प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने वालों के खिलाफ चीन में सख्ती
चीन में पिछले लंबे समय से प्राकृतिक संरक्षण पर व्यापक ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए चीन के विभिन्न विभागों द्वारा समय-समय पर वृक्षारोपण करने और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने की कोशिश जारी है। इसके साथ ही चीन नए ऊर्जा संसाधनों के इस्तेमाल पर भी जोर दे रहा है। खासकर शहरों में बैटरी व बिजली चालित वाहनों के संचालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और इसका लाभ स्वच्छ हवा और नीले आसमान के तौर पर मिले।
इस बीच प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने वालों के खिलाफ सख्ती बरती जा रही है। चीन का कहना है कि प्राकृतिक संसाधनों को बचाना उसकी प्राथमिकता है। इस दौरान चीनी केंद्रीय पर्यावरण निरीक्षक लगातार विभिन्न क्षेत्रों का निरीक्षण कर रहे हैं।
बताया जाता है कि पिछले महीने के अंत में, हबेई प्रांत और भीतरी मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र आदि जगहों में पहुंचकर निरीक्षण टीमों ने पर्यावरण संरक्षण के उल्लंघन का खुलासा किया है। इनमें से चार संसाधनों के दोहन से जुड़े मामले हैं। जिनमें अवैध रूप से जारी खनन को लेकर केंद्रीय एजेंसियों ने उक्त कार्रवाई की।
रिपोर्ट के मुताबिक कुछ खनन कंपनियों ने प्राकृतिक भंडार को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा ग्रेनाइट चट्टानों का दोहन करने के लिए अनुमति प्राप्त क्षेत्र के बाहर काम किया, जिससे 2.7 हेक्टेयर जंगल और 2 हेक्टेयर खेतों को नुकसान पहुंचा। जबकि अन्य जगहों पर इस तरह के मामले सामने आए। जिनके खिलाफ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी।
इसके अलावा चीन वैश्विक स्तर पर भी जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने पर ध्यान दे रहा है। जैसा कि हम जानते हैं कि चीन ने वर्ष 2030 से पहले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के स्तर को चरम पर पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। वहीं 2060 से पहले कार्बन तटस्थता का लक्ष्य हासिल करने पर ज़ोर दिया है।
ध्यान रहे कि चीन में इस वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए व्यापक उपाय हो रहे हैं। जिसमें पारिस्थितिकी विकास के अलावा कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में कमी शामिल है। इसके साथ ही चीन में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गैसों का उत्सर्जन करने वाली विभिन्न फैक्ट्रियों के खिलाफ सख्ती दिखायी गयी है। साथ ही उन्हें नवीन ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
अनिल पांडेय