इस गांव में अल्पसंख्यक कज़ाक जाति की बड़ी आबादी है। कई दिनों से लगातार हुई बर्फबारी से इस गांव पर बर्फ की मोटी चादर चढ़ गई। बर्फ की इस सुन्दर दुनिया का लाभ लेते हुए इस गांव में घुड़-दौड़ और घोड़े पर सवार होकर दौड़ते हुए हाथों से बकरा पड़कने जैसी गतिविधियां आयोजित हो रही थीं। कजाक जाति के लड़के और लड़कियां हाथों में चाबूक लिए घोड़े पर सवार होकर तेजी से दौड़ते दिखाई दे रहे थे। उनकी सुन्दर छवि और बहादुर अंगभंगिमा देखकर दर्शकों ने वाह-वाह का पुल बांटा।
हां, घुड़-दौड़ और घोड़े पर सवार होकर दौड़ते हुए हाथों से बकरा पकड़ने जैसी गतिविधियां कज़ाक जाति के परंपरागत खेल हैं, जो आम तौर पर घास-मैदान में खेले जाते हैं। लेकिन स्थानीय लोगों ने पर्यटन के विकास के लिए सर्दियों के दिनों में बर्फ से ढके विशाल मैदान में भी ये खेल खेलना शुरू किया। इससे यहां बर्फ के अद्भुत दृश्य देखने आए पर्यटकों को पूरी तरह से एक नया अनुभव प्राप्त हुआ। इस गांव के एक जिम्मेदार व्यक्ति ई छिन ने कहाः
" घुड़-दौड़ और बकरा पकड़ने जैसी गतिविधियों के साथ साथ एक और दिलचस्प कार्यक्रम है, जिसे लकड़ियों के लड़कों का पीछा करने का नाम दिया गया है। ये सभी खेल घोड़ों पर सवार होकर खेले जाते हैं। घुड़-दौड़ कजाक जाति का बहादुर स्वभाव दिखाता है, घोड़े पर सवार होकर दौड़ते हुए हाथों से बकरा पकड़ना कजाक जाति के लोगों द्वारा अपने ठोस परिश्रम के आधार पर विकसित एक खेल है, लड़कियों के लड़कों का पीछा करना कजाक जाति के लड़कों और लड़कियों में एक दूसरे से प्यार करने का एक तरीका है, जिसमें कजाक जाति की विशेष संस्कृति देखी जाती है।"