मन्दिर के मुख्य द्वार के अन्दर और मुख्य भवन के पिछले भाग में दस्तकारी की चीजें बेचने वाले विशेष काउन्टर हैं। सूचओ चीन में दस्तकारी की चीजें बनाने वाला एक प्रसिद्ध शहर है। दुकानों के शोकेस कठखुदाई कलाकृतियों, जेडतराशी कलाकृतियों, चन्दन के पंखों, कांसे के पुराने बर्तनों की अनुकृतियों, थाओह्वाऊ में बनाए गए नववर्ष चित्रों, आपेरा अभिनय में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों और सूचओ की कसीदाकारी की कलाकृतियों से सजे हुए थे। सूचओ की कसीदाकारी का इतिहास एक हजार साल से ज्यादा पुराना है। दुनिया के 60 से अधिक देशों व क्षेत्रों तथा अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में उसे भूरि-भूरि प्रशंसा प्राप्त हो चुकी है। अपनी बारीकी व सुन्दरता के कारण वह "पूरब का मोती" कहलाती हैं। दो सौ वर्ष से अधिक समय पहले दक्षिण में सूचओ के थाओह्वाऊ को और उत्तर में थ्येनचिन के याडंल्यूछिडं को चीन में कठखुदाई के दो प्रमुख केन्द्र माना जाता था। दस्तकारी के ये श्रेष्ठ उत्पादन देखकर लोग अत्यन्त प्रफुल्लित होते थे।
इस परम्परागत हाट-बाजार में घूमते समय ऐसा लगता है मानो हम किसी प्राचीन नगर के एक चहलपहल भरे बाजार में पहुंच गए हों। यहां हम अपनी मनपसन्द की चीजें खरीद सकते हैं, तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं और सुगन्धित चाय की चुस्कियों का आनन्द उठा सकते हैं। त्यौहार के दिन तो इस मन्दिर के हाट-बाजार में आदमी ही आदमी नजर आते हैं।