2021 में चीन-भारत संबंधों पर एक नज़र

2021-12-18 19:43:11

2021 में चीन-भारत संबंधों पर एक नज़र_fororder_news1

आम तौर पर 2021 में चीन-भारत संबंध निचले स्तर पर रहे। दोनों देशों के बीच सामरिक आपसी विश्वास की कमी दिखी है, संबंधों को आगे बेहतर करने की प्रेरणा शक्ति नहीं है और सामान्य आवाजाही भी नहीं है। लेकिन कई सकारात्मक झलकियां भी नजर आयी हैं, जिससे 2022 में द्विपक्षीय संबंधों में अच्छा प्रभाव दिख सकता है।

1. 2021 में चीन-भारत संबंध निचले स्तर पर रहे हैं

2021 में चीन-भारत संबंध 1988 के अंत में राजीव गांधी की चीन यात्रा के बाद सबसे खराब माने जा रहे हैं।

पहला, राजनीतिक स्तर पर दोनों देशों के वरिष्ठ नेताओं के बीच कोई आवाजाही नहीं है। हालांकि शांगहाई सहयोग संगठन, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन जैसे वीडियो शिखर सम्मेलनों में दोनों देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया, फिर भी दोनों नेताओं ने ऑनलाईन बातचीत नहीं की। यह बीते 30 वर्षों में चीन-भारत संबंधों में अनदेखी स्थिति है। दोनों देशों के नेताओं के बीच आपसी आदान-प्रदान के प्रभाव से द्विपक्षीय संबंधों के विकास ने सही दिशा खोयी है।

दूसरा, सैन्य क्षेत्र में सीमा पर तनाव रहा। 2021 में दोनों पक्षों ने 5 बार सैन्य कमांडर स्तरीय वार्ता की, लेकिन सीमा क्षेत्र में सैन्य तनाव की स्थिति अभी भी कायम है। बीते एक वर्ष में "इंडो-पैसिफ़िक रणनीति " के सामरिक ढांचे में अमेरिका-भारत प्रतिरक्षा सहयोग इतिहास में सबसे ऊंचे स्तर तक पहुंचा, जिससे सामरिक स्तर पर चीन और भारत की सैन्य सुरक्षा में आपसी विश्वास बिलकुल खत्म हो गया।

तीसरा, आर्थिक क्षेत्र में नीति सक्रिय नहीं है। देखने में दोनों के बीच व्यापार ओतप्रोत है और दोनों के कुल व्यापार रकम में बढ़ोतरी आयी है। चीन पुनः भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है। लेकिन यह भारत सरकार द्वारा सक्रिय प्रोत्साहन का परिणाम नहीं है, जबकि यह कोविड-19 महामारी के दौरान भारत पक्ष द्वारा अपनाया गया आपात विकल्प है। भारतीय लोग वस्तुओं की कीमतों पर बड़ा ध्यान देते हैं। रोजमर्रा की चीज़ों की कीमतों में स्थिरता भारतीय समाज की स्थिरता के लिए लाभदायक है। और सामाजिक स्थिरता मोदी सरकार की स्थिरता के हित में भी स्थिरता मोदी सरकार के हित में है। वास्तव में मोदी सरकार की बीते एक साल में चीन के प्रति आर्थिक व व्यापारिक नीति सक्रिय नहीं है। भारत ने चीन को अपने यहां निवेश के सीमित विकल्प दिए हैं और महामारी के दौरान विदेशी पूंजी के सट्टा अधिग्रहण व्यवहार के बहाने से संबंधित नीति में संशोधन किया, जो खास तौर पर चीन के खिलाफ है। साथ ही मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया से मेड इन चाइना को, अन्य देशों के निर्माण से मेड बाई चाइना की जगह लेने की नीति जारी की। मई 2021 में भारत सरकार ने हुआवेई और चोंगशिंग के 5जी परीक्षण में शामिल होने की योजना को रद्द किया। जून 2020 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा आदि के बहाने से क्रमशः 200 से अधिक चीनी एप्स को प्रतिबंधित किया। जनवरी 2021 में भारत सरकार ने हमेशा के लिए वीचेट और टिकटॉक जैसे 59 चीनी एप्पस को बंद करने की घोषणा की।

चौथा, दोनों देशों के लोगों के बीच शत्रुता भी बढ़ती  रही। 15 अगस्त 2021 को भारतीय स्वतंत्र दिवस के दिन, भारत के मशहूर थिंक टैंक ऑबजर्वर फाउंडेशन द्वारा जारी एक सर्वेक्षण से जाहिर है कि 77 प्रतिशत भारतीय युवाओं का मानना है कि चीन सबसे बड़ा अविश्वसनीय देश है, साथ ही वे अमेरिका को सबसे विश्वसनीय देश मानते हैं। 86 प्रतिशत लोगों ने भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे बहाने से चीनी मोबाइल एप्स के खिलाफ पाबंदी के कदम का समर्थन किया। 62 प्रतिशत भारतीय यह मानते हैं कि चीन-अमेरिका तनावपूर्ण संबंधों की पृष्ठभूमि में भारत को निर्गुट नीति को त्याग देना चाहिए। दोनों देशों के बीच मानवीय आदान-प्रदान भी पूरी तरह बंद हो गया है।

पांचवां, चीन-भारत सीमा विवाद से दोनों के बीच आपसी विश्वास भी कमज़ोर हो गया है। ऐसी स्थिति में 2021 में चीन और भारत के बीच आपसी आवाजाही मुख्यतः संकट नियंत्रित करने पर केंद्रित रही।

चीन-भारत संबंधों में इस परिवर्तन से दोनों देश एक-दूसरे को अलग समझते हैं। भारत के साथ संबंधों का विकास करते समय पहले चीन दोनों पक्षों के बीच के अनुभव पर ज्यादा ध्यान देता है, जबकि सबसे पहले भारत के अनुभव पर नजर नहीं रखेगा। साथ ही भारत चीन को सबसे बड़ी धमकी समझता है और इसका निपटारा करने के लिए भारत लगातार अमेरिका और रूस के साथ संबंधों को गहरा करने की कोशिश करता है।

बीते एक वर्ष में चीन-भारत संबंध उपरोक्त नयी स्थिति में रहे।

2. 2021 में चीन-भारत संबंधों में कई हाइलाइट्स

2021 में हालांकि चीन-भारत संबंध अच्छे नहीं रहे, फिर भी 2020 की तुलना में कई हाइलाइट्स कही जा सकती हैं।

पहला, दोनों देशों के नेताओं ने एक-दूसरे को संवेदना पत्र भेजे हैं। 30 अप्रैल 2021 को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत में कोविड-19 महामारी की गंभीर स्थिति को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संवेदना पत्र भेजा। जबकि अगस्त माह में चीन के जंगचो शहर में भारी वर्षा से आयी आपदा को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने भी चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को संवेदना पत्र भेजा। जिससे दोनों देशों के नेताओं के अच्छे संबंध बनाए रखने का अच्छा इरादा प्रतिबिंबित होता है।

दूसरा, सीमा मुद्दे पर विवाद रहा है, लेकिन बड़े पैमाने वाली मुठभेड़ें नहीं हुईं। और तो और इस वर्ष दोनों देशों ने 5 बार सैन्य कमांडर स्तरीय वार्ताएं कीं, जिससे इस वर्ष सीमा समस्या और खराब होने से बच सकी।

तीसरा, दोनों के बीच व्यापार इस वर्ष एक खरब यूएस डॉलर को पार करने वाला है। 2021 के पहले 5 महीनों में द्विपक्षीय व्यापार रकम करीब 48.16 अरब डॉलर तक पहुंचा था। हालांकि चीन के प्रति भारत की आर्थिक व व्यापारिक नीति मैत्रीपूर्ण नहीं है, फिर भी चीन ने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाने पर ख्याल कर तदनुरूप जवाबी कदम नहीं उठाया और दोनों देशों की सप्लाई श्रृंखला और उद्योग श्रृंखला को सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की।

चौथा, लोगों के बीच आवाजाही में कुछ प्रगति मिली है। 18वीं चीन-रूस-भारत विदेश मंत्रियों की वार्ता में तीनों पक्षों ने त्रिपक्षीय थिंक टैंक संवाद मजबूत करने पर मंजूरी दी। यह दोनों देशों के बीच गैरसरकारी आवाजाही को प्रोत्साहित करने का संकेत है।

पांचवां, हालांकि कई मसलों पर दोनों की सहमतियां हैं, फिर भी दोनों के बीच मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, बहुपक्षवाद, महामारी रोकथाम, आतंकवाद विरोधी, क्षेत्रीय स्थिरता, मौसम परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय तंत्रों जैसे अहम क्षेत्रों में मतैक्य है। यह भविष्य में दोनों के बीच सहयोग करने के लिए लाभदायक है और द्विपक्षीय संबंधों के आगे विकास का आधार भी है।

3. भविष्य में चीन-भारत संबंधों का विकास

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 6 दिसम्बर को भारत लौटने वाले चीन स्थित भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री के साथ वीडियो मुलाकात में सुझाव पेश किये, जो भविष्य में चीन-भारत संबंधों के विकास के गाइड सिद्धांत माने जा सकते हैं। यानी कि दोनों देश एक-दूसरे को समझें, गलतफहमी न रखें। दूर से देखें, जबकि किसी एक घटना से चिंतित न हों। एक-दूसरे का समर्थन करें, एक-दूसरे का विरोध न करें। विकासशील देशों के समान हितों के बड़े लक्ष्य पर दोनों को भी एक साथ खड़ा होना चाहिए।

विश्व के दो बड़े विकासशील देश होने के नाते चीन और भारत को राष्ट्रीय पुनरुत्थान की खोज करने के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्थलों में सहयोग कर व्यापक विकासशील देशों के समान कल्याण और ध्यानाजनक मुद्दों के लिए और मानव साझे भाग्य वाले समुदाय की रचना करने के लिए एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए। बड़े देशों को बड़े देशों का रूप अपनाना चाहिए और बड़े देशों का कर्तव्य भी निभाना चाहिए। इस तरह के सहयोग अवश्य ही द्विपक्षीय संवाद और सहयोग के लिए और मैत्रीपूर्ण माहौल तैयार करेंगे।

वास्तव में चीनी विदेश मंत्री के उपरोक्त सुझाव इस वर्ष की शुरूआत में भारतीय विदेश मंत्री जय शंकर द्वारा पेश किये गये तीन सुझावों से मेल खाते हैं। यानी दोनों देशों को एक-दूसरे का सम्मान करना है, एक-दूसरे के केंद्रीय हितों से संबंधित मामलों पर ख्याल करना चाहिए और एक-दूसरे को लाभ देना चाहिए। इससे पूर्ण रूप से यह जाहिर है कि दोनों देशों के नेता आशा करते हैं कि चीन-भारत संबंध आखिरकार असामान्य स्थिति को खत्म कर सकेंगे और स्थिर विकास के रास्ते में आगे बढ़ेंगे।

हमें उम्मीद है कि 2022 में चीन-भारत संबंध उज्जवल होंगे।

(लेखक- चीन आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंध अनुसंधान संस्थान के दक्षिण एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक हू शिशंग हैं)

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