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    टी टाइम 140422 (अनिल और ललिता)
    2014-04-22 18:28:31 cri

    अनिलःटी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आप का मनोरंजन करने। जी हां, आप के साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इस के साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।

    अनिलः दोस्तो इन दिनों हर जगह मोबाइल की ही चर्चा है। जब से स्मार्ट फोन क्या आए, मोबाइल मार्केट में नई हलचल पैदा हो गई। आज तमाम युवा हाथों में स्मार्ट फोन दुनिया से जुड़े रहते हैं, बात चाहे दोस्तो से चैट करने की हो या फिर चीजों की। मोबाइल हर पल करीब रहता है। चीन और भारत मोबाइल के बड़े बाजारों में से एक हैं। इसलिए ही दुनिया की कंपनियों की नजर इन पर लगी रहती है। अब देखिए ना, एप्पल के पूर्व सीईओ जॉन स्कली अपनी ही कंपनी कोटक्कर देने के लिए भारत आ गए हैं।

    जॉन स्कली ने भारत में एक लो रेंज मोबाइल ब्रांड ओबीआइ लॉन्च किया है। वह अगलेमहीने इस ब्रांड का पहला स्मार्टफोन भारत में लॉन्च करेंगे। जॉन स्कली का कहना हैकि उनका मॉडल दूसरी मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों से अलग होगा। नोकिया, ब्लैकबेरीमें हद से ज्यादा कर्मचारी हैं और उनकी कम से कम खर्च में कंपनी चलाने की कोशिशहोगी।

    ललिताः जॉन द्वारा लॉन्च किए गए इस स्मार्टफोन ब्रांड में 6000 से 8000 रुपए तक के फोनबेचे जाएंगे। कुछ दिनों पहले जॉन ने अपने बयान में भी कहा था कि इस ब्रांड के तहतबनने वाले स्मार्टफोन 10,000 रुपए से कम कीमत में बेचे जाएंगे। स्कली इस प्रोजेक्टपर करीब 2 करोड़ डॉलर का निवेश सिंगापुर स्थित कंपनी के जरिये करेंगे।उनका इरादा इस ब्रांड को दो साल के भीतर 1 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। स्कली कोउम्मीद है कि पहला फोन लॉन्च करने के बाद 5 महीने के अंदर करीब एक मिलियन (10 लाख)हैंडसेट्स बेचे जा सकते हैं।

    अनिलः जॉन द्वारा बनाया जा रहा ये ब्रांड एप्पल, सैमसंग जैसी दिग्गज कंपनियों को टक्करदेगा। इसी के साथ, भारत के लोकल ब्रांड्स, जैसे माइक्रोमैक्स और कार्बन के लिए भीये ब्रांड बड़ी चुनौती बन सकता है। ओबीआई मोबाइल के सीईओ के तौर पर अजय शर्मा अपनाकार्यभार संभालेंगे। अजय पहले माइक्रोमैक्स और एचटीसी के साथ बतौर डिविजन हेड कामकर चुके हैं।

    आपको एक हैरान करने वाली जानकारी देते हैं। जॉन स्कली वो इंसान हैं जिनकी वजह सेस्टीव जॉब्स को एप्पल से निकाला गया। जॉन स्कली को पेप्सिको छोड़कर एप्पल आने के लिएस्टीव जॉब्स ने ही मनाया था। 1982 में दिए गए ऑफर के बाद स्कली 1983 में एप्पल सेजुड़ गए। जनवरी 1983 में 'लीसा' के लॉन्च के बाद स्कली ने एप्पल कंपनी ज्वाइन की थी।कुछ समय बाद ही स्कली एप्पल के सीईओ के रूप में आ गए और यही समय था, जब जॉब्स कोएप्पल से निकाला गया था।

    दोस्तो, अब वक्त हो गया है, काफी का, आप बस ये सांग सुनिए और हम बस अभी लौटते हैं।

    दोस्तो अब बारी है आज के प्रोग्राम में लिस्नर्स के कमेंट शामिल करने की।

    ललिताः जमदेशदपुर झारखंड से एस. बी. शर्मा लिखते हैं कि टी टाइम में वेइतुंग जी और अनिल जी द्वारा दुनिया के सबसे महंगे प्याले और उसके खरीददार के विषय में बहुत विस्तृत जानकारी दी गई। इस कीमती प्याले का खरीददार चीन का २००वां सबसे धनी व्यक्ति है जिसने इस कला का इतना ऊंचा दाम लगाया। वहीं भारतीय फिल्मकार गुलजार जी के विषय में दी गई जानकारी सटीक थी। एक मोटर मैकेनिक से दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेता तक के सफर के कई अनछुए पहलुओं के विषय में भी आपने विस्तार से चर्चा की। इसके लिए धन्यवाद। इस कार्यक्रम को सुनने से चीजों को समझने में सहूलियत होती है क्योंकि आप विषय वस्तु को विस्तार से और सरल भाषा में समझा देते हैं।

    अनिलः नेक्स्ट लैटर हमें भेजा है, सऊदी अरब से मो. सादिक आजमी ने। लिखते हैं कि 15 अप्रैल का प्रोग्राम सुना, जो हमेशाकीतरहरोचकमनोरंजक और ज्ञानवर्धक लगा। विशेष तौर पर गुलज़ार साहब को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित करने पर आप के माध्यम से बड़ी बारी की से पूर्व में उनकी उप्लब्धियों कावर्णन उनके योगदान का पता चला। गुलज़ार साहब के गीत हमेशा ही लोगों के दिलों में छाए रहे हैं और आने वाले समय में भी लोग गुनगुनाते रहेंगे। मैं सीआरआई के माध्यम से उस महान हस्ती को इस उपलब्धि पर बधाई पेश करता हूं। आने वाले किसी कार्यक्रम में चीन के किसी मशहूर गीतकार के विषय में इसी प्रकार बताएं और उनके मशहूर गीत भी सुनवाए कृपा होगी। मैं हैरान हूं इस बात से कि मैंने भी पिछले सप्ताह का सही उत्तर और अपनी प्रतिक्रिया भेजी थी पर नजाने क्यूं उसे अपनी महफिल में जगह नही दी। अगर कोई गलती हुई तो माफ करना।

    ललिताः वहीं अगला लैटर हमें भेजा है, हुगली पश्चिम बंगाल से मनीषा चक्रवर्ती ने । लिखती हैं कि अनिल पांडे जी, सबसे पहले आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। आगे लिखती हैं कि अनिल जी, कृपा करके मेरी बात को अन्यथा मत लीजिएगा। क्योंकि मैं आपको मेरी बड़े भाई की तरह मानती हूं। मैं जानती हूं कि आप एक जाने माने प्रैज़ेंटर/उद्घोषक हैं। आपके संचालन से टी टाइम प्रोग्राम की लोकप्रियता दिन-व-दिन बढ़ रहीहै। लेकिन 8 अप्रैल को "टी टाइम" प्रोग्राम में आपने ओसामा और लालू की बीवी और बच्चों को लेकर जोचुटकुले पेश किया। उसमें मुझे थोड़ा अश्लील लगा।उम्मीद करती हूं कि अगली बार आप इस तरह का जोक पेश नहीं करेंगे।

    अनिलः मेरी आँखों में आप एक सुसंस्कृत, सभ्य और विनीत व्यक्ति है। I know you are a man of refined taste and culture. मैं एक कॉलेज छात्रा हो कर भी इस तरह हल्के जोक्स दोबारा नहीं सुनना चाहती हूं। क्योंकि सीआरआई-हिंदी विभाग हिंदी गानों के साथ सस्ते चुटकुले सुनाने का कोई FM radio station नहीं है। यह एक अंतराष्ट्रीय रेडियो स्टेशन है और सीआरआई-हिंदी विभाग के प्रोग्राम मैं पूरे परिवार के साथ सुनती हूं। अगर आप इस तरह चुटकुले सुनायेंगे तो पूरे परिवार के साथ प्रोग्राम सुनना संभव नहीं होगा। मुझे नहीं लगता कि आप F.M.radio station के कोई रेडियो जॉकी है। मैं आपका सम्मान करती हूं, प्यार करती हूं। कुछ ग़लती तो माफ कीजिएगा।

    ललिताः वहीं हुगली पश्चिम बंगाल से ही सुदेष्णा बसु लिखती हैं कि मुझे "टी टाइम" प्रोग्राम बहुत पसंद है। इसकी वजह से हमें चीन के अलावा दुनिया की बहुत से विषयों के बारे में अहम और रोचक जानकारी मिलती है। पिछले 15 अप्रैल को चीन में ऑनलाइन शॉपिग के बारे में जानकारी काफी अच्छी लगी। साथ ही भारतीय फ़िल्म जगत के सबसे बड़े पुरस्कार दादा साहेब फ़ाल्के से सम्मानित मशहूर गीतकार गुलज़ार को लेकर रिपोर्ट बहुत अच्छी और ज्ञानवर्धक थी। धन्यवाद।

    टी-टाइम प्रोग्राम को ध्यान से सुनने और कमेंट भेजने के लिए आप सभी का शुक्रिया। आगे भी हमसे जुड़े रहिए।

    प्रोग्राम में फिर से बारी है, एक सांग की......

    अनिलःखुशी के मारे पागल हो जाने वाली कहावत तो आपने सुनी होगी। चीन में ऐसे ही वाकये मेंएक व्यक्ति खुशी से पागल तो नहीं हुआ लेकिन अस्पताल जरूर पहुंच गया। हुआ यूं कि इसव्यक्ति को हाल ही में एक कंपनी में उच्च पद और मोटे वेतन वाली नौकरी मिली। वहसफलता हजम नहीं कर पाया। अपनी खुशी साझा करने के लिए उसने अपने परिजनों और दोस्तोंको भव्य पार्टी दी। पार्टी में इसने जमकर शराब पी। इसके बाद दोस्तों ने रोकने कीकोशिश की लेकिन इसने एक नहीं सुनी और पीता रहा। थोड़ी देर बाद इसकी हालत इतनी बिगड़गई कि अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। अब महाशय नौकरी पर जाने के बजाय छुट्टी लेकरअस्पताल में दिन गुजार रहे हैं।

    ललिताः जिस उम्र में मासूमियत की अपेक्षा होती है, उसी दौर में कुछ लोग बड़े कारनामे करगुजरते हैं। इसी तरह की एक घटना में नाइजीरिया के एक 14 वर्षीय किशोर ने अपनी दादीका अपहरण कर सभी के होश उड़ा दिए। दरअसल इस लड़के की गलत सोहबत हो गई। अपराधीप्रवृत्ति के किशोरों के साथ यह घूमने-फिरने लगा। उसी कड़ी में एक दिन इसने अपनेसाथियों के साथ मिलकर अपनी ही दादी के अपहरण की योजना बना डाली। इसको पूरी सफलता केअंजाम दिया गया और फिरौती में 15 लाख रुपये मांगे गए। परिजनों ने रकम का जुगाड़ करअपहरणकर्ताओं को फिरौती दी। पोते को उसके हिस्से के महज 50 हजार रुपये मिले। जबपुलिस ने मामले की तहकीकात की तो पोते की करतूत का पर्दाफाश हुआ।

    अनिलः दोस्तो, अब चर्चा एक उपन्यासकार की करते हैं। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कोलंबिया के मशहूर उपन्यासकार गैब्रियल गार्सिया मार्केज़ का निधन हो गया है. मार्केज़ को उनके प्रसिद्ध उपन्यास वन हन्ड्रेड ईयर्स ऑफ़ सॉलीट्यूड के लिए जाना जाता है। ये वो पुस्तक थी जिस के बारे में न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा था, ''बुक ऑफ जेनेसिस के बाद ये साहित्य की पहली कृति है जिसे पूरी मानव नस्ल को पढ़ना चाहिए.''

    मार्केज़ को उन के नाना-नानी ने उत्तरी कोलंबिया के बड़े ही ख़स्ताहाल शहर आर्काटका में पालापोसा था. मार्केज़ अपनी सभी कृतियों के लिए अपने बचपन के पालन पोषण को श्रेय देते हैं. मार्केज़ को अपने नाना से राजनीतिक चेतना मिली जो ख़ुद दो गृह युद्धों में शामिल हो चुके थे और अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले कार्यकर्ता भी थे.

    ललितः अपनी नानी से मार्केज़ ने अंधविश्वासों और स्थानीय कहानियों को जाना-समझा. नानी उन्हें मरे हुए पूर्वजों, भूतों और प्रेतात्माओं की कहानियां सुनाती थीं जो उन की नज़र में घर में ही नाचते रहते थे.

    मार्केज़ ने अपनी नानी के कहानी कहने के अंदाज़ को ही अपने उपन्यासों में इस्तेमाल किया. मार्केज़ ने कॉलेज में क़ानून की पढ़ाई शुरू की पर पढ़ाई बीच में ही छोड़कर उन्होंने पत्रकारिता शुरू कर दी. साल 1954 में वो एक अख़बार के काम के सिलसिले में रोम गए और उस के बाद से अधिकतर समय वो विदेश में ही रहे. पेरिस, वेनेजुएला और मेक्सिको में उन के जीवन का अधिकांश समय बीता. उन्होंने पत्रकार के रूप में अपना काम कभी नहीं छोड़ा, यहां तक कि जब उन की कहानियां बहुत लोकप्रिय हो गईं और उन्हें काफ़ी पैसे भी मिलने लगे तब भी वो पत्रकारिता से जुड़े रहे.

    अनिलः जाने माने उपन्यास कारविलियम फ़ॉकनर से प्रभावित मार्केज़ ने अपना पहला उपन्यास 23 वर्ष की उम्र में लिखा था. ये उपन्यास साल 1955 में प्रकाशित हुआ. 'लीफ़स्टार्म' नाम का ये उपन्यास और इस के बाद के दो उपन्यास उन के क़रीबी दोस्तों में काफ़ी पसंद किए गए.

    हालांकि तब किसी ने सोचा नहीं था कि आने वाले समय में मार्केज़ इतने बड़े लेखक हो जाएंगे.

    साल 1965 में उन्हें 'वन हन्ड्रेड ईयर्स ऑफ़ सॉलीट्यूड' के पहले अध्याय का ख़्याल उस समय आया जब वो अकापुलो की तरफ कार से जा रहे थे. उन्होंने कार रोकी, वापस घर आए और अपने कमरे में ख़ुद को बंद कर लिया. लिखने के दौरान हर दिन उनके दोस्त होते थे- छह पैकेट सिगरेट.

    18 महीने के बाद वो जब किताब पूरी कर उठे तो उन पर 12 हज़ार डॉलर का कर्ज़ था. लेकिन मज़े की बात ये थी कि उनके हाथ में 1300 पन्नों का वो उपन्यास था जो अपने समय का सबसे बेहतरीन उपन्यास कहलाने वाला था।

    दोस्तो, हम बस यूं लौटे ब्रेक के बाद, तब तक आप ये सांग सुनिए।

    वैलकम बैक। अब बारी है, हेल्थ सेक्शन की।

    अनिलः नीम गुणकारी होता है, यह हम सभी जानते हैं। लोकगीतों में भी नीम, शादी के उबटन में शामिल नीम, ससुराल जाती लड़की की यादों में बसानीम, विरहा के यादों का साथी नीम, आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखनेवाला नीमहमारे रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत ही उपयोगी माना जाता है। लोक गीतों में इसकीठंडी छांव की तुलना तो माता-पिता के प्यार से की जाती रही है।

    बचपन की ढेरसारी यादों में बसा नीम। स्कूल से लौटते हुए नीम की सूखी पत्तियों को अपनी कॉपी केपन्नों पर गिरने की कामना लिए घंटों खड़े रहते सब सहपाठी, और जैसे ही कोई पत्तीकिसी बच्चे की कॉपी पर गिरती मान लेते कि पढ़ाई में इस बार तो वही अव्वल आएगा।

    सिर्फ अनुभूति के स्तर पर ही नीम अप्रतिम नहीं है, उसकी औषधीय महत्ता छाल, टहनी, दातुन, पत्तियां, निबौरिया, फूल इन सबके रूप में प्रकट होती है।

    कहते हैं कि जिस घर में नीम का एक पेड़ है। वहां से बहुत सारी बीमारियां तो अपने-आप दूरहो जाती हैं। नीम से जुड़े छोटे-छोटे नुस्खे जिन्हें अपनाकर हम बीमारियों से काफीहद तक छुटकारा पा सकते हैं।

    गर्मियों में इन्फेक्‍शन की वजह से त्‍वचा संबंधी परेशानियां ज्‍यादा होती हैं, जैसे खुजली, खराश आदि। इसके लिए नीम का लेप फायदेमंद रहता है। यह सभी प्रकार केचर्म रोगों के निवारण में सहायक है।

    इसके साथ ही दांतों के लिए भी फायदेमंद होता है, नीम।

    अब प्रोग्राम में वक्त हो गया है, हंसगुल्लों यानी जोक्स का।

    पति-पत्नी में तकरार होना आम बात है, इसको लेकर कई जोक्स भी बन गए हैं। हंसगुल्लों के क्रम में इसी पर पेश है पहला जोक

    डॉक्टर - आपके तीन दांत कैसे टूट गए ?

    मरीज - पत्नी ने कड़क रोटीबनाई थी.

    डॉक्टर - तो खाने से इनकार कर देते !

    मरीज – जी, वही तो किया था … !!!

    दूसरा हंसगुल्ला है।

    मोहन - मेरी बीवी बढ़िया खाना नहीं बनाती यार |

    सोहन - अरे , यार मैं जिस दिनचाहूं बढ़िया खाना बनवा लेता हूं |

    मोहन - वो कैसे भाई .............. !

    सोहन - उस दिन सुबह-सुबह शाम के सिनेमा शो के टिकट ले आता हूं | बस

    तीसरा जोक है।

    अध्यापक - बोलो बच्चों गंगा नदी पटियाला से निकलती है |

    भावना (छात्रा ) -सर नहीं गंगा नदी पटियाला से नहीं निकलती |

    प्रिंसिपल - महोदय आप भी कैसेअध्यापक है | गंगा नदी पटियाला से नहीं गंगोत्री से निकलती है |

    अध्यापक -प्रिंसिपल महोदय , गंगा नदी पटियाला से ही निकलती है तथा तब तक निकलती रहेगी , जबतक मेरी सात महीने की तनखाह नहीं मिल जाती।

    अब सवाल-जवाब की बारी है। दोस्तो हम पिछले हफ्ते हमने दो सवाल पूछे थे। पहला सवाल था, हालिया सर्वे के मुताबिक दुनिया में किस देश के उपभोक्ता सबसे अधिक ऑनलाइन खरीदारी यानी शॉपिंग करते हैं। सही जवाब है चीन

    दूसरा सवाल था....भारत में ही हाल ही में किस फिल्म निर्देशक, लेखक और गीतकार को प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सही जवाब है गुलज़ार

    दोनों सवालों के सही जवाब हमें लिखकर भेजे हैं, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल, सऊदी अरब से मो. सादिक आजमी, भागलपुर बिहार से हेमंत कुमार, जमशेदपुर झारखंड से, एस.बी.शर्मा, पश्चिम बंगाल से मनीषा चक्रवर्ती, बिधान चंद्र सान्याल, देवाशीष गोप और सुदेष्णा बसु। आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। आगे भी हमारे सवाल सुनते रहिए। .....

    अब आज के सवालों का वक्त है।

    पहला सवाल है, एप्पल के पूर्व सीईओ, का क्या नाम है और वे किस देश में अपनी मोबाइल कंपनी को लांच करने जा रहे हैं।

    दूसरा सवाल है...हाल में किस उपन्यासकार का निधन हुआ, वे किस देश के रहने वाले थे। जो कि नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किए जा चुके हैं।

    अगर आपको इन का जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए। हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.

    ...... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें।

    अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतनाही ...अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बाखैर, चाइच्यान.....

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