नानच्वांग गांव का दृश्य
फल-पेड़ों का उद्यान
दक्षिण-पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के आबा तिब्बती और छ्यांग जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर के दक्षिण-पूर्वी भाग में माओश्यान कांउटी स्थित है, जो छिंगहाई तिब्बत पठार से पश्चिमी सछ्वान मैदान तक गुज़रने वाले क्षेत्र में आती है। विशेष प्राकृतिक मौसम के कारण माओश्यान कांउटी फलों के उत्पादन के लिये विख्यात है। प्राचीन काल से ही यह कांउटी"फलों का जन्मस्थान"के नाम से जानी जाती है। वसंत ऋतु में लोग माओश्यान कांउटी की घाटी में मीठी चेरी का मज़ा ले सकते हैं, और गर्मियों में सेब, आड़ू, आलूबुखारा और कीवी जैसे फलों का आनंद उठा सकते हैं। वर्ष 2009 के बाद से लेकर अब तक ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ाने और किसानों की आय को उन्नत करने के लिए माओश्यान कांउटी ने भौगोलिक श्रेष्ठता के आधार पर 3 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले फल केन्द्र की स्थापना की गई। यहां फल उद्योग पर आधारित आर्थिक ढांचा परिपक्व हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2012 में माओश्यान कांउटी में प्रति किसान औसत शुद्ध आय 5 हज़ार युआन थी, इसकी सालाना वृद्धि दर करीब 10 प्रतिशत रही।
नानच्वांग गांव में प्रवेश करने के तुरंत बाद एक जलप्रपात नज़र आ रहा है। सामने एक झरने से गिरने वाले पानी की कलकल की आवाज़ सुनाई दे रही है और हवा में फलों की खुशबू फैली हुई है। नानच्वांग गांव में सहकारिता संघ परिषद के प्रधान फ़ू योछ्वान गर्व के साथ हमारे संवाददाता से कहते हैं कि गांव में कुल 333 से अधिक हेक्टेयर वाले आलूबुखारे के पेड़ लगाए गए हैं। एक किलो आलूबुखारे का दाम आम तौर पर बारह-चौदह युआन होता है, और अगर बात करें सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले आलूबुखारों की तो उसके दाम 20 युआन प्रति किलो रहते हैं। फल बेचने से गांव वासियों की सालाना आय दस हज़ार युआन से अधिक हो गई है, जबकि पहले एक हज़ार से भी कम थी। नानच्वांग गांव में इस प्रकार के आलूबुखारे का एक विशेष नाम है "छ्यांगछ्वे आलूबुखारा"। आबा प्रिफेक्चर में तिब्बती और छ्यांग जाति के लोग रहते हैं। माओश्यान कांउटी तो देशभर में सबसे बड़ा छ्यांग जाती बहुल क्षेत्र है। इस तरह आलूबुखारे का नाम तो छ्यांग स्थल के नाम पर ही रखा गया है, जबकि चीनी भाषा में"छ्वे"का अर्थ"भंगुर"है। कहते हैं कि नानच्वांग गांव में उत्पादित ये आलूबुखारा मीठा ही नहीं, भंगुर भी है, इसका स्वाद बहुत अच्छा है।