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    टी टाइम 140429 (अनिल और वेइतुंग)
    2014-04-29 09:56:15 cri

    अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।

    अनिलः आप सभी का अपने पसंदीदा प्रोग्राम टी-टाइम में स्वागत करते हैं। वैसे भारतीय फिल्में दुनिया के हर कोने में अपनी अलग पहचान रखती हैं। लेकिन लीक से हटकर बनने वाली फिल्मों को तो कहना ही क्या। जहां भारत में बेहतरीन फिल्मों को अवार्ड दिए जाते हैं, वहीं अमेरिका में भी ऑस्कर जैसे पुरस्कारों का ऐलान होता है। अब तो चीन में भी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन होने लगा है। पिछले दिनों बीजिंग में भी फिल्म महोत्सव का आयोजन हुआ। इसमें भारत और कनाडा द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई फिल्म सिद्धार्थ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला। इस फिल्म के निर्देशक रिची मेहता हैं । जबकि मुख्य अभिनेता राजेश तैलंग और मुख्य अभिनेत्री तनिष्ठा चटर्जी है।

    अगर फिल्म की स्टोरी की बात करें तो यह एक तरह से इमोशनल कहानी है। एक चेन बेचने वाले व्यक्ति महेंद्र ने अपने 12 वर्षीय बेटे सिद्धार्थ को काम के लिए बाहर भेजा। महेन्द्र को आशा है कि इस तरह उनका बोझ हल्का होगा। लेकिन सिद्धार्थ बाद में घर वापस नहीं लौटा। महेंद्र को पता चला कि सिद्धार्थ शायद मानव तस्करों द्वारा अगवा किया गया है। बहुत कम पैसे और कम सूचनाएं होने के बावजूद महेंद्र पूरे देश भर में अपने बेटे की तलाश करने लगे। उन्हें पक्का विश्वास है कि चाहे किसी ने भी उनसे उनका बेटा छीना हो लेकिन एक दिन वह सुरक्षित घर लौटेगा।

    वेइतुंगः पुरस्कार पाने के बाद इस फिल्म के निर्देशक रिची मेहता ने बताया कि इस फिल्म ने मानवता की सुंदरता और बुराईयों को प्रतिबिंबित किया है। मानवता ने इस फिल्म महोत्सव की ज्यूरी को प्रभावित किया।पेइचिंग अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव एक महत्वपूर्ण फिल्म उत्सव है ।इस उत्सव के जरिये चीनी दर्शक कई विदेशी फिल्म का आनंद उठाएगा ।यह इनाम हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है ।इस से यह भी जाहिर है कि चीनी फिल्म जगत और बाहरी दुनिया के संपर्क अधिक घनिष्ठ हो रहे हैं ।

    इससे पहले मेहता ने मीडिया के साथ सिद्धार्थ बनाने के प्रेरणा की चर्चा की थी ।उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में मुझे दिल्ली की सड़क पर एक पुरुष मिला ।उसने मुझ से डांग्री नाम की जगह ढूंढने के लिए मदद मांगी ।मैंने उससे पूछा कि डांग्री क्या है ,क्या बात है ।उसने बताया कि उसका बेटा शायद वहां लापता हो गया ।उस आदमी ने अपनी दुखद कहानी सुनायी ।उसने अपने बेटे को काम के लिए बाहर भेजा ,लेकिन बेटा वापस नहीं आया और उसे कभी भी दिखाया नहीं गया ।उसे विश्वास है कि उसके बेटे का अपहृण किया गया और शायद बेचा गया । यह कहानी सुनकर मुझे बडी हैरानी हुई ।मैंने उससे अधिक जानकारियां देने को कहा ।लेकिन वह ज्यादा नहीं बता सकता ,क्योंकि वह अनपढ है और बेटे का फोटो भी नहीं है ।उसे अपनी पत्नी और बेटी के पालन के लिए रोज काम करना पडता है ।

    अनिलः सो उसके लिए एकमात्र उपाय है कि दूसरे से मदद मांगना ।उसे इस तरह मांगते मांगते एक साल हो गया है ।इस आदमी के पास इतनी क्षमता नहीं कि वह अपने बेटे को ढूंढ सके। इस आदमी को समझ में नहीं आता कि इस तरह की बात क्यों हुई और कैसी हुई ।डायरेक्टर मेहता ने बताया कि फिल्म सिद्धार्थ तो उसी स्थिति में मेरी जटिल भावनाओं और प्रतिक्रिया व्यक्त करती है ।इस फिल्म में दुःख और आशा बराबर है ।मैं इस फिल्म से यह यह दिखाना चाहता हूं कि उस आदमी से मिलने से हुई कंफ्यूशन ,दुःख ,असहाय और अंत में उम्मीद ।

    सिद्धार्थ के बारे में तो यहां तक । अब हम पेइचिंग फिल्म उत्सव के अन्य पहलू पर थोडी चर्चा करेंगे । इस फिल्म उत्सव पर चीनी फिल्म ग्रैंड मास्टर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री समेत तीन पुरस्कार मिले हैं। फ्रांसीसी फिल्म अटिला मार्सेल को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ संगीत की श्रेणी में दो पुरस्कार मिले हैं।चौथा पेईचिंग अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव 8 दिनों तक चला, जिसमें 80 से अधिक देशों और क्षेत्रों के 830 फिल्मों ने भाग लिया।

    वेइतुंगः फिल्म बाजार चौथा पेइचिंग अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव का एक अहम भाग है ।इस फिल्म उत्सव के दौरान कुल 32 कार्यक्रमों पर हस्ताक्षेर किये गये ,जिन की कुल राशि 10 अरब 52 करोड 10 लाख य्वान है ,जो फिल्म के प्लेन ,फिल्म निर्माण ,सिनेमाघर ,प्रचार और प्रसार समेत पूरे उद्योग चेन में फैले हैं ।यह एक नया रिकार्ड है।

    अनिलः फिल्म फेस्टिवल और भारतीय फिल्म सिद्धार्थ को मिले अवार्ड संबंधी जानकारी के बाद बात करते हैं पेशाब करने की आदतों की। भारत में लोगों को अक्सर सड़क किनारे या गलियों आदि में पेशाब करते देखना आम बात है। लेकिन कई देशों या शहरों में ऐसा करने वाले को कड़ा जुर्माना भरना होता है। कई बार तो छोटे बच्चों के लिए मुसीबत हो जाती है। वैसे बच्चे मासूम होते हैं और कई बार कंट्रोल नहीं कर पाते। पिछले दिनों हांगकांग में एक दंपत्ति ने जब अपने बच्चे को खुले में पेशाब करने की इजाज़त दी, तो इस पर चीन के सोशल मीडिया में हंगामा मच गया।

    अब चीन के सभी लोग जान चुके हैं कि हॉंगकॉंग की एक गली में क्या हुआ था. इंटरनेट पर साझा की जा रही तस्वीर में एक माँ हाथ में एक नैपी पकड़े हुए है जबकि उनका दो साल का बच्चा पेशाब कर रहा है।

    प्रत्यक्षदर्शी इसकी तस्वीर खींचते हैं, जो बाद में इंटरनेट पर साझा की जाती है. इस घटना का वीडियो भी इंटरनेट पर साझा किया गया है, जिसमें भीड़ बच्चे के माता-पिता से हाथापाई करती दिखाई देती है, बच्चे की माँ बार-बार दोहराती है कि वह बच्चे को उस समय शौचालय में लेकर नहीं जा सकती थी.

    इस घटना की तस्वीर को चीन के सबसे बड़े सोशल नेटवर्क साइना वेइबो पर दस लाख से अधिक लोग साझा कर चुके हैं। लेकिन यह घटना भारतीयों के लिए एक सबक हो सकती है।

    .......उधर अब बात करते हैं इंटरनेट विज्ञापन से जुड़े एक शख्स की।

    अपनी गर्लफ्रेंड को पीटने के मामले में सलाखों के पीछे जाने से बचे भारतीय मूल के इंटरनेट विज्ञापन के किंग माने जाने वाले गुरबख्श चहल (31)को उनकी कंपनी ने सीईओ और अध्यक्ष पद से हटा दिया है। चहल वेब, मोबाइल और फेसबुक पर रीयल टाइम विज्ञान संबंधी काम करने वाली कंपनी रेडियम वन में कार्यरत थे।

    गम सप्ताह चहल ने उन पर लगे सभी 45 आरोपों को खारिज कर दिया लेकिन घरेलू हिंसा और मारपीट से जुड़े दो आरोपों को उन्होंने मान लिया। इस मामले में कोर्ट ने उन्हें कैद सजा तो नहीं दी लेकिन 3 साल की परिवीक्षा, , 52 हफ्ते के घरेलू हिंसा रोधी कार्यक्रम में शिरकत करने तथा 25 घंटे सामुदायिक सेवा करने की सजा सुनाई थी।

    चहल ने रविवार को सच, पूरा सच और सच के सिवा कुछ नहीं शीर्षक वाले अपने ब्लॉग में कहा कि वह अपने परिवार, मित्रों, कर्मियों, उपभोक्ताओं और निवेशकों से माफी मांगते हैं जो उनके बेहद निजी मामले के कारण दुष्प्रचार की वजह से पीडित हुए। चहल का कहना है कि उन पर लगाए गए आरोपों को बढ़ाचढ़ाकर पेश किया गया तथा जातीयता की वजह से वे निशाना बने हैं।

    उन्होंने ब्लॉग पर यह भी लिखा कि अब बहुत से लोग हैं जो मेरे सिर की कीमत लगा रहे हैं, मुझे जान से मारने की धमकी मिल रही है। मेरे बारे में नफरत भरी भाषा इस्तेमाल की जा रही है, यह सब मेरी जातीयता और सामाजिक वर्ग के कारण हो रहा है। बहुत से लोग मेरे मूल की वजह से खुशी-खुशी मुझे मारेंगे-पीटेंगे, न कि मुझ पर लगे आरोपों की वजह से।

    चहल ने अपनी गर्लफ्रेंड पर 117 बार वार करने के आरोप से तो इनकार किया पर यह जरूर स्वीकार करा कि वे उस समय अपना आपा खो बैठे थे, जब उन्हें यह पता चला कि धन के लिए उनकी प्रेमिका दूसरे लोगों के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाए हुए है।

    दोस्तो अब समय हो गया है हेल्थ सेक्शन का।

    चमकते दांतों को अच्छी सेहत और सुंदरता का प्रतीक भी माना जाता है। और हम सभी दांतों को साफ करने के लिए टूथब्रश का इस्तेमाल करते हैं। अक्सर घर में बड़े लोग बच्चों से कहते हैं कि सुबह को उठने के बाद और रात को सोने से पहले दांत अच्छी तरह साफ करने चाहिए। लेकिन क्या आपको पता है कि जिस ब्रश को आप दांत साफ करने का सबसे प्रमुख जरिया समझते हैं, वही आपके दांतों को खराब करने का कारण बन सकता है। जी हां, ये हम नहीं कह रहे, बल्कि हालिया एक शोध में बताया गया है।

    अगर आप अपने टूथब्रश से दांत साफ करने के बाद यह सोचते हैं कि अब आप कीटाणुओं से दूर हैं तो यह सोच बदल दें।

    यूनिवर्सिटी ऑफ मानचेस्टर के शोध की मानें तो आमतौर पर ब्रश में एक करोड़ बैक्टीरिया होते हैं जिनमें ई कोली और स्टाफ जैसे खतरनाक बैक्टीरिया भी हो सकते हैं।

    वेइतुंगः शोधकर्ताओं ने माना है कि दांत साफ करने के बाद टूथब्रश को हम बाथरूम में रखते हैं जिस कारण इसके संक्रमित होने का रिस्क बढ़ जाता है।

    बाथरूम में हवा में पाए जाने वाले कीटाणु सबसे अधिक होते हैं इसलिए यहां टूथब्रश रखने पर संक्रमण की आशंका अधिक होती है।

    अब अगर आप भी अपना टूथब्रश बाथरूम में खुला रखते हैं तो इसके जगह बदलने से गुरेज न करें। शायद ब्रश में बैक्टीरिया की मौजूदगी कम करने का सबसे अच्छा उपाय यही हो।

    अनिलः हेल्थ टिप्स के बाद अब वक्त हो गया है, लिस्नर्स के कमेंट का। हमेशा की तरह टी-टाइम के इस अंक में भी लिस्नर्स की भागीदारी हुई है।

    पहला कमेंट जमशेदपुर, झारखंड से, एस.बी.शर्मा ने भेजा है। लिखते हैं कि गत् 22 अप्रैल के प्रोग्राम में अनिल जी ने एक बार फिर बहुत अच्छी जानकारी से हमारा ज्ञानवर्धन कराया। जिससे हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है, आपके जोक्स रोजमर्रा की लाइफ से तनाव कम करते हैं। टी-टाइम प्रोग्राम के जोक्स काफी संयमित और सरल होते हैं। यही वजह है कि मैं पूरे परिवार के साथ आपका प्रोग्राम सुनता हूं। आगे भी यूं ही हमारा मनोरंजन करते रहें। धन्यवाद।

    वेइतुंगः अगला लैटर हमें आया है, सऊदी अरब से सादिक आजमी का। उन्होंने लिखा है कि पिछले प्रोग्राम का आगाज़ बड़े अच्छे ढंग से हुआ। आजकल की सबसे लोकप्रिय चीज, स्मार्ट फ़ोन के बारे में सुना। नए फ़ोन के इंडियन मार्केट में एंट्री पर व्यापक और रोचक जानकारी मिली। वहीं एप्पल के पूर्व सीईओ जॉन स्कली की नई योजनाओं पर डिटेल्ड ढंग से बताया गया। भारत के बाज़ार में 10 हज़ार रुपए से कम के स्मार्ट फ़ोन लांच करने की योजना संभवतः तहलका मचाएगी।

    क्योंकि उन्होंने दुनिया के सबसे पॉपुलर ब्रांड के साथ काम जो किया है। और उनका यह अनुभव कारगर साबित होगा ऐसी हम कामना करते हैं। हमारे पत्रों को कार्यक्रम में जगह देने के लिए अनिल जी का आभारी हूं। साथ ही आज के प्रोग्राम में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसे हम कुछ समय पहले भी सुन चुके थे। इस पर ध्यान देने की कृपा करें।

    वहीं आगे लिखते हैं कि पैसे के लालच में लोग अपने को भी मार देंगे, ऐसा सुना था, लेकिन आज यह बात सार्थक होने की घटना भी सामने आई। जब आपने बताया कि एक पोते ने अपनी ही दादी का अपहरण कर डाला। इन्सानियत को शर्मसार करने वाली यह घटना दिल और दिमाग़ दोनों को झकझोरने वाली थी। वहीं अगली रिपोर्ट मे कोलम्बिया के मशहूर उपन्यासकार और नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाले गैबरियल गालिया मार्केज की कहानी प्रेरणादायी लगी। उन्होंने एकांत को चुनकर जो इतिहास रचा आज उसके सब शैदाई हैं हम उनकी इस उपलब्धि को सलाम करते हैं। वहीं नीम के गुणों को बयान करने वाली रिपोर्ट भी अच्छी लगी। लतीफों, हंसगुल्लों का तो क्या कहना ही क्या, उसे सुनकर मन प्रसन्न हो उठता है। अच्छी पेशकश के लिए धन्यवाद।

    अनिलः अगला मेल आया है, केसिंगा, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का।

    लिखते हैं कि साप्ताहिक "टी टाइम" के तहत आज के अंक में भी ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान करने हेतु हार्दिक धन्यवाद। यहाँ मैं इतनी गुज़ारिश अवश्य करना चाहूँगा कि कार्यक्रम में ऐसी जानकारी की पुनरावृत्ति बन्द करें, तो अच्छा होगा, जिसे आप एक-दो दिन पूर्व ही सीआरआई के प्रसारण में दे चुके हों। उदहारणस्वरुप आज के अंक में अच्छी नौकरी पाने की ख़ुशी में एक चीनी व्यक्ति के अस्पताल जाने सम्बन्धी जानकारी हाल ही में सीआरआई पर प्रसारित हो चुकी थी.

    वैसे आज के कार्यक्रम में एप्पल के सीईओ जॉन स्कली द्वारा भारतीय बाज़ार में सस्ते स्मार्टफोन जारी करने सम्बन्धी समाचार काफी उत्साहवर्धक लगा, क्यों कि इससे कम बज़ट में अच्छी गुणवत्ता वाले हैण्डसेट उपलब्ध हो सकेंगे। इसके विपरीत नाइजीरिया में एक किशोर द्वारा अपनी ही दादी के अपहरण की योजना बना फ़िरौती वसूलने जैसी सनसनीखेज़ घटना को अंज़ाम दिये जाने के बारे में जान कर मन दर्द से भर उठा.आखिर बुरी संगत का असर तो होना ही था.कोलम्बिया के महान उपन्यासकार मार्केज के जीवन पर दी गई जानकारी अत्यन्त महत्वपूर्ण लगी. नाना-नानी की प्रेरणा ने उन्हें शिखर तक पहुँचाया।

    वेइतुंगः स्वास्थ्य सम्बन्धी स्तम्भ के तहत नीम के चमत्कारिक औषधीय गुणों की चर्चा किया जाना कल्याणकारी भावना का परिचायक लगा.और हंसगुल्लों की तो बात ही क्या-"जब तक सात महीने की बक़ाया राशि नहीं मिल जाती गंगा गंगोत्री के बजाय पटियाला ही से निकलती रहेगी" जॉक लाज़वाब लगा.सर्वोपरि श्रोता बहन मनीषाजी की चुटकुलों पर बेबाक टिप्पणी अच्छी लगी.धन्यवाद।

    अनिलः अब हंसगुल्लों या जोक्स का वक्त हो चला है। तो दोस्तो आप हो गए हैं ना तैयार। पहला जोक है...बच्चों पर, वैसे कुछ बच्चे शरारती होते हैं, उनके बारे में लोग क्या कहते हैं। इसी पर जोक बना है। जिसे हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं।

    जोक का टाइटल है, मम्मा क्या मैं भगवान की तरह.

    बच्चा - मम्मा क्या मैं भगवान की तरह दिखता हूं ?

    मम्मी - नहीं , पर तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो बेटा |

    बच्चा - क्योंकि मम्मा मैं कहीं भी जाता हूं तो सब यही कहते हैं कि हे भगवान फिर आ गया |

    दूसरा जोक है, भिखारी पर। वैसे इस जोक के जरिए हमारा मकसद किसी भिखारी का मजाक उड़ाना नहीं है, क्योंकि कई लोग मजबूरी में या गरीबी आदि के चलते भिखारी बनने को मजबूर होते हैं।

    जरा आप भी सुनिए यह जोक....

    राहगीर - तुम भीख क्यो मांगते है | यह बुरा काम है |

    भिखारी - क्या आपने भीख मांगी है ?

    राहगीर - नहीं |

    भिखारी - फिर यह बतइये कि आपको कैसे मालुम हुआ कि यह बुरा काम है |

    तीसरा और अंतिम जोक है---दोस्तो कहते हैं कि आलस्य अच्छी बात नहीं है। आलस्य छोड़ो और काम पर जुट जाओ, क्योंकि आलसी व्यक्ति अपनी लाइफ तमाम अवसर गंवा देता है।

    अध्यापक ने परीक्षा में चार पृष्ठों का निबन्ध लिखने को दिया - विषय था- "आलस्य क्या हैं ?एक विद्यार्थी ने तीन पृष्ठों को खाली छोड़ दिया और चौथे पर बड़े - बड़े अक्षरों में लिखा - "यही आलस्य हैं

    अब सवाल-जवाब की बारी है। दोस्तो हम पिछले हफ्ते हमने दो सवाल पूछे थे। पहला सवाल था, एप्पल के पूर्व सीईओ, का क्या नाम है और वे किस देश में अपनी मोबाइल कंपनी को लांच करने जा रहे हैं। सही जवाब है, जॉन स्कली और वे भारत में फ़ोन लांच करने वाले हैं।

    दूसरा सवाल था...हाल में किस उपन्यासकार का निधन हुआ, वे किस देश के रहने वाले थे। जो कि नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किए जा चुके हैं। सही जवाब है गैबरियल गालिया मार्केज, वे कोलम्बिया निवासी थे।

    दोनों सवालों के सही जवाब हमें लिखकर भेजे हैं, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल, सऊदी अरब से मो. सादिक आजमी, पश्चिम बंगाल से देबाशीष गोप और जमशेदपुर झारखंड से एस.बी शर्मा ने।

    आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।

    आगे भी हमारे सवाल सुनते रहिए। अब आज के सवालों का वक्त है।

    पहला सवाल है, हाल में बीजिंग इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में किस भारतीय फिल्म को बेस्ट यानी सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवार्ड हासिल हुआ।

    दूसरा सवाल है... विज्ञापन किंग के नाम से जाना जाने वाले भारतीय मूल के एक व्यक्ति बड़े आरोपों में घिरे हैं, उनका क्या नाम है और उन्होंने क्या किया है।

    अगर आपको इनका जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।....

    .हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.

    ...... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें।

    अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही ...अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर, चाइ च्यान.....

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