तिब्बती लोग और उनका जीवन
तिब्बत के निवासियों में तिब्बती, मेनपा, लुओपा, हान चीनी, हुई, शेरपा और आदि लोग शामिल हैं। उनमें से तिब्बती मुख्य निवासी हैं, जिनका क्षेत्रीय आबादी का 92 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हैं। वास्तव में, तिब्बती लोग आशावादी, साहसी और निर्भीक होते हैं।
पुराने समय में, तिब्बती किसान जौ की फसल सबसे ज्यादा उगाते थे, और छोटे-छोटे गांवों में रहते थे। घूमने वाले खानाबदोश याक और भेड़ चराकर अपना जीवन यापन करते थे। शहरों में अधिकांश तिब्बतियों ने कारीगरों के रूप में जीवन यापन किया। लेकिन आजकल अधिकाधिक लोग व्यवसायों में पलायन कर रहे हैं। हालांकि, समय बीतने के साथ उनकी विशेष जीवन शैली लुप्त नहीं हुई है।
तिब्बती पठार क्षेत्र का मुख्य भोजन बीफ, मटन और डेयरी उत्पाद हैं। यहां सब्जी कम ही देखने को मिलती है, खासकर चारागाह क्षेत्रों में। स्थानीय लोग सूखा कच्चा मांस भी खाते हैं। यदि आपके पास स्थानीय चरवाहों या किसान के घर जाने का अवसर मिलता है, तो आप सूखे गोमांस और मटन को तंबू या घर में लटका हुआ देखेंगे।
तिब्बत में मेजबान आपकी मेहमानदारी बहुत ही शिष्टता के साथ करते हैं। विभिन्न पेय भी स्थानीय भोजन के आवश्यक अंग हैं। सबसे लोकप्रिय हैं मक्खन वाली चाय, मीठी चाय और जौ की शराब। अन्य प्रसिद्ध स्थानीय भोजन में ज़ांबा (भुना हुआ जौ का आटा), मक्खन आदि शामिल हैं।
पारंपरिक स्थानीय कपड़े मोटे, गर्म और चौड़े कमर और लंबी आस्तीन और स्कर्ट के साथ ढीले होते हैं। आमतौर पर छाती पर भोजन और बच्चों को रखने के लिए बैग की तरह कुछ जगह छोड़ दी जाती है। जब यह गर्म होता है, तो शरीर के तापमान को समायोजित करने के लिए एक या दो आस्तीन उतारकर कमर के चारों ओर बांध दिया जाता है। जब रात होती है, तो दो बाजू उतार दी जाती है और कपड़ों को एक बड़े स्लीपिंग बैग के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
यहां ज्यादातर लोग बौद्ध धर्म के प्रति आस्थावान हैं जबकि कुछ लोग पुराने बॉन को मानते हैं। इस्लाम और कैथोलिक धर्म के भी क्रमशः ल्हासा और यानचिंग में कुछ अनुयायी हैं। यहां अनेकानेक मंदिर और धार्मिक स्थल हैं। जोखांग मंदिर, पोताला महल और सेरा मठ सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं। यहां सड़क पर टहलते हुए, आपको कई मणि पत्थर, रंगीन प्रार्थना झंडे और धर्म चक्र हिलाते हुए लोग मिल जाएंगे, जो सभी स्थानीय बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण तत्व हैं।
स्थानीय लोग कुछ विशिष्ट पारंपरिक मनोरंजन गतिविधियों जैसे कुश्ती, रस्साकशी, घुड़दौड़ और तीरंदाजी आदि का आनंद लेते हैं। वे उत्कृष्ट गायक और नर्तक भी हैं, जो भूमि के लिए 'नृत्य और गीतों का सागर' की प्रतिष्ठा अर्जित करते हैं। तिब्बत में हर साल कई जातीय उत्सव भी होते हैं। यदि आप उन दिनों यहां होते हैं, तो आप उनके अद्वितीय और दिलचस्प रीति-रिवाजों का पूरी तरह से अनुभव करने के लिए उनके साथ जुड़ सकते हैं।
(अखिल पाराशर)