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नमस्कार श्रोता मित्रों मैं पंकज श्रीवास्तव आपकी पसंद कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं। हर सप्ताह की तरह हम आज भी आपको देंगे कुछ रोचक,ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारियां और साथ में सुनवाएँगे आपकी पसंद के कुछ फिल्मी गाने।
दिनेश:श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपको ढेर सारी दिलचस्प जानकारियां देते हैं साथ ही आपको सुनवाते हैं आपकी पसंद के फिल्मी गीत। आज हम जिस फिल्म का गाना आपको सुनवाने जा रहे हैं उसे हमने लिया है फिल्म .... हंसते ज़ख़्म से जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने संगीत दिया है मदनमोहन ने, गीतकार हैं कैफी आज़मी, गीत के बोल हैं ...
सांग नंबर 1. ये माना मेरी जान मोहब्बत सज़ा है ...
पंकज: मित्रों आज हम आपको ऐसे रिक्शेवाले की कहानी सुनाएँगे जिसने अपनी मेहनत से ना सिर्फ अपनी किस्मत बदली बल्कि अपने परिवार की जिंदगी बेहतर बनाई, कई लोगों को रोज़गार दिया साथ में आज की तारीख में वो हर साल सरकार को 70 लाख रुपए का टैक्स भी देते हैं, इनका नाम हैं हरियाणा के धरमवीर कम्बोज, इसके साथ ही हम आपको मिलवाएँगे उड़ीसा के सुशांत पटनायक से जिन्होंने सांसों की हरकत से व्हीलचेयर बनाई और नए मोबाइल एप्लीकेशन बनाने वाले अभिषेक गुरेजा से।
मित्रों जैसा की हम जानते हैं कि आधे से ज्यादा भारत खेती-बाड़ी पर जीता है, पर वह भारत के जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का महज़ 14 फ़ीसदी हिस्सा है। इसके लिए कोई सरकारी नीतियों में खोट बताता है, कोई खेती की अनिश्चितताओं पर दोष मढ़ता है। इन्हीं के बीच हरियाणा के एक किसान ने अपनी कहानी से सैकड़ों लोगों को एक बार फिर सपने देखने को मजबूर किया है।
पेशे से किसान, 51 वर्षीय धरमवीर काम्बोज कुछ वर्षों पहले तक दिल्ली की गलियों में साइकिल रिक्शा चलाते थे। ग़रीबी इतनी थी कि न पैडल पर से पांव हटे, न गांव जाने का मौक़ा मिला। फिर एक हादसा हुआ, घर लौटना पड़ा।
दिनेश: वाह ... ऐसी खबरें सुनकर मज़ा आ जाता है और मेरा भी उत्साह बढ़ जाता है, एक रिक्शेवाले के लिये कितनी विषम परिस्थिति होगी जो गरीबी सहने के बाद भी आगे बढ़ने की हिम्मत रखता है, वहीं दूसरी तरफ़ धरमवीर ने हम आम मध्यम वर्ग के लोगों को भी उत्साहित किया है, मुझे ऐसा लगता है कि अगर आपको अपना कोई उद्यम शुरु करना है तो ना उसके लिये पूंजी की ज़रूरत है और ना ही किसी के मदद की, अगर किसी वस्तु की ज़रूरत है तो वो है आपकी अपनी दृष्टि और संकल्प की, आप तय करिये कि आगे आपको क्या करना है, बाकी रास्ते को खुद ब खुद खुलते चले जाते हैं।
अब मैं उठाने जा रहा हूं कार्यक्रम का पहला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है शिवाजी चौक कटनी से अनिल ताम्रकार, अमर ताम्रकार, संतोष शर्मा, रज्जन रजक, राजू ताम्रकार, दिलीप वर्मा, रविकांत नामदेव, पवन यादव, सत्तू सोनी, अरुण कनौजिया, संजय सोनी, लालू. सोना, मोना, हनी, यश, सौम्या और इनके मम्मी पापा, आप सभी ने सुनना चाहा है दोस्ती फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने, संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और गीत के बोल हैं ----
सांग नंबर 2. जाने वालों ज़रा ...
पंकज: धऱमवीर के लिये वे दिन मुश्किल भरे थे। धरमवीर बताते हैं, "ग़रीबी सोने नहीं देती थी। काम के लिए इधर-उधर घूमता रहता था। फिर कहीं देखा कि लोग आंवले के जूस, मिठाईयों के लिए पैसे देने को तैयार हैं। धरमवीर ने बाग़वानी विभाग से मदद मांगी, उन्हें 25 हज़ार रुपए की सब्सिडी भी मिली। साल 2007 में धरमवीर ने आंवले की खेती शुरू की, उसका रस निकालते थे और पैकेटों में भरकर बेचते थे। इसकी मांग धीरे-धीरे बढ़ने लगी, नए ग्राहक मिलने लगे। हरिद्वार में कुछ बड़े व्यापारी भी मिले।"
"कई बार आंवला कसने में हाथ छिल जाते थे, तो धरमवीर और उनकी पत्नी ने एक ऐसी मशीन बनाई, जिसमें आंवला, एलोवेरा, दूसरी सब्ज़ियों और जड़ी-बूटियों के सत्व निकाले जा सकते थे और वो भी बिना बीज तोड़े."
इस मशीन को बनाने में कई मित्रों ने धरमवीर काम्बोज की मदद की और वहीं कुछ ने तो मुंह पर ही ना कह दिया। बहरहाल काफ़ी मेहनत के बाद मशीन ने एक शक्ल अख्तियार कर ली।
इस मशीन की चर्चा सुनकर नेशनल इनोवेशन फ़ाउंडेशन के लोग भी काम्बोज के गांव पहुंचे और उन्हें सम्मानित करने के लिए दिल्ली बुलाया, जहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें सम्मानित किया।
पुराने दिन याद करते हुए धरमवीर कहते हैं, "हमारे पास रहने के लिए पक्का मकान भी नहीं था, अब घर तो है ही, साथ में एक प्रोसेसिंग प्लांट भी है। जहां कई लोग एक साथ काम कर सकते हैं। अब सालाना क़रीब 70 लाख रुपए सेल्स टैक्स चुकाता हूं।"
इसके बाद अब हम आपको ले चलते हैं उड़ीसा जहां पर एक बीटेक छात्र सुशांत पटनायक ने एक ऐसी व्हीलचेयर बनाई है जो सांसों के ज़रिये काम करती है।
ओडिशा के सुशांत पटनायक ने पैरालिसिस के मरीज़ों के लिए व्हीलचेयर पर लगने वाला एक उपकरण बनाया है।
दिनेश: नए उद्यम और सरकार पर कम निर्भरता ही देश को आगे बढ़ाती है, अगर हम सिर्फ ये सोचें कि हमें एक सरकारी नौकरी मिल जाए तो हम सिर्फ अपने परिवार का गुज़ारा ही चला सकेंगे, नौकरी में बहुत ज्यादा पैसे भी नहीं मिलते, लेकिन अगर हम ये सोचें कि हम कोई नया उद्यम शुरु करें या फिर कोई नया आविष्कार करें, तो ये बहुत बड़ी सोच है, मित्रों आविष्कार का ये मतलब नहीं होता कि आप कोई बहुत बड़ा आविष्कार करें, जैसा कि हमने आपको धरमवीर कम्बोज के बारे में बताया उन्होंने आंवले का रस निकालने की मशीन का ही आविष्कार किया, यानी छोटे मोटे आविष्कार जो लोगों की मदद करें यही बहुत है। इससे आप अपना जीवन बेहतर बना सकते हैं, अपने मातहत कई लोगों को रोज़गार दे सकते हैं और साथ ही बड़ी धनराशि सरकार को टैक्स के रूप में देकर देश की आर्थिक तरक्की में मददगार भी बन सकते हैं। ऐसी सोच से देश और समाज दोनों आगे बढ़ते हैं, खुशहाली फैलती है। यहां पर ये बताना बहुत ज़रूरी है कि कोई भी काम शुरु करने में मुश्किलें तो बहुत आती हैं लेकिन हमें मुश्किलों के सामने घुटने नहीं टेकना है, हमें अपने लक्ष्य पर निशाना साधना है, मुश्किलें तो खुद ब खुद दूर हो जाएंगी। हिम्मत और धैर्य रखना बहुत ज़रूरी है किसी भी नए काम को शुरु करने के लिये।
अब मैं उठाने जा रहा हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है सियोन रेडियो लिस्नर्स क्लब ग्राम कृतपुर मठिया, भाया अरेराज, पूर्वी चम्पारण, बिहार से राम बिलास प्रसाद, बंशी प्रसाद, नगीना प्रसाद, धनिलाल प्रसाद, राजा बाबू, अभय कुमार, अयोध्या प्रसाद, हीरालाल प्रसाद, पन्ना लाल प्रसाद, सुरेश प्रसाद और यहां पर इनके नामों की बड़ी लिस्ट है समय के अभाव में हम सभी के नाम नहीं पढ़ पाएंगे, आप सभी ने सुनना चाहा है देख कबीरा रोया फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर, गीता दत्त और सीता ने संगीत दिया है मदन मोहन ने गीतकार हैं राजेन्द्र कृष्ण और गीत के बोल हैं ----
सांग नंबर 3. हम पंछी मस्ताने.....
पंकज: इस सेंसर के ज़रिए मरीज़ सिर्फ़ अपनी सांसों के इशारे से फ़ोन लगाने, व्हीलचेयर आगे-पीछे करने जैसे कई काम भी कर सकते हैं।
सुशांत कहते हैं, "यह ऐसा उपकरण है, जो व्हीलचेयर पर लगता है और इस पर एक स्क्रीन लगा होता है। स्क्रीन पर दो-दो सेकंड के लिए ऑप्शन फ्लैश किए जाते हैं और पैरालिसिस यानी लकवे के मरीज़ जो ज्यादातर मामलों में बोल या हिल-डुल नहीं पाते हैं, वो अपनी नाक के नीचे लगे सेंसर पर तेज़ी से सांस छोड़कर अपने मन मुताबिक कुर्सी को घुमा सकते हैं।"
कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पा चुके सुशांत पटनायक भोपाल के एक विश्वविद्यालय में बी-टेक कर रहे हैं।
भविष्य में वो और भी आविष्कार करना चाहते हैं, दूसरों को वैज्ञानिक उद्यम के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं और ख़ुद का व्यापार भी करना चाहते हैं।
दिनेश: हमारे अगले श्रोता हैं कुरसेला तिनधरिया, बिहार से ललन कुमार सिंह, श्रीमती प्रभा देवी, कुमार केतु, मनीष कुमार मोनू, गौतम कुमार, स्नेहलता कुमारी, मीरा कुमारी, कुमारी मधु और एल के सिंह, आप सभी ने सुनना चाहा है दुल्हन एक रात की फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने संगीत दिया है मदन मोहन ने और गीत के बोल हैं ----
सांग नंबर 4. एक हसीं शाम को दिल मेरा खो गया ...
पंकज: अब हम आपको मिलवाने जा रहे हैं अभिषेक गुरेजा से जिन्होंने एक बड़ी कंपनी में ऊंचे पद की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और अपने कुछ मित्रों की मदद से अपनी खुद की कंपनी खोल ली, हालांकि नौकरी छोड़ने से पहले अभिषेक ने भविष्य की योजना पहले ही बना ली थी
उनकी कंपनी तरह-तरह के मोबाइल ऐप्स और गेम्स बनाती है।
हाल ही में उन्होंने 'ऐप अड्डा' नाम की एक सेवा शुरू की है, जिसके ज़रिए इंटरनेट के बिना भी मोबाइल उपभोक्ता ऐप्स और गेम डाउनलोड कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, "ऐप अड्डा दरअसल एक डिवाइस से चलता है, जिसे मोबाइल की दुकानों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगाया जा सकता है. इस डिवाइस के नेटवर्क क्षेत्र में आते ही मोबाइल यूज़र्स को वाईफ़ाई पर ऐप अड्डा नेटवर्क दिखने लगता है जिसमें लॉगिन करने के बाद वो मोबाइल ऐप से लेकर गेम्स तक डाउनलोड कर सकते हैं। इसके लिए अलग से इंटरनेट की ज़रूरत नहीं होती।"
दिनेश: हमारे अगले श्रोता हैं मालवा रेडियो श्रोता संघ प्रामिलागंज आलोट से बलवंत कुमार वर्मा, राजुबाई माया वर्मा, शोभा वर्मा, राहुल, ज्योति, अतुल और इनके ढेर सारे मित्र आप सभी ने सुनना चाहा है भाई भाई फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने संगीत दिया है मदन मोहन ने और गीत के बोल हैं ----
सांग नंबर 5. मेरा नाम अब्दुल रहमान....
पंकज: तेज़ी से मोबाइल हो रहे भारत के कई प्रमुख शहरों में इस उत्पाद को अभिषेक और उनकी टीम पहुंचा रही है. कई अन्य देशों में भी इसे ले जाने की तैयारी है.
अभिषेक गुरेजा जैसे कुछ नए दौर के उद्यमी नौकरी छोड़ने का ख़तरा मोल लेकर अपना व्यापार शुरू कर रहे हैं। ऐसे में सरकार से मदद की भी उम्मीदें होती हैं।
हालांकि ख़ुद अभिषेक सरकार की मदद पर निर्भर नहीं रहना चाहते।
उन्होंने कहा, "चाहे कोई भी सरकार आए या जाए उद्यमियों को अपनी मेहनत और हिम्मत पर भरोसा रखना चाहिए और उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।"
किसी भी आविष्कार या फिर उद्यम शुरु करने के लिये सबसे महत्वपूर्ण है परिवार का सहयोग।
नेशनल इन्नोवेशन काउंसिल के एसोसिएट विकास बागड़ी के अनुसार
"भारत में डेढ़ लाख से ज़्यादा ग्रासरूट्स इन्नोवेटर्स की जानकारी नेशनल इन्नोवेशन फाउंडेशन के पास है। फ़ाउंडेशन के लोग गांव-गांव में शोध यात्रा करते हैं और वहां मौजूद ऐसे अविष्कारकों को पेटेंट दिलाने में मदद करते हैं। भारत में बहुत से छात्रों के अविष्कार सामने आ रहे हैं, जिन्हें सरकारी तौर पर बने इन्क्यूबेटर्स के ज़रिए ग्रांट्स और सुविधाएं दी जाती हैं ताकि वे शुरुआत के लिए अपने आइडिया की परख कर सकें। मगर नए आविष्कारों के नाकाम होने का प्रतिशत बहुत ज़्यादा है और सौ में से पांच से 10 फ़ीसदी ही कामयाब हो पाते हैं। भारतीय इन्नोवेटर्स के सामने बड़ी चुनौती फंडिंग और नीतिगत तो हैं ही, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और परिवार संबंधी दबाव भी हैं। उन पर पारंपरिक नौकरी या बिज़नेस और शादी के लिए दबाव होते हैं. मुझे कुछ वेंचर कैपिटलिस्ट ने बताया कि वे शुरुआत में पैसा लगाने से पहले आइडिया की ताक़त तो देखते ही हैं, टीम कितनी मज़बूत है और इन्नोवेटर्स को घर का समर्थन कितना है, यह भी देखते हैं। इस पर कामयाबी का प्रतिशत निर्भर करता है।"
दिनेश: हमारे पास अगला पत्र आया है देशप्रेमी रेडियो लिस्नर्स क्लब ग्राम आशापुर, पोस्ट दर्शन नगर, ज़िला फैज़ाबाद उत्तर प्रदेश से इसे लिखा है राम कुमार रावत, गीता रावत, अमित रावत, ललित रावत, दीपक रावत, मनीष रावत और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है परवाना फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने संगीत दिया है मदन मोहन ने गीतकार हैं कैफ़ी आज़मी और गीत के बोल हैं ----
सांग नंबर 6. सिमटी सी शरमाई सी ....
पंकज: तो मित्रों इस गाने के साथ ही हमें आपकी पसंद कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दें, अगले सप्ताह हम आज के दिन और आज ही के समय पर फिर आपके सामने आएंगे कुछ रोचक, ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के साथ और आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के कुछ मधुर फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।
दिनेश : नमस्कार।