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    संडे की मस्ती 2014-04-06
    2014-04-09 14:40:59 cri

    (Starting Music)

    हैलो.. दोस्तों, नमस्कार...नीहाओ...। स्वागत है आपका इस चटपटे और laughter से भरे कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में। मैं हूं आपका दोस्त और होस्ट अखिल।

    (Music-15 sec)

    आज के इस कार्यक्रम में होंगे दुनिया के कुछ अजब-गजब किस्से और करेंगे बातें हैरतंगेज़ कारनामों की,......इसी के साथ ही हम लेकर आये हैं हंसने गुदगुदाने की डबल डोज, जिसमें होंगे चटपटे चुटकुले, ढेर सारी मस्ती और खूब सारा फन और चलता रहेगा सिलसिला बॉलीवुड गानों का भी।

    (Music-10 sec)

    हैलो..दोस्तों, कल यानि शनिवार को चीन का traditional त्यौहार छींग मिंग फेस्टिवल था, और इस दिन चीनी लोग बाहर निकल कर spring season की हरियाली का मजा लेते हैं और अपने दिवंगत लोगों की कब्र पर जाकर उनको याद करते हैं। पर इसके बारे में और ज्यादा बात करने से पहले हम आपके ख़तों को पढ़ने का सिलसिला शुरू करते है....। और बता दूं कि आज मेरा साथ देने के लिए हाजिर है मीनू जी।

    मीनू- हैलो दोस्तो, आप सभी को मीनू का नमस्कार

    अखिल- दोस्तों, हमें पहला पत्र मिला है सउदी अरब से सादिक आजमी का... सादिक जी लिखते है

    आज 30 मार्च का कार्यक्रम सण्डे की मस्ती सुना जो आशा के अनुरूप और मनोरंजन से भरपूर था। आरम्भ मे ही गर्मी की बधाई और वो भी शाएराना अंदाज़ मे जिसे सुनकर हम भी यही कहेंगे कि••••••

    आपको भी बधाई अखिल भाई

    क्या खूब आपने कविता सुनाई

    गर्मी से होती है क्या कठिनाई

    उससे बचने की राह सुझाई

    लिलि जी ने भी की अगुवाई

    रोताना आबु धाबी की सैर करवाई

    भारतीय ब्यंजन की बात बताई

    जिसे चारों ओर मिल रही वाह वाई

    इस प्रस्तुति पर लिली और अखिल भाई

    आप दोनो को लख- लख बधाई (तालियों की आवाज)

    मीनू- आगे सादिक जी ने लिखा.... अखिल जी ने हर बार की तरह इस बार भी दिल को छू लेने वाली घटना से रूबरू करवाया और यह जानकर आपार हर्ष हुआ कि गूगल मैप की सहायता से चीन के 28 वर्षीय ल्यो कांग ने धुंधली यादों से निर्मित नक्से को गूगल मैप पर अपलोड कर दूसरे यूज़र्स की सहायता से याओच्यापा पहुंच कर अपने बिछड़े माता पिता को हासिल किया। यह कहानी हमे कई उपदेश देती है जैसे कि कठिनाई कितनी बड़ी क्यूं न हो हमे उससे घबराना नही चाहिये और सच्ची लगन और निष्ठा से परिश्रम करते रहना चाहिये तभी सफला आपके कदम चूमेगी। वाकई उन लम्हों को शब्दों मे पिरोना असंभव है जब उनका अप्रत्याशित और भावपूर्ण मिलन हुआ होगा तो मैं केवल इतना भाव प्रकट कर सकता हूं कि केवल एक सप्ताह के इन्तेज़ार के बाद जब हमें दुबारा सण्डे की मस्ती सुनने का अवसर मिलता है तो हमारी प्रसन्नता की सीमां नही रहती तो 23 साल बाद भला उन्होने अपनी खुशी और भाव को कैसे पेश किया होगा वाकई वह क्षण अतुलनीय रहा होगा।

    अखिल- आगे सादिक भाई लिखते है... लिलि जी ने भारतीय रेल के खाने को आबू धाबी पहुँचने की घटना को इतने चटपटे अंदाज़ मे पेश किया कि हमारे मुंह मे पानी आ गया। वाकई यह हम भारतियों के लिये गौरव की बात है कि शेख़ मुहम्मद इरशाद क़ुरैशी जी ने भारतीय ब्यंजन की क़द्र की और उसके महत्व को पहचाना और अपने देश मे लोगों के समक्ष पेश किया। उनका यह लगाव सराहनीय है। यह बात 100% सही है कि इन दिनों विदेशों मे भारतीय ब्यंजन काफी लोकप्रिय हो रहे हैं जिसमे शाकाहारी भोजन मुख्य रूप से है। इस रोचक जानकारी के लिये धन्यवाद।

    अखिल- सादिक भाई.. आपने बिल्कुल सही कहा। भारतीय खाना विदेशों में बहुत लोकप्रिय है। आप चाईना में ही देख लीजिए... यहां चाईनिज लोग भी भारतीय खाना बहुत पसंद करते है। भारतीय रेस्तरां चीनी लोगो से भरा रहता है। पर पत्र भेजने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

    मीनू- अगला पत्र मिला है केसिंगा, ओडिशा से भाई सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है...

    साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" के अन्तर्गत आज भी भरपूर मनोरंजन कराया गया.कार्यक्रम में पेश चुटकुले और लतीफ़े तो गज़ब के थे.सुरेन्द्र शर्मा की चार लाइनां आज कई दिनों बाद फिर से सुनने का मौक़ा मिला, तो मज़ा आ गया.नदी में डूबते आदमी की कविता और अलग-अलग स्वाद वाली ग़ज़लों की तो बात ही कुछ और थी.गूगल मैप के ज़रिये 23 साल बाद अपने माँ-बाप से मिले 28 वर्षीय लूकांग की कहानी दिल को छू गई.सचमुच ऐसे मिलन के समय भावनाओं का समुद्र उमड़ आया होगा। यह जान कर ख़ुशी हुई कि भारतीय रेल के खाना अब आबूधाबी के नामी रेस्तरां में पहुँच गया है.मैं इस भगीरथ प्रयास के लिए श्री क़ुरैशी का शुक्रिया अदा करता हूँ.श्रोताओं की प्रतिक्रियाओं को कार्यक्रम में आज भी समुचित स्थान देने हेतु हार्दिक साधुवाद।

    अखिल- अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया हम तक भेजने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सुरेश अग्रवाल जी। चलिए.... अब जानते है छींग मिंग फेस्टीवल के बारे में।

    दोस्तो, आपको यह तो बता दिया था कि छींग मिंग फेस्टीवल चीन का Traditional त्यौहार हैं। 'छींग' का मतलब होता हैं 'साफ़' और 'मिंग' का मतलब 'उज्ज्वल'। इसे शुद्ध चमक त्यौहार, साफ़ उज्ज्वल त्यौहार, पूर्वजों का दिन, कब्र सफाई दिवस आदि कई नामों से भी जाना जाता हैं। यह त्यौहार आमतौर पर ग्रेगरी कैलंडर की 5 अप्रैल को आता हैं। और यह तो आपको बता ही दिया था कि इस दिन चीनी लोग अपने घरों से बाहर निकल कर spring season की हरियाली का आनंद लेते हैं और स्वर्गवासी लोगों की कब्र पर जाकर उनको याद करते हैं। छींग मिंग फेस्टीवल को नियमित रूप से mainland China और उसके क्षेत्र ताइवान, हांगकांग और मकाऊ में एक संवैधानिक सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है।

    छींग मिंग त्यौहार के दिन चीनी लोग अपने दिवंगत लोगों की कब्र पर या कब्रिस्तान जाकर उनको याद करते हैं और उनकी कब्र को साफ़ करते हैं और उन पर फूल-मालाएं चढाते हैं। यह त्यौहार हान शी त्यौहार से उत्पन्न हुआ हैं। इसे ठंडा भोजन का दिन भी कहा जाता हैं। हम आपको बता दें कि इस त्यौहार को चिऐ ज थोए की याद में मनाया जाता हैं।

    चलों.. आपको बताते है कि चिऐ ज थोए कौन था और उसकी क्या कहानी थी।

    चिऐ ज थोए का देहांत ईसा पूर्व 636 में चीन के वसंत और शरद काल में हुआ था। राजकुमार वेन का राजकुमार बन जाने से पहले वह वेन के कई followers में से एक था। एक बार, वेन के 19 वर्ष के देश-निकाला के दौरान, उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था तो चिऐ ज थोए ने वेन के लिए कुछ मांस का सूप तैयार कर उनको दिया तब वेन को हैरानी हुई कि चिऐ ज थोए को वह सूप कहाँ से प्राप्त हुआ। जब देखा तो मालूम हुआ कि चिऐ ने खुद अपनी जांघ से मांस का एक टुकड़ा निकाल कर सूप तैयार किया था। वेन इतने प्रभावित हुए कि चिऐ को एक दिन उसे इनाम देने का वादा कर दिया। हालांकि, चिऐ उस प्रकार का व्यक्ति नहीं था जो पुरस्कार पाने की तलाश में रहें। बजाय इसके, वह सिर्फ वेन को राजकुमार बनने में मदद करना चाहता था। एक बार जब वेन राजकुमार बन गया, तब चिऐ ने इस्तीफा दे दिया और उससे दूर हो गया। राजकुमार वेन उन लोगों को पुरस्कार बांटने लगे जिन्होंने उनकी मदद की थी, लेकिन किसी कारणवश वह चिऐ को भूल गए, तब के बाद चिऐ अपनी मां के साथ जंगल में चला गया। राजकुमार वेन जंगल में उसे ढूँढने के लिए गए, लेकिन चिऐ को ढूँढ नहीं पाये। राजकुमार वेन ने अपने अधिकारियों का सुझाव मानकर जंगल में आग लगवाने का आदेश दे दिया ताकि चिऐ मजबूरन जंगल से बाहर आ सके। हालांकि, चिऐ आग में मर गया और आत्म-ग्लानि और पश्चाताप की अग्नि में जलकर, राजकुमार वेन ने चिऐ की यादों को सम्मान दिए जाने का आदेश दिया। वो शहर जहाँ चिऐ की मृत्यु हुई थी, आज भी चिऐशिउ के नाम से जाना जाता हैं जिसका मतलब हैं वो जगह जहाँ चिऐ सदैव आराम करता हैं।

    अखिल- तो दोस्तों, ये थी चिऐ ज थोए की कहानी.. जिसकी याद में छिंग मिंग दिवस मनाया जाता है। अभी हम सुनते है एक गाना, उसके बाद जारी रहेगा छिंग मिंग दिवस से जुड़ी बातें... और बताएंगे कि चीन के डोंगयोंग में खाए जाते हैं पेशाब में उबले हुए अंडे....।

    (गाना-1)

    अखिल- स्वागत है आपका एक बार फिर संडे की मस्ती कार्यक्रम में....।

    दोस्तों, हम बात कर रहे थे छिंग-मिंग फेस्टिवल के बारे में....। हम आपको आगे बताते है कि छींग मिंग की परंपरा 2,500 वर्षों से अधिक समय से चली आ रही है। इसकी उत्पत्ति का श्रेय ईसा पूर्व 732 में थांग सम्राट शुआनजोंग को दिया जाता है। कहा जाता है कि चीन में अमीर लोग अपने पूर्वजों के सम्मान में अनावश्यक और भड़कीले ढंग से खर्च करते थे। सम्राट शुआनजोंग ने ऐसे रिवाज़ों पर लगाम लगाना चाहा, और यह घोषणा की कि सिर्फ छींग मिंग के दौरान ही पूर्वजों की कब्रों पर औपचारिक रूप से सम्मान किया जाए। छींग मिंग का अनुपालन करना चीनी संस्कृति का एक अहम् हिस्सा बन गया है और सदियों से जारी है।

    छींग मिंग त्यौहार आमतौर पर सोलर कैलंडर के अप्रैल महीने में आता है। छींग मिंग दिवस के बाद मौसम धीरे धीरे सुहावना हो जाता है। लगातार ऐसा होने से, यह दिन चीनी लोगों के लिए अपने पूर्वजों की स्मृति के लिए एक त्यौहार बन गया। चीनी लोग कब्रों की सफाई करने के दिन को छींग मिंग का दिन चुनना पसंद करते हैं। छींग मिंग त्यौहार एक ऐसा अवसर है जब लोग अपने पूर्वजों की कब्रों पर जाकर उनको याद करते है और सम्मान देते हैं। कब्रों पर जवान और बूढ़े अपने पूर्वजों की प्रार्थना करते है, कब्रों को साफ़ करते है, और खाना, चाय, वाइन, चापॅस्टीक, अगरबत्तियां चढ़ाते है। यह रिवाज़ एशिया में एक लम्बी परंपरा है, विशेषकर किसानों के बीच। छींग मिंग दिवस पर कुछ लोग अपने साथ विलो की टहनी को लेकर चलते है, या अपने दऱवाजों या गेट पर विलो की टहनियां टाँग देते है। उनका मानना है कि विलो की टहनियां छींग मिंग के दिन भटकने वाली दुष्ट प्रेत- त्माओं को भगाने में मदद करती है।

    छींग मिंग पर लोग अपने परिवार के साथ बाहर घूमने के लिए जाते है, वसंत जुताई शुरू करते है, और नाच-गान भी करते है। छींग मिंग ही एक ऐसा समय होता है जब युवा जोड़े एक-दूसरे को शादी करने के लिए प्रपोज करना शुरू करते है। एक अन्य लोकप्रिय बात है कि चीनी लोग इस दिन चीनी ओपेरा से बने character या जानवरों के आकार की बनी पतंग उड़ाते है।

    छींग मिंग त्यौहार प्रवासी चीनी समुदाय के लिए बहुत बड़ा पारिवारिक समारोह और साथ ही एक पारिवारिक दायित्व भी है। वे इस पर्व को समय के प्रतिबिम्ब के रूप में देखते है और अपने पूर्वजों को सम्मान और धन्यवाद देते हैं। प्रवासी चीनी सामान्य रूप से निकटतम weekend पर अपने दिवंगत रिश्तेदारों की कब्रों पर जाते है। प्राचीन रिवाजों के अनुसार, कब्रिस्तान जाकर पूजा करना केवल छींग मिंग त्यौहार के दस दिन पहले या बाद में ही सहज होता है। यदि वास्तविक तिथि पर कब्र स्थल पर जाना संभव नहीं होता है, तो छींग मिंग से पहले आमतौर पर पूजा करने को प्रोत्साहित किया जाता है। मलेशिया और सिंगापुर में छींग मिंग के दिन आमतौर पर चीनी लोग पूर्वजों को सम्मान व श्रद्धांजलि देना सुबह जल्दी शुरू कर देते है। चीन की मुख्य भूमि में लोग अपनी संवेदनाओं से ओत-प्रोत हुए अपने पूर्वजों की क़ब्रों पर जाते है, परंपरागत रूप से पैसे और कागज से बनी कार, घर, फोन और नौकर-चाकर जलाते है। चीनी संस्कृति में, यह माना जाता है कि लोगों को जीवन के बाद भी इन चीजों की जरूरत होती है। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य अपने पूर्वजों की कब्र के सामने 3 से 9 बार खोउ-थोउ करते है यानि घुटनों के बल बैठ कर सर झुकाते है। कब्रों के सामने सर झुकाने का रिवाज़ परिवार में पितृ सत्तात्मक वरिष्ठता के क्रम के अनुसार किया जाता है। कब्र स्थल पर पूर्वजों की पूजा करने के बाद पूरा परिवार या पूरा कुटुम्ब कब्र स्थल पर ही दावत करते है जो पूजा के लिए खाना साथ लाए थे। इसका मतलब होता है पूर्वजों के साथ परिवार का पुनर्मिलन।

    अखिल- तो दोस्तो, ये थी छिंग-मिंग से जुड़ी बातें और जानकारियां....।

    मीनू- अखिल जी.. आपने छिंग-मिंग के बारे में बहुत ही उम्दा जानकारी दी है। उम्मीद करते है कि हमारे श्रोता दोस्तों को पसंद आई होगी।

    अखिल- चलिए.. अब मैं आपको एक ऐसी बात बताने जा रहा हूं जिसे सुनकर आप जरूर नाक सिकोड़ लेंगे...और आपको जरूर अजीब लगेगी।

    दरअसल बात यह है कि चीन के zhejiang province के तोंगयांग शहर में पेशाब में उबले हुए अंडे खाए जाते हैं। ऐसे अंड़ो को चीनी भाषा में थोंग ज़ तान कहा जाता है। ब्रिटिश वेबसाइट 'डेली मेल' में छपी खबर के मुताबिक, इस साल भी तोंगयांग के शेफ पूरी दुनिया को उनकी डिश आजमाने का न्यौता दे रहे हैं। शेफ का दावा है कि इस बार ये अंडे बेहद अच्छी क्वालिटी के होंगे और उनमें एक 'खट्टा' स्वाद होगा। हैरानी की बात यह है कि चीन में इन अंडों की खास 'सांस्कृतिक अहमियत' है। हजारों सालों से वसंत के मौसम में बच्चों के पेशाब में उबले हुए अंडे खाने की परंपरा रही है। शेफ लू मिंग बताते हैं कि स्थानीय स्कूलों से पेशाब इकट्ठा किया जाता है। लड़के बाल्टियों में पेशाब करते हैं और वहां से हर दिन ताजा पेशाब ले लिया जाता है। शेफ का दावा है कि ये अंडे हेल्दी होते हैं। शेफ बताते हैं कि अंडों को दो बार पेशाब में उबाला जाता है। पहले छिलका हटाए बिना और फिर बाद में छिलका हटाकर। इसके बाद ही उन्हें खाने के लिए परोसा जाता है। मिंग कहते हैं, 'ये अंडे लाजवाब और हेल्दी होते हैं। उन्हें खाने से बुखार नहीं आता और अगर आप सुस्ती महसूस कर रहे हों तो इन्हें खाकर ताजगी आती है।' वह कहते हैं, 'हम इसे एक्सपोर्ट करने पर भी ध्यान दे रहे हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि चीन से बाहर के लोग भी हमारी डिश की तारीफ करें।' 2008 में स्थानीय शहर ने इन अंडों को 'सांस्कृतिक विरासत' घोषित कर दिया था। यहां तक कि यूनेस्को विश्व विरासत के दर्जे के लिए आवेदन करने की बात भी चर्चा में थी। हालांकि शेफ यह नहीं बता पाए कि इस साल अंडे कुछ अतिरिक्त खट्टे क्यों हैं। शेफ दावा करते हैं कि ये अंडे सेहत के लिए अच्छे हैं पर तोंगयांग में हर कोई इस थ्योरी पर यकीन नहीं करता। हालांकि न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, चीनी मेडिकल एक्सपर्ट इन अंडों के संबंध में लोगों को चेता चुके हैं। यहां के एक निवासी वांग जुग्शिंग कहते हैं, 'हमारे यहां यह मान्यता है कि पेशाब में उबले हुए अंडे सेहत के लिए अच्छे होते हैं और इनसे जुखाम वगैरह नहीं होता. पर मैं इसे नहीं मानता और न ही उन्हें खाता हूं.'

    अखिल- दोस्तो, थी न यह ख़बर कमाल की...। खैर.. इन अंडों की खास 'सांस्कृतिक अहमियत' है, और कहा जा रहा है कि ये अंड़े सेहत के लिए फायदेमंद है, तो हम यही कहेंगे Sunday हो या Monday, रोज़ खाए ये वाले अंड़े...।

    अखिल- चलिए.. अब हम आपको सुनवाते है एक बढिया गाना... उसके बाद बताएंगे कुछ हैरतंगेज और चटपटी बाते।

    (गाना-2)

    मीनू- वैल्कम बैक दोस्तो, आप सुन रहे है संडे की मस्ती... मेरे और अखिल के साथ।

    दोस्तो, आप को वह कहानी तो याद होगी जिसमें प्यासा कौआ कितनी समझदारी के साथ घड़े में कंकर डालकर पानी का लेवल ऊंचा उठा देता है और पानी निकाल लेता है। वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया कि कौवे में सात साल के बच्चे जितनी समझदारी होती है।

    वैज्ञानिकों ने शाखाओं से खाना निकालने के लिए लकड़ी की पतली छड़ों का उपयोग करने जैसी गतिविधियों को उनकी समझदारी में शुमार किया है। कौओं की समझदारी को चुनौती देने के लिए वैज्ञानिकों ने छह नए जंगली कैलेडोनियाई कौओं पर प्रयोग किया। उनका कार्य उस कहानी पर आधारित था जिसमें कौवे ने घड़े के पानी का स्तर ऊपर लाने के लिए उसमें कंकड़-पत्थर डाले थे।

    इस कार्य में कौओं को पानी में भारी चीजें डालकर उसमें तैरता हुआ खाद्य पदार्थ पाना था। उन्हें एक कम स्तर के पानी भरे बर्तन, पानी से पूरे भरे बर्तन और एक रेत भरे बर्तन में से किसी एक का चुनाव करना था।

    यूनीवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड, न्यूजीलैंड की सारा जेलबर्ट ने बताया, इस पक्षी की Volume Displacement के प्रभाव की समझ, मनुष्य के पांच से सात साल तक के बच्चे की समझ से मेल खाती है। 'प्लोस वन' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि ये परिणाम आश्चर्यजनक हैं क्योंकि इन्होंने कौओं की समझ की सीमा और ताकत दोनों पर प्रकाश डाला है।

    अखिल- अरे वाह.. मीनू जी... आपने वाकई एक रोजक बात बताई है हमारे श्रोता दोस्तों को। चलिए,, मैं भी आपको एक रोचक बात बताता हूं।

    दोस्तो, हमने हमारे पिछले कार्यक्रम में एक एक बात बताई थी कि कैसे एक आदमी ने गूगल मैप के जरिए अपने असली माता-पिता को ढूंढ़ लिया था। आज मैं आपको ऐसी ही कुछ बात बताने जा रहा हूं।

    इंग्‍लैंड की रहने वाली 41 साल की सारा को अपनी बच्‍ची का पहला नाम तो पता था, लेकिन सरनेम यानी कि कुलनाम की कोई जानकारी नहीं थ। वह यह नहीं जानती थीं कि उनकी बेटी को किसने गोद लिया है। ऐसे में बच्‍ची को ढूंढना उनके लिए आसान नहीं था। पिछले साल नवंबर में सारा ने अपनी बेटी को फेसबुक पर ढूंढने के बारे में सोचा। उन्‍होंने फेसबुक के सर्च बार पर अपनी बेटी का नाम टाइप किया "केलेग मैरी"। फिर क्‍या था इस नाम के सैकड़ों प्रोफाइल उनकी नजरों के सामने आ गए। हालांकि इतने सारे प्रोफाइल्‍स में से अपनी बेटी को ढूंढना नामुमकिन काम था, लेकिन सारा ने हार नहीं मानी। उन्‍होंने केलेग मैरी नाम के सारे प्रोफाइल्‍स को देखना शुरू किया। तभी उनकी नजर एक ऐसे प्रोफाइल पर पड़ी जिसकी तस्‍वीर उनकी जवानी के दिनों से मिलती-जुलती थी। सारा को लगा कि हो सकता है कि केलेग मैरी वॉट्स उनकी वही बेटी हो जिसे उन्‍होंने 19 साल पहले गोद दे दिया था। उन्‍होंने उसे फ्रेंड रिक्‍वेस्‍ट भेजी और पांच मिनट के अंदर-अंदर फेसबुक पर एक-दूसरे को मैसेज कर दोनों ने बताया कि कि वे आपस में काफी मिलते-जुलते हैं। सारा ने केलेग मैरी को बताया कि जिस वक्‍त उनकी बेटी को गोद लिया गया था तब उसका नाम केलेग मैरी थॉमस था। इसके बाद केलेग मैरी ने मैसेज कर जवाब दिया, 'मां'. दोनों ने करीब पांच महीनों तक मैसेज के जरिए बातचीत की। एक हफ्ते पहले ही सारा और केलेग की मुलाकात हुई और तब से वे एक-दूसरे के साथ ही हैं। दोनों ने 1995 के बाद पहली बार शनिवार को एक साथ मदर्स डे का जश्‍न मनाया। सारा बेहद खुश हैं और कहती हैं, 'मैं पिछले सात सालों से केलेग को ढूंढ रही हूं, लेकिन जिन्‍होंने उसे गोद लिया था मैं उन लोगों का सरनेम नहीं जानती थी। फिर मैंने फेसबुक पर सिर्फ केलेग मैरी लिखकर सर्च करना शुरू किया'। सारा के मुताबिक, 'जब मैंने केलेग की तस्‍वीर देखी तो वह मेरी परछाई जैसी थी। जब वह मेरे सामने आई तो मैंने उसे इतनी जोर से गले लगाया कि उसकी गर्दन टूटने ही वाली थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि आखिरकार मैंने उसे ढूंढ ही लिया'। वहीं केलेग का कहना है, 'यह बेहतरीन है। ऐसा लगा रहा है मानो हम कभी जुदा ही न हुए हों। मैंने तीन महीने पहले मुझे जन्‍म देने वाली मां की खोजबीन शुरू की। मुझे हमेशा से पता था कि हम एक न एक दिन जरूर मिलेंगे, लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि यह सब इतना जल्‍दी हो जाएगा'। दरअसल, सारा को अपनी बेटी इसलिए गोद देनी पड़ी थी क्‍योंकि लड़की के पिता के साथ उनका रिश्‍ता ठीक नहीं था। ऐसे में समाज सेवकों को डर था कि घर के माहौल का नन्‍ही बच्‍ची पर खराब असर पड़ेगा इसलिए उन्‍होंने केलेग को किसी दूसरे को गोद दे दिया। अब इतने सालों के बाद अपनी मां से मिलने पर केलेग कहती हैं, 'मुझे अपनी मां मिल ही गई। हम दोनों एक दूसरे से बहुत ज्‍यादा मिलते-जुलते हैं'. वहीं सारा का कहना है, 'अपनी बेटी को वापस पाकर मैं सातवें आसमान पर हूं'. उधर, केलेग को गोद लेने वाले मां-बांप ने अपना बयान देने से इनकार कर दिया है।

    मीनू- वाहं अखिल जी....। एक मां ने 19 साल पहले गोद दी बच्‍ची को फेसबुक पर ढूंढ निकाला...यह सुनकर तो मजा आ गया। वाकई.. आज के समय में हर चीज़ possible सा लगता है।

    अखिल- हा हां हां हा.. सही कहा मीनू जी तुमने...। आज के hi-tech समय में कुछ भी पोसिबल हो सकता है। मीनू जी, क्यों न अभी हम एक भरा गाना सुने...।

    मीनू- हां बिल्कुल.. सुनते है।

    अखिल- दोस्तों, अभी हम सुनते है एक बढिया गाना.. उसके बाद शुरू हो जाएगा हंसगुल्लों की बौछार... यानि चुटकुलों की बारिश... जिसमें वाकई... हर कोई भीगना चाहेगा।

    (गाना-3)

    अखिल- हैलो दोस्तो, आप सुन रहे है संड़े की मस्ती संड़े को हमारे साथ यानि अखिल और मीनू के साथ....।

    1. एक बार स्टूडेन्ट स्कुल आने में लेट हो गया। उसकी टीचर ने स्टूडेन्ट से पूछाः तुम स्कूल में लेट क्यों पहुंचे।

    स्टूडेन्ट बोलाः टीचर, सड़क पर एक आदमी का नोट गुम हो गया था।

    टीचर ने पूछाः तो तुम क्या, नोट ढूढ़ने में उसकी मदद कर रहे थे।

    तब स्टूडेन्ट बोलाः नहीं टीचर, मैं तो उस आदमी के चले जाने का वेट कर रहा था, क्योंकि नोट मेरे पैर के नीचे था। (हंसने की आवाज)

    2. एक बार पति अपनी सास से बात करता है और कहता हैः आपकी बेटी में हजारों कमियां है।

    सास बोलती हैः हां बेटा, इसी वजह से तो उसे अच्छा लड़का नहीं मिला....। (हंसने की आवाज)

    मीनू- हां हां हां... उसकी सास का कहना है कि वह Husband अच्छा लड़का नहीं है।

    3. एक और सुनों...

    पति अपनी पत्नी से बोलता है- अरे.. तेरे बाप की जले पर नमक छिड़कने की आदत नहीं गई...?

    पत्नि ने पूछा- क्यों.. क्या हुआ....?मेरे पापा पर क्यूं भड़क रहे हो...?

    पति बोलता है- आज फिर से पूछ रहा था कि "मेरी बेटी से शादी करके खुश तो हो ना...?"

    (हंसने की आवाज)

    4. एक आदमी पोस्ट ऑफिस जाता है और कहता हैः सर, मेरी पत्नी खो गई है...।

    पोस्टमैन बोला- अरे भाई... यह पोस्ट ऑफिस है, पुलिस स्टेशन जा...।

    आदमी बोला- ओह.. माफ़ कीजिए... साला.. खुशी के मारे कहां जाउं...समझ में नहीं आ रहा...।।।

    (हंसने की आवाज)

    मीनू- हां हां हां... उस आदमी को अपनी पत्नी के खो जाने पर इतनी खुशी हो रही है।

    5. एक और सुनों-

    पति को मार्किट जाते हुए पत्नि ने पैसे देकर कहाः सुनो जी... बाजार से कुछ ऐसी चीज़ लाना, जिससे मैं आपको सुन्दर दिखू....।

    मीनू जी... मालूम है वो पति मार्किट से क्या लेकर आया...।

    मीनू- नहीं.. मालूम नहीं..।

    अखिल- वो पति खुद के लिए विस्की की 2 बोतल ले आया......। (हंसने की आवाज)

    एक दिन चित्रगुप्त ब्रम्हदेव के पास request लेकर आए। उन्होंने कहा, "ये करवाँ चौथ का "सातो जन्म वही पति चाहिए"वाली scheme बंद कर दें।"

    ब्रम्हाजी ने पुछा- "क्यों.. क्या हुआ ??? "

    चित्रगुप्त बोले- "ब्रम्हदेव जी track record रखना मुश्किल होता है| औरत अगले जन्म में वही पति फिर से माँगती है जबकि आदमी वहाँ दुसरे जोड़ीदार की demand करता है| इससे हर दिन मैनेज करना मुश्किल हो गया है!"

    ब्रम्हदेव जी बोले- "अरे... परंतु यह scheme बंद नही कर सकते"

    तब महामुनि नारदजी वहां पहुंचे और उपाय दिया। उन्होंने कहा- "एक काम ऐसा करो कि scheme में एक amendment कर दो। उसमें यह mention कर दो कि अगर यही पति अगले जन्म फिर से चाहिए तो सास भी फिर से वही मिलेगी| फिर देखो demand कम होती है या नही ?? "

    एक साल बाद जब देखा तो चित्रगुप्त बड़े ही खुश लग रहे थे! (हंसने की आवाज)

    मीनू जी.. क्या आपको यह समझ में आया कि चित्रगुप्त एक साल बाद क्यों खुश लग रहे थे!

    मीनू- हां.. मुझे समझ में आया....।

    Good.....। दोस्तों, मीनू जी को तो समझ में आ गया है, पर क्या आपको भी समझ में आया कि चित्रगुप्त क्यों खुश लग रहे थे। अगर हां, तो जरूर बताए कि क्यों खुश लग रहे थे।

    चलो.. आपको अभी दो तड़कते-भड़कते शेयर सुनाता हूं।

    लाल दिवार पर चूने से लिखा खा गालिब ने....

    लाल दिवार पर चूने से लिखा खा गालिब ने....

    यहां लिखना मना है....।। (हंसने की आवाज)

    अर्ज़ किया है....

    दूर से देखा तो संतरा था...

    पास जाकर देखा तो संतरा था...

    छील के देखा तो भी संतरा था....

    खाकर देखा तो भी संतरा था.....

    वाह...। क्या संतरा था.....। (हंसने की आवाज)

    मीनू- चलिए.. अब सुनते है एक मस्ती भरा गाना..

    (गाना-4)

    अखिल- अच्छा दोस्तों, अब जाने का वक्त हो चला है। हम चाहते है कि आप सभी हर दिन हंसते रहें.. मुस्कराते रहें.... और ढेर सारी खुशियां बांटते रहें.....क्योंकि Laughing is the best medicine यानि हंसना सबसे बढ़िया दवा है। तो Always be happy...हमेशा खुश रहो..... और सुनते रहो हर रविवार, सण्डे की मस्ती....। आप हमें लेटर लिखकर या ई-मेल के जरिए अपनी प्रतिक्रिया, चुटकुले, हंसी-मजाक, मजेदार शायरी या अपनी आवाज में कोई भी गीत, अजीबोगरीब किस्से या बातें भेज सकते हैं। हमारा पता है hindi@cri.com.cn...। हम अपने कार्यक्रम में आपके लैटर्स और ईमेल्स को जरूर शामिल करेंगे। अभी के लिए मुझे और मीनू जी को दीजिए इजाजत..... गुड बॉय, नमस्ते।

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