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    किसके हित
    2014-04-08 14:39:55 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके साथ ही हिन्दी सेवा की 55 वीं वर्षगांठ पर न्यू हराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब द्वारा तैयार आडियो सी.डी. "सभी के दिलों में सी.आर.आई.हिन्दी सेवा " का दूसरा भाग पेश किया जाएगा।

    दोस्तो, आज का पहला खत आया है दिल्ली से। भेजने वाले हैं, अमीर अहमद। वे लिखते हैं कि नमस्ते, आशा है कि सभी लोग अच्छे होंगे। चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सर्विस की 55 वीं जयंती के अवसर पर श्रोता सभा का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य अतिथि देव जी उपस्थित हुए। साथ ही कार्यक्रम कि अध्यक्षता मोबीन खान विदेश सेवा प्रोग्राम इंचार्ज आकाशवाणी दिल्ली ने की।कार्यक्रम के आरम्भ में मलेशियाई एयर लाइन्स के लापता होने पर दो मिनट का मौन रखा गया। उसके बाद कार्यक्रम शुरू हुआ। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रोता व सी आर आई नेटीजनों ने भाग लिया और आज ही के दिन एक ऐसा काम भी हुआ जो आगे चल कर इतिहास के पन्नों पर सुनहरे शब्दों में दर्ज होगा। आज हम लोगों ने दो महान देश के सरकारी मीडिया के अधिकारियों की मौजूदगी में इंडो चाइना कल्चरल सोसायटी की स्थापना की।जिसका मक़सद चीन भारत मैत्री को प्रगाढ़ बनाना है दोनों देशो के कल्चर को जनता के सामने पेश करना है ।जिसका हाल में मौजूद श्रोता व नेटीजनों ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया और चीन भारत की मैत्री में अपना योगदान देने के लिए कहा। कार्यक्रम के अंत में सभी लोगो को उपहार के रूप में उपहार भी दिए गए और शाम के डिनर के साथ समाप्त हुआ।

    वनिता:दोस्तो, आज का दूसरा खत आया है एसबीएस वर्ल्ड श्रोता क्लब से, पत्र भेजने वाले हैं एस बी शर्मा । लिखते हैं कि वर्ष 2014 चीन और भारत के बीच आपसी आदान -प्रदान वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है ! इसकी औपचारिक शुरुआत 16 फ़रवरी को दिल्ली में हुई थी! इस चीन-भारत मित्रवत आवाजाही वर्ष में पेइचिंग स्थित भारतीय दूतावास शांगहाई, क्वांगचो और हांगकांग स्थित भारतीय कांसुलेटों के साथ मिलकर चीन के कुल बारह शहरों में "भारत की झलक" नाम का एक सिलसिलेवार सांस्कृतिक और वाणिज्य मेला आयोजित कर रहा है इस दौरान अनेको कार्यक्रम प्रायोजित होने वाले है इससे चीन के लोगो को भारत के विषय में और अधिक जानकारी हासिल करने का मौका मिलेगा । इससे दोनों देशो के बीच पर्यटन और व्यपार में भी भारी बढ़ोतरी होगी। कई रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित होंगे। साथ ही भारतीय संस्कृति को जानने और समझने के लिए चीनी लोगों को बहुत अच्छा मौका मिलेगा। इस कार्यक्रम से दोनों देशो के मैत्रीपूर्ण संबंध और मजबूत होंगे।

    अनिल:दोस्तो, कर्नाटक से हमारे श्रोता डाँ. सुनील कुमार परीट ने किसके हित शीर्षक एक कविता हमें भेजी है, जिसका विषय इस प्रकार है,

    अपने हित के बारे में

    कुछ ऐसा सोचा था

    मन व्याकुल हो गया था

    अनेक आशंकायें

    अनेक असंभावनायें

    अनेक अनिवार्यतायें

    फिर भी हौंसला था

    सिर्फ अपनी बलबूतों पर

    सिर्फ अपने आत्मस्थैर्य पर।

    सपने टूटे

    अपने रुठे

    भाग्य खोया

    मन रोया।

    जिन्दगी से तंग होकर

    निकल पडा सागर किनारें

    सोचा था खत्म कर दूँ

    अब यह यात्रा

    पर बिना कोई उद्देश्य

    जी रहा है सागर औरों के हित

    तो मैं क्यों सोचूँ

    सिर्फ मेरे हित

    हित परहित में खोकर हम

    सागर जैसे जीना अब

    हमें भी औरों के हित में

    कुछ तो करना है

    औरों के हित में

    कुछ तो मरना है ||

    वनिता:दोस्तो, अगला खत भेजा है, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत तिब्बत के लोका प्रीफ़ेक्चर से एनपीसी की तिब्बती प्रतिनिधि 40 वर्षीया ईशी चोगा के तिब्बती गरीब किसान और चरवाहों की सम्पन्नता हेतु एकसमान स्वप्न वाली रिपोर्ट काफी प्रेरक लगी.छिंगहाई-तिब्बत पठार जैसे अत्यन्त पिछड़े क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली एक महिला कैसे अपनी उद्यमशीलता के ज़रिये हज़ारों लोगों का भविष्य उज्जवल बना सकती है, यह उसकी एक सशक्त मिसाल है.कार्यक्रम के दूसरे भाग में दलाईलामा के "बीच के रास्ते का सार" शीर्षक रिपोर्ट पर इतना ही कहना चाहूंगा कि तिब्बत अब अन्तिम रूप से चीन का अटूट हिस्सा है, इसलिए इस पर कोई भी विवाद उठाना बेमानी है।

    अनिल:उन्होंने आगे कहा कि कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत पहले इस उपमहाद्वीप के महत्वपूर्ण समाचार तथा बाद में भारतीय आमचुनावों पर विभिन्न राजनीतिक दलों के बनते-बिगड़ते समीकरण, साँठ-गाँठ, तथा उनके बीच अपने स्वार्थों को लेकर चल रही ऊहापोह पर सहारा समय के वरिष्ठ पत्रकार कृष्णानन्दजी के अनुभव सुनने को मिले। मोदी और केजरीवाल की स्थिति का मूल्यांकन भी सही तस्वीर पेश करता है।

    वनिता:कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत गत पांच मार्च को बीजिंग में आयोजित बारहवीं एनपीसी के दूसरे पूर्णाधिवेशन में प्रधानमंत्री ली खछ्यांग द्वारा पेश अपनी सरकारी कार्यरिपोर्ट में सिल्करूट और आर्थिक कॉरिडोर बनाने की बात पर दिल्ली स्थित सीआरआई संवाददाता देव द्वारा जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ बी.आर.दीपक से ली गई भेंटवार्ता सुन पता चला कि प्रस्तावित रेशम-मार्ग कितना पुराना है और कैसे नौवीं शताब्दी में हान राजवंशकाल से यह दक्षिण-पूर्व एशियायी देशों के बीच व्यापार का अहम् मार्ग रहा है.दीपकजी के अनुभव सुन कर लगा कि सिल्करूट तथा समुद्री सिल्करूट के पुनः शुरू होने पर न केवल इस क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, अपितु देशों के बीच सम्बन्ध भी और सुदृढ़ होंगे। बातचीत सुन भारत-चीन के बीच सदियों पुराने व्यापारिक रिश्तों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई.धन्यवाद।

    अनिल:दोस्तो, अगला खत आया है बिहार से, भेजने वाले हैं श्रोता दीपक कुमार दास। लिखते हैं कि मैं शुरू से ही सीआरआई की हिंदी विभाग से जुड़ा हुआ हूं और मैंने तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं। सीआरआई हिंदी कार्यक्रम के श्रोताओं के बीच पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के बोमनगर गॉव में रहने वाले रविशंकर बसु भाई आज जाना-पहचाना नाम हैं। मैं रविशंकर को एवं उनके क्लब "न्यू हराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब" को काफी दिनों से जानता हूं। रविशंकर बसु द्वारा भेजे गए ऑडियो सीडी "सभी के दिलों में -सीआरआई हिंदी सेवा" सुनने के बाद मुझे एहसास हुआ कि उनके खून-खून में सीआरआई हिंदी सेवा बसी हुई है।यह ऑडियो सीडी सीआरआई के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर बन गया है। भारत में सी आर आई की बहुत सारे क्लब हैं जो वास्तव में सिर्फ पेपर क्लब हैं।मैं रविशंकर भाई की सभी कार्य को तहे दिल से सलाम करता हूं।भाई रविशंकर सचमुच में भारत-चीन मैत्री के रूप में काम कर रहे है। सीआरआई हिंदी विभाग के प्रति उनका जैसा निस्वार्थ प्रेम मैंने दूसरा किसी को नहीं देखा है। दक्षिण एशिया के सभी श्रोता क्लबों ने न्यू हराइज़न रेडियो लिस्नर्स क्लब से शिक्षा अवश्य ही लेंगे।

    वनिता:दोस्तो, हमारे श्रोता देबाशीष गोप ने एक सवाल पूछा है कि भारत में पहले चीनी राजदूत कोन थे?यह सवाल का जवाब है कि भारत में पहले चीनी राजदूत का नाम था य्वान च्वूंग शिए है। वे चीन के हूनान प्रांत में पैदा हुए थे और वर्ष 1924 चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल थे। वर्ष 1950 वे नए चीन की स्थापना होने के बाद भारत स्थित पहले चीनी राजदूत बने। और वर्ष 1956 वे उप चीनी विदेश मंत्री बने। भारत स्थित पहले चीनी राजदूत का काम करते समय उन्होंने चीन भारत संबंध के विकास के लिए बड़ा योगदान किया था।

    अनिल:दोस्तो, अब सुनिए न्यू हराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब द्वारा तैयार आडियो सी.डी. "सभी के दिलों में सी.आर.आई.हिन्दी सेवा " का दूसरा भाग।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

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