चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने 18 सिंतबर को भारतीय विश्व मामला परिषद (Indian council of world affairs) में"हाथ मिलाकर राष्ट्रीय पुनरूत्थान के सपने का अनुसरण करें"विषय पर भाषण दिया, जिसमें उन्होंने विचार पेश किया कि चीन और भारत अधिक घनिष्ठ विकसित साझेदार बनें, वृद्धि का नेतृत्व करने वाले साझेदार बनते हुए रणनीतिक समन्वय और सहयोग वाले वैश्विक साझेदार बनें। विभिन्न भारतीय व्यक्तियों के विचार में शी चिनफिंग के भाषण का विषय बहुत विशाल है, जिससे चीन और भारत दोनों देश और दोनों देशों की जनता के बीच समझ और संपर्क मज़बूत होंगे और द्विपक्षीय संबंधों के भावी विकास के लिए बहुत सार्थक होगा।
भारतीय आईएचएस ग्लोबल इन्साइट वेबसाइट के प्रमुख संपादक चंद ने कहा कि शी चिनफिंग के भाषण ने भारत-चीन संबंध के भावी विकास के लिए बेहतर आधार बनाया है। भाषण में भारत चीन संबंध में कई महत्वरपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा की गई, जिससे लोग दोनों देशों के बीच मित्रवत सहयोग के लिए आशावान है। उन्होंने अपने भाषण में कुछ एक बार महात्मा गांधी और रवीन्द्रनाथ टैगोर की चर्चा की, जिससे वहां उपस्थित श्रोता बहुत प्रभावित हुए।
भारतीय विदेश मंत्रालय के पूर्व महासचिव कर्कास ने कहा कि शी चिनफिंग ने अपने भाषण में 2.5 अरब जनसंख्या के बीच मित्रवत सहयोग के लिए कई मददगार प्रस्ताव पेश किए हैं, जिसका बहुत दूरगामी महत्व है।
वहीं भारतीय विश्व मामला परिषद के विशेषज्ञ मिश्रा ने कहा कि राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने भारत-चीन संबंधों का सिंहावलोकन करते हुए भविष्य के विकास की भी व्यापक व्याख्या की है। उन्होंने कहा कि चीन विश्व का कारखाना है, जबकि भारत पूरी दुनिया का कार्यालय। दोनों पक्षों को सहयोग मज़बूत करते हुए एक दूसरे का पूरक बनना चाहिए। (श्याओ थांग)