ली जाति चीन के हाएनान द्वीप में बसी हुई है, आबादी 7 लाख 70 हजार है। वे लोग काम करते वक्त, त्यौहार मनाते हुए, खास तौर पर प्रणय-निवेदन के समय पारम्परिक लोकगीत गाते हैं। ज्यादातर ली लोग युगलबंदी या सामूहिक दलबन्दी के तौर पर प्रश्नोत्तर के रूप में आशु गीत गाते हैं। मगर गीतों की विषय-वस्तु अक्सर प्रेम ही होती है।
युवक और युवतियां गीतों के जरिए अक्सर एक दूसरे से पहचान बनाते हैं,यहां तक कि गीतों के जरिए ही सगाई भी कर लेते हैं। ये गीत ज्यादातर स्वतःस्फूर्त होते हैं। एक गीत देखेः
पुरुषः समुद्र के दूसरे किनारे पर खिले थे जंगली सेव के फूल, मैं भयभीत हो उठा कि समुद्र गहरा है, मैं कैसे तोड़ पाऊंगा वह फूल। एक पत्थर फेंकूं, तो समुद्र की गहराई मालूम हो, एक गीत गाऊं, तो पता लगे गहराई तुम्हारे प्रेम की।
महिलाः सुरीली आवाज है, जी आप की और आप का गीत भी, मेरे हृद्य में जाग उठा है प्रेम, बैल की क्षमता तो दूर जाने से ही सिद्ध हो, और लम्बे समय में साबित हो प्रेम।
ली महिलाएं तरह-तरह के नलीनुमा घाघरे पहनती हैं। हाएनान द्वीप के भिन्न-भिन्न स्थानों में इन की लम्बाई भी अलग-अलग है। इस वस्त्र पर पशु-पक्षियों, फूल-पौधों व मानव-आकॉतियों की कसीदाकारी की गई होती है और रंग अत्यन्त सामंजस्यपूर्ण होते हैं। ली महिलाएं बिना किसी खाके के कपड़ों पर कुशलता से तरह-तरह के डिजाइनों की सिलाई कर लेती हैं।
तीसरे चान्द्र माह के तीसरे दिन ली जाति का परम्परागत त्यौहार होता है। यह दिन युवक और युवतियों के लिए जीवन-साथी ढ़ूंढ़ने का एक सुअवसर है, साथ ही गीतों और जस्तकारी के प्रदर्शन का मौका भी है। त्यौहार के दौरान लड़कियां स्वनिर्मित घाघरे पहनती हैं और गायक तुडंफाडं काउन्टी में उकट्ठे होते हैं, क्योंकि यहीं त्यौहार का मूल केंद्र है।