पश्चिमोत्तर चीन के कानसू प्रांत के दक्षिण भाग में कान्नान तिब्बती प्रिफैक्चर स्थित है, जहां तिब्बती चरवाहें घुमंतू जीवन बिताते थे। लेकिन हाल के वर्षों में उनके जीवन में धीरे-धीरे सुधार आया है।
कान्नान तिब्बती प्रिफैक्चर की लुछ्यु कांउटी के काहाई जिले के शोवा गांव में किसानों और चरवाहों के लिए निर्मित पुस्तकालय में प्रवेश कर हमारे संवाददाता की नज़र में पूर्व अमेरिकी खुफ़िया कर्मचारी एड़वर्ड स्नोडेन से संबंधित ताज़ा खबर प्रसारित की जा रही है। तिब्बती महिला नाओ रीछाओ गांव की यात्रा पर आए देशी-विदेशी संवाददाताओं के साथ हल्की फुलकी बातचीत कर रही है। उसने कहा कि वह कभी-कभार पुस्तकालय आकर पुस्तकें उधार पर लेती है। वह प्रेम संबंधित कहानियों को सबसे ज्यादा पसंद करती है।
इस साल कान्नान तिब्बती प्रिफैक्चर की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ है। चीनी शांतिपूर्ण एकीकरण संवर्द्धन संघ के तत्वाधान में 10 देशी-विदेशी मीडिया संस्थाओं के संवाददाता कान्नान क्षेत्र आए और हाल में उन्होंने काहाई जिले के शोवा गांव का दौरा भी किया।
गांव के पुस्तकालय में उन्होंने देखा कि《तिबब्त में जन मुक्ति सैनिक की कहानी》,《पश्चिम की तीर्थ यात्रा》और《लेस मिज़रेबल्स》जैसे तरह-तरह की पुस्तकें उपलब्ध हैं। काहाई जिले के उप प्रधान च्याह्वा तोर्ची के अनुसार इस पुस्तकालय में कई हज़ार पुस्तकें सुरक्षित हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत पुस्तकें तिब्बती भाषा में हैं।
वर्ष 2008 में कान्नान तिब्बती प्रिफैक्चर ने 36 लाख युआन की पूंजी लगाकर पूरे प्रिफैक्चर में किसानों और चरवाहों के लिए कुल 120 पुस्तकालयों की स्थापना की। शोवा गांव का पुस्तकालय उनमें से एक है। काहाई जिले के उप प्रधान च्याह्वा तोर्ची ने कहा कि शोवा गांव में 300 से अधिक परिवारों के 3 हज़ार से अधिक लोग बसते हैं। सभी लोग पुस्तकालय से पुस्तकों को नि:शुल्क रूप से उधार पर ले सकते हैं। पुस्तकालय के प्रबंधन और गांववासियों की सेवा के लिए एक विशेष कर्मचारी उपलब्ध कराया जाता है।
पुस्तकालय के नज़दीक तिब्बती लोगों का निवास स्थान है। संवाददाता ने एक गांववासी के घर में जाकर देखा कि कमरे में रंगीन टीवी समेत कई आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं। मकान मालिक तोंगचू का कहना है कि गर्मियों के दिनों में परिवार के नौजवान और बलवान लोग 40 किलोमीटर दूर स्थित चरागाह में पशु पालन करने जाते हैं। वहां वे लोग बनाए गए शीविर में रहते हैं। करीब एक माह में एक बार घर वापस लौटते हैं। सर्दियों में घास के मैदान में घास कम हो जाने के कारण परिवार के सभी सदस्य एक साथ स्थाई निवास स्थान में रहते हैं।
आज तिब्बती चरवाहें आमतौर पर घुमंतू जीवन छोड़ रहे हैं। वर्ष 2012 के नवम्बर माह में कान्नान तिब्बती प्रिफैक्चर में घुमंतू तिब्बती चरवाहों के स्थाई निवास स्थान परियोजना पूरी तरह खत्म हो गई। 14 हज़ार 5 सौ परिवारों के 73 हज़ार 7 सौ तिब्बती चरवाहें नए मकान में स्थायी जीवन बिताने लगे हैं।
शोवा गांववासी तोंगचू के घर में चार कमरे और एक आंगन हैं। काहाई जिले के उप प्रधान च्याह्वा तोर्ची ने परिचय देते हुए कहा कि इस प्रकार वाले मकान का मूल्य 70 हज़ार युआन रहा है। जिसमें 30 हज़ार युआन खुद चरवाहे ने दिया है, बाकी 40 हज़ार युआन सरकार द्वारा दिया गया है। चरवाहे ने अपनी इच्छानुसार घर का भीतरी डिज़ाइन तैयार किया था।
च्याह्वा तोर्ची ने कहा कि अब स्थाई निवास स्थान में प्राइमरी स्कूल, क्लिनिक जैसे बुनियादी संस्थापन भी मुहैया कराये गये है। तिब्बती किसान और चरवाहे न्यूनतम बीमा व्यवस्था, चिकित्सा बीमा व्यवस्था और पेंशन व्यवस्था का लाभ उठाते हैं। लेकिन वर्तमान में तिब्बती बहुल क्षेत्र में सुयोग्य लोगों की कमी है। उदाहरण के तौर पर, जिले स्तरीय अस्पताल में सभी साजो-सामान उपलब्ध हैं, लेकिन अच्छे डॉक्टरों की कमी है। आजकल बाहर गए युवा लोग ज्यादातर वापस लौट कर नहीं आते हैं।
इस वर्ष 27 वर्षीय च्याह्वा तोर्ची स्वयं ही काहाई जिला द्वारा प्रशिक्षित किये गये सुयोग्य लोगों में से एक है। विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद वह अपने जन्मस्थान वापस लौट कर आये। उन्होंने आशा जताई कि भविष्य में गांव में बुढ़े लोगों के लिए मनोरंजन संबंधित उपकरणों का निर्माण किया जाए, ताकि बुढ़े चरवाहें अपना जीवन मनोरंजक ढंग से बिता सकें।
लुछ्यु कांउटी के काहाई जिले की यात्रा करने वाले संवाददाताओं में कई विदेशी पत्रकार भी हैं। इसी स्थल में तिब्बती चरवाहों के आधुनिक जीवन के प्रति उन पर गहरी छाप पड़ी। ब्रिटेन के एक चीनी भाषा वाली पत्रिका के संवाददाता का कहना है कि कान्नान तिब्बती प्रिफैक्चर में आर्थिक विकास और तिब्बती लोगों के जीवन में आया सुधार आश्चर्यजनक है। यहां आकर चीन में तिब्बती बहुल क्षेत्र के बारे में उनकी समझ पुस्तक, फिल्म और टीवी प्रोग्राम से कहीं ज्यादा समृद्ध हुई हैं। उन्होंने आशा जताई कि कान्नान तिब्बती प्रिफैक्चर की वास्तिवक स्थिति विदेशी पाठकों तक पहुंचाएंगे।