चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने 11 से 19 सितंबर तक निमंत्रण पर दुशान्बे में आयोजित शांगहाई सहयोग संगठन के 14वें शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इसके साथ ही उन्होंने मालदीव, श्रीलंका और भारत की राजकीय यात्रा की। यात्रा समाप्त होने पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने संबंधित सूचनाओं से अवगत कराया।
वांग यी ने कहा कि यात्रा के दौरान शी चिनफिंग ने 70 से अधिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और विभिन्न देशों के नेताओं के साथ गहन रूप से विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। शी चिनफिंग की यात्रा की शांगहाई सहयोग संगठन का विकास और चीन-दक्षिण एशिया संबंध बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
पहला, शांगहाई सहयोग संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा और साझा विकास बनाए रखने की महत्वपूर्ण व्यवस्था है और मध्य एशियाई देशों के साथ संबंध बढ़ाने का महत्वपूर्ण मंच है। शी चिनफिंग ने संगठन के विकास पर चीन का रुख स्पष्ट किया। सदस्य देश सहयोग मजबूत कर उग्रवाद, पृथकतावाद और आतंकवाद का मुकाबला करने के साथ साथ रेशम मार्ग आर्थिक ज़ोन का साझा निर्माण करने पर सहमत हुए।
दूसरा, चीन और भारत दोनों प्राचीन सभ्यताएं ही नहीं, सबसे बड़े विकासशील देश और नवोदित बाजार भी हैं। दोनों देश विश्व के बहुध्रुवीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण शक्तियां हैं। शी चिनफिंग ने कहा कि चीन और भारत द्वारा शांति, सहयोग और सहिष्णुता के साथ विकास करना न सिर्फ दोनों देश, बल्कि पड़ोसी देशों और संपूर्ण विश्व के लिए भी लाभदायक है। यात्रा के दौरान चीन और भारत ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग मज़बूत करने के साथ साथ साझा हितों की रक्षा करने और वैश्विक राजनितक और आर्थिक व्यवस्था को निष्पक्ष, उचित दिशा में बढ़ाने पर सहमति बनाई।
तीसरा, शी चिनफिंग द्वारा प्रस्तुत रेशम मार्ग आर्थिक ज़ोन और 21वीं शताब्दी के समुद्री रेशम मार्ग निर्माण के विचार का पड़ोसी देशों और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने समर्थन किया। चीन संबंधित देशों के साथ आधारभूत संस्थापन, ऊर्जा, वित्त और नागरिक जीवन क्षेत्रों में आपसी लाभ वाले सहयोग बढ़ाएगा।
(ललिता)