हाल ही में अमेरिका ने तथाकथित "उईगुर जबरन श्रम रोकथाम विधेयक" पर हस्ताक्षर किये। 26 दिसंबर को शिनच्यांग मामलों पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शिनच्यांग उईगुर स्वायत्त प्रदेश की सरकार के प्रवक्ता श्यू क्वीश्यांग ने कहा कि वास्तव में अमेरिका जबरन श्रम वाला देश है।
श्यू क्वीश्यांग ने कहा कि अमेरिका में अश्वेत दासों के प्रति तस्करी, दुर्व्यवहार और भेदभाव का सैकड़ों वर्ष का इतिहास है। जबरन श्रम अमेरिका के इतिहास में एक ऐसा दाग है, जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता। खूनी दास व्यापार से विकसित अमेरिका आज भी एक "आधुनिक गुलामी" वाला देश है, और जबरन श्रम की समस्या चौंकाने वाली है।
श्यू क्वीश्यांग ने कहा कि पहले, अमेरिका में कृषि क्षेत्र जबरन श्रम की समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित है। आंकड़ों के अनुसार, 30 प्रतिशत खेत मज़दूर और उनके परिवार गरीबी रेखा से नीचे रहने को मजबूर हैं। उन्हें अपनी इच्छा व्यक्त करने में कठिनाई होती है और उन्हें अक्सर धमकियों या हिंसा का सामना करना पड़ता है और काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। दूसरा, अमेरिका में निजी जेलों में जबरन श्रम चौंकाने वाला है। अमेरिका में कुछ नियोक्ता निजी जेलों में बंद कैदियों को सस्ते मजदूर मानते हैं और उनसे अपने उद्योगों में श्रम की कमी का मुकाबला करते हुए उच्च लाभ प्राप्त करते हैं। तीसरा, अमेरिका में जबरन बाल श्रम की स्थिति गंभीर है। दुनिया में सबसे विकसित देश के रूप में, अमेरिका दुनिया का एकमात्र देश है, जिसने संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकारों पर संधि को मंजूरी नहीं दी है। चौथा, अमेरिका में श्रम और रोजगार के क्षेत्र में व्यापक लैंगिक भेदभाव मौजूद है। अमेरिकी समान रोजगार आयोग द्वारा 2017 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, 60 प्रतिशत महिलाओं ने काम पर यौन उत्पीड़न का अनुभव किया है। पांचवां, रोजगार में विकलांग अमेरिकियों के साथ भेदभाव और पूर्वाग्रह भी चौंकाने वाला है। अमेरिका ने अब तक संयुक्त राष्ट्र विकलांगों के अधिकारों पर संधि को मंजूरी देने से इनकार किया है, जिससे विकलांग अमेरिकियों के रोजगार अधिकारों की प्रभावी रूप से रक्षा करना असंभव हो गया है।
(मीनू)