चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग 16 सितंबर को श्रीलंका की यात्रा करेंगे। वर्ष 1986 के बाद ये किसी चीनी राष्ट्राध्यक्ष की पहली श्रीलंका यात्रा होगी, जो द्विपक्षीय संबंध के इतिहास में एक मील के पत्थर माना जाता है। इससे चीन की पड़ोसी कूटनीतिक रणनीति में, विशेष कर चीन द्वारा प्रस्तुत"21वीं सदी में समुद्री रेशम मार्ग"वाली रणनीति में श्रीलंका का महत्व उजागर हुआ है।
वैश्विक व्यापार, ऊर्जा और कच्ची सामग्रियों के लिये यातायात मार्ग के रूप में हिंद महासागर चीन की इस रणनीति का अहम भाग है। अब हिंद महासागर चीन के लिए विदेशी समुद्री व्यापार, ऊर्जा और कच्चे माल के परिवहन की"जीवन रेखा"बन गया है। अपनी विशेष भौगोलिक स्थिति से श्रीलंका समुद्री रेशम मार्ग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे चीन और हिन्द महासागरीय देशों में श्रीलंका व्यापार और पूंजी निवेश में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
वहीं श्रीलंका भी समुद्री रेशम मार्ग वाली रणनीति को महत्व देता है। श्रीलंका इससे लाभान्वित होगा। पहला, समुद्री रेशम मार्ग के निर्माण से श्रीलंका हिंद महासागर में व्यापारिक केंद्र बनेगा, श्रीलंका के बंदरगाह निर्माण में चीन पूंजी निवेश करेगा। दूसरा, चीन-श्रीलंका के बीच समुद्री व्यापार की समृद्धि होगी। तीसरा, विश्व में श्रीलंका को चीन से राजनीतिक समर्थन चाहिए। समुद्री रेशम मार्ग के निर्माण से चीन के साथ संबंध मज़बूत कर वर्तमान विश्व में श्रीलंका के सामने मौजूद मुसीबतें कम होंगी।
(श्याओ थांग)