विकलांगों के बारे में लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए, अक्टूबर 1992 में, 47 वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को "विश्व विकलांग दिवस" के रूप में नामित करने का प्रस्ताव पारित किया। साथ ही विभिन्न देशों व अंतरराष्ट्रीय संगठनों से विकलांगों के प्रति लोगों की समझ बढ़ाने, विकलांगों के जीवन को सुधारने के लिए सक्रिय रूप से गतिविधियों का आयोजन करने की अपील की गयी, ताकि उन्हें समाज में भाग लेने के समान अवसर मिल सकें।
विकलांग दुनिया में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह हैं। संयुक्त राष्ट्र वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर में 1 अरब विकलांग लोग हैं, और उनमें से 80 प्रतिशत विकासशील देशों में हैं। आमतौर पर उनका खराब स्वास्थ्य और निम्न शिक्षा स्तर होता है। और उन्हें आर्थिक अवसर भी कम प्राप्त होते हैं। उनके बेरोजगार होने की संभावना अधिक होती है, और गरीबी दर व मृत्यु दर सामान्य लोगों की तुलना में अधिक होती है। इसके अलावा, पूर्वाग्रह और भेदभाव के कारण, विकलांग व्यक्तियों को जो अधिकार मिलने चाहिए , अकसर वे मिलते नहीं हैं। कई वर्षों से, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों के साथ-साथ दुनिया भर के विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने और बाधा मुक्त समाज स्थापित करने में कुछ प्रगति हासिल हुई है। हालांकि, विकलांगों को हाशिए पर रखने वाली पर्यावरणीय, सामाजिक और कानूनी बाधाएं अभी भी मौजूद हैं, रोजगार, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में विकलांगों को अब तक पूरे अधिकार नहीं मिले हैं।
सहानुभूति और सहायता की तुलना में, उन्हें अधिक सम्मान की आवश्यकता है। और उनके पास हमारी तरह स्वस्थ, स्वतंत्र और सम्मान की इच्छा वाली आत्मा हैं। विकलांग दोस्तों की देखभाल करना, विकलांग लोगों के प्रति दृष्टिकोण बदलना, उन(विकलांगों)के प्रतिरोध को खत्म करना, उनकी देखभाल करना, ये कार्य मुझसे शुरू हो सकते हैं और हमारे आसपास की छोटी-छोटी चीजों से शुरू हो सकते हैं। मुस्कान के साथ उनका सामना करें, भेदभाव न करें, मज़ाक न करें और मना न करें; एक-दूसरे के साथ समान व्यवहार करें; उनकी विकलांगता की स्थिति और कारणों के बारे में बात न करें; अनुमति प्राप्त करने के बाद, उन्हें विनम्र मदद दें; बसों और सब-वे पर विकलांगों के लिए बनी विशेष सीटों पर न बैठें; यदि संभव हो तो, उन्हें अच्छी नौकरी प्रदान करें; अपने बच्चों से कहें कि वे हम से अलग नहीं हैं।
(मीनू)