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    संडे की मस्ती 2014-05-18
    2014-05-19 12:35:17 cri

    हैलो.. दोस्तों नमस्कार...नीहाओ...। स्वागत है आपका इस चटपटे और laughter से भरे कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में। मैं हूं आपका दोस्त और होस्ट अखिल पाराशर।

    आज के इस कार्यक्रम में होंगे दुनिया के कुछ अजब-गजब किस्से और करेंगे बातें हैरतंगेज़ कारनामों की......इसी के साथ ही हम लेकर आये हैं हंसने गुदगुदाने की डबल डोज,जिसमें होंगे चटपटे चुटकुले, ढेर सारी मस्ती और खूब सारा फन और चलता रहेगा सिलसिला बॉलीवुड गानों का भी।

    दोस्तो, आज कार्यक्रम को होस्ट करने में मेरा साथ दे रही है मीनू जी...।

    मीनू - हैलो दोस्तों,आप सभी को मीनू का प्यार भरा नमस्कार.....।

    अखिल- चलिए, अब शुरू करते है आपके पत्रों को पढ़ने का सिलसिला, जो आपने हमें भेजा है, बड़े प्यार से। पहला पत्र मिला है सउदी अरब से भाई सादिक आजमी जी का। सादिक जी ने लिखा है.... दिनांक 11 मई की सभा का बेसबरी से इन्तेज़ार कर रहा था कारण स्पष्ट था कि आज के दिन सण्डे की मस्ती का प्रसारण जो होना था और अखिल जी और लिली जी जब अपने मनोरंजन का पिटारा लेकर उपस्थित हुए तो पहले विषय ने ही हमारा मन मोह लिया यानी मां की ममता की अनमोल बातों ने हमारा ज्ञानवर्धन किया। बिल्कुल सच है कि माँ की ममता का कोई मोल नही होता है। अखिल जी की एक बात शिक्षाप्रद लगी कि हमें एक दिन विशेष पर माँ की ममता को समर्पित नही करना चाहिये बल्कि हर दिन अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास करते हुए उनकी निजी जीवन की हर छोटी से छोटी ज़रूरतों को पूरा करना चाहिये। इस कार्यक्रम में वैस्ट वर्जीनिया मे इस प्रथा के आरम्भ होने से लेकर वर्तमान के इतिहास पर रोचक जानकारी मिली। अलग अलग देशों और प्रांतों मे माँ को सम्मानित किया जाना संसार मे सबसे महत्वपूर्ण कदम कहा जाएगा। इस समय आपके माध्यम से कहना चाहूंगा

    "जो करे माता पिता का सम्मान "

    "पूरे विश्व मे वो है सबसे महान"

    मीनू- बहुत खुब कहा आपने सादिक जी। आगे सादिक जी लिखते हैं.... दूसरी रिपोर्ट मे लिली जी ने तो अमरीका के न्यूयार्क शहर के एक कामचोर डाकिये की दास्तान सुनाकर हैरान ही कर दिया। आलस्य की ऐसी कहानी मैंने कभी नही सुनी थी। लोगों की चिट्ठियों को अपने घर के गोदाम मे फेंक देने का यह कार्य न सिर्फ आलस्य को दर्शाता है, बल्कि ग़ैर-जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। उसको मात्र ६ महीने की सज़ा बहुत कम है ऐसे लोगों की नौकरी छीनकर कम से कम 5 साल की सज़ा देनी चाहिये ताकि वह समाज के समक्ष एक उदाहरण बन सके। शर्त के आगे अपने आपकाे मुसीबत मे डालने की घटना आए दिन सुनने को मिलती रहती है और इसी क्रम मे एक और कड़ी अखिल जी चीन के युवक की घटना को जोड़ कर बताई कि किस प्रकार शर्त जीतने की खातिर एक युवक लाइटर को ही निगल गया। इस प्रकार की घटना हमारी मूर्खता को दर्शाती है।

    अखिल- आगे सादिक जी ने लिखा है.... इसके साथ ही स्पेन मे एक व्यक्ति की बत्तीसी के चक्कर मे सड़क पर लगे जाम की घटना भी मजेदार लगी। अखिल जी की 10 बातों की बात ही निराली लगी। हैरान कर देने वाले 10 बातें सुनकर तो मज़ा ही आ गया। आखिर मे अखिल जी की एक शिक्षाप्रद कविता ने दिल जीत लिया कि हम मंगल पर जीवन की तलाश तो कर रहे हैं पर इस ओर ध्यान ही नही दे रहे कि निजी जीवन मे मंगल है भी या नही और आज चुटकुलों की थोड़ी कमी खली पर आशा है अगले अंक मे ज़रूर आपके अनूठे अंदाज़ मे लतीफों का आनंद मिलेगा पर पहेली का क्रम अच्छा है अनार और प्याज वाली पहेली बहुत सुंदर लगी। इस सुंदर प्रस्तुति पर एकबार फिर आप दोनों का बहुत बहुत धन्यवाद।

    मीनू- आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सादिक जी आपका। हमें आपकी कार्यक्रम पर चर्चा और प्रतिक्रिया बेहद अच्छी लगी।

    अखिल- अगला पत्र मिला है केसिंगा, ओडिशा से सुरेश अग्रवाल जी का। सुरेश जी लिखते हैं... ताज़ा समाचारों के बाद साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" के तहत पेश मस्त-मस्त बातों ने हमें आज भी मस्त कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत अलग-अलग देशों में अलग-अलग ढ़ंग से "मदर्स डे" मनाये जाने की जानकारी से हुई। विदेशों में महज़ वर्ष में एक दिन माँ के लिए प्यार जता कर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री मान ली जाती है, परन्तु हम भारतीयों के लिए तो साल के पूरे 365 दिन माता-पिता को समर्पित होते हैं, इसलिए हमें अलग से कोई ऐसा दिवस मनाने की आवश्यकता नहीं। मेरा तो मानना है कि दुनिया में यदि कोई भगवान है, तो वह माँ है और माँ का स्थान कोई दूसरा ले ही नहीं सकता। हमें ममता का एहसास भी माँ से होता है, अन्यथा इस शब्द की ईज़ाद ही न हुई होती। कार्यक्रम में आगे, अमरीका में आलसी डाकिये को ज़ेल में आराम की सलाह दिया जाना सर्वथा उचित लगा, परन्तु आराम की अवधि कुछ कम थी। स्पेन की राजधानी मैड्रिड में बतीसी गिरने पर ट्रैफिक ज़ाम होने का किस्सा गुदगुदा गया। शर्त जीतने के लिये लोग कैसी-कैसी हरक़त करते हैं इसकी मिसाल शांघाई के एक वेटर द्वारा लाइटर निगल कर पेश की गई। समझ में नहीं आता कि उन महाशय तक अपनी बधाई कैसे प्रेषित करूँ ! सच मानिये, अखिलजी द्वारा पेश दस मज़ेदार बातें मैंने इससे पहले कभी नहीं सुनी, परन्तु मुझे उनकी बतलायी एक बात में सन्देह है कि -आँखों का आकार कभी नहीं बदलता। शैशवकाल से वयस्क होने तक की प्रक्रिया में आँखें भी छोटे से बड़ी होती दिखती हैं ! हाँ, परी वाला जोक, पहेलियाँ तथा उसके बाद दी गई जानकारी में जीवन का फ़लसफ़ा अवश्य झलक रहा था। सार्थक प्रस्तुति हेतु हार्दिक धन्यवाद।

    अखिल- आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भाई सुरेश अग्रवाल जी। आपकी कार्यक्रम पर चर्चा और प्रतिक्रिया अच्छी लगी। एक बार धन्यवाद।

    मीनू- अगला पत्र आया है पश्चिम बंगाल से देवाशीष गोप जी का। देवाशीष गोप जी लिखते है... नीहाओ। मन को तंदरूस्त रखने के लिए हर संडे संडे की मस्ती कार्यक्रम सुनना चाहिए। इस कार्यक्रम से हमें खुशी मिलती है और इससे हमारा दिल और दिमाग स्वस्थ रहता है। आज के इस कार्यक्रम में मदर्स डे से संबंधित बातें बतायी जो हमें बहुत अच्छी लगी। इसके अलावा अखिल जी द्वारा बताई गयी 10 मजेदार बातें भी बेहद रोचक लगी। मेरी यही कामना है कि यह कार्यक्रम यूं ही आगे चलता रहे। शीए-शीए।

    अखिल- बहुत-बहुत धन्यवाद देवाशीष गोप जी। हम भी आशा करते है कि हम यूं ही आपका मनोरंजन करते रहे और आप हमारे साथ ऐसे ही जुडे रहे। चलिए... अभी सुनते है एक बढिया गाना..उसके बाद चालू हो जाएगी हमारी मजेदार और रोचक बातें...।

    (गाना-1)

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