मानवाधिकार कार्यों का विकास बढ़ाने की अपील की विशेषज्ञों ने
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 14वें अल्पसंख्यक समूह फोरम का एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय मंच 7 सितंबर से 8 सिंतबर तक वीडियो के जरिये आयोजित हुआ। चीन के मानवाधिकार अनुसंधान संघ के 3 विशेषज्ञों और विद्वानों ने इस मंच में भाग लिया और चीनी अल्पसंख्यक जातियों के प्रशासन के अनुभव, चीनी अल्पसंख्यक जातियों की महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और सीमा क्षेत्रों में विकास आदि विषयों पर भाषण दिया।
राजनीति विज्ञान और कानून के उत्तर पश्चिमी विश्वविद्यालय के मानवाधिकार अनुसंधान केंद्र की शोधकर्ता जाओ श्योचिंग ने चीनी अल्पसंख्यक जातियों के प्रशासन के अनुभवों का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि चीन ने क्षेत्रीय जातीय स्वायत्तता प्रणाली के जरिये अल्पसंख्यक जातियों के अधिकारों की उपयोगी रक्षा की। चीन सभी जातियों के आर्थिक विकास, आजीविका में सुधार और आम विकास व सामान्य समृद्धि को पूरा करने का समर्थन करता है। क्षेत्रीय संतुलित विकास के जरिये चीन ने राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति आदि क्षेत्रों में सभी जातियों के अधिकारों की समान रूप से सुरक्षा की। राजनीति विज्ञान और कानून के चीन विश्वविद्यालय के मानवाधिकार अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ता शिआ च्यांगहाओ ने चीनी अल्पसंख्यक जातियों की महिलाओं के अधिकारों की रक्षा कार्य की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने चीनी अल्पसंख्यक जातियों की महिलाओं के लिये राजनीतिक भागीदारी अधिकारों की रक्षा, रोजगार की गारंटी, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने, जन संगठनों और सामाजिक संगठनों की भूमिका निभाने और संबंधित कानूनों व नियमों में सुधार आदि 5 भागों के बारे में बताया। राजनीति विज्ञान और कानून के दक्षिण पश्चिमी विश्वविद्यालय के मानवाधिकार अनुसंधान संस्थान के प्रोफ़ेसर वू शी ने सीमा क्षेत्रों का स्थान लाभ अदा करना और सीमा क्षेत्रों की स्थायी शांति व स्थिरता की रक्षा अदा करना आदि विषयों पर भाषण दिया।
बताया जाता है कि अल्पसंख्यक समूह मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदकों ने इस बार के मंच का आयोजन किया। इस बार के मंच का विषय संघर्ष को रोकना और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के एशिया-प्रशांत ब्यूरो, मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के कार्यालय के अधिकारों, अल्पसंख्यक समूह मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदकों और चीन, ब्रिटेन, मलेशिया व फिलीपींस के सरकारी प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों व विद्वानों ने इस मंच में भाग लिया।
(हैया)


