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अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां .....आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।...............
अनिलः दोस्तो वैसे एक सप्ताह में सात दिन होते हैं, लेकिन हमें आपके लिए प्रोग्राम पेश करने का बड़ा इंतजार रहता है। तो क्या कर रहे हैं आप लोग, रेडियो सेट ऑन किया कि नहीं, अगर नहीं तो जल्दी कीजिए। क्योंकि टी-टाइम प्रोग्राम हो चुका है शुरू।
अनिलः दोस्तो, विज्ञान जिस तेजी से विकास कर रहा है, उसी गति से नई-नई तकनीकें भी ईजाद हो रही हैं। अब देखिए स्वचालित कारों का दौर आने वाला है। वैसे गूगल कंपनी दूसरी कंपनियों द्वारा तैयार की गई ऑटोमेटिक कारों को सुधारती है, लेकिन अब उसने भी मैदान में उतरकर खुद की इस तरह की कारें तैयार करने का निर्णय किया है।
इस कार में क्या-क्या खास है, चलिए आपको बता देते हैं। इस कार में रुकने और चलने के लिए एक बटन तो होगा, लेकिन कंट्रोल के लिए स्टीयरिंग या पैडल नहीं होंगे।
बताया जाता है कि यह कार आम शहरी कारों की तरह जाने-पहचाने आकार वाली है और इस तरह से उसका डिजाइन किया गया है कि सामने से सुरक्षित होने का अहसास देती है। इसके साथ ही यह लोगों में ऑटोमेटिक तकनीक को स्वीकार्य बनाने में मदद भी करेगी। गूगल ने पिछले दिनों अमेरिका के कैलिफोर्निया में इसकी जानकारी दी।
कंपनी की ऑटोमेटिक प्लान के निदेशक क्रिस उर्मसन ने कहा कि इस गाड़ी को लेकर हम वास्तव में बहुत रोमांचित हैं। यह कुछ ऐसा होगा जो स्वचालित तकनीक की क्षमताओं को आगे बढ़ाएगा और इसकी सीमा को समझेगा।
उन्होंने कहा कि इस कार में आवागमन को नया रूप देकर लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की क्षमता है, लेकिन इस क्षेत्र में शोध कर रहे लोग स्वचालित कार तकनीक के नकारात्मक पहलुओं की क्षमता की जांच-पड़ताल कर रहे हैं।
ललिताः उनका मानना है कि इस तरह की कारें शहरी ट्रैफ़िक और फैलाव को और अधिक ख़राब कर देंगी। लोग इस तकनीक को अपनाएंगे क्योंकि उन्हें कार ख़ुद नहीं चलानी होगी। इसकी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनमें रुकने और चलने के लिए पुश बटन के अलावा कंट्रोल के लिए कोई और उपकरण नहीं लगा है।
शुरुआती परीक्षण के लिए इसमें कुछ अतिरिक्त नियंत्रक लगाए गए हैं जिससे कि यदि गूगल के किसी ड्राइवर को कोई समस्या आए तो वो इस पर नियंत्रण हासिल कर सके।
अनिलः बताते हैं कि ये नियंत्रक सामान्य रूप से जोड़े गए हैं। उर्मसन कहते हैं कि समय बीतने के साथ जैसे-जैसे इस तकनीक में भरोसा बढ़ता जाएगा, वे इस नियंत्रक को पूरी तरह निकाल लेंगे।
इस कार के अगले हिस्से को पैदल चलने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए मुलायम बनाया गया है। इसका अगला हिस्सा फोम जैसे मुलायम पदार्थ से बना है। इस कार की खिड़की में लगे शीशे काफी लचीले हैं, ताकि दुर्घटना की स्थिति में कम चोट लगे।
इस कार में लेज़र और रडार सेंसर लगे हुए हैं, इसके अलावा इसमें आंकड़े लेने के लिए एक कैमरा भी लगा हुआ है।
अनिलः दोस्तो, इस नई तकनीकी जानकारी के बाद आपको साहित्य जगत की घटना से अवगत कराते हैं। शायद आपने यह खबर सुनी भी होगी। पिछले दिनों अमेरिका की प्रसिद्ध कवयित्री, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता माया एंजेलो का निधन हो गया। वे 86 वर्ष की थी। अमेरिका के साहित्य जगह में उनका नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। बताते हैं कि उन्हें 1969 में आए उनके संस्मरण 'आई नो वाई द केज़्ड बर्ड सिंग्स' से काफी पहचान मिली।
ये उनकी सात आत्मकथाओं की शृंखला की पहली कड़ी थी जो उनके जीवन के शुरूआती दिनों में हुए उत्पीड़न पर आधारित था। उनके परिवार के सदस्य कहते हैं कि माया एंजेलोने एक शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, कलाकार का जीवन जिया। वह बराबरी, सहिष्णुता और शांति के लिए लड़ने वाली योद्धा थी।
ललिताः जानकारी के मुताबिक उन्होंने उत्तर कैरोलिना के विंस्टन सालेम में अपने घर में शाम साढ़े पांच बजे अंतिम सांस ली।
माया 1982 से वेक फॉरेस्ट विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थी। विश्वविद्यालय ने उनकी मृत्यु पर कहा कि डॉक्टर माया एंजेलो राष्ट्रीय धरोहर थी। उनकी ज़िंदगी और शिक्षा दुनिया भर में हज़ारों लोगों को प्रेरित किया है। वे न केवल लेखन से जुड़ी थी बल्कि टीवी, थिएटर, फिल्म, बच्चों की किताबों और संगीत आदि से भी उनका नाता रहा।
अनिलः उन्होंने अपने लेखन और साक्षात्कार के माध्यम से असमानता और अन्याय की लड़ाई लड़ने वालों को एक रोल मॉडल के रूप में पेश किया। इसके अलावा एंजेलो एक प्रमुख नागरिक अधिकार कार्यकर्ता भी थी। वे मार्टिन लूथर किंग और मैल्कम एक्स की दोस्त थी। चाइना रेडियो इंटरनेशनल की ओर से हम भी माया एंजेलों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
अनिलः साहित्य जगत की जानी-मानी शख्सियत पर चर्चा के बाद तकनीकी ज्ञान की बात करते हैं। आजकल जैसे कंप्यूटर और मोबाइल आदि का यूज़ बढ़ता ही जा रहा है। उसी तरह खतरे भी बढ़ रहे हैं। लेकिन आप कुछ एप्लीकेशन डाउनलोड कर इन खतरों से बच सकते हैं। जब मोबाइल डिवाइस में सिक्योरिटी की बात हो तो यह सिर्फ मालवेयर रोकना बल्कि प्राइवेसी फीचर्स, एप्स शेयरिंग और पर्सनल डाटा की भी बात होती है। इसके लिएकेस्पर्सकी का कीपर्स एप डाउनलोड किया जा सकता है।
अगर आप अपने फोन में रोजतमाम एकाउंट ओपन करते हैं तो उसके लिए आपको अलग-अलग पासवर्ड भी सेव करने पड़ते होंगे। लेकिन कीपर की मदद से आप ऑटोफिल लॉगिन पासवर्ड सेव कर सकते हैं साथ ही फोन का डेटा बैकप भी ले सकते हैं। हालांकि इसके साथ ही कीपर आपसे फीस वसूलने लगता है।
ललिताः आजकल तमाम युवा ऐसे भी हैं जो हर वक्त सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बने रहते हैं। अगर आप भी ऐसे करते हैं तो जरा संभल जाएं। क्योंकि सोशल नेटवर्किंग आपके करियर की राह में रोड़ा बन सकती है। यदि आप आपत्तिजनक पोस्ट, अश्लील फोटो, या किसी पर जातिगत टिप्पणी करते हैं तो यह आपके प्रोफाइल को खराब कर सकता है।
अनिलः करियर बिल्डर डॉट कॉम वेबसाइट द्वारा करवाए गए सर्वे में यह नतीजे सामने आए हैं। सर्वे में पाया गया कि आधे से ज्यादा मल्टीनेशनल कंपनियां जॉब के लिए आवेदन करने वाले कैंडीडेट्स का सोशल प्रोफाइल भी जांचती हैं। इस दौरान उन आवेदकों को सूची से बाहर कर दिया जाता है जिनके प्रोफाइल में कुछ भी अटपटा होता है।
अब बात करते हैं, कंप्यूटर की। कंप्यूटर का देर तक यूज करने से उसका गर्म होना आम बात है। गर्मी के चलते लैपटॉप के अंदर के पार्ट्स खराब हो सकते हैं। अगर ज्यादा देर काम करना हो तो कूलिंग पैड का इस्तेमाल करें। इससे लैपटॉप का तापमान सामान्य रहेगा और वह ठीक से काम करेगा। कभी भी लैपटॉप को कार में न छोड़ें। कार तेज धूप में हीट हो जाती है, इस का असर लैपटॉप पर भी पड़ता है।
धूल-मिट्टी के कण भी मदरबोर्ड और फैन को ब्लॉक कर सकते हैं। ज्यादातर लैपटॉप की बैटरी हीट फ्रेंडली नहीं होती, गर्मीया धूप के कारण वह ठीक प्रकार से बैकअप नहीं दे पाती। इसलिए बैटरी को गर्मी या धूपसे बचाकर रखने में ही भलाई है।
इसलिए जब भी आप कंप्यूटर या मोबाइल यूज़ करें तो इन बातों का जरूर ध्यान रखें।
ललिताः अब प्रोग्राम में समय हो गया है, लिस्नर्स के कमेंट शामिल करने का।
सऊदी अरब से मो. सादिक आजमी लिखते हैं कि टी टाईम का नया अंक लेकर उपस्थित हुए अनिल जी और वेईतुंग जी। इसमें एक बदलाव देखने को मिला यानी किसी एक हस्ती से साक्षात्कार के बारे में कहना चाहूंगा कि नया एक्सपेरिमेन्ट कार्यक्रम की बढ़ती रोचकता पर लगाम लगाने जैसा प्रतीक होगा। रोचक ज्ञानवर्धक और अद्धभुत बातों को हम विस्तारपूर्वक जानते थे साथ में बीच बीच मधुर गीतों का भरपूर आनंद भी उठाते हैं। पर नये कार्यक्रम में सब कुछ सिमटा सा नज़र आ रहा है। आशा है कि पूर्व की भांति कार्यक्रम की रूपरेखा बहाल की जाएगी।
वैसे आज के कार्यक्रम की पहली रिपोर्ट से पता चला कि ब्रिटेन में एक म्यूज़ियम संस्था पुरानी ममियों को आधुनिक तरीके से थ्री डी की सहायता से नए रूप में पेश करेगी।
अनिलः साथ में उससे जुड़े पहलुओं से भी पर्दा उठाया जाएगा, जो वाकई रोचक हैं। पर हाथ मिलाकर आभिवादन करने से संक्रामक ख़तरे बढ़ने की आशंका से मन में कई तरह से सवाल उठे। क्या हमारी परम्परा जो पूर्वजों से चली आ रही है कि हम अपने अतिथि का अभिवादन हाथ मिलाकर करते थे। वह छोड़ना होगा। क्या गलेमिल ने पर भी कीटाणुओं के फैलने का डर रहेगा या क्या अतिथि या दोस्त जिस बिस्तर पर सोया हो उसपर सोना इस आशंका को बलदेगा। कम से कम नये शोध से तो यही बात उभरकर सामने आई है। लेकिन इन सब का एक ही हल नज़र आ रहा है कि सफाई पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। ख़ैर इस पर भविष्य में भी रिपोर्ट सुनवाने का कष्ट करते रहें धन्यवाद।
मेहमान का कोना में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी पत्रकारिता विभाग के असिस्टेन्स प्रोफेसर संजय सिंह से लिया गया साक्षात्कार अच्छा लगा। विषय भी रोचक था पूर्वी और पश्चिमी सोच पर शोधकार्य एक अनोखी पहल है।
अनिलः लिस्नर्स के कमेंट के बाद दोस्तो हेल्थ टिप्स का वक्त हो गया है।
अक्सर मसालेदार भोजन को स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता। लेकिन हालिया शोध इस बात को गलत साबित करती है। हाल में हुए शोध में लंबी उम्र के लिए बेहद आसान उपाय का पता चला है। शोधकर्ताओं ने माना है कि मसाले दार ग्रेवी युक्त डाइट न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाती है बल्कि हमारा जीवनकाल भी बढ़ा सकती है।
ललिताः अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं का मानना है कि मिर्च-मसाले युक्त भोजन न सिर्फ दर्द में आराम पहुंचाने में मददगार है बल्कि उम्र भी बढ़ाता है।
शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए अपने शोध में पाया कि मसालेदार ग्रेवी के सेवन से चूहों के मस्तिष्क ने दर्द के सिग्नल नहीं पहुंचे और उनका जीवनकाल बढ़ गया।
उनके अनुसार, ऐसी डाइट के सेवन से शरीर में टीआरपीवी-1 नामक दर्द का एहसास कराने वाला प्रोटीन नहीं बन पाया जिससे उनका जीवनकाल भी 14 प्रतिशत बढ़ गया।
बताया जाता है कि इस तरह का फूड मेमरी यानी याददाश्त बढ़ाने के लिए भी कारगर होता है।
…..अब वक्त हो गया है, हंसने और हंसाने का। जी हां अगर आज की टेंशन भरी लाइफ में चुटुकुले या जोक्स नहीं हुए तो फिर कहना ही क्या। तो लीजिए हाजिर हैं आज का पहला हंसगुल्ला ----
कैदी और जेल
पहला कैदी -तुम जेल में केसे आये ?
दूसरा-छोटी सी रस्सी चुराने के अपराध में।
पहला-लेकिन ऍसा नहीं हो सकता।
दुसरा -अरे भाई ऍसा ही था , लेकिनरस्सी के सिरे पर भैस भी बंधी हुई थी।
दूसरा जोक है........
मालकिन और नौकरानी
मालकिन -क्या तुमने फ्रिज साफ कर दिया ?
नौकरानी-हां बीबीजी , फ्रिज में पडीआईस्र्कीम सबसे स्वादिष्ट थी
तीसरा और लास्ट जोक है.......टीचर और महिला..
शिक्षक - योगासन के प्रयोग से आपके पति की शराब पीने की आदत में कुछ फर्कआयां ?
महिला - हां आया तो है | अब वे सिर के बल खडे होकर पूरी बोतल गटक जाते है |
दोस्तो, अगर आपके पास भी कुछ जोक्स या शायरी तो हमें भेज सकते हैं....
अब सवाल-जवाब की बारी है। हमने पिछले सप्ताह दो सवाल पूछे थे, पहला सवाल था-प्राचीन काल की ममियों का प्रदर्शन किस देश के संग्रहालय में किया जा रहा है। सही जवाब है ब्रिटेन।
दूसरा सवाल था- हाथ मिलाने से स्वास्थ्य को क्या खतरा होता है, सही जवाब है कई तरह के संक्रमण का खतरा रहता है।
इन दोनों सवालों का सही जवाब हमें लिखकर भेजा है, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल, पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल, देबाशीष गोप, सऊदी अरब से सादिक आजमी, जमशेदपुर झारखंड से एस.बी.शर्मा, और भागलपुर बिहार से, डॉ.हेमंत कुमार।
आप सभी को बधाई----
.....आगे भी हमारे सवाल सुनते रहिए। .....
अनिलः अब आज के सवालों की बारी है, पहला सवाल है- किस कंपनी ने ऑटोमैटिक यानी स्वचालित कार निर्मित करने का फैसला किया है।
दूसरा सवाल है- हाल में साहित्य जगत की किस जानी-मानी हस्ती का निधन हुआ- वे किस देश की रहने वाली थी।
अगर आपको इन का जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।.....हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.
...... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें।
अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही ...अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बाखैर,चाइच्यान.....