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    आप की पसंद 140524
    2014-05-23 10:04:56 cri

    नमस्कार श्रोता मित्रों मैं पंकज श्रीवास्तव आपकी पसंद कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं। हर सप्ताह की तरह हम आज भी आपको देंगे कुछ रोचक,ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारियां और साथ में सुनवाएँगे आपकी पसंद के कुछ फिल्मी गाने।

    दिनेश:श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपको ढेर सारी दिलचस्प जानकारियां देते हैं साथ ही आपको सुनवाते हैं आपकी पसंद के फिल्मी गीत। आज हम जिस फिल्म का गाना आपको सुनवाने जा रहे हैं उसे हमने लिया है फिल्म .... प्यार का मौसम से जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीतकार हैं आर डी बर्मन और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. नी सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया ...

    पंकज: मित्रों आज हम आपको जिन लोगों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं वैसे तो वो बहुत ही साधारण से दिखने वाले लोग हैं लेकिन इनके काम बहुत असाधारण हैं। ये सभी लोग अपने देश के ही रहने वाले हैं लेकिन इनकी सोच आम लोगों से कुछ हटकर है। इनकी सोच ने ही इन्हें साधारण से असाधारण बनाया है, लेकिन आप विश्वास करें कि जो काम इन लोगों ने किया है वो आप खुद भी कर सकते हैं। इनमें से कई लोगों ने सरकार से नौकरी पाने के बजाय खुद ऐसा काम किया कि जिससे इन्होंने कुछ दूसरे लोगों को नौकरी दी और खुद का जीवन बेहतर बनाने के साथ साथ दूसरों के घरों के चूल्हे जलाने का काम भी किया। चलिये शुरुआत करते हैं बिहार के यदुवेन्द्र किशोर सिंह की कहानी से, यदुवेन्द्र मधुबनी के फूलपसराम क्षेत्र के खुटौना गांव के रहने वाले हैं, इन्होंने विक्टोरिया बॉयज़ स्कूल दार्जिलिंग से 2002 में दसवीं की परीक्षा पास की, उसके बाद एयरफोर्स स्कूल नई दिल्ली से इंटरमीडिएट किया, इसके बाद क्राइस्ट कॉलेज बेंगलुरु से 2007 में ग्रैजुएशन किया, इसके बाद EDI, अहमदाबाद से 2008 में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बिजनेस इंटरप्रन्योर मैनेजमेंट की पढ़ाई की। मल्टीनेशनल कंपनियों में लाखों रुपए का ऑफर ठुकरा कर आज समेकित खेती कर रहे हैं।

    मित्रों मधुबनी जिले के फूलपसरास प्रखंड के खुटौना गांव में यदुवेंद्र ने 7.5 एकड़ जमीन में पांच तालाब बनवाया है। जलजमाव वाले इस क्षेत्र में कुछ नए तालाब भी बनवाए, जबकि कुछ पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार भी करवाया है। इस वर्ष तालाब में इंडियन कार्प मछली के बीज डाले हैं। साथ ही 100 आम के पौधे लगाए। 10 गाय रखी हैं। धान, गेहूं, सरसो और अरहर की खेती भी कर रहे हैं। इस प्रकार समेकित खेती की शुरुआत की है।

    प्रबंधन की पढ़ाई के बाद नौकरी ठुकराकर खेती करने जब गांव आए, तो लोग इनपर हंस रहे थे। कई लोगों ने कहा इसका दिमाग फिर गया है। अब लोग समेकित खेती में इनके कुशल प्रबंधन का लोहा मानने लगे हैं। मछलीपालन, बागवानी, पशुपालन और सामान्य खेती से प्रतिवर्ष कम से कम 25 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा होने की उम्मीद है। यदुवेन्द्र का कहना है कि वो आत्म संतुष्टि के लिये खेती कर रहे हैं। उनकी आगे भी कई योजनाएं हैं।

    दिनेश: आज कई लोग अपने दम पर कुछ कर रहे हैं इसके साथ वो दूसरों के लिये काम करने के दौरान होने वाली चिक चिक से दूर रहते हैं साथ ही जब आर्थिक मंदी आती है तो उस दौरान नौकरी पर लटकने वाली तलवार से भी बचे रहते हैं, यानी किसी तरह का कोई तनाव इनकी जिंदगी में नहीं रहता है, इसके साथ ही अपने लिये काम करने में जो संतुष्टि मिलती है वो दूसरों के लिये किये जाने वाले काम में कहां मिलती है। देश की अर्थव्यवस्था में उद्यमी का जो योगदान रहता है वो नौकरी पेशा लोगों से कहीं ज्यादा रहता है। यानी देश की तरक्की में अधिक योगदान का गौरव भी मिलता है। सबसे बड़ी बात ये है कि स्व उद्यम से आप सबसे पहले अपना जीवन बेहतर बनाते हैं, सरकार ने लघु और मध्यम उद्योग लगाने में युवाओं की मदद के लिये एक बहुत महत्वपूर्ण विभाग भी खोला है जहां से आपको हर संभव मदद मिल सकती है। जिन लोगों को भी अपना खुद का काम शुरु करना है उन्हें जरूरत है ये सोचने की कि वो क्या करना चाहते हैं फिर इस बारे में जानकारी जुटाएं, और उस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों से मिलें, उनसे बात कर पूछें कि आप ये काम कैसे शुरु कर सकते हैं, जहां तक पूंजी की बात है तो सरकार ने इस काम में आपकी मदद करने के लिये एक मंत्रालय भी खोला हुआ है, जहां से आपको मदद मिल सकती है। खैर अब मैं अपने श्रोताओं का पत्र उठाता हूं और उनकी पसंद के गाने सुनवाता हूं, हमारे पास जो पत्र आया है वो जुगसलाई टाटानगर से है जिसे लिख भेजा है इन्द्रपाल सिंह भाटिया, इन्द्रजीत कौर भाटिया, साबो भाटिया, सिमरन भाटिया, सोनक भाटिया, मनजीत भाटिया, बंटी भाटिया, जानी भाटिया, लाडो भाटिया, मोनी भाटिया, रश्मी भाटिया और पाले भाटिया आप सभी ने सुनना चाहा है आ गले लग जा फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और सुषमा श्रेष्ठ ने, गीतकार हैं साहिर लुधियानवी और संगीतकार हैं राहुल देव बर्मन और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई ...

    पंकज: यदुवेंद्र की योजना है कि समेकित खेती में राज्य का यह महत्वपूर्ण मॉडल बने। इसे किसानों के समेकित खेती का प्रशिक्षण केंद्र बनाने का लक्ष्य है। मधुबनी सहित राज्य के किसानों को कम खर्च में अधिक लाभ के लिए समेकित खेती का मॉडल अपनाने के लिए प्रेरित करना भी उनका लक्ष्य है। धान और गेहूं की खेती के लिए श्रीविधि तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को वे प्रेरित करते हैं।

    पंकज: अब हम रुख करते हैं बिहार के ही एक दूसरे विवाहित जोड़े का जिन्होंने ऊंचे स्तर की पढ़ाई के बाद बड़े शहरों में लाखों की नौकरी को छोड़कर अपने शहर आकर खुद का कारोबार शुरु करने की ठानी और सफलता के साथ आज जिंदगी बसर कर रहे हैं। मित्रों ये हैं पटना युनिवर्सिटी से MBA करने वाले समस्तीपुर के राहुल सिन्हा, राहुल ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर समस्तीपुर में मछलीपालन का काम शुरु यहां पर ही अपना करियर बनाने की योजना शुरु की है। पटना यूनिवर्सिटी से एमबीए करने वाले समस्तीपुर के राहुल सिन्हा और लाला लाजपत राय कॉलेज मुंबई से एमबीए पास श्वेता इंप्लाई के बदले इंप्लायर बन गए। इनकी योजना में प्रोसेसिंग और पैकेजिंग कर मछली को बाहर भेजना और समेकित खेती करना मुख्या लक्ष्य था। मछलीपालन से पहले साल में ही इन्हें पांच लाख रुपए का मुनाफा हुआ। राहुल बताते हैं- 2009 में श्वेता से शादी हुई। वह आईटी कंपनी में नौकरी कर रही थी। मुंबई में पली-बढ़ी श्वेता पहले बिहार आना नहीं चाहती थी। लेकिन, इस क्षेत्र में कॅरियर ग्रोथ देखकर 2012 में हम दोनों बिहार लौटे।

    दिनेश : मैं पिछले कुछ वर्षों से भारत के बारे में पढ़ रहा हूं कि वहां पर कई लोग विदेशों में पढ़ाई करने के बाद वहां की नौकरी छोड़कर वापस स्वदेश लौट आए और अपना खुद का काम शुरु किया जिसमें उन्हें बहुत मुनाफा हुआ, मैं आपको बताना चाहता हूं कि किसी भी देश का विकास इस बात पर निर्भर करता है कि उस देश में कितने लोग खुद का कारोबार शुरु करते हैं, बनिस्पत सरकारी नौकरी पर निर्भर रहने के। आप सरकार को जतना टैक्स देंगे सरकार आर्थिक रूप से उतनी मज़बूत बनेगी, फिर यही पैसा लोक कल्याण के कामों में लगाया जाता है, जैसे सड़कें बनाना, स्कूल, अस्पताल बनाना, कृषि विज्ञान अनुसंधान, अंतरिक्ष अनुसंधान, कानून व्यवस्था बनाने समेत कई काम हैं जो सरकार करती है। अब मैं उठाता हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है बाबू रेडियो लिस्नर्स क्लब आबगिला, गया से मोहम्मद जावेद खान, मोहम्मद जामिल खान, रज़िया खानम, शाहीना परवीन, खाकशान जाबीन, बाबू टिंकू, जे के ख़ान, बाबू, लड्डू, तौफीक उमर खान, इनके साथ ही के पी रोड गया से मोहम्मद जमाल खान मिस्त्री, शाबीना खातून, तौफ़ीक साहब, मोकिमान खातून, मोहम्मद सैफुल खान और ज़रीना खातून आप सभी ने सुनना चाहा है तवायफ़ फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले ने संगीत दिया है रवि ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. आज की शाम ....

    पंकज: मित्रों अब हम आपको बताते हैं कि इन्होंने इस बारे में जानकारी कैसे जुटाई, बिहार में मछलीपालन की भरपूर संभावना को देखते हुए इंटरनेट पर मछली पालन संबंधी कई जानकारी हासिल की। आईसीएआर पटना और पंतनगर में मछलीपालन की ट्रेनिंग ली। तत्कालीन पशु और मत्स्य संसाधन मंत्री गिरिराज सिंह ने प्रेरित किया। डॉ. टुनटुन सिंह ने भी कई तकनीकी जानकारी दी। मित्रों आपके शहर, गांव और कस्बे में भी तालाब होंगे, अगर आप भी इस तरह का उद्यम खोलना चाहते हैं तो पहले आप उस विषय पर पूरी जानकारी जुटाएं, मछली के साथ ही झींगे और केंकड़े का बाज़ार भी बहुत गर्म है यानी इनके अच्छे पैसे भी मिल जाते हैं, अगर आप इसकी ट्रेनिंग लेकर ये काम शुरु करते हैं तो ये आपके लिये बहुत फायदेमंद रहेगा।

    मित्रों अब हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के रायपुर के कुछ युवाओं के बारे में जिन्होंने एमबीए करने के बाद अपने लाखों का पैकेज ठुकरा कर गन्ने के रस की दुकान खोली और अब इनका काम भी अच्छा चलने लगा है।

    गन्ना वाला कैफे के नाम से शुरू हुई इस दुकान को युवा ब्रांड नेम बनाकर देशभर में इसकी ब्रांच खोलना चाहते हैं। जॉब के स्ट्रेस और लिमिटेड ग्रोथ के चलते अब युवा एंटरप्रेन्योरशिप की ओर यानी खुद का व्यवसाय करने की सोच रहे हैं। पढ़े-लिखे युवाओं का जज्बा और सोच ऐसी है कि वे काम छोटा है या बड़ा नहीं बल्कि मुनाफे के बारे में सोचते हैं। यही कारण है कि बाहर से पढ़कर आए कई युवाओं ने शहर में चाय की दुकानें खोली हैं और अब एमबीए कर चुके चार मित्रों ने मिलकर अग्रसेन चौक के पास गन्ने के रस की दुकान खोल ली है। आधुनिक मशीन से गन्ने का रस निकालकर लोगों तक पहुंचाने के साथ ही ये लोगों को गन्ना रस के फायदे भी बताते हैं। इसके साथ ही इन लोगों ने साफ सफाई को अपना युनिक सेलिंग प्वाइंट बनाया है इसके अलावा ये लोग गन्ने के रस में बर्फ नहीं डालते बल्कि रस को निकाल कर डीप फ्रीज़र में डाल देते हैं और अपने ग्राहकों को उसी में से रस निकालकर देते हैं जिसे इन लोगों ने प्लास्टिक की डिस्पोज़ेबल ग्लास में पैक कर रखा होता है। इन युवाओं ने अपने कैफे का लुक भी चौपाल जैसा दिया है।

    दिनेश: ये तो बहुत अच्छी बात है कि आज का युवा मुनाफे को देखकर अपना व्यवसाय शुरु कर रहा है साथ ही ये युवा इस बात को भी ध्यान में रखते हैं कि इनका रुझान किस तरफ़ है, यानी ये वही काम पकड़ रहे हैं जिसमें इनका मन लगता है। मित्रों ये एक बहुत ही बढ़िया काम है जिसमें आपका मन लगता है, और साथ में आपको मुनाफा भी होता है। अब मैं उठाने जा रहा हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है ग्राम मुसाफ़िरगंज, पोस्ट गजाधर गंज, बक्सर बिहार से सरफुद्दीन अंसारी, हैदर अली अंसारी और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने हमसे सुनना चाहा है पाकीज़ा फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर ने, गीतकार हैं कैफ़ भोपाली, संगीतकार हैं गुलाम मोहम्मद और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलें...

    पंकज: अब हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की बात बताने जा रहे हैं जिसने अपने माता पिता का सपना साकार किया है, मित्रों इसमें खास बात ये है कि इस व्यक्ति का सपना साकार करने के लिये इसके पिता ने कर्ज़ लिया और माता ने अपने गहने गिरवी रखे, और इस व्यक्ति के माता पिता की मेहनत रंग लाई और बेटा बन गया पुलिस अफ़सर, मित्रों ये जानकारी हमारे पास आई है मध्यप्रदेश के इंदौर से, बेटे को पुलिस अफसर बनाना था, इसलिए निजी स्कूल में शिक्षक पिता ने ब्याज पर रुपए लेकर दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज पढ़ने भेजा। वहां उसे कोई तकलीफ न हो, इसलिए माता-पिता ने अपनी जरूरतें कम कर दीं। आखिर में बेटा काबिलियत से प्लाटून कमांडर की परीक्षा में पास हो गया।

    फिर सवाल ट्रेनिंग के दौरान होने वाले खर्च का आया तो मां ने गहने गिरवी रखकर 60 हजार रुपयों का इंतजाम किया। मंगलवार को वह पल भी आ गया, जब बेटे ने प्लाटून कमांडर पद की शपथ ली। उसे दर्शक दीर्घा में बैठकर निहार रहे पिता की आंखें खुशी के कारण भर आईं। बेटे ने भी उनके पास जाकर चरण छू लिए। पिता ने उसे गोद में उठाकर गर्व से कहा कि तूने मेरा सपना साकार कर दिया।

    दिनेश: अब मैं उठाने जा रहा हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है लालूचक, भागलपुर बिहार से विष्णु कुमार चौधरी, श्रीमती गायत्री देवी, आरती कुमारी, सागर और बादल ने आप सभी ने सुनना चाहा है तेरे मेरे सपने फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने संगीतकार हैं सचिन देव बर्मन, गीतकार हैं गोपालदास नीरज, और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. ए मैनें कसम ली ....

    पंकज: संघर्ष से पार पाकर दूसरों के लिए यह मिसाल कायम की भिंड के गौरव सिंह भदौरिया ने, इनके पिता राकेश सिंह भदौरिया ने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिये कम कुर्बानी नहीं दी थी। एक साल की सतत मेहनत, कठोर प्रशिक्षण के बाद उन्होंने इंदौर के रूस्तमजी सशस्त्र पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय (आरएपीटीसी) में प्लाटून कमांडर की शपथ ली। उन्हें डीजीपी नंदन दुबे ने सर्वश्रेष्ठ पीस कैडेट का अवार्ड भी दिया। गौरव ने बताया अब वक्त आया है कि मेहनत और ईमानदारी से उनके लिए कुछ कर पाऊंगा।

    राकेश ने बताया बेटे ने काफी खुशी दी है। इस पल को उसकी मां अर्चना भी देखना चाहती थीं, लेकिन कुछ माह पहले हुए हादसे के कारण उन्हें पैरालिसिस हो गया। इसलिए वे नहीं आ सकीं। इधर, भाई को बहन प्रियंका ने भी फोन पर ढेर सारी बधाई दी।

    30 सूबेदार और 70 प्लाटून कमांडर ने ली शपथ

    आरएपीटीसी में मंगलवार को 30 सूबेदार और 70 प्लाटून कमांडर ने देश सेवा की शपथ ली। ट्रेनिंग में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर डीजीपी ने जय सिंह तोमर, रवि सिंह तोमर, अतुल शर्मा, संदीप शर्मा, संदीप भारतीय को भी नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

    दिनेश: हमें कार्यक्रम का अगला पत्र लिख भेजा है मनकारा मंदिर, बीडीए कॉलोनी, करगैना बरेली उत्तर प्रदेश से पन्नीलाल सागर, बेनी सिंह मासूम, धर्मवीर मनमौजी, ममता चौधरी, आशीष कुमार सागर, कुमारी रूबी भारती, अमर सिंह, कुमारी एकता भारती, कुमारी दिव्या भारती, श्रीमती ओमवती भारती और बहिन रामकली देवी आप सभी ने सुनना चाहा है शर्मीली फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने संगीत दिया है सचिनदेव बर्मन ने गीतकार हैं नीरज और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 6. खिलते हैं गुल यहां ...

    पंकज: तो मित्रों इस गाने के साथ ही हमें आपकी पसंद कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दें, अगले सप्ताह हम आज के दिन और आज ही के समय पर फिर आपके सामने आएंगे कुछ रोचक, ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के साथ और आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के कुछ मधुर फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    दिनेश : नमस्कार।

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