चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने 17 सितंबर को भारत की राजकीय यात्रा की पूर्व संध्या पर《द हिन्दू》और《दैनिक जागरण》में《सपना साकार करने का समय 》शीर्षक लेख प्रकाशित किया, हम राष्ट्रपति के लेख को शब्दशः सपना साकार करने का समय पेश कर रहे हैं।
मैंने 17 साल पहले भी प्राचीन व रहस्यमय भारत की यात्रा की थी। उस वक्त भारत आर्थिक सुधारों की नीति को आगे बढ़ा रहा था और आर्थिक विकास के क्षेत्र में नई उम्मीद दिख रही थी। भारत का प्रमुख समृद्ध वाणिज्यिक शहर मुंबई, सिलिकॉन वैली बेंगलूर और बॉलीवुड की फिल्में व योग विश्व भर को प्रभावित करते रहे हैं। भारतीय जनता को अपने भविष्य के प्रति बहुत सारी उम्मीदें हैं। पुरानी सभ्यता में पुन: युवा शक्ति का जोश दिखने लगा है। 17 साल बाद फिर एक बार मैं इस सुंदर भूमि पर कदम रखूंगा। आज का भारत एक उल्लेखनीय नवोदित बाजार और बड़ा विकासशील देश बन चुका है। यह एशिया का तीसरा बड़ा आर्थिक समुदाय, विश्व का दूसरा बड़ा सॉफ्टवेयर पॉवर और कृषि उत्पादों का निर्यातक देश भी है। भारत संयुक्त राष्ट्र, जी-20 और ब्रिक्स आदि संगठनों का भी सदस्य है, जो अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मंच पर दिन-ब-दिन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारत की कहानी लोगों की जुबान पर गूंजती रहती है। भारत में नई सरकार के सत्ता में आने के बाद विकास व आर्थिक सुधारों का रुझान तेज हुआ है। भारतीय जनता का आत्मविश्वास बढ़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत में मौके तलाश रहा है।
नई सदी में प्रवेश करने के बाद चीन-भारत संबंधों का व्यापक विकास हुआ है। दोनों देशों ने शांति व समृद्धि की दिशा में रणनीतिक सहयोग आधारित साझेदारी संबंध स्थापित किए हैं। चीन भारत का सबसे बड़ा बिजनेस भागीदार बन चुका है। द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2000 में तीन अरब अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब लगभग 70 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच चुका है। पिछले साल दोनों देशों के 8 लाख 20 हजार नागरिकों ने एक-दूसरे के यहां दौरा या पर्यटन किया। जलवायु परिवर्तन, खाद्यान्न सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा जैसे वैश्विक समस्याओं पर दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग है। इसके साथ ही द्विपक्षीय संबंधों तथा विकासशील देशों के समान हितों की रक्षा के लिए कारगर पहल हुई है। दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता को लेकर भी सक्रिय प्रगति हुई है। दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्र में अमन-चैन स्थापित करने की पूरी कोशिश की है। चीन-भारत संबंध 21वीं सदी में सर्वाधिक महत्वपूर्ण और सक्रिय द्विपक्षीय संबंधों में से एक बन चुका है। चीन और भारत के बीच अच्छे रिश्ते जरूरी हैं। हम एक-दूसरे पर भरोसे के सिद्धांत को अपनाकर रणनीतिक संपर्क को निरंतर मजबूत करने के साथ-साथ परस्पर विश्वास को और प्रगाढ़ करने के प्रति संकल्पबद्ध हैं। हम एक-दूसरे के प्रति उदार रुख अपनाते हुए परस्पर सहयोग के क्षेत्रों का लगातार विस्तार करने की कोशिश में हैं और एक-दूसरे की भलाई और हितों के अनुरूप काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम मैत्रीपूर्ण भावना से एक-दूसरे के प्रति सम्मानजनक व्यवहार द्वारा सांस्कृतिक व मानवीय आवागमन को प्रोत्साहित करने और द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की दिशा में डटे हैं। इसके साथ ही हम एक-दूसरे के अहम सवालों का सम्मान करके समस्याओं व मतभेदों का अच्छी तरह प्रबंधन व निपटारा करने के लिए संकल्पबद्ध हैं।
वर्तमान में चीन और भारत सुधार व विकास के महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। चीनी जनता अपने राष्ट्र के महान पुनरुत्थान के चीनी सपने को साकार करने के लिए कठिन मेहनत कर रही है। चीन सुधार को सवरंगीण रूप से अपना रहा है और आगे बढ़ रहा है। वहीं चीनी विशेषता वाली समाजवादी प्रणाली में सुधार व विकास करने, देश की प्रशासनिक व्यवस्था के आधुनिकीकरण के काम को आगे बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है। चीन ने 15 क्षेत्रों में 330 से अधिक सुधार के कदम उठाए हैं। हमारी सरकार अब इन नीतियों को आगे बढ़ा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत की नई सरकार ने नौकरशाही को दुरुस्त करने और देश के आधारभूत ढांचे में सुधार के लिए 10 प्राथमिकताएं निर्धारित की हैं। भारत एकजुट, शक्तिशाली व आधुनिक देश के तौर पर अपने महान राष्ट्र का निर्माण करने में लगा हुआ है। भारतीय जनता नए दौर के विकास लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयत्न कर रही है। चीन व भारत विकास के ऐतिहासिक दौर में हैं।
चीन व भारत के राष्ट्रीय पुनरुत्थान का सपना एक-दूसरे से मिलता-जुलता है। हमें दोनों देशों की विकास संबंधी रणनीतियों को और मजबूती से आगे बढ़ाना चाहिए। साथ ही हाथ मिलाकर शक्तिशाली व समृद्ध देश के सपने को साकार करने की कोशिश करनी चाहिए। विभिन्न श्रेष्ठताओं वाले नवोदित बाजारवादी देश के तौर पर हमें विकास के लिए और अधिक साझेदारी की जरूरत है। हमें एक-दूसरे की खूबियों से सीख कर अपनी कमियों को दूर करते हुए आगे विकास करना चाहिए। बुनियादी संरचनाओं के निर्माण और प्रसंस्करण उद्योग के क्षेत्र में चीन के पास अधिक व्यापक अनुभव है। इन क्षेत्रों में चीन भारत के विकास में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। भारत में सूचना व दवा उद्योग बहुत विकसित है। हम भारतीय कारोबारियों का चीन के बाजार में निवेश करने के लिए स्वागत करते हैं। विश्व का कारखाना और विश्व का दफ्तर यदि एक साथ आते हैं तो हम दुनिया में सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी उत्पादन केंद्र बन सकते हैं और सबसे आकर्षक उपभोक्ता बाजार तैयार कर सकते हैं।
चीन और भारत को एशियाई अर्थव्यवस्था के दो इंजन होने के कारण आर्थिक विकास में परस्पर साझेदारी बढ़ानी चाहिए। मुझे विश्वास है कि चीनी ऊर्जा और भारतीय बुद्धिमत्ता का मिलन हो जाए तो बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। एशियाई अर्थव्यवस्था के अनवरत विकास को आगे बढ़ाने के लिए हम बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक कॉरिडोर के निर्माण को आगे बढ़ाएंगे, जबकि सिल्क रोड आर्थिक जोन और 21वीं शताब्दी में समुद्री सिल्क रोड के आह्वान पर भी चर्चा करेंगे। वैश्विक बहुध्रुवीकरण की प्रक्रिया में दो बड़ी और महत्वपूर्ण शक्तियां होने के कारण हमें रणनीतिक सहयोग वाली वैश्रि्वक साझेदारी करनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि चीन व भारत दो शरीर और एक भावना हैं। मैं इससे सहमत हूं। हालांकि चीनी ड्रैगन और भारतीय हाथी की भिन्न-भिन्न विशेषताएं हैं, फिर भी दोनों देश शांति, निष्पक्षता और न्याय के पक्षधर हैं। हमें पंचशील सिद्धांत का प्रसार करके अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को और अधिक निष्पक्ष व सही दिशा में विकसित करने की कोशिश जारी रखनी चाहिए। वहीं युग के विकास और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की समान मांग को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को बेहतर ढंग से हल करने की आवश्यकता है। चीनी नेता देंग ने कहा था, एशिया की सदी का सपना चीन-भारत और अन्य पड़ोसी देशों के विकास के बाद ही साकार हो सकेगा। हम युग प्रदत्त जिम्मेदारी को निभाते हुए चीन-भारत मैत्री की प्रेरणाशक्ति बनने को तैयार हैं। भारत यात्रा के दौरान शांति व समृद्धि की दिशा में उन्मुख चीन-भारत रणनीतिक सहयोग आधारित साझेदारी संबंधों में नई प्रेरणा शक्ति डालने के लिए मैं भारतीय नेताओं के साथ दोनों देशों के बीच रिश्तों पर गहन आदान-प्रदान की प्रतीक्षा में हूं। मुझे विश्वास है कि अगर चीन व भारत एकजुट होकर सहयोग करते रहे तो एक समृद्ध व पुनर्जीवित एशिया की सदी अवश्य ही जल्द साकार होगी।