सछ्वान प्रांत के दक्षिणी भाग में छाडंनिडं व च्वाडंआन काउन्टियों की सीमा पर लगभग 300 छोटी-बड़ी पहाड़ियां स्थित हैं। इस इलाके में करीब 60 हजार मू(एक मू=एकड़ का छठा भाग) में बांस लगा हुआ है। चश्मों व प्रपातों के पानी से बनी मशी(स्याही) सरिता इन पहाड़ियों के बीच कलकल करती बहती हैं।
मशी सरिता के बारे में एक सुन्दर दंतकथा प्रचलित है। दंतकथा के अनुसार याओ छिडं नामक एक सुन्दर अप्सरा ने परलोक से इहलोक आकर बांस के पौधों का रोपण किया। याओ छिडं को पुरस्कार देने के लिए जेड सम्राट ने अपने एक दूत को भेजा। वह दूत यहां आकर हरे भरे बांस को देखकर बहुत प्रभावित हुआ और उस ने कूची उठाकर एक बड़ा चीनी शब्द छ्वेइ(हरियाली) लिखा। लिखते समय अनजाने में कुछ स्याही सरिता में गिर गयी। बाद में लोग इसे स्याही सरिता कहने लगे।
स्याही सरिता की लंबाई 5 किलोमीटर है। सरिता के किनारों पर दस से अधिक चश्मे, प्रपात तथा सुन्दर घाटियां हैं। प्रचुर बांस से घिरी निश्चिंत घाटी की शान्ति कभी कभी चिड़ियों की चहचहाहट और सरिता के कलकल से टूट जाती है। पांच रंग वाले प्रपात का पानी सौ मीटर की ऊंचाई से गिरता है। यहां सूर्य की किरणें परावर्तित होकर इंद्रधनुष बनाती हैं।
अप्सरा कंदरा बादल और कोहरे के धुंध में छिपी रहती है। जब मौसम खुल जाता है तो पहाड़ की लंबी संकरी चोटी, सरिता और बांसों का सुन्दर दृश्य दूर से देखा जा सकता है।