अफ़गानिस्तान के महदी योवरी का ओलंपिक ड्रीम
चार साल पहले अफगानिस्तान के महदी योवरी ने शायद कभी सोचा नहीं होगा कि एक दिन वह अपनी मातृभूमि की ओर से ओलंपिक निशानेबाजी के मंच पर उतरेगा।
योवरी बचपन से ही ईरान में भटक रहा था। वह दस साल की उम्र में घर छोड़कर शरण लेने के लिए बाहर चला गया। आखिरकार वह चार साल पहले स्विट्जरलैंड के न्योन में बस गया। 2019 में, सिलसिलेवार चयनों के बाद, 24 वर्षीय महदी योवरी और एक अन्य इरिट्रिया शरणार्थी लूना सोलोमन निशानेबाज बने और टोक्यो ओलंपिक खेलों के लिए प्रशिक्षण लेना शुरू किया।
हालांकि योवरी पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल के फाइनल में प्रवेश नहीं कर पाया। लेकिन उसे लगता है कि अपनी मातृभूमि की ओर से ओलंपिक खेलों में भाग लेना उसके लिए एक यादगार जीत है।
(मीनू)