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    पीपुल्स बैँक ऑफ चाइना का कार्य
    2014-06-23 09:11:45 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजने वाले हैं, पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल । वे लिखते हैं कि चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग के विशेष दूत की हैसियत से मोदी सरकार को बधाई देने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौरे को भारतीय जनता व्यापक महत्व दे रही है । भारतीय जनता को उम्मीद है कि दोनॉ देशॉ के नए नेताओं की समान कोशिश से भारत -चीन संबंधों का सुन्दर भविष्य जरूर साकार होगा। साथ ही साथ भारतीय लोग चीनी राष्ट्रपति की यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उम्मीद है कि शी चिन फिंग भारत के दौरे पर आएंगे। चीन और भारत की आबादी दुनिया में सबसे अधिक है। दोनोँ देशोँ का इतिहास बहुत पुराना होने के साथ-साथ , उनके बीच आवाजाही का इतिहास भी कम से कम 2200 साल लम्बा है । दोनॉ देशॉ के सांस्कृतिक आदान प्रदान से मानव जाति की समृद्धि और दुनिया की प्रगति में बड़ा योगदान दिया गया है ।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि पेइचिंग स्थित चीन के ऐतिहासिक मशहूर अजायबघर के बारे मेँ विस्तृत जानकारी मिली । विस्तृत वर्णन और इसका इतिहास जानकर हमें अच्छा लगा। महानहर का प्रारंभिक रूप के अलावा सम्राट याडं द्वारा महानहर के निर्माण के बारे मेँ भी पता लगा। उत्तर व दक्षिण को जोडने वाली यह महानहर लम्वी दीबार की तरह चीन के दो महान करिश्भों मेँ गिनी जाती है। और इसे पूर्व का करिश्मा भी कहा जाता है। इस महानहर ने अपने तटबर्ती शहरॉ का न केवल विकास किया , बल्कि उस समृद्ध भी बनाया । यहां की जल परियोजना सबसे शानदार है। अच्छी रिपोर्ट के लिए धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत भेजा है एस बी शर्मा ने। वे लिखते हैं पश्चिमी ह्यूनान प्रान्त की यात्रा नमक शीर्षक से प्रकाशित लेख मैंने सी आर आई की वेबसाईट पर पढ़ा। इस लेख से हूनान प्रान्त के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल हुई। यह क्षेत्र जंगलों वाले पर्वतों, टेढ़ी-मेढ़ी पहाड़ियों, लम्बी नदी और स्वच्छ सरिताओं से भरा पड़ा है। यहाँ पर थूच्या, म्याओ, पाए, ह्वेइ, याओ, तुडं और च्वाडं जातियों समेत 25 जातीय समुदाय रहते हैं, जो कुल आबादी के लगभग ५० प्रतिशत हैं ।यह जानकर काफी अच्छा लगा कि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में पर्यटक हर साल भ्रमण करने जाते हैं।

    इस प्राकृतिक धरोहर वाले क्षेत्र में 1700 से अधिक नदियां और झरने समृद्ध जलस्रोत बहते हैं यह क्षेत्र में विशाल प्राकृत खनिजों का भण्डार है यहां 27 खनिज पदार्थ पाए गए हैं, जिनमें कोयले और फास्फोरस के भंडार क्रमशः 3 करोड़ और 13 करोड़ टन हैं। जो हूनान सहित चीन के खनिज आवश्यकताओं को पूरा करते है यहाँ मैगनीज, मरकरी, अल्यूमीनियम, जिंक और बोक्साइट जैसे अन्य खनिज पदार्थों की भी बहुतायत है। आपका यह लेख काफी सूचनाप्रद लगा इसमें बहुत आंकड़े दिए गए हैं वे न केवल हूनान में विषय में है बल्कि चीन की प्राकृतिक सम्पदा और धरोहर हैं।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि सी आर आई हिंदी रेडयो और वेबसाईट हमेशा ही चीन के विभिन्न क्षेत्रों के अनजाने और आश्चर्यजनक जानकारियों से श्रोताओ को रूबरू करता है जिससे चीन के बारे में हमारे समझ और ज्ञान में भरी इजाफा हो जाता है। मैं सी आर आई नियमित रूप से सुनता हूँ और वेब साईट भी नियमित रूप से पढता हूं। यही कारण है की चीन के विषय में बेरे ज्ञान के स्तर में काफी इजाफा हुआ है इसके लिए मैं सी आर आई के हिंदी टीम को बहुत बहुत धन्यवाद करता हूँ।

    आज मैंने एक ऐसा ही लेख दुनिया की छत पर विरल जानवर शीर्षक नाम से पढ़ा। यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ की पैतालीस सौ मीटर ऊंचे निर्जन रेगिस्तान में जो सालों भर बर्फ से ढका रहता हैं। वहां कई जीव जंतु रहते हैं, यह जगह दुनिया का छत तिब्बत का छिंगताओ पठार है। समान्य तौर पर मेरा यह मानना था की तिब्बत के पठार पर अधिक सर्दी और आक्सीजन की कमी होने की वजह से कोई जीव-जन्तु मौजूद नहीं होगा। पर यहाँ तो उलटा ही जानने को मिला समुद्र की सतह से 5000 मीटर ऊंचे इस पठारीय इलाकों में जंगली सुरागाय, हिम-तेंदुए, अर्गली भेड़ और भूरे भालू मौजूद हैं। सबसे बढ़कर यह जानकारी मिली कि यहाँ दुनिया का सबसे ऊंचा पंछी का द्वीप है।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत भेजा है केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल ने। वे लिखते हैं साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" सुना, जिसके तहत पेइचिंग के मशहूर अजायबघर के साथ चीन की प्राचीन नहर व्यवस्था पर महती जानकारी हासिल करने का मौक़ा मिला। यद्यपि, रिसैप्शन की गड़बड़ी और उच्चारण सम्बन्धी कठिनाई के चलते कहानी से जुड़े चीनी नाम समझना मुमकिन नहीं हुआ, फिर भी ईसापूर्व 495 में श्वे राजवंशकाल में खोदी गई महानहर तथा अन्य नहरों का इतिहास काफी दिलचस्प लगा। कार्यक्रम सुन महसूस हुआ कि महानहर का महत्व चीन की महान दीवार जैसा है, क्यों कि इसी नहर के किनारे पेइचिंग सहित चीन के अनेक महानगरों की सभ्यता और संस्कृति पल्लवित हुई। समकालीन महाकवि लू यो द्वारा भी अपनी रचनाओं में महानहर का उल्लेख किया जाना उसके महत्व को दर्शाता है। नहरों के उत्थान-पतन की कहानी के साथ यह जान कर ख़ुशी हुई कि अब सरकार द्वारा जीर्ण-शीर्ण पड़ चुकी नहर व्यवस्था के पुनरुत्थान का प्रयास किया जा रहा है।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि 8 जून को ताज़ा समाचारों की प्रथम सुर्खी चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा थी और इस यात्रा का महत्व इसलिये बढ़ जाता है कि भारत में श्री नरेन्द्र मोदी के नेत्तृत्व में चुनी गई नई सरकार को अपना कार्यभार सम्भाले अभी 15 दिन भी नहीं हुये कि चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग द्वारा अपने विशेष दूत के तौर पर वांग यी को न केवल भारत भेजा, अपितु इसी वर्ष स्वयं उनके भी भारत की राजकीय यात्रा पर पधारने की घोषणा कर दी गई। निश्चित तौर पर यह यात्रायें भारत-चीन सम्बन्धों को बहुत आगे ले जाने का संकेत दे रही हैं।

    अनिलः दोस्तो, इस के बाद पेश है बिहार से हेमंत कुमार का खत। वे लिखते हैं कि आजकल पर्यावरण की समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही है। आबादी बढ़ने से जंगल व पेड़ोँ से भरे-पूरे इलाके खत्म होकर आबादी वाले इलाकोँ मेँ तब्दील होते जा रहे हैँ। कल-कारखानोँ के धुएं पर्यावरण को गर्म बना रहे हैँ। इससे मौसम असंतुलित हो रहा है। अतिवृष्टि और अनावृष्टि हमारी आम समस्या बन गई है। धरती के नीचे जल का तल और नीचे चला गया है। फलस्वरुप कुएं व चापानल से पानी प्राप्त करने मेँ मुश्किलेँ आ रही हैँ। अतः अधिक से अधिक पेड़ लगाना तथा वर्षा जल जमा करना निहायत जरुरी हो गया है। हम सभी को इस कार्य मेँ बढ़-चढ़ कर हाथ बंटाना चाहिए। बड़े शहरोँ मेँ पानी की खपत बढ़ गई है। धरती को गहरा खोदकर पानी निकाला जा रहा है। घरोँ मेँ कई बार एक गिलास ताजा पानी पीने के लिए मशीन चलाकर गैलन भर पानी बर्बाद कर दिया जाता है। कहीँ लोग पीने पानी को भी तरसते हैँ और कहीँ छिड़काव के नाम पर हाथ मेँ पाइप लेकर घर के चारोँ ओर छिड़काव करना, घर के सामने सड़क तक धो डालना रोज की जरुरत कही जाती है। आने वाले समय मेँ जल का ऐसा संकट आ सकता है कि कई मील चलकर भी घरोँ मेँ पानी की जरुरतेँ पूरी नहीँ की जा सकेँगी। मशीन भी तब भूगर्भ से पानी निकाल पाने मेँ सक्षम नहीँ होगी। धरती का हम दोहन कर सकते हैँ, परन्तु जब प्रकृति करवट बदलती है तो जगत मेँ हाहाकार मच जाता है। हाल ही मेँ ऐसी सुनामी लहरेँ आईँ जिसने द्क्षीण पूर्व एशिया के द्वीपोँ मेँ मौत का तांडव मचा दिया। इसलिए बेहद जरुरी है कि पृथ्वी हरी-भरी रहे।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि मैँ सीआरआई हिँदी का नियमित, पुराना तथा जागरुक श्रोता हूँ।आपके द्वारा प्रसारित सभी कार्यक्रम मनोरंजक, ज्ञानवर्द्धक, शिक्षाप्रद, प्रेरणादायक और सारगर्भित होते हैँ।कार्यक्रम प्रस्तुतिकरण शैली तथा प्रसारण गुणवत्ता उच्च स्तर के हैँ। इसलिए कार्यक्रम सुनकर नियमित पत्र लिखने का प्रयास करता हूँ 05 जून को शाम की सभा अखिल तथा हैया द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम-'आज का लाईफ स्टाइल' मेँ माइक्रो प्रयोग की कहानी, पारले-जी बिस्कुट के इतिहास, वालोँ की मजबूती के लिए-हॉट ऑयल हेयर मसाज, कॅरियर कार्नर मेँ विदेशी भाषा मेँ कॅरियर के अवसर, बॉलीवूड हंगामा मेँ चीन स्थित भारतीय दूतावास मेँ कई फिल्मोँ के स्क्रीनिँग तथा नयी फिल्म-होलीडे के संक्षिप्त ट्रेलर पर दिया गया जानकारी सूचनाप्रद, रोचक, तथा मनोरंजक लगी। इसके अलावा कार्यक्रम के बीच बीच मेँ कई हिँदी गीतोँ का भी आंनद उठाया। सीआरआई हिँदी को हार्दिक धन्यवाद!

    अनिलः दोस्तो, हेमंत कुमार जी ने हमें एक सवाल पूछा है कि पीपुल्स बैँक ऑफ चाइना का क्या क्या कार्य है तथा इसकी स्थापना कब हुई थी?

    दोस्तो, पीपुल्स बैँक ऑफ चाइना चीन का केंद्रीय बैंक है। वह चीन का राज्य परिषद का एक हिस्सा भी है। वर्ष 1948 एक दिसंबर को चीन के ह्वापेई बैंक, पेईहाई बैंक और शीपेई किसान बैंक के आधार पर पीपुल्स बैँक ऑफ चाइना स्थापित हुआ था। चीन के जन बैंक के कानून के अनुसार चीनी राज्य परिषद के नेतृत्व में पीपुल्स बैँक ऑफ चाइना स्वतंत्रता से मुद्रा नीति अपनाता है और सेवा करता है। विभिन्न स्तर की सरकार, सामाजिक समूह और कोई भी एक व्यक्ति इस बैंक के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।

    वनिता:दोस्तो, अब पेश है पश्चिम बंगाल से असीम जे. घोष का खत। वे लिखते हैं सीआरआई की हिंदी वेबसाइट पर पेइचिंग मेँ स्थित चीन के ऐतिहासिक मशहूर अजायबघर के बारे मेँ एक अनोखा लेख पढ़ा. काफी दिलचस्प लगा। इस ऐतिहासिक लेख को वेब साईट पर प्रकाशित करने के धन्यवाद। सीआरआई की हिंदी वेबसाइट पर एक "खुनमिंग चित्रकला प्रतियोगिता" आयोजित करने के लिए आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद। पारिवारिक काम के लिए मुझे कुछ दिनों के लिए बाहर जाना हुआ जिसके लिए मैं इस प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाया,जिसका मुझे खेद है। मैं इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी श्रोता मित्रो को धन्यवाद देना चाहता हूं। खासकर पश्चिम बंगाल के न्यू हराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब के सभी सदस्यों को। उन लोगो द्वारा चित्रित सभी चित्र बेहद आकर्षक थे।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत भेजा है दिल्ली से हमारे श्रोता राम कुमार नीरज ने। वे लिखते हैं दुनिया के बदलते तेजी से घटनाक्रम को करीब से जानने के साथ साथ भारत चीन को भी करीब से जानने और समझने में सी आर आई अहम रोल अदा कर रहा है.भारत चीन के ताजा घटनाक्रम में चीन भारत के आर्थिक विकास का मौका होगा पर एक बेहद दिलचस्प रिपोर्ट पढ़ा और निसंदेह इसकी सम्पादिका चंद्रिमा जी इस रिपोर्ट की सम्पूर्णता का पूरा ख्याल कर बेहद गंभीर बना दिया है.पिछले एक दशक में भारत और चीन दोनों ही काफी तेजी से विकसित हुए हैं. हालांकि आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन के लिहाज से भारत का प्रदर्शन चीन से कुछ कम अच्छा है. चीन के परिणाम चौंकाने वाले हैं- विकास की औसतन 9 फीसदी दर और पिछले दो दशक में 30 करोड़ लोग गरीबी की रेखा के ऊपर उठ चुके हैं। जबकि भारत में, ज्यादा विकास दर के बावजूद गरीबी एक दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन देश की आर्थिक स्थिति का स्थायी भाव सा बन गया है. मुझे लगता है कि भारत के विकास की धीमी गति का कारण राजनीतिक तंत्र है.

    वनिता:वे आगे लिखते हैं भारत और चीन के बीच अगर व्यापार की बात करें, तो ये 2003-2004 के सात अरब डॉलर से बढ़कर 2012-2013 में 67.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. चीन की अर्थव्यवस्था जहां 10 फीसदी की दर से बढ़ी है वहीं भारत की अर्थव्यवस्था ने छह से सात फीसदी की दर से विकास किया है.जून 2012 में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 2015 तक बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया था जो अब एक हक़ीक़त बनता नज़र आ रहा है.

    एक बार फिर चंद्रिमा जी को तहे दिल से शुक्रिया भारत चीन के बदलते आर्थिक विकास पर एक नवीनतम जानकारी देने के लिए धन्यवाद।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

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