यूएन ने चीनी स्पेस स्टेशन को एक मिसाल क्यों बताया
16 अप्रैल की सुबह चीन के शनचो नंबर 13 समानव अंतरिक्ष यान के वापसी केबिन की सफल लैंडिंग हुई। तीन चीनी अंतरिक्ष यात्री कक्षा में 183 दिनों तक रहने के बाद पृथ्वी पर वापस लौटे ।
चीन के लिए शनचो नंबर 13 की वापसी का मतलब है कि चीनी स्पेस स्टेशन की कुंजीभूत तकनीकों की पुष्टि का चरण सफलता से संपन्न हो गया है ,जो संयुक्त राष्ट्र की अंतरिक्ष साझेदारी करने की अपील की ओर आगे बढ़ रहा है।
आज की सफलता सचमुच आसान नहीं है ।वर्ष 1992 में चीन ने समानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए तीन कदमों की रणनीति बनायी ।अपने नवाचार पर कायम रहते हुए चीन ने रूस ,जापान और यूरोपीय संघ के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग चलाया ।चीन कदम ब कदम निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ा ।
अब चीनी स्पेस स्टेशन का निर्माण होने वाला है ।चीन का लक्ष्य एक बड़े पैमाने वाला स्पेस स्टेशन निर्मित करना है ।कुछ साल के बाद शायद वह कक्षा में एकमात्र स्पेस स्टेशन होगा ।वह न सिर्फ चीन की बड़ी वैज्ञानिक व तकनीकी उपलब्धि होगी ,बल्कि समग्र मानव के लिए स्पेस की खोज का नया चरण शुरू होगा ।
चीनी स्पेस स्टेशन इतिहास में पहली बार यूएन के सभी सदस्यों के लिए खुली परियोजना है ।अब तक 17 देशों और 23 इकाइयों की 9 परियोजनाएं चीनी स्पेस स्टेशन की प्रथम श्रेणी वाली परियोजनाओं के रूप में चुनी गयी हैं ।यूएन बाहरी अंतरिक्ष मामला कार्यालय के निदेशक सिमोनेटा डि पिप्पो ने बताया कि चीन का खुला स्पेस स्टेशन यूएन की स्पेस साझा करने की वकालत का एक अहम अंग है ,जो एक महान मिसाल है ।
बाहरी स्पेस समग्र मानव का है ।विश्व के लिए खुला चीनी स्पेस स्टेशन सभी का घर होगा ।वह बाहरी स्पेस में चीन द्वारा मानव समुदाय के साझे भविष्य का निर्माण करने की कोशिश भी है ।(वेइतुंग)