1
|
अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ..चाय की आवाज .........आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।...........................................
अनिलः अनिलः दोस्तो वैसे एक सप्ताह में सात दिन होते हैं, लेकिन हमें आपके लिए प्रोग्राम पेश करने का बड़ा इंतजार रहता है। तो क्या कर रहे हैं आप लोग, रेडियो सेट ऑन किया कि नहीं, अगर नहीं तो जल्दी कीजिए। क्योंकि टी-टाइम प्रोग्राम हो चुका है शुरू।
वेइतुंगः अनिल जी क्या आपको पता है कि नींद हमारे शरीर के लिए कितनी जरूरी होती है। अनिलः जी हां, बिल्कुल, अच्छी नींद बेहतर स्वास्थ्य की पहचान भी मानी जाती है। वेइतुंगः आप रोज कितने घंटे सोते हैं।
अनिल- मैं लगभग सात घंटे। और आप...
वेइतुंगः मैं तो...............घंटे सोता हूं।
अनिलः वैसे अक्सर बड़े-बुजुर्ग कहा करते हैं कि बेटा समय पर सो जा। सुबह जल्दी उठ जाना। पुराने समय में तमाम लोग इस नियम का पालन करते भी थे। लेकिन आज की भाग-दौड़ भरी लाइफ में अच्छी नींद लेना मुश्किल हो गया है। एक तरफ लोगों को जहां सुबह-सुबह काम पर जाना होता है और वहीं रात को देर से घर लौटना। अगर इंडिया की बात करें तो बड़े शहरों में लोगों की लाइफ-स्टायल ही बदल चुकी है। तमाम लोग काम की जल्दी या वर्क प्रेशर के चलते टाइम पर नाश्ता, लंच या डिनर नहीं करते। इसके साथ ही टायम पर न सोना या उठना भी समस्या के रूप में सामने आ रहा है। कई लोग नींद न आने की शिकायत भी करते हैं। अगर रात को आपने अच्छी नींद नहीं ली तो अगला दिन तनाव भरा हो सकता है। ऑफिस में आपको गुस्सा आ सकता है या काम में मन नहीं लगेगा। इसके चलते डिप्रेशन भी हो सकता है। आजकल मीडिया का काम हो या मैनेजमेंट या फिर बिजनेस लोग देर रात काम से वापस लौटते हैं। वहीं आईटी कंपनियों में काम कर रहे युवाओं का भी यही हाल है। इसके साथ ही इंडिया में तमाम कॉल सेंटर भी खुले हुए हैं, वहां काम करने की शर्त ही यही होती है कि आपको दिन या रात किसी भी शिफ्ट में काम करना पड़ सकता है। मैंने अक्सर लोगों को कहते हुए सुना है कि वो लड़का कॉल सेंटर में काम करता है और सुबह 5 बजे उसे कैब घर छोड़ने आती है। वह दिन भर सोता है और फिर रात को ड्यूटी पर चला जाता है। इस तरह नाइट डयूटी करने वाले अक्सर तनाव में रहते हैं। लेकिन दोस्तो हम सभी 21 वीं सदी में जी रहे हैं, इसलिए चुनौतियों से तो जूझना ही पड़ेगा। लेकिन यही कहना चाहेंगे कि जितना भी संभव हो सके समय पर उचित और अच्छी नींद लें। तो अगला दिन अच्छा बीतेगा।
वेइतुंगः हाल ही में इस बारे में एक शोध सामने आया है। जो कि नींद न आने की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
अमेरिका के शोधकर्ताओं की मानें तो सुबह और शाम एक ग्लास चेरी का जूस पीने से नींद न आने की दिक्कत से छुटकारा मिल सकता है, खासतौर पर उम्रदराज लोगों को।
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के आधार पर दावा किया है कि लगातार दो हफ्तों तक सुबह और शाम चेरी का जूस पीने से उम्रदराज लोगों को नींद न आने की समस्या कम हो जाती है।शोधकर्ताओं ने यह भी माना है कि इनके नियमित सेवन से प्रतिभागियों की नींद में दो सप्ताह बाद 90 मिनट का इजाफा हुआ है। उनका दावा है कि दिन में दो बार इस जूस का सेवन अधिक उम्र के लोगों की नींद से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए सेहतमंद उपाय है ।.शोध में पाया गया है कि चेरी को लाल रंग देने वाला तत्व - प्रोएंथोसायनाइडिन नींद न आने की दिक्कत को दूर करने में मददगार है।
यह शोध अमेरिकन सोसायटी ऑफ न्यूट्रिशन के सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया है।......
अनिलः नींद पर चर्चा के बाद प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हैं। दोस्तो परिवार में, दोस्तों या रिश्तेदारों के बीच अक्सर नोंक-झोंक या बहस होना आम बात होती है। आज के दौर में एक शांत माहौल में रहना मुश्किल सा हो गया है। पति-पत्नी के बीच कुछ न कुछ वजह से खटपट होती रहती है। उधर डेनमार्क के शोधकर्ताओं की मानें तो जीवनसाथी, दोस्तों या नातेदारों के साथ अक्सर होने वाली बहसों से पच्चीस साल से अधिक उम्र के लोगों लोगों में मौत का खतरा बढ़ जाता है.एपिडेमिलॉजी (महामारी विज्ञान) और कम्युनिटी हेल्थ (सामुदायिक स्वास्थ्य) की एक पत्रिका में शोधकर्ताओं ने इस बात का जि़क्र किया है कि लगातार होने वाली बहस से पुरुषों और बेरोज़गार लोगों को अधिक ख़तरा होता है.शोध ये भी बताता है कि नजदीकी संबंधों में आने वाली परेशानियां और अपेक्षाएं मौत की दर को बढ़ाती हैं. इस शोध में ये भी कहा गया है कि दबाव से निपटने की हर व्यक्ति में अलग अलग क्षमता होती है. ये बहुत कुछ प्रभावित होने इंसान के व्यक्तित्व पर निर्भर करता है.
वेइतुंगः कोपेनहेगन विश्वविद्यालय की शोध टीम का आकलन है कि लगातार बहस और झगड़े से मृत्यु दर में दोगुना या तीन गुना इज़ाफा हो सकता है. वैसे वे इस बात की पूरी व्याख्या करने में असमर्थ रहे कि ऐसा क्यों होता है।
अतीत में किए गए कई शोध भी यही बताते हैं कि समाज में यदि आपके पास दोस्तों का एक बड़ा दायरा है और सबके बीच सौहार्दपूर्ण संबंध है तो इससे दायरे में आने वाले लोगों की सेहत पर इसका सकारात्मक असर पड़ता है.
पुराने शोध ये दावा भी करते हैं कि सामाजिक रिश्तों और परिस्थितियों से निपटने में व्यक्ति का व्यक्तित्व काफी हद तक सहायक हो सकता है.
बताया जाता है कि दबाव में जिस तरह की मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया सामने आती है, जैसे कि ब्लड प्रेशर और ह्रदय रोग के खतरे, ये सब बढ़े हुए मृत्यु दर की ओर ही इशारा करते हैं.शोध करता है, "अधिक बहस और मीनमेख से पैदा होने वाले दबाव का असर सबसे ज्यादा पुरुषों पर पड़ता है. उनके कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है जिससे सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है."
अध्ययन में 36 से 52 वर्ष के करीब 9,875 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया. उनसे जानकारियां जुटाते हुए इस बात की संभावनाओं का पता लगाने की कोशिश की गई कि तनावपूर्ण सामाजिक संबंधों और अकाल मृत्यु के बीच क्या संबंध है.
अध्ययन के दौरान पाया गया कि जीवनसाथी और बच्चों की ओर से की जाने वाली लगातार मांगों और रोज़ रोज़ के झंझटों से मौत के ख़तरे में 50 से 100 फीसदी इज़ाफा हो जाता है.
अनिलः विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो चिंताएं और झगड़े रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा हैं. लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि जिनकी अपने नज़दीकी रिश्तेदारों या जीवनसाथी से अक्सर खटपट होती रहती है, उन्हें अधिक खतरा होता है और ऐसे लोगों की मदद की जानी चाहिए.
उन्होंने कहा, "झगड़े में हस्तक्षेप करना, खासकर बोरोजगार लोगों के संदर्भ में, सामाजिक संबंधों के दबाव के कारण होने वाली अकाल मौत से जुड़े खतरों को कम करने में मदद करता है।
वेइतुंगः दोस्तो अब बात करते हैं, डायनासोर की। एक रिपोर्ट के मुताबिक पतले आकार के डायनासोर के पक्षियों के पूर्वज होने की बड़ी संभावना है।
एक अंतरराष्ट्रीय शोध ग्रुप की ताजा रिपोर्ट के अनुसार डायनासोर के इवोलूशन में मोटापा घटाने और omnivores बने रहने की एक शाखा संभवत अंत में पक्षी के रूप में परिवर्तित होकर अपना खून बनाने में सफल रही । छोटे आकार की ओर इवोलूशन होने के कारण वे सफलता से फूड अभाव के दौर से गुजरे ।
आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अमेरिका और स्वीडन के समकक्षों के साथ अमेरिकी वैज्ञानिक अस्पताल बायोलोजी के नये अंक पर यह रिपोर्ट जारी की । उन्होंने 426 किस्मों के डायनासोर के टांग के हड्डी फासिल के मोटेपन के अध्ययन से उन उनके वजनों का अनुमान लगाया ।विभिन्न किस्मों के डायनासोर के वजन अंतर और इवोलूशन संबंध से शोधकर्ताओं ने वजन के संदर्भ में इवेल्यूशन की दिशा और गति तय की ।
शोधकर्ताओं ने पाया कि 22 करोड साल पहले डायनासोर कद और वजन में तेजी से परिवर्तित होने लगे ।कुछ डायनासार जंगली कानून के मुताबिक अत्यंत विशाल बन गये और कुछ किस्मों के डायनासोर खासकर फेदर निकलने वाले डायनासोर पतले होते रहे और उनका खाना अधिक विविध हो गया।
इवोल्यूशन प्रक्रिया और परिणाम से देखा जाए ,तो विशाल आकार वाले डायनासोर का इवोल्यूशन बहुत धीमा रहा यहां तक कि लगभग ठप्प हो गया और इवेल्यूशन में विविधता दिखाई नहीं दी । अंत में पर्यावरण के कायापलट में उनका अंत हुआ ।दूसरी तरफ कुछ किस्मों का इवोल्यूशन बहुत तेज रहा और इवोल्यूशन में विविधता दिखाई दी । ये डायनासोर संभवत पर्यावरण के कायापलट की परख पर खरे उतरे और अंत में आज के पक्षी बने।
बताते हैं कि पक्षी के रूप में मौजूद 10 हजार जीव जंतु डायनासोर की संतान के रूप में देखे जा सकते हैं । अध्ययन से इवोल्यूशन में पतले डेनासोर और मोटे डायनासोर का अंतर साफ किया गया है। इवोल्यूशन में पतले डायनासोर को विशेष लाभ मिला। .अनिलः दोस्तो, जैसा कि आप जानते हैं कि धुर्वीय भालू यानी पोलर बेयर मोटा होता है, लेकिन स्वस्थ। मानव की दृष्टि से देखा जाए तो ध्रुवीय भालू की जीवन शैली अत्यंत अस्वस्थ है। वे खूब मात्रा में फैट यानी वसा का सेवन करते हैं। इसलिए उनके शरीर में काफी ज्यादा वसा होती है, लेकिन वे मोट इंसानों की तरह दिल की बीमारी से पीडित नहीं होते। चीन ,डेनमार्क और अमरीका के शोधकर्ताओं ने बताया कि इन सबका रहस्य उनके जीन में छुपा है। इस पर शोध करना मानव के मोटापे के संकट और उसके समाधान के लिये मददगार होगा।
शोधकर्ताओं ने ध्रुवीय भालू के जीन समूह की परीक्षा और विश्लेषण करने के बाद पाया कि ध्रुवीय भालू की उत्पत्ति में वसा के परिवहन और फैटी एसिड मेटाबोलिज्म संबंधित जीन में परिवर्तन हुआ। जीन परिवर्तन से वे मोटे लेकिन स्वस्थ हैं , जो उत्तरी आर्कटिक के कठोर पर्यावरण के अनुकूल है। चाहे ध्रुवीय भालू कितना भी वसा खाते हैं, इससे उनके रक्त में उच्च शर्करा (high blood sugar ) और hyperlipidemia पैदा नहीं होता।
शोध के मुताबिक यह नई खोज संभवत:मानव के लिए अधिक मात्रा में वसा का सेवन करने के बाद होने वाली दिल की समस्याओं और बीमारियों से निजात दिलाने में मददगार साबित हो सकती है।
वेइतुंगः ध्रुवीय भालू का मुख्य भोजन अत्यधिक वसा युक्त सील मछली जैसे समुद्री जानवर हैं। ध्रुवीय भालू के वजन में आधा भाग वसा होता है। उधर एक स्वस्थ व्यक्ति में वसा का अनुपात सिर्फ 8 से 35 प्रतिशत तक होता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि ध्रुवीय भालू का जीवन आम तौर पर वसा से केंद्रित होता है। उनके लिए अधिक मोटा होना स्वस्थ होना होता है। ध्रुवीय भालू के प्रचुर वसा युक्त खाने का अध्ययन करना मानव के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। शोधकर्ताओं ने उत्तर यूरोप से आये एक ध्रुवीय भालू के जीन ग्रुप की गहराई से परीक्षा की । इसके अलावा स्वीडेन ,फिनलैंड और अमेरिका के अलास्का से 79 ध्रुवीय भालुओं और दस ब्राउन भालुओं के जीन ग्रुप की परीक्षा की । अध्ययन से पता चला है कि ध्रुवीय भालू और ब्राउन भालू का अलग होना सिर्फ पाँच लाख साल से पुराना है । एक प्रजाति के नाते ध्रुवीय भालू का इतिहास पूर्वानुनाम से कम है । चीनी ह्वा डा जीन अनुसंधान संस्था ने बताया कि इवोल्यूशन की दृष्टि से यह काफी कम समय है । इतना विशाल स्तनधारी होने के नाते इतने कम समय में इतना ज्यादा परिवर्तिन हुआ ,यह चौंकाने वाली बात है ।इससे पहले लोगों का अनुमान था कि ध्रुवीय भालू और ब्राउन भालू का अलग होना शायद 6 लाख से 50 लाख साल के पहले हुआ ।
अनिलः शोधकर्ता वांग चुन ने बताया कि ध्रुवीय भालू के विकास इतिहास ने हमें दिखाया है कि एक प्रजाति का जीव कैसे तेज गति से नये वातावरण के अनुकूल हो गया है । नोर्थ आर्कटिक के वातावरण के अनुकूल होने के लिए ध्रुवीय भालू के शरीर में एक काफी कम समय में बड़ा परिवर्तन हुआ ।उसके बाल ब्राउन से सफद हो गये और भारी फिजिकल और मेटाबोलिज्म बदलाव भी हुआ ।वैज्ञानिकों का विचार है कि जब पृथ्वी पर मौसम गर्म था ,तो ब्राउन भालू और ध्रुव भालू के समान पूर्वज उत्तर आर्कटिक की ओर बढ गये । जब मौसम फिर आइस युग में वापस लौटा ,तो उत्तर आर्कटिक में बसे कुछ भालू कदम ब कदम शीत हो रहे वातावरण से अभ्यस्त हो गये और आज का ध्रुवीय भालू बन गये ।
वेइतुंगः उधर मुस्लिम पर्यटन वेबसाइट क्रिसेंट रेटिंग 7 ने 7 मई को वर्ष 2014 के विश्व के दस सर्वश्रेष्ठ मुस्लिम पर्यटन स्थलों के चुनाव का परिणाम घोषित किया। इसमें मलेशिया को इस्लामी महासभा के सदस्यों के समूह के चुनाव में पहला स्थान हासिल हुआ।
कुल 60 देशों ने इसमें भाग लिया। चुनाव दो समूहों यानी इस्लामी महासभा के सदस्यों के समूह और गैर सदस्यों के समूह के बीच चला।
इस्लामी महासभा के सदस्य देशों के चुनाव में सउदी अरब, तुर्की और इंडोनेशिया अलग अलग तौर पर दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रहे। गैर सदस्य समूह में सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका और थाईलैंड पहले, दूसरे औऱ तीसरे स्थान पर रहे।
यह चौथी बार है कि क्रिसेंट रेटिंग 7 ने यह गतिविधि आयोजित की है। चुनाव के मापदंडों में मुस्लिम पर्यटकों को प्रदान करने वाली सेवा, संस्थापन, पर्यटन प्रचार और पर्यटन को बढ़ावा देने जैसे विषय शामिल हैं।
अनिलः दोस्तो अब वक्त हो गया है लिस्नर्स के कमेंट का। पश्चिम बंगाल से मनीषा चक्रवर्ती लिखती हैं कि सादर नमस्कार। मैं आपका "टी टाइम" प्रोग्राम रेडियो पर नियमित सुनती हूं। पिछले 6 मई मंगलवार को सऊदी अरब की एक 35 साल की महिला(हनादी अल-हिंदी)को विमान उड़ाने का लाइसेंस देने के बारे मे अपने जो चर्चा की गई। उसने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है। सऊदी अरब विश्व का एक कड़ा इस्लामी रूढ़िवादी देश है और इसी देश में एक महिला की इस तरह प्रगति हमारे नारी समाज के लिए एक गर्व और सराहना की बात है। मैंने सुना है कि चीन में कम्युनिस्ट शासन की स्थापना होने के साथ चीन के महान नेता माओ त्से तुंग ने कहा था कि 'आधा आसमान महिलाओं से बना है'। यह बात आज भारत के साथ दुनिया कि अन्य देशों के लिये प्रयुक्त है क्योँकि आज के बदलते परिवेश में महिलाओं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर तेजी से आगे बढ़ रही हैं। आज पंचायत ,पार्लियामेंट राजनीति,टेक्नोलोजी, कारपोरेट सेक्टर,सुरक्षा समेत हर क्षेत्र में जहां जहां महिलाओं ने हाथ आजमाया उसे कामयाबी ही मिली। अब तो ऐसी कोई जगह नहीं है,जहां आज की नारी अपनी उपस्थिति दर्ज न करा रही हो। नारी आज एक शक्ति के रुप में उभर रही है। फिर भी मैं खेद के साथ यह बात कहना चाहती हूं कि आज भी हमारे समाज पुरुष प्रधान होने के बावजूद नारी सिर्फ़ पुरूषों के लिये भोग-विलास की वस्तु है। मैं एक कॉलेज की छात्रा हूं और यह मुझे बहुत दुख देती है कि जब हम बसों तथा ट्रेनों में सफर करते है तब हम महिलाओं को कई न कई उत्पीड़नों का सामना करना पड़ता है। कुल मिलाकर मैं यह कहना चाहती हूं कि इस चर्चा ने मुझे कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स की याद दिला दी। इस ज्ञानवर्धक विषय के लिए धन्यवाद।
.वहीं पश्चिम बंगाल से ही सुदेष्णा बसु लिखती हैं कि सऊदी अरब की महिला द्वारा विमान उड़ाने का लाइसेंस हासिल करने की जानकारी बहुत अच्छी लगी। टी-टाइम प्रोग्राम से मुझे देश-दुनिया की तमाम खबरें मालूम होती हैं। धन्यवाद।
वहीं बांका बिहार से जय कृष्ण कुमार ने भी हमें ई-मेल भेजा है।
वे लिखते हैं कि आपके प्रोग्राम में दी जाने वाली जानकारियां बहुत ही रोचक एवं ज्ञानवर्धक लगती हैँ, वहीं हँसगुल्ले हमें लोटपोट कर जाते हैँ. कार्यक्रम के अंत मे पूछा जाने वाला सवाल हमारे GENERAL KNOWLEDGE को परखने और बढाने का काम करता है।
वहीं सऊदी अरब से सादिक आजमी लिखते हैं कि पिछले प्रोग्राम का आगाज बड़े रोचक अंदाज में हुआ। महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा हुई। ये बात सच है कि महिलाएं आज मर्दों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं और समूचा विश्व भी इसकी वकालत करता नज़र आ रहा है कि उन्हें भी समान अधिकार मिलना चाहिये। शायद यही कारण है कि सऊदी मे भी धीरे-धीरे महिलाओं को कुछ आज़ादी दी जा रही है। मैं यहाँ एक कंपनी मे कार्यरत हूं और मैंने देखा है यहां आज हास्पिटलों मे महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। शायद आने वाले समय मे कई और क्षेत्रों में महिलाओं को अवसर प्रदान किये जाएंगे। पर एक बात अवश्य कहना चाहूंगा कि यहां कुछ एक बातों पर लगाम जरूर कसी गई है। दूसरी रिपोर्ट मे जयपुर के साहित्यिक महोत्सव पर प्रकाश डाला गया। जिससे ज्ञात हुआ कि इस बार इसका आयोजन लंदन मे होगा एक दृष्टि से देखा जाए तो सांस्कृतिक आदान प्रदान मे सरलता होगी। लंदनवासियों को भारतीय साहित्य और लेखकों को जानने और समझने का अवसर मिलेगा। पर विदेशी पर्यटकों के भारत आगमन से होने वाले लाभ से वंचित होना पड़ेगा। थ्री डी की बढ़ती लोकप्रियता पर भी जानकारी अच्छी लगी। पर चीन में थ्री डी बहुमंज़िला इमारतों पर पाबंदी किन कारणों से है। इस पर भी विस्तार पूर्वक जानकारी किसी अगले अंक मे ज़रूर दें कृपा होगी।
वहीं झारखंड से एस.बी.शर्मा लिखते हैं कि सऊदी अरब जैसे कट्टरपंथी रूढ़िवादी देश में किसी महिला को विमान उड़ाने का लाइसेंस मिलना सचमुच आश्चर्य का विषय है। वैसे किसी भी देश में प्रतिभा को दबाया नहीं जा सकता है। चाहे प्रतिभा महिला के रूप में ही क्यों न हो। सिंगापुर में भारतीयोँ और चीनियों के प्रति भेदभाव की बात से मन को दुख पहुंचा।
जबकि केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने भी प्रोग्राम पर बारीक नजर रखते हुए हमें खत भेजा है। उन्होंने भारत में मौसम की गड़बड़ी के चलेत उड़ानों की समस्या पर भी टिप्पणी की है। नए सिस्टम से यात्रियों को वाकई लाभ िमलेगा।फलों के राजा आम के गुणों का बखान तो मन की मुराद पूरी करने वाला था। इस के अलावा जोक्स भी बहुत पसंद आए। नेता का बेटा मच्छर का बेटा और भारतीय शराबी द्वारा जापान में भूकंप के झटके को शराब का नशा समझने वाला जोक भी खूब रहा।
वहीं भागलपुर बिहार से हेमंत कुमार, पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल और देवाशीष गोप ने भी मेल भेजकर टी-टाइम प्रोग्राम की चर्चा की है।
आप सभी का धन्यवाद।
लिसनर्स के कमेंट के बाद वक्त हो गया है, कुछ हंसी मजाक का। आज की टेंशन भरी लाइफ में कुछ जोक्स या हंसगुल्ले बनते ही हैं। हां तो दोस्तो आप हो गए तैयार। हम हाजिर हैं हंसी के फव्वारों के साथ। दोस्तो हम सभी बुखार आने या बीमार पड़ने पर हमें हॉस्पिटल जाना ही पड़ता है और वहां अक्सर थर्मामीटर से डॉक्टर बुखार आदि की जांच करते हैं।
तो आज का पहला हंसगुल्ला इसी पर है।
...डॉक्टर के पास दो थर्मामीटर क्यों
मरीज ने एक डॉक्टर से पूछा, आपके पास दो थर्मामीटर क्यो है? डॉक्टर ने जवाब दिया, एक मुंह में लगाने के लिए और दूसरा जेब में। मरीज-मैं आपका मतलब नही समझा? डॉक्टर- मतलब यह कि एक थर्मामीटर मुंह में लगाने से पता चलता है कि आपका शरीर कितना गर्म हैं, दूसरा जेब में लगाने से पता चलेगा कि आपकी जेब कितनी गर्म है।
हंसने की आवाज.....
दूसरा जोक है......बच्चों की पढ़ाई पर। बच्चे या बड़े कई लोगों को किताब पढ़ते या खोलते ही नींद आने लगती है। ऐसा होता है, और सच कहूं तो मेरे साथ भी होता था।
जोक है।
अध्यापक-बताओ! सबसे ज्यादा नशा किस चीज में होता है?
एक बच्चा-किताबों में..।
अध्यापक-वो कैसे? मैं समझा नहीं।
बच्चा-किताब खोलते ही नींद जो आ जाती है..।
हंसने की आवाज....
आज के प्रोग्राम का अंतिम और तीसरा हंसी का तड़का लीजिए हाजिर है। दोस्तो प्याज कैसे महंगाई के आंसू रुलाता है, यह सभी जानते हैं, अक्सर प्याज के दाम आसमान चढ़ जाते हैं। अगर प्याज को फिल्मी डॉयलाग में बोला जाय तो कैसा होगा। लीजिए आप भी सुनिए, हंसते रहिए।
प्याज पर फिल्मी डायलॉग बढ़ती प्याज की कीमतों के हिसाब से जल्दी ही फिल्मों के डायलॉग इस प्रकार के होंगे! मेरे करण अर्जुन आयेंगे; और दो किलो प्याज लायेंगे. . . ये ढाई किलो के प्याज जब आदमी लेता है ना; तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है. . . मेरे पास बंगला है गाडी है बैंक बैलेंस है रुपया है पैसा है, तुम्हारे पास क्या है? मेरे पास प्याज है. . . जिनके घर प्याज के सलाद होते हैं; वो बत्ती बुझा कर खाना खाते हैं. . . चिनॉय सेठ, प्याज बच्चों के खेलने की चीज नहीं होती; कट जाए तो खून निकल आता है. . . मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता; प्याज हो तो अलग बात है. . . लगता है सब्जी मंडी में नए आये हो साहेब; सारा शहर मुझे प्याज के नाम से जानता है. . . 11 राज्यों की सरकार मुझे ढूंढ़ रही है; पर प्याज को खरीदना मुश्किल ही नहीं,नामुमकिन है. . . ये प्याज मुझे दे-दे ठाकुर . . . तुम्हे चारो तरफ से पुलिस ने घेर लिया है; अपनी सारी प्याज कानून के हवाले कर दो. . . .
......हंसने की आवाज....
दोस्तो, अगर आपके पास भी कुछ जोक्स या शायरी तो हमें भेज सकते हैं..........अब सवाल-जवाब की बारी है। दोस्तो हमले पिछले सप्ताह दो सवाल पूछे थे, पहला सवाल था, हाल में किस देश में एक महिला को विमान उड़ाने का लाइसेंस जारी किया गया है। सही जवाब है सऊदी अरब
दूसरा सवाल था... इस साल का जयपुर साहित्य महोत्सव कहां होने वाला है, सही जवाब है लंदन।
इन दोनों सवालों का सही जवाब लिखकर हमें भेजा है, बिहार से जय कृष्ण कुमार, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल, पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल, सुदेष्णा बसु, देवाशीष गोप और मनीषा चक्रवर्ती ने। वहीं भागलपुर बिहार से डॉ. हेमंत कुमार, जमशेदपुर झारखंड से एस.बी.शर्मा और सऊदी अरब से मो. सादिक आजमी।
आप सभी को बधाई---- तालियों की आवाज.....आगे भी हमारे सवाल सुनते रहिए। .....
....म्यूजिक.....छोटा सा..
अनिलः अब आज के सवालों की बारी है,पहला सवाल है- नींद न आने वाले लोगों के लिए किस फल का जूस पीना फायदेमंद हो सकता है। दूसरा सवाल है- नई शोध के मुताबिक पतले आकार के डायनासोर संभवतह किसके पूर्वज हो सकते हैं।
अगर आपको इनका जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।.....हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.
...... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें। ........म्यूजिक........ अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही ...अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर, चाइ च्यान.....