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    आप की पसंद 140419
    2014-04-18 15:44:14 cri

    पंकज:नमस्कार श्रोता मित्रों मैं पंकज श्रीवास्तव आपकी पसंद कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं। हर सप्ताह की तरह हम आज भी आपको देंगे कुछ रोचक,ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारियां और साथ में सुनवाएँगे आपकी पसंद के कुछ फिल्मी गाने।

    दिनेश: श्रोताओं को दिनेश का भी प्यार भरा नमस्कार, हम हर सप्ताह आपसे मिलते हैं और बातें करते हैं, हम आपको इस कार्यक्रम में आपके फरमाईशी गीत भी सुनवाएंगे, तो आज कार्यक्रम शुरु करने से पहले मैं आपको सुनवाता हूं एक मधुर गीत, जिसे हमने लिया है  फिल्म काला सोना से जिसे गाया है डैनी डेन्ज़ोंगपा और आशा भोंसले ने संगीत दिया है राहुलदेव बर्मन ने और गीत के बोल हैं सुन सुन कमस से।

    पंकज:भारत के घरेलू खाद्य बाजार के 2015 तक सालाना 40 फीसदी की दर से बढ़ोतरी की संभावना है। वहीं 2025 तक फूड प्रोसेसिंग का बाजार 344 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। दुनियाभर के देशों के पास औसतन 11 फीसदी भूमि खेती लायक मौजूद है, जबकि भारत की 52 फीसदी भूमि खेती करने योग्य है। भारत दुनियाभर में अनाज के बड़े उत्पादक देशों में से एक है। सरकार की ओर से भी लगातार इस सेक्टर से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े स्तर पर निवेश किया जा रहा है।

    भारत विश्व में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादक देश है। वैश्विक स्तर पर उत्पादन, खपत, निर्यात और संभावित वृद्धि को देखते हुए भारत का स्थान पांचवां है। हाल के समय में खाने के ट्रेंड में आए बदलावों की वजह से इसमें वृद्धि की संभावनाएं काफी दिख रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि ग्रामीण इलाकों में खाद्य पदार्थों पर किया जाने वाला खर्च 45 फीसदी से घटकर 44 फीसदी पर आ गया है लेकिन शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 32 फीसदी पर है।

    मौजूदा समय में देश में प्रोसेस्ड फूड का मार्केट कुल फूड मार्केट का 32 फीसदी है। फूड मार्केट के 91.66 अरब डॉलर के बाजार में से प्रोसेस्ड फूड का बाजार करीब 29.4 अरब डॉलर का है। सीआईआई द्वारा लगाए गए एक अनुमान के मुताबिक अगले दस सालों में इस सेक्टर में 33 बिलियन डॉलर का निवेश आने की उम्मीद है।

    इसके अलावा करीब 90 लाख कामकाजी दिन भी उपलब्ध होंगे। देश में उत्पादित होने वाले कुल खाद्यान्न में से केवल 2 फीसदी ही फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी वजह से उचित भंडारण की कमी से करीब 30 से 40 फीसदी अनाज बर्बाद हो जाता है। मौजूदा समय में भारतीय फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री 135 अरब डॉलर की है जिसमें 10 फीसदी की सालाना वृद्धि देखी जा रही है।

    दिनेश:बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए खाद्यान्न उद्योग में बढ़ोतरी एक सकारात्मक खबर है, बढ़ती आबादी के लिहाज से देखा जाए तो आने वाले दिनों में खाद्यान्न उद्योग में और ज्यादा बढ़ोतरी की ज़रूरत महसूस होगी, खैर मैं अपने श्रोताओं के पत्र उठाता हूं और उन्हें उनकी पसंद के गाने सुनवाता हूं, हमारे पहले श्रोता हैं देशप्रेमी रेडियो लिस्नर्स क्लब के राम कुमार रावत, गीता रावत, अमित रावत, ललित रावत, दीपक रावत, मनीष रावत और इनके ढेर सारे मित्र, आपने हमें पत्र लिखा है ग्राम आशापुर, दर्शन नगर, फैज़ाबाद उत्तर प्रदेश से आप सभी ने सुनना चाहा है 1942 ए लव स्टोरी फिल्म से जिसे गाया है कुमार शानू ने गीतकार हैं जावेद अख़्तर संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं  रूठ ना जाना।

    पंकज:ऐसा अनुमान है कि 2015 तक यह 200 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी। यह सेक्टर 1.7 करोड़ लोगों को सीधे तौर पर रोजगार देता है। फूड प्रोडक्ट्स के वैल्यू एडिशन में 2025 तक 8 फीसदी से बढ़कर 35 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। फल और सब्जियों की प्रोसेसिंग फिलहाल कुल उत्पादन का 2 फीसदी ही हो पा रहा है जिसके 2025 तक 25 फीसदी तक जाने की उम्मीद है।

    सबसे अधिक प्रोसेसिंग डेयरी सेक्टर में हो रही है जहां पर कुल उत्पादन का करीब 37 फीसदी दूध की प्रोसेसिंग की जा रही है जिसमें से केवल 15 फीसदी का ही प्रोसेसिंग संगठित सेक्टर में हो रहा है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि जिस गति से इस सेक्टर में वृद्धि दर्ज की जा रही है, वैसे में अगले दशक के दौरान इस सेक्टर में 1400 अरब डॉलर का निवेश होना संभव है।

    फल और सब्जियों की प्रोसेसिंग में संगठित औऱ असंगठित प्लेयर्स की हिस्सेदारी करीब-करीब बराबर है जिसमें अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 48 फीसदी की है। देश में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री का दायरा बढ़ता जा रहा है। मौजूदा समय में देश जहां धीमी ग्रोथ रेट का सामना कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद नॉन-अल्कोहलिक बेवरेज का आर्थिक वृद्धि में योगदान कम नहीं हुआ है।

    इसे देखते हुए रोजगार सृजन करने, एफडीआई का प्रवाह बढ़ाने और भारत को फूड प्रोसेसिंग के हब के तौर पर विकसित करने के लिए कोशिश जारी है। देश को वैश्विक स्तर पर प्रोडक्शन नेटवर्क और एग्रीकल्चर वैल्यू चेन को जोडऩे पर ध्यान केंद्रित करने की जरुरत है।

    इस सेक्टर से जुड़े नीतिगत मुद्दों को सुलझाए बिना समेकित विकास के सपने को साकार नहीं किया जा सकता है। आम तौर पर पूरे फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को दो भागों में बांटा जा सकता है जिसमें एक वेवरेज से जुड़ा है तो दूसरे का ताल्लुक नॉन अल्कोहलिक वेवरेज से है।

    दिनेश:चीन में भी प्रोसेस्ड फूड इंडस्ट्री ने पिछले बीस वर्षों में बहुत प्रगति की है, अगर भारत में भी इसका विकास होता है तो इसकी सबसे अच्छी बात ये होगी की सब्जियां और फल बर्बाद होने से बच जाएंगे और अधिक उत्पादन होने की स्थिति में उनके दामों में कमी भी नहीं आएगी। हमारे अगले श्रोता हैं कापशी रोड अकोला महाराष्ट्र से संतोष राव बाकड़े, श्रीमती ज्योति ताई बाकड़े, दिपाली बाकड़े, पवन कुमार बाकड़े और पूरा बाकड़े परिवार आप सभी ने सुनना चाहा है बसेरा फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं जहां पे सवेरा हो बसेरा वहीं है।

    पंकज:नॉन अल्कोहलिक वेवरेज सेक्टर फार्म अंतिम उपभोक्ता से जुड़े सभी वैल्यू चेन को शामिल करता है। हाल ही में जारी इकरियर की रिपोर्ट में उन सभी जानकारियों को शामिल किया गया है जो बाजार में प्रवेश करने, भारत जैसे उभरते बाजार में व्यापार के लिए परिचालन रणनीति बनाने से संबंधित है। इसके अलावा नीति निर्माताओं को पॉलिसी रिफॉर्म के मुद्दे को प्राथमिकता के तौर पर लाने की बात भी इस रिपोर्ट में कही गई है।

    केंद्र सरकार द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में किए गए नीतिगत बदलाव जिसमें मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी के एफडीआई और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्ट (FSSAI, 2006) शामिल है, जिसमें सप्लाई चेन से संबंधित सभी पक्षों को शामिल किया गया है। साथ ही सेक्टर के विकास में आ रही बाधाओं की पहचान करने और उसके निदान पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया गया है।

    इसके अलावा नीतिगत सिफारिश ऐसी होनी चाहिए जो खास तौर से भारत के नॉन अल्कोहलिक वेवरेज सेक्टर को मदद पहुंचाए क्योंकि इससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी फायदा होगा। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि वैसे समय में जब मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन ठीक नहीं चल रहा था तो भी इस सेक्टर की ग्रोथ दहाई के आंकड़े में रही।

    इस सेक्टर की ग्रोथ भारत की जीडीपी ग्रोथ से भी अधिक रही है। यह सेक्टर लेबर इंटेसिव है, ऐसे में इस सेक्टर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर से जुड़े लोगों का अनुपात 1:4 है। इसका मतलब यह हुआ कि प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार के एक अवसर का निर्माण करने से अप्रत्यक्ष तौर पर चार अतिरिक्त काम का सृजन होता है।

    इस तरह का रोजगार अनुपात केवल सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में ही देखने को मिलता है। जहां तक इस सेक्टर में एफडीआई का सवाल है तो यह कुल विदेशी निवेश का करीब 2 फीसदी है जो कि भारतीय और वैश्विक स्तर की कंपनियों को सरकारी प्रयास रास आने की वजह से संभव हो सका है।

    सरकार ने देश में कोल्ड चेन से जुड़ी सुविधाओं का विस्तार करने के लिए निवेश में इजाफा किया है। इसका मकसद नॉन अल्कोहलिक वेवरेज सेक्टर को छूट देकर इसका विकास करना है। साथ ही खाद्य पदार्थों की बर्बादी में कमी लाने और प्रोसेस्ड फूड की आपूर्ति साल भर किए जाने को सुनिश्चित करना है।

    दिनेश: इससे सबसे बड़ा फायदा होगा खाद्य उद्योग को जहां पर लोगों को रोज़गार मिलेगा वहीं खाने की बर्बादी भी रुकेगी। हमारे अगले श्रोता हैं जुगसलाई टाटानगर से इंद्रपाल सिंह भाडिया, इंद्रजीतकौर भाटिया, साबो भाटिया, सिमरन भाटिया, सोनक भाटिया, मनजीत भाटिया, बंटी भाटिया, जानी भाटिया, लाडो भाटिया, मोनी भाटिया, रश्मि भाटिया और पाले भाटिया, आप सभी ने सुनना चाहा है एक ही भूल फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले और एस पी बालासुब्रमण्यम ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने औऱ गीत के बोल हैं हम तुमसे प्यार ना करते।

    पंकज: सरकार ने फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई स्कीमों को लागू किया है। करीब 112 प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है जिसमें से 27 पहले ही पूरे किए जा चुके हैं। इसके अलावा कोल्ड चेन सुविधा स्थापित करने के लिए 50 अतिरिक्त प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दी गई है। इस सेक्टर में स्किल्ड मानव संसाधन की जरूरत है जिसके लिए सरकार ने पहले से ही कई तरह की स्कीम शुरू कर रखी है। इस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की 2020 तक करीब 63,000 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना है।

    भारत भले ही चीन से अधिक फल, सब्जियां और दूध का उत्पादन करता है लेकिन रोजगार सृजन के मामले में चीन हमसे कहीं आगे है। भारत के पास प्रोसेस करने लायक कच्चे माल का अभाव है। इसके अलावा देश में आरएंडडी की सीमित सुविधा है। साथ ही आरएंडडी के व्यावसायिकरण के लिए शिक्षण संस्थानों और कारपोरेट सेक्टर के बीच संपर्क का अभाव है जिसे दुरुस्त किए जाने की जरुरत है।

    इस सेक्टर के नजरिए से कई ऐसे बिंदु हैं जो इसके विकास को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। कंपनी स्थापित करने के लिए टैक्स का मुद्दा काफी अहम है, लेकिन ऑपरेटर्स को देश भर में अलग टैक्स संरचना होने की वजह से काफी परेशानी होती है। एक अनुमान के मुताबिक इंडस्ट्री पर लगने वाले टैक्स की वजह से प्रोडक्ट की लागत में 30-40 फीसदी का इजाफा होता है जिसका बोझ अंत में उपभोक्ता को ही उठाना पड़ता है।

    यह एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि इससे खाद्य महंगाई पर असर पड़ता है। सरकार द्वारा कोल्ड चेन में दिया गया टैक्स छूट प्रभावी नहीं है और इसे इंडस्ट्री इस्तेमाल नहीं कर सकती है। इस सेक्टर से जुड़े लोगों की मांग है कि सरकार उनके लिए एक समान कम प्रत्यक्ष कर लागू करे जिसे टैक्स बेस में बढ़ोतरी होगी और इसके परिणामस्वरुप कर संग्रह में इजाफा होगा जिससे इंडस्ट्री और निवेश करने में सक्षम होगी।

    दिनेश: अगर सरकार उद्योग धंधों में निवेश के लिये अच्छा और सुलभ माहौल बनाए तभी उद्योग फल सकेगा, उद्योग धंधे में अड़चनें उद्योग जगत को नुकसान पहुंचाती हैं, सरकार को उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिये।

    हमारे अगले श्रोता हैं लालूचक भागलपुर बिहार से विष्णु कुमार चौधरी, श्रीमती गायत्री देवी, आरती कुमारी, सागर और बादल ने आप सभी ने सुनना चाहा है पारसमणि फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर और मुकेश ने संगीतकार हैं लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और गीत के बोल हैं चोरी चोरी जो तुमसे मिली तो लोग क्या कहेंगे।

    पंकज:आम तौर पर बिजनेस का माहौल बनाने के लिए नियम कानून को सरल बनाने की कोशिश की जानी चाहिए लेकिन हालात यह है कि देश के विभिन्न राज्यों में एक ही मुद्दे पर अलग-अलग नियम बने हुए हैं जिससे निवेश प्रक्रिया काफी प्रभावित होती है।

    इसमें पर्यावरण के लिए आवश्यक मंजूरी के साथ राज्यों द्वारा तय विभिन्न मानक शामिल हैं। कुछ राज्यों ने नॉन अल्कोहलिक वेवरेज को अधिक प्रदूषण फैलाने वाले सेक्टर के तहत रेड कैटिगरी में डाल रखा है। इस वजह से इनवायर्नमेंट क्लीयरेंस लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

    साथ ही FSSA 2006 जिसे अगस्त 2011 में लागू किया गया था, उसमें पूर्ण सप्लाई चेन का पता लगाने के लिए किसानों के ऑपरेशन को संचालित नहीं किया जाना है जो कि इस सप्लाई चेन का अहम हिस्सा है। ऐसे में यह एक्ट मिलावट कहां से की गई है इसका पता लगाना मुश्किल होगा।

    देश भर में एक समान एपीएमसी एक्ट को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जाना भी इसके विकास में एक बड़ी बाधा है। इसकी वजह से किसान किसी निजी कंपनी के साथ वैध कॉन्ट्रैक्ट नहीं कर सकते हैं क्योंकि पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की अनुमति नहीं है। यहां के किसान अभी कॉन्ट्रैक्ट पार्टनरशिप एग्रीमेंट के तौर पर प्रवेश कर रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें कानूनी संरक्षण नहीं मिला है।

    इन सभी सेक्टर में सुधार से ही फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री का भविष्य जुड़ा हुआ है। ऐसे में पॉलिसी में फेरबदल किए जाते समय इस बात का ध्यान रखें। नए नियम संबंधित सेक्टर के साथ तालमेल बनाए रखे।

    जब तक जीएसटी लागू नहीं होता है तब तक संगठित खुदरा निवेशकों के लिए सप्लाई चेन कारगर नहीं बन पाएगा। ऐसे में मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का फायदा तब तक नहीं मिलेगा जब तक जीएसटी लागू नहीं होता है। राज्य स्तर पर प्रतिबंधित एपीएमसी एक्ट और एसेंसियल कमोडिटीज एक्ट के तहत राज्यों के बीच सामानों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा रहेगा।

    इन मुद्दों पर लेने होंगे फैसले

    महंगाई से निपटने के लिए फूड प्रोसेसिंग को देना होगा बढ़ावा

    एग्रीकल्चर सप्लाई चेन को बनाना होगा कारगर

    फल और सब्जियों पर से मंडी कर सभी राज्यों से होगा हटाना फास्ट ट्रैक मंजूरी और ग्रीन चैनल सिस्टम को करना होगा विकसित

    एपीएमसी एक्ट में कॉंट्रैक्ट फार्मिंग और डायरेक्ट मार्केटिंग को बनाना होगा अनिवार्य

    दिनेश:हमारे अगले श्रोता हैं सैफुद्दीन अंसारी और इनके परिवार के सभी सदस्य, आपने हमें पत्र लिखा है ग्राम मुसाफिरगंज, पोस्ट गजाधरगंज, जिला बक्सर, बिहार से आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म ये रात फिर ना आएगी का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने, गीतकार हैं एस एच बिहारी संगीतकार हैं ओ पी नैय्यर और गीत के बोल हैं यही वो जगह है यही वो फिज़ाएं।

    पंकज: तो मित्रों इस गाने के साथ ही हमें आपकी पसंद कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दें, अगले सप्ताह हम आज के दिन और आज ही के समय पर फिर आपके सामने आएंगे कुछ रोचक, ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के साथ और आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के कुछ मधुर फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    दिनेश:  नमस्कार।

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