारी खानदानी परंपरा है।

    अध्यापक- क्या मतलब है तुम्हारा?

    पप्पू- सर, मेरे दादा जी एक फेरीवाले थे और मेरे पिता जी एक अध्यापक।

    अध्यापक- और अपनी मां के बारे में बताओ?

    मतलब क्या है? सर वो एक औरत हैं!!!!

    दोस्तो, अगर आपके पास भी कुछ जोक्स या शायरी तो हमें भेज सकते हैं..............

    अब सवाल-जवाब की बारी है। दोस्तो हमने पिछले सप्ताह दो सवाल पूछे थे, पहला सवाल था- हाल में विंबलडन टूर्नामेंट के दौरान किस देश की खिलाड़ी ने कहा कि वे सचिन को नहीं जानती। उनका क्या नाम है।

    सही जवाब है, रूस की टेनिस स्टार मारिया शारापोवा।

    दूसरा सवाल था- एक घातक बीमारी से आजकल कहां के लोग परेशान हैं।

    सही जवाब है, अफ्रीका।

    इन दोनों सवालों का सही जवाब हमें लिखकर भेजा है,

    पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल, देबाशीष गोप, रवि शंकर बसु, झारखंड से एस.बी.शर्मा, सऊदी अरब से सादिक आजमी, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल और भागलपुर बिहार से हेमंत कुमार आदि ने।

    आप सभी कोब धाई .... आगे भी हमारे सवाल सुनते रहिए। .....

    अनिलः अब आज के सवालों की बारी है, पहला सवाल है- जानी मानी कंपनी गूगल का नाम पहले क्या रखा गया था।

    दूसरा सवाल है- मिसाइल हमलों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए किस देश ने एप लांच किया है और उस एप का नाम क्या है।

    अगर आपको इनका जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।.....हमारा ईमेलहै.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है ...hindi.cri.cn.... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें।

    अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही ...अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बाखैर,चाइच्यान.....

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