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    चीन मेँ कृत्रिम बारिश कराने का इतिहास
    2014-07-14 08:39:19 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजा हैं झारखंड से एस बी शर्मा का। लिखते हैं विश्वप्रसिद्ध खूबसूरत हाईनान पर्यटन द्वीप के विषय में बहुत ही अच्छी जानकारी दी गई। वहां दुनिया भर के मशहूर पर्यटन क्षेत्र हैं,जहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। यह चीन की अर्थव्यवस्था में काफी महत्वपूर्ण योगदान देता है 34000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह द्वीप अतर्राष्ट्रीय पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र है। इस क्षेत्र में रबड़,नारियल, ईख, आम, काली मिर्च कॉफी और सुपारी लगाई जाती है। इनकी अच्छी पैदावार होती है, इसके साथ ही ली नामक चीन की एक अल्प्संखयक जाति भी यहां रहती है। ये लोग खेती कर अपनी आजीविका चलाते हैं। हाएनान द्वीप की 1580 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा पर छोटे बड़े 68 बंदरगाह स्थित हैं शांत समुद्र पर्यटक खूब आनंद लेते है। यहां चूना पत्थर, डोलोमाईट, ग्रेनाइट, संगमरमर, स्फटिक, चीनी मिट्टी तथा लावाजनित राख का समृद्ध भंडार मौजूद है। वनछाडं, छ्युडंहाए, वाननिडं, लिडंश्वेइ तथा सानया में स्थित टिटेनियम खानों में 70 करोड़ टन टाइटेनियम होने का अनुमान है। छाडंच्याडं काउन्टी की शलू लौह खान की खुदाई से प्राप्त लौह खनिज 60 प्रतिशत शुद्ध होते हैं।

    वनिता: वे आगे लिखते हैं कि यह द्वीप भारत के गोवा जैसा सुन्दर और प्रसिद्ध है यहाँ विश्व सुंदरी प्रतोयोगिता भी आयोजित हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त इस द्वीप को देखना स्वर्ग भ्रमण के समान है। हो सके तो सभी चीन जाने वाले लोगों को एकबार हाइनान जरूर जाना चाहिए।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत आया है दिल्ली से अमीर अहमद का। लिखते हैं पंचशील सिद्धांत की 60वीं वर्षगांठ पर इंडो चाइना कल्चरल सोसायटी दिल्ली द्वारा भव्य कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है। आपको जानकारी दे दें कि यह गतिविधि जुलाई 2014 में आयोजित की जाएगी। इंडो चाइना कल्चरल सोसायटी के महासचिव अमीर भारती ने बताया कि इसका उद्देश्य भारत की अवाम (जनता )को पंचशील सिद्धांत की जानकारी देना और सिद्धांत के 60 वर्ष सफल होने की कामयाबी को जश्न के रूप में मनाना है। हालांकि इसकी तारीख निश्चित नहीं हो पाई है, लेकिन हम काम करने में जुटे हैं।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है पश्चिम बंगाल से, इसे भेजने वाले हैं बिधान चंद्र सान्याल। लिखते हैं कि पंचशील भारत , चीन म्यांमार द्वारा जून 1954 मेँ जारी किया गया। पंचशील चीन व भारत द्वारा दुनिया की शांति व सुरक्षा मेँ किया गया एक महत्वपूर्ण योगदान है , और आज तक दोनॉ देशॉ की जनता की जबान पर है । देशॉ के संबंधॉ को लेकर स्थापित इस सिद्धांत की मुख्य विषयबस्तु है - एक दूसरे की प्रभुसत्ता व प्रादेशिक अखंडता का सम्मान किया जाये , एक दूसरे के अंदरूनी मामलॉ से दखल न दिया जाय और समानता व आपसी लाभ के आधार पर शांतिपूर्ण सह अस्तित्व बरकारार रखा जाये ।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि ये सिद्धांत विश्व के कई देशॉ द्वारा स्वीकार कर किया गया है। और द्विपक्षीय संबंधॉ पर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनॉ व दस्तावेजों मेँ भी दर्ज है। पंचशील ने अंतरराष्ट्रीय संबंधॉ की सैद्धातिक व यथार्थ कार्यवाहियों में रचनात्मक योगदान किया ।

    वनिता:दोस्तो अगला खत आया है चुन्नीलाल कैवर्त का। लिखते हैं कि पेईचिंग में शांतिपूर्ण सह-अस्थित्व के पांच सिद्धांतों यानी पंचशील की 60वीं वर्षगांठ मनाने की योजना सार्थक और स्वागत योग्य निर्णय है l पंचशील के सिद्धांत आज के वैश्विक दौर में बेहद महत्वपूर्ण है lपंचशील के सिद्धांत को अपनाकर आज बहुत से अंतरराष्ट्रीय संगठन विश्व शान्ति और सहयोग की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं lभारतीय उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी और म्यांमार के राष्ट्रपति देंशंग की मौजूदा चीन यात्रा से चीन,म्यांमार और भारत के रिश्ते मजबूत होंगे l

    अनिलः दोस्तो अब पेश है बिहार से हेमंत कुमार का खत। वे लिखते हैं , नी हाव! आपके फेसबुक और वेबसाइट और प्रोग्राम भी बहुत अच्छे लगते हैं। मेरा सुझाव है कि कार्यक्रम 'सण्डे की मस्ती' मेँ अगर सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू कर दिया जाय तो श्रोता बंधु कार्यक्रम को ध्यानपूर्वक नियमित सुनने का प्रयास कर सकते हैं।धन्यबाद!

    हेमंत कुमार जी ने फुटबॉल वर्ल्ड कप की रिपोर्ट देखने के बाद यह भी कहा कि ब्राजील मेँ चल रहे वर्ल्ड कप फुटबॉल का फीवर जहां पूरी दुनिया मेँ दिख रहा है, वहीँ फीफा स्विट्जरलैँड के ज्यूरिख शहर मेँ तो वर्ल्ड कप फुटबॉल म्यूजियम भी बना रहा है। करीब 200 मिलियन डॉलर की लागत से बन रहे इस म्यूजियम के 2016 तक खुलने की उम्मीद है। इसमेँ वर्ल्ड फुटबॉल से जड़ी तमाम चीजोँ को दर्शाया जाएगा। यहां थ्री-डी डिस्प्ले, इंटेरेक्टिव गेम्स और हॉल ऑफ फेम के जरिए फुटबॉल वर्ल्ड कप के बारे मेँ बहुत जानने का अवसर प्राप्त होगा।

    वनिता:दोस्तो, हेमंत जी ने एक सवाल पूछा है कि चीन मेँ कृत्रिम बारिश कराने का इतिहास क्या है तथा वर्तमान मेँ कृत्रिम बारिश कराने के लिए प्रति वर्ष कितने रुपये खर्च किये जा रहे है?

    दोस्तो, चीन में कृत्रिम बारिश कराने की पहली बार की कोशिश वर्ष 1958 हुई। उसी समय उत्तर पूर्वी चीन के ज्यी ली प्रांत में सूखा पड़ा। कृत्रिम बारिश कराने की इस बार की कोशिश सफल हुई। वर्तमान में चीन में हर वर्ष कृत्रिम बारिश कराने की मात्रा 50 अरब टन है। यह मात्रा 2 खरब 80 अरब टन तक पहुंचने की संभावना होगी।

    अनिलः दोस्तो, हेमंत जी ने हमें एक कविता भी भेजी है, शीर्षक है- मैँ नन्ही सी कली।

    बाबुल तेरे आंगन की थी मैँ नन्ही सी कली,

    बाइस बसंत आंगन की तेरे छांव मेँ पली,

    दीदी से भी मुझको सानिध्य वो मिला,

    भाई ना होने का भी मुझको रहा नहीँ मिला।

    अपने ही आंगन से क्योँ विदा किया गया,

    मरने से पहले ही क्योँ जला दिया गया।

    सास ससुर को सदा माता-पिता सा दिया मान,

    पति को भगवान से भी ऊंचा दिया स्थान।

    वापसी को मेरे था बंद हर कोई दरवाजा, मां

    तेरे ही तो संस्कारोँ का था ये तकाजा।

    संस्कारोँ का मेरे ये क्या सिला दिया गया,

    मरने से पहले ही क्योँ जला दिया गया।

    वनिता:दोस्तो, अशोक बजाज जी ने भी हमें एक खत भेजा, जिसका विषय है विश्व म्यूजिक दिवस के अवसर पर रायपुर में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस अवसर पर अशोक बजाज ने कहा कि गीत संगीत से जीवन खुशहाल होता है तथा इससे व्यक्ति के शरीर में नई उर्जा का संचार होता है। कार्यक्रम में भारत के अति प्राचीन वाद्य यंत्रों तथा पुराने रेडियो सेट्स की प्रदर्शनी लगाई गयी । कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ उदघोषक शुभ्रा ठाकुर ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से परसराम साहू, विनोद वंडलकर, रतनजैन, रमेश यादव, रिखी क्षत्री, मनोहर डेंगवाणी एवं मोहन देवांगन के अलावा काफी संख्या में संगीत प्रेमी उपस्थित थे।

    अनिलः दोस्तो, अगला मेल हमें भेजा है सऊदी अरब से सादिक आज़मी ने। वे लिखते हैं कि नमस्कार। दिनांक 25 जून का साप्ताहिक और अपना पसंमदीदा कार्यक्रम आपका पत्र मिला सुना। आज के अंक में झारखण्ड के श्रोता भाई एस बी शर्मा जी से अनिल जी द्वारा लिया गया साक्षात्कार बहुत अच्छा लगा। शर्मा जी की प्रतिक्रियाओं से हम आपके कार्यक्रमों के माध्यम से अवगत होते रहे हैं। पर आज उनके विचार उनकी ज़ुबानी सुनना एक अलग प्रकार का अनुभव हुआ उनके द्वारा कार्यक्रमों की सराहना से मैं भी सहमत हूं नए वर्ष 2014 के आरम्भ से किये गये कार्यक्रमों मे बदलाव ने cri हिन्दी को नई पहचान दी है। लोग आपसे बड़ी तादाद मे जुड़े हैं पत्र व्यवहार का सिलसिला भले आरम्भ न किये हों लेकिन कार्यक्रम को सुनने मे रूचि बढ़ी है। मैं यहाँ सऊदी अरब मे कई ऐसे लोगों से मिला हूं जो cri हिन्दी की प्रशंसा करते नज़र आए और कार्यक्रम नियमित रूप से सुनने की बात भी स्वीकारी जो वाकई सराहनीय है। मैं भी एक सुझाव देना चाहता हूं कार्यक्रम टी टाईम और आजका लाईफ स्टाइल मे जो सही जवाब देने वाले श्रोता होते हैं उनमें से हर सप्ताह ड्रा के माध्यम से एक विजेता चुनें और कोई भी उपहार से नवाज़ें। इससे कार्यक्रम की रोचकता मे बृद्धि होगी और श्रोताओं मे नया जोश आएगा। आशा करता हूं इस सुझाव पर विचार होगा ।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि आपके पेज पर लेख द्वारा पता चला कि इस साल चाइना रेडियो इंटरनेशनल के नेपाली भाषा प्रसारण की शुरुआत की 39वीं वर्षगांठ है इस मौके पर मेरी ओर से पूरे cri परिवार और विशेषकर नेपाली विभाग को हार्दिक बधाई और जानकर अच्छा लगा कि नेपाल के सीआरआई श्रोता संघ की राष्ट्रीय कमेटी ने 25 जून को काठमांडू में संगोष्ठी आयोजित की। इसमें मौजूद लोगों ने चीन और नेपाल के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध बढ़ाने में सीआरआई नेपाली प्रसारण द्वारा की गई कोशिश और योगदान पर विचार-विमर्श किया जो सराहना योग्य कदम है। आपके माध्यम से नेपाल सीआरआई श्रोता संघ की पूरी टीम को भी बधाई ।

    अनिलः दोस्तो, आज का अंतिम खत भेजा है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु ने। लिखते हैं कि पंचशील जारी होने की 60वीं वर्षगांठ है। सी आर आई की श्रोता होने के नाते मेरा यह अनुभव है की भारत और चीन के संबंधों को प्रभावित करने वाले पंचशील समझौता किसी देश द्वारा किसी दूसरे देश के साथ किया गया समझौता नहीं है। पंचशील यानी शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांत 1954 में चीन,भारत और म्यांमार द्वारा संयुक्त रूप से को प्रवर्तित किए गए हैं। जो आज भी विश्व के विभिन्न शासन प्रणालियों को मार्गदर्शन दे रहा है।चीन के प्रधानमंत्री चाओ एन लाई ने दिसंबर 1953 में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत में पंचशील का सिद्धांत रखा था। इसके बाद चीन के तिब्बत क्षेत्र और भारत के बीच व्यापार और सहयोग के लिए 29 अप्रैल 1954 को एक संधि हुई और संधि की प्रस्तावना में पहली बार औपचारिक तौर पर पंचशील सिद्धांत को शामिल किया गया।

    पंचशील समझौते की प्रस्तावना में पाँच सिद्धांत हैं-

    1) एक दूसरे की अखंडता और संप्रभुता का सम्मान

    2) परस्पर अनाक्रमण

    3) एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना

    4) समान और परस्पर लाभकारी संबंध

    5) शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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