ऊंचे अक्षांतर क्षेत्र स्थित होने की वजह से अलशान शहर में ग्रीष्म अल्पकालिक है और मौसम भी सुहावना है , जबकि सर्दियों का मौसम लम्बा ही नहीं बहुत ठंड भी है , आम तौर पर सर्दियों का मौसम सितम्बर से अगले साल के मई तक होता है । जब हमारे संवाददाता जुलाई में वहां गये , तो वहां का औसत स्थानीय तापमान केवल 15 सैल्सियलस डिग्री के आसपास है , रोत को सोते वक्त रजाई की जरूरत पड़ती है ।
जंगल व घास मैदान से घेरे हुए अलशान शहर हर सुबह लकड़ियों से भरी माल रेल गाड़ियों की सीटी आवाज से जग जाता है । फिर मुलायम धूप और तरोताजा वातावरण इस 8 हजार से अधिक जनसंख्य वाले छोटे सीमांत शहर को एकदम जीता जागता बना लेता है । अलशान शहर में एक मात्र मुख्य सड़क है , सड़क के दोनों किनारों पर अधिकतर युरोपीय वास्तु शैलियों में निर्मित लाल छत वाली इमारतें नजर आती हैं ।
मंगोल भाषा में अलशान का अर्थ है गर्म पवित्र जल । इसलिये स्थानीय वासियों की मान्यता है कि गर्म चश्मे में नहीं नहाने का मतलब अलशान शहर न आने के बराबर है । अलशान शहर के पर्याप्त पर्यटन संसाधनों में अभूतपूर्व चश्मा समूह सब से उल्लेखनीय है । स्थानीय चीनी चश्मा म्युजियम मात्र म्युजियम ही नहीं , आरामदेह विश्रामगृह भी है । इस म्युजियम में कार्यरत कर्मचारी ने परिचय देते हुए कहा
यहां कुल 37 चश्मे पाये जाते हैं , जिन में सात चश्मों का पानी पिलाया जा सकता है , जबकि अन्य तीस चश्मे नहाने लायक हैं । मजे की बात है कि ये तीस चश्मों का तापमान एक जैसा नहीं है । अलग अलग तापमान वाले चश्मे लोगों के स्वास्थ्य पर भिन्न भिन्न असरदार होते हैं । मसलन नम्बर 23 चश्मा रोग पूछने वाला चश्मा पुकारा जाता है , कहा जाता है कि इसी चश्मे के पानी में लेटे लेटे यदि शरीर की जिस जगह में दर्द महसूस होता है , तो वह जगह किसी बीमारी से लग गयी है । नम्बर बीस चश्मे के पानी का तापमान मानव शरीर के तापमान से मिलता जुलता है , इसी चश्मे में नहीने के बाद लोग एकदम तरोताजा लगते हैं । बहुत से रोगी इसी चश्मे में नहा कर चंगे हो गये हैं ।
कहा जाता है कि हर सुबह अलशान शहर के बहुत से वासी पानी भरने और हाथ मुंह धोने के लिये प्रसिद्ध पाच मील चश्मे जाते हैं । इस चश्मे का पानी प्रत्यक्ष रूप से पिया जाता है । इस चश्मे का पानी साल भर में तीन से पांच सेल्सिलस डिग्री तक बरकरार रहा है और वह हृदय रोग , उच्च रक्तचाप और मैदा रोग जैसे रोगों के उपचार में काफी असरदार साबित हुआ है । छीछीक नामक महिला मंगोल जाति की है , वह विशेष तौर पर इस प्रदेश के शिलिनकोर जिले से अलशान विश्रामगृह आयी है । उसे ने हमारे संवाददाता से कहा मैं हर सुबह जल्दी उठकर यहां आ कर चश्मे का पानी पीती हूं और नहाती हूं । चश्मे का पानी मेदे के लिये फायदेमंद है । पहले मेरा मेदा ठीक नहीं था , ठंडी चीज खायी नहीं जा सकती थी , अब ठीक हो गया है । पहले मेरे पैर में दर्द था , अब मूल रूप से भी चंगा हो गया है ।
श्रोता दोस्तो , सर्वविदित है कि थ्येनछी का अर्थ है ज्वालामुखी पहाड़ के मुह पर बनी झील । सथानीय वासियों का कहना है कि अलशान थ्येनछी अप्सरायों का नहाने का स्थल है । उस का क्षेत्रफल 13.5 हैक्टर बड़ा है औ वह सिनच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के थ्येनछी और उत्तर पूर्व चीन के ची लिन प्रांत के थ्येनछी के बाद चीन की तीसरी बड़ी ज्वालामुखी झील मानी जाती है । अलशान थ्येनछी ऊंचे पर्वत की चोटी पर स्थित है , जहां पहुंचने में चार सौ से अधित सीढियां चढ़ना जरूरी है , झील के चारों ओर घने जगल उगे हुए हैं और प्राकृतिक दृश्य बहुत मनोहर है । चोटी चढ़ने के रास्ते में स्थानीय सरकार के अधिकारी श्री ऊ युंग शंग ने इस तरह परिचय देते हुए कहा
अलशान थ्येनछी झील समुद्र की सतह से कोई एक हजार तीन सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है , सूखे के मौसम में झील में पानी का अभाव नहीं रहा है , जबकि बाढ़ आने से पानी झील से बाहर भी नहीं निकलता है । आखिर यह झील कितनी गहरी है , अभी तक किसी ने इस की माप नहीं ली है । इस झील में आक्सिजन के अभाव से मछली नहीं है ।
हमारे संवाददाता श्री ऊ युंग शंग के साथ बातचीत करते करते पर्वत की चोटी पर पहुंच गये , ठंडी हवा के झोक में लहरदार स्वच्छ थ्येनछी झील एकदम दिखाई देने लगी । चीन की राजधानी पेइचिंग से आये पर्यटक ने हमारे संवाददाता से कहा
हम पेइचिंग शहर के फुंग थाई जिल में रहने वाले हैं , कुल तीन परिवार अपनी कारें चलाकर एक हजार पांच सौ किलोमीटर का रास्ता तय कर अलशान पर्यटन स्थल घूमने आये हैं । यहां का पर्यावरण बहुत अच्छा है , प्राकृतिक दृश्य भी मनमोहक है और एक बड़ा प्राकृतिक आक्सिजन बार ही है ।
अलशान थ्येनछी पर्यटन क्षेत्र के पास पर्यटकों को स्थानीय जंगली फल भी चखने को मिलते हैं । इस के अलावा बहुत से पर्यटक स्थानीय वासियों के रेस्त्रांओं में विशेष स्थानीय पकवान खाना ज्यादा पसंद करते हैं । जी हां , यहां के छोटे बड़े रेस्त्रांओं में खाना सस्ता , साफसुथरा ही नहीं , सभी कच्चे माल हरित भी हैं । इतना ही नहीं , पर्यटक स्थानीय विशेषताओं वाली चीजें खरीदकर रिश्तेदारों को गिफ्ट के रूप भेंट कर सकते हैं ।
अलशान त्येनछी झील के पास और शह थांग लिन पर्यटन स्थल और अजालेया झील पर्यटन स्थल भी हैं । शह थांग लिन ज्वालामुखी पर्वत से निकले पत्थरों से बना हुआ है , देखने में जले हुए मालूम पड़ता है । पर ऐसे घास तक भी उपलब्ध न होने के क्षेत्र में आकाश से बात करने वाले देवदार पेड़ उगे हुए दिखाई देते हैं । इस के अतिरिक्त हर साल के अप्रैल व मई में सारे पहाड़ी क्षेत्र पर खिले हुए अजालेया फूल नजर आते हैं , देखने में बहुत सुंदर लगते हैं ।
हमारे संवाददाता को पता चला है कि बहुत से देशी विदेशी पर्यटक अलशान पर्यटन क्षेत्र के अलग ढंग के प्राकृतिक दृश्य को देखने के लिये विशेष तौर पर आते हैं । विदेशी पर्यटकों में अधिकतर रूस और मंगोलिया गणराजय के हैं । अपने परिजनों के साथ आये मंगोलिया गणराज्य के किशोर ने हमारे संवाददाता से कहा
मैं मेरे दादा दादी के साथ आया हूं , यहां बहुत अच्छा है , मुझे बहुस पसंद है । बातचीत करते करते इस किशोर ने एक गाना भी गाया
स्थानीय सरकार के अधिकारी वांग फू सन ने कहा कि गर्मियों में अलशान गर्मी से बचने वाली अच्छी जगह है । जबकि सर्दियों में यहां की पहचान और अलग ढंग की है । 2006 तूलिंग सर्द आँलम्पिक खेल समारोह में पुरुष फ्री स्टाइल वाली स्किंग प्रतियोगिता में चैम्पियनशीप जीतने वाले खिलाड़ी हांग श्याओ फंग और महिला फ्री स्टाइल वाली स्किंग प्रतियोगिता में नरलअप रही खिलाड़िन ली नी ना जैसे प्रसिद्ध चीनी खिलाड़ियों व खिलाड़िनों ने लगातार चार सालों में यहां ट्रेनिंग ली , जिस से अलशान फिर विश्व चैम्पियन तैयार करने वाला हिंडोला बन गया ।